26-12-2019, 11:32 AM
बिच में जब वह अपनी आँखें खोलते तो अपर्णा के करारे, फुले हुए, ब्लाउज और ब्रा के अंदर से बाहर आने को व्याकुल मस्त स्तन उनकी आँखों और मुंह के ठीक सामने दीखते थे। अपर्णा के स्तनोँ के बिच की गहरी खाई में से उसकी हल्के चॉकलेट रंग की एरोला की गोलाइयों में कैद निप्पलोँ की हलकी झांकी भी जीतूजी को हो रही थी। अपर्णा के बदन की खुसबू उनको पागल कर रही थी। कई बार अपर्णा के स्तन जीतूजी के मुंह को और आँखों को अनायास ही स्पर्श कर रहे थे। अपर्णा अपने काम में इतनी मशगूल थी की उसे इस बात का कोई भी ख़याल ही नहीं था की उसके मदमस्त स्तन जीतूजी की हालत खराब कर रहे थे। अपर्णा बार बार झुक कर कभी कपड़ा भिगो कर निचोड़ती तो कभी उसे जीतूजी के कपाल पर दबा कर अपने हाथोँ से इनका कपाल और उनका सर प्यार से दबाती और अपना हाथ उस पर फिराती रहती थी।
जब अपर्णा कर्नल साहब के सर पर कपड़ा दबाती तो उसे काफी झुकना पड़ता था जिसके कारण उसके स्तन जीतूजी के मुंहमें ही जा लगते थे। कर्नल साहब ने कई बार कोशिश की वह उन्हें नजरअंदाज करे पर आखिर वह भी तो एक मर्द ही थे ना? कब तक अपने आपको रोक सकते थे? एक बार अचानक ही जब अपर्णा झुकी और उसकी चूँचियाँ जीतूजी के मुंह में जा लगीं तो बीन चाहे जीतूजी का मुंह खुल गया और अपर्णा का एक स्तन जीतूजी के मुंह में घुस गया। कर्नल साहब अपने आपको रोक नहीं पाए और उन्होंने अपर्णा के स्तन को मुंह में लेकर वह उसे मुंह में ही दबाने और चूसने लगे। अपर्णा ने ब्लाउज और ब्रा पहन रखी थीं, पर जीतूजी के मुंह की लार से अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा भीग गए। अपर्णा को महसूस हुआ की उसके स्तन जीतूजी अपने मुंह में लेकर चूस रहे थे। अपर्णा को इस कदर अपने इतने करीब पाकर जीतूजी का सर तो ठंडा हो रहा था पर उनके दो पॉंव के बिच उनका लण्ड गरम हो गया था। जल्दी में जीतूजी ने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था। उनका पयजामा के ऊपर उनके लण्ड के खड़े होने के कारण तम्बू जैसा बन गया था। अपर्णा की पीठ उस तरफ थी इस कारण वह उसे देख नहीं सकती थी।
अपर्णा ने जब पाया की जीतूजी ने उसके एक स्तन को मुंह में लिया था तो वह एकदम घबड़ा गयी। उसने पीछे हटने के लिए एक हाथ का टेका लेने केलिए अपना हाथ पीछे किया तो वह जीतूजी की टाँगों के बिच में जा पहुंचा। अपर्णा ने अपना हाथ वहाँ टिकाया तो जीतूजी का लण्ड ही उसके हाथ में आ गया। यह दूसरी बार हुआ की अपर्णा ने जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में कपडे के दूसरी और महसूस किया था। एक तरफ अपर्णा को जीतूजी का बुखार की चिंता थी तो दूसरी और उनके नजदीक आने से वह भी तो गरम हो रही थी। अपर्णा की समझ में यह नहीं आ रहाथा की वह करे तो क्या करे? उसका एक स्तन जीतूजी के मुंह में था तो उसका हाथ जीतूजी का लण्ड पकडे हुए था। उसके हाथ में जीतूजी के लण्ड से निकल रही चिकनाहट महसूस हो रही थी। जीतूजी का पजामा भी उनकी टाँगों के बिच में फैली हुई चिकनाहट से भीग चुका था। अपर्णा ने अपना हाथ हिलाया तो उसकी मुठ्ठी में जीतूजी का लण्ड भी हिलने लगा।
जब अपर्णा कर्नल साहब के सर पर कपड़ा दबाती तो उसे काफी झुकना पड़ता था जिसके कारण उसके स्तन जीतूजी के मुंहमें ही जा लगते थे। कर्नल साहब ने कई बार कोशिश की वह उन्हें नजरअंदाज करे पर आखिर वह भी तो एक मर्द ही थे ना? कब तक अपने आपको रोक सकते थे? एक बार अचानक ही जब अपर्णा झुकी और उसकी चूँचियाँ जीतूजी के मुंह में जा लगीं तो बीन चाहे जीतूजी का मुंह खुल गया और अपर्णा का एक स्तन जीतूजी के मुंह में घुस गया। कर्नल साहब अपने आपको रोक नहीं पाए और उन्होंने अपर्णा के स्तन को मुंह में लेकर वह उसे मुंह में ही दबाने और चूसने लगे। अपर्णा ने ब्लाउज और ब्रा पहन रखी थीं, पर जीतूजी के मुंह की लार से अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा भीग गए। अपर्णा को महसूस हुआ की उसके स्तन जीतूजी अपने मुंह में लेकर चूस रहे थे। अपर्णा को इस कदर अपने इतने करीब पाकर जीतूजी का सर तो ठंडा हो रहा था पर उनके दो पॉंव के बिच उनका लण्ड गरम हो गया था। जल्दी में जीतूजी ने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था। उनका पयजामा के ऊपर उनके लण्ड के खड़े होने के कारण तम्बू जैसा बन गया था। अपर्णा की पीठ उस तरफ थी इस कारण वह उसे देख नहीं सकती थी।
अपर्णा ने जब पाया की जीतूजी ने उसके एक स्तन को मुंह में लिया था तो वह एकदम घबड़ा गयी। उसने पीछे हटने के लिए एक हाथ का टेका लेने केलिए अपना हाथ पीछे किया तो वह जीतूजी की टाँगों के बिच में जा पहुंचा। अपर्णा ने अपना हाथ वहाँ टिकाया तो जीतूजी का लण्ड ही उसके हाथ में आ गया। यह दूसरी बार हुआ की अपर्णा ने जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में कपडे के दूसरी और महसूस किया था। एक तरफ अपर्णा को जीतूजी का बुखार की चिंता थी तो दूसरी और उनके नजदीक आने से वह भी तो गरम हो रही थी। अपर्णा की समझ में यह नहीं आ रहाथा की वह करे तो क्या करे? उसका एक स्तन जीतूजी के मुंह में था तो उसका हाथ जीतूजी का लण्ड पकडे हुए था। उसके हाथ में जीतूजी के लण्ड से निकल रही चिकनाहट महसूस हो रही थी। जीतूजी का पजामा भी उनकी टाँगों के बिच में फैली हुई चिकनाहट से भीग चुका था। अपर्णा ने अपना हाथ हिलाया तो उसकी मुठ्ठी में जीतूजी का लण्ड भी हिलने लगा।