26-12-2019, 11:29 AM
जीतूजी ने अपर्णा की और देखा और आँखें झुका कर बोले, "मैं आपको खामखा परेशानी में नहीं डालना चाहता। मैं खुद इसकी सतह तक पहुंचना चाहता हूँ पर क्या बताऊँ? वक्त आने पर मैं आपको खुद बताऊंगा। अभी आप मुझे इस बारेमें प्लीज आग्रह नहीं करें तो अच्छा है।" इतना कह कर कर्नल साहब फुर्ती से सीढ़ियां निचे उतर गए।
अपर्णा उन्हें देखती ही रह गयी। जीतूजी के जाने के तुरंत बाद अपर्णा ने तय किया की वह जल्द ही जीतूजी से बात कर उनसे इसके बारे में सारे राज़ बताने के लिए आग्रह करके मजबूर करेगी। पर उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था की उसे जीतूजी से एकांत में मिलने का मौक़ा कब मिलेगा।
पर दूसरे ही दिन यह मौक़ा मिल गया। सुबह ही श्रेया का फ़ोन आया। श्रेया ने कहा, "अपर्णा बहन एक समस्या हो गयी है। जीतूजी को बुखार है और वह ऑफिस नहीं जा रहे। मेरी कॉलेज में कॉलेज के वार्षिक दिवस का कार्यक्रम है। मुझे तो जाना पडेगा ही। मैं गैर हाजिर नहीं रह सकती। तो क्या तुम अगर फ्री हो तो आज छुट्टी ले सकती हो? दिन में दो तीन बार जीतूजी के पास जा कर उनकी तबियत का जायजा ले सकती हो प्लीज? मेरी बेटी भी बाहर ट्रेनिंग में गयी हुई है।" यह सुन कर अपर्णा खुश हो गयी। वह पिछली शाम से यही सोच रही थी की कैसे वह जीतूजी से अकेले में बात करे।
अपर्णा ने फ़ौरन कहा, "श्रेया आप निश्चिन्त जाइये। जीतूजी की देखभाल मैं कर लुंगी। वह मेरे गुरु हैं और उनकी सेवा करना मेरा सौभाग्य होगा। मुझे आज कॉलेज में कोई ख़ास काम है नहीं। ज्यादातर पीरियड फ्री हैं। मैं छुट्टी ले लुंगी।" श्रेया सुबह ही घर से निकल गयीं। रोहित के दफ्तर चले जाने के बाद अपर्णा थोड़ा सा ठीक-ठाक होकर नहा धो कर फ्रेश हुई और श्रेया और जीतूजी के फ्लैट की और चल पड़ी। फ्लैट की घंटी बजायी तो जीतूजी ने दरवाजा खोला। अपर्णा ने देखा तो जीतूजी तैयार हो रहे थे। उन्होंने बनियान और पतलून पहन रखा था और अपना यूनिफार्म पहनने जा रहे थे।
अपर्णा उन्हें देखती ही रह गयी। जीतूजी के जाने के तुरंत बाद अपर्णा ने तय किया की वह जल्द ही जीतूजी से बात कर उनसे इसके बारे में सारे राज़ बताने के लिए आग्रह करके मजबूर करेगी। पर उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था की उसे जीतूजी से एकांत में मिलने का मौक़ा कब मिलेगा।
पर दूसरे ही दिन यह मौक़ा मिल गया। सुबह ही श्रेया का फ़ोन आया। श्रेया ने कहा, "अपर्णा बहन एक समस्या हो गयी है। जीतूजी को बुखार है और वह ऑफिस नहीं जा रहे। मेरी कॉलेज में कॉलेज के वार्षिक दिवस का कार्यक्रम है। मुझे तो जाना पडेगा ही। मैं गैर हाजिर नहीं रह सकती। तो क्या तुम अगर फ्री हो तो आज छुट्टी ले सकती हो? दिन में दो तीन बार जीतूजी के पास जा कर उनकी तबियत का जायजा ले सकती हो प्लीज? मेरी बेटी भी बाहर ट्रेनिंग में गयी हुई है।" यह सुन कर अपर्णा खुश हो गयी। वह पिछली शाम से यही सोच रही थी की कैसे वह जीतूजी से अकेले में बात करे।
अपर्णा ने फ़ौरन कहा, "श्रेया आप निश्चिन्त जाइये। जीतूजी की देखभाल मैं कर लुंगी। वह मेरे गुरु हैं और उनकी सेवा करना मेरा सौभाग्य होगा। मुझे आज कॉलेज में कोई ख़ास काम है नहीं। ज्यादातर पीरियड फ्री हैं। मैं छुट्टी ले लुंगी।" श्रेया सुबह ही घर से निकल गयीं। रोहित के दफ्तर चले जाने के बाद अपर्णा थोड़ा सा ठीक-ठाक होकर नहा धो कर फ्रेश हुई और श्रेया और जीतूजी के फ्लैट की और चल पड़ी। फ्लैट की घंटी बजायी तो जीतूजी ने दरवाजा खोला। अपर्णा ने देखा तो जीतूजी तैयार हो रहे थे। उन्होंने बनियान और पतलून पहन रखा था और अपना यूनिफार्म पहनने जा रहे थे।