26-12-2019, 11:28 AM
रोहित ने कर्नल साहब से कहा, "जीतूजी मैं वाकई में चिंतित हूँ। मैं यह समझ नहीं पाता हूँ की मेरा पीछा करने की जरुरत किसीको क्यों पड़ गयी? आखिर मेरे पास ऐसा क्या है? मेरी समझ में तो कुछ नहीं रहा।"
कर्नल साहब काफी चिंतित दिखाई दे रहे थे। उन्होंने रोहित के कंधे पर हाथ फिराते हुए कहा, "आपके पास कुछ ऐसा है जिसकी किसीको जरुरत है। खैर, कोई बात नहीं। मैं पता लगाता हूँ और देखता हूँ की यह मसला क्या है।" रोहित की पत्नी अपर्णा जीतूजी की बात सुनकर और भी चिंतित दिखाई दे रही थी। उसने कर्नल साहब से पूछा, "जीतूजी, आखिर बात क्या है? इनका कोई पीछा क्यों करेगा भला? कुछ गड़बड़ तो नहीं? आप की बात से लगता है की हो ना हो आपको कुछ पता है जो हमें नहीं मालुम। कहीं आप हमसे कुछ छुपा तो नहीं रहे हो?"
कर्नल साहब रक्षात्मक हुए और बोले, "नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। मैं आपसे कुछ नहीं छुपाऊंगा। इतना तो जरूर है की कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो रहस्य जरूर है। पर जब तक मुझे पक्का पता नहीं चले तब तक क्या बताऊँ?"
रोहित ने पूछा, "जीतूजी, क्या यह नहीं हो सकता की वह किसी और का पीछा करना चाह रहा था और गलती से मुझे वह आदमी समझ कर मेरा पीछा कर रहा हो?"
जीतूजी ने कहा, "हो भी सकता है। पर अक्सर ऐसे शातिर लोग इतनी बड़ी गलती नहीं करते।"
अपर्णा को शक हुआ की जीतूजी जरूर कुछ जानते थे पर बताना नहीं चाहते जब तक उन्हें पक्का यकीन ना हो। अपर्णा इसका राज़ जानने के लिए बड़ी ही उत्सुक थी पर चूँकि जीतूजी बताना नहीं चाहते थे इस लिए अपर्णा ने भी उस समय उन्हें ज्यादा आग्रह नहीं किया। पर उसी समय अपर्णा ने तय किया की वह इस रहस्य की सतह तक जरूर पहुचेंगी। रोहित ने कर्नल साहब को धन्यवाद कहा। जीतूजी जब जाने के लिए तैयार हुए तो रोहित ने अपर्णा को कर्नल साहब को छोड़ने के लिए कहा और खुद घरमें चले गए।
अपर्णा जीतूजी को छोड़ने के लिए घर से सीढ़ी उतर कर जब निचे उतरने लगी तब उसने जीतूजी का हाथ पकड़ कर रोका और कहा, "जीतूजी आप इसका राज़ जानते हैं। पर हमें बता क्यों नहीं रहें हैं। बोलिये क्या बात है?"
कर्नल साहब काफी चिंतित दिखाई दे रहे थे। उन्होंने रोहित के कंधे पर हाथ फिराते हुए कहा, "आपके पास कुछ ऐसा है जिसकी किसीको जरुरत है। खैर, कोई बात नहीं। मैं पता लगाता हूँ और देखता हूँ की यह मसला क्या है।" रोहित की पत्नी अपर्णा जीतूजी की बात सुनकर और भी चिंतित दिखाई दे रही थी। उसने कर्नल साहब से पूछा, "जीतूजी, आखिर बात क्या है? इनका कोई पीछा क्यों करेगा भला? कुछ गड़बड़ तो नहीं? आप की बात से लगता है की हो ना हो आपको कुछ पता है जो हमें नहीं मालुम। कहीं आप हमसे कुछ छुपा तो नहीं रहे हो?"
कर्नल साहब रक्षात्मक हुए और बोले, "नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। मैं आपसे कुछ नहीं छुपाऊंगा। इतना तो जरूर है की कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो रहस्य जरूर है। पर जब तक मुझे पक्का पता नहीं चले तब तक क्या बताऊँ?"
रोहित ने पूछा, "जीतूजी, क्या यह नहीं हो सकता की वह किसी और का पीछा करना चाह रहा था और गलती से मुझे वह आदमी समझ कर मेरा पीछा कर रहा हो?"
जीतूजी ने कहा, "हो भी सकता है। पर अक्सर ऐसे शातिर लोग इतनी बड़ी गलती नहीं करते।"
अपर्णा को शक हुआ की जीतूजी जरूर कुछ जानते थे पर बताना नहीं चाहते जब तक उन्हें पक्का यकीन ना हो। अपर्णा इसका राज़ जानने के लिए बड़ी ही उत्सुक थी पर चूँकि जीतूजी बताना नहीं चाहते थे इस लिए अपर्णा ने भी उस समय उन्हें ज्यादा आग्रह नहीं किया। पर उसी समय अपर्णा ने तय किया की वह इस रहस्य की सतह तक जरूर पहुचेंगी। रोहित ने कर्नल साहब को धन्यवाद कहा। जीतूजी जब जाने के लिए तैयार हुए तो रोहित ने अपर्णा को कर्नल साहब को छोड़ने के लिए कहा और खुद घरमें चले गए।
अपर्णा जीतूजी को छोड़ने के लिए घर से सीढ़ी उतर कर जब निचे उतरने लगी तब उसने जीतूजी का हाथ पकड़ कर रोका और कहा, "जीतूजी आप इसका राज़ जानते हैं। पर हमें बता क्यों नहीं रहें हैं। बोलिये क्या बात है?"