26-12-2019, 11:27 AM
उसी दिन शामको रोहित ने फ़ोन कर के कर्नल साहब को बताया की उसे उनसे कुछ जरुरी बात करनी है। बात फ़ोन पर नहीं हो सकती थी।
कर्नल साहब आधे घंटे में ही रोहित और अपर्णा के घर पहुँच गए। रोहित डाइनिंग कुर्सीपर अपना सर पकड़ कर बैठे थे साथ में अपर्णा उनसे कुछ सवाल जवाब कर रही थी। जब कर्नल साहब पहुंचे तो रोहित खड़ा हो गया और औपचारिकता पूरी होते ही उसने अपनी समस्या सुनाई।
रोहित ने कहा की वह जब शाम को मार्किट में गए थे तो उन्हें लगा की कोई उनका पीछा कर रहा था। पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ की भला कोई उसका पीछा भी कर सकता है। पर चूँकि कर्नल साहब ने उन्हें बताया था की कुछ दिन पहले उनका भी कोई पीछा कर रहा था इसलिए रोहित ने तय किया की वह भी ध्यान से देखेंगे की क्या वह बन्दा सचमुच उनका पीछा ही कर रहा था की या फिर वह सुनिलजी का वहम था। रोहित चेक करने के लिए थोड़ी देर अचानक ही रुक गए। जब रोहित रुक गए तो वह बन्दा भी रुक गया और दिखावा करने लगा जैसे वह कोई दूकान में सामान देख रहा हो। दिखने में वह काफी लंबा और हट्टाकट्टा था। उसने कपड़े से अपना मुंह ढक रखा था। रोहित को लगा की शायद उन्हें वहम हुआ होगा। वह चलने लगे तो वह शख्श भी चलने लगा। तब रोहित को यह यकीन हो गया की वह उनका पीछा कर रहा था। रोहित फुर्ती से एक गली में घुसे और कहीं छुप कर उस शख्श का इंतजार करने लगे।
जैसे ही वह शख्श उनके पाससे गुजरा तो रोहित ने उसे ललकारा। रोहित ने उसे पूछा, "अरे भाई, तुम कौन हो, और मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?" रोहित की आवाज सुनकर उसने पलट कर देखा तो रोहित पीछे से उसके करीब आने लगे। रोहित को करीब आते हुए देख कर वह एकदम भाग खड़ा हुआ। रोहित उसके पीछे दौड़ते हुए गये पर वह बन्दा अचानक कहीं गायब ही हो गया।
कर्नल साहब आधे घंटे में ही रोहित और अपर्णा के घर पहुँच गए। रोहित डाइनिंग कुर्सीपर अपना सर पकड़ कर बैठे थे साथ में अपर्णा उनसे कुछ सवाल जवाब कर रही थी। जब कर्नल साहब पहुंचे तो रोहित खड़ा हो गया और औपचारिकता पूरी होते ही उसने अपनी समस्या सुनाई।
रोहित ने कहा की वह जब शाम को मार्किट में गए थे तो उन्हें लगा की कोई उनका पीछा कर रहा था। पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ की भला कोई उसका पीछा भी कर सकता है। पर चूँकि कर्नल साहब ने उन्हें बताया था की कुछ दिन पहले उनका भी कोई पीछा कर रहा था इसलिए रोहित ने तय किया की वह भी ध्यान से देखेंगे की क्या वह बन्दा सचमुच उनका पीछा ही कर रहा था की या फिर वह सुनिलजी का वहम था। रोहित चेक करने के लिए थोड़ी देर अचानक ही रुक गए। जब रोहित रुक गए तो वह बन्दा भी रुक गया और दिखावा करने लगा जैसे वह कोई दूकान में सामान देख रहा हो। दिखने में वह काफी लंबा और हट्टाकट्टा था। उसने कपड़े से अपना मुंह ढक रखा था। रोहित को लगा की शायद उन्हें वहम हुआ होगा। वह चलने लगे तो वह शख्श भी चलने लगा। तब रोहित को यह यकीन हो गया की वह उनका पीछा कर रहा था। रोहित फुर्ती से एक गली में घुसे और कहीं छुप कर उस शख्श का इंतजार करने लगे।
जैसे ही वह शख्श उनके पाससे गुजरा तो रोहित ने उसे ललकारा। रोहित ने उसे पूछा, "अरे भाई, तुम कौन हो, और मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?" रोहित की आवाज सुनकर उसने पलट कर देखा तो रोहित पीछे से उसके करीब आने लगे। रोहित को करीब आते हुए देख कर वह एकदम भाग खड़ा हुआ। रोहित उसके पीछे दौड़ते हुए गये पर वह बन्दा अचानक कहीं गायब ही हो गया।