26-12-2019, 11:16 AM
उस दिन, पहली बार श्रेयाकी चूतको सहलाते पुचकारते हुए अपर्णा ने अपनी दो उंगलियां श्रेया की चूत में डाल दीं। श्रेया ने जैसे ही अपर्णा की उँगलियों को अपनी चूत में महसूस किया तो वह भी मचलने लगी। अपर्णा एक साथ तीन काम कर रही थी। एक तो वह श्रेया की चूत अपनी उँगलियों से चोद रही थी, दूसरे उसका मुंह श्रेया के उन्मत्त स्तनोँ को चूस रहा था और तीसरे वह दूसरे हाथ से श्रेया का दुसरा स्तन दबा रही थी और उनकी निप्पल को वह उँगलियों में भींच रही थी।
अपर्णा ने श्रेया से उनको उँगलियों से चोदते हुए धीरे से उनके कानों में कहा, "दीदी, एक बात पूछूं?"
श्रेया ने अपनी आँखें खोलीं और उन्हें मटक कर पूछने के लिये हामी का इशारा किया।
अपर्णा ने कहा, "दीदी सच सच बताना, क्या आप मेरे पति को पसंद करती हो?"
अपर्णा की भोली सी बात सुनकर श्रेया हँस पड़ी और बोली, "मैंने तुझे पहले ही नहीं कहा? मैं उन्हें ना सिर्फ पसंद करती हूँ, पगली मैं उनके पीछे पागल हूँ। तुम बुरा मत मानना। वह तुम्हारे ही पति हैं और हमेशा तुम्हारे ही रहेंगे। मैं उनको छीनने की ना ही कोशिश करुँगी ना ही मेरी ऐसी कोई इच्छा है l पर मैं उनकी इतनी कायल हूँ की मैं सारी मर्यादाओं को छोड़ कर उनसे खुल्लम-खुल्ला चुदवाना चाहती हूँ। मैंने आज तुझे मेरे मन की बात कही है। और ध्यान रहे, मैं अपने पति से भी कोई धोखाधड़ी नहीं करुँगी, क्यूंकि मैंने उनको भी इस बात का इशारा कर दिया है।" रोहित के बारे में ऐसी उत्तेजक बातें सुनकर श्रेया के जहन में भी काम की ज्वाला भड़क उठी। श्रेया ने अपर्णा से कहा, "बहन, तू भी बहुत चालु है। तू जानती है की मुझे कैसे भड़काना है। मैं तेरे पति के बारे में सोचती हूँ तो मेरी चूत में आग लग जाती है l उनकी गंभीरता, उनकी सादगी और उनकी शरारती आँखें मेरी चूत को गीली कर देती हैं। मैं जानती हूँ की आग दोनों तरफ से लगी है। अब तो तू मेरी बहन और अंतरंग सहेली बन गयी है ना? तो तू कुछ ऐसा तिकड़म चला की उनसे मेरी चुदाईहो जाए!" फिर श्रेया ने सोचा की उनकी ऐसी उटपटांग बात सुनकर कहीं अपर्णा नाराज ना हो जाए, इस लिए वह थोड़ा सम्हाल कर अपर्णा के सर पर हाथ फिराते हुए बोली, "बहन, मुझे माफ़ करना। मेरी बेबाकी में मैं कुछ ज्यादा ही बक गयी। मैं तुझे तेरे पति के बारेमें ऐसी बातें कर परेशान कर रही हूँ।"
अपर्णा ने जवाब में कहा, "दीदी, मैं जानती हूँ, मेरे पति आप पर फ़िदा हैं। और मैं उसे गलत नहीं समझती। आप जैसी कामुक बेतहाशा खूबसूरत कामिनी पर कौन अपनी जान नहीं छिड़केगा? अब तो हम दोनों ऐसे मोड़ पर आ गए हैं की क्या बताऊँ? मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा दीदी, क्यूंकि मैं जानती हूँ की आप अपने पति जीतूजी से बहुत प्यार करते हो l यही तो कारण है की आप मुझे उनसे चुदवाने के लिए ऐसे वैसे बड़ी कोशिश कर प्रोत्साहित कर रहे हो। कौन पत्नी भला अपने पति से चुदवाने के लिए किसी स्त्री को तैयार करेगी, जब तक की उसे अपने पति से बहुत प्यार ना हो और उन पर पूरा विश्वास ना हो?"
अपर्णा ने श्रेया से उनको उँगलियों से चोदते हुए धीरे से उनके कानों में कहा, "दीदी, एक बात पूछूं?"
श्रेया ने अपनी आँखें खोलीं और उन्हें मटक कर पूछने के लिये हामी का इशारा किया।
अपर्णा ने कहा, "दीदी सच सच बताना, क्या आप मेरे पति को पसंद करती हो?"
अपर्णा की भोली सी बात सुनकर श्रेया हँस पड़ी और बोली, "मैंने तुझे पहले ही नहीं कहा? मैं उन्हें ना सिर्फ पसंद करती हूँ, पगली मैं उनके पीछे पागल हूँ। तुम बुरा मत मानना। वह तुम्हारे ही पति हैं और हमेशा तुम्हारे ही रहेंगे। मैं उनको छीनने की ना ही कोशिश करुँगी ना ही मेरी ऐसी कोई इच्छा है l पर मैं उनकी इतनी कायल हूँ की मैं सारी मर्यादाओं को छोड़ कर उनसे खुल्लम-खुल्ला चुदवाना चाहती हूँ। मैंने आज तुझे मेरे मन की बात कही है। और ध्यान रहे, मैं अपने पति से भी कोई धोखाधड़ी नहीं करुँगी, क्यूंकि मैंने उनको भी इस बात का इशारा कर दिया है।" रोहित के बारे में ऐसी उत्तेजक बातें सुनकर श्रेया के जहन में भी काम की ज्वाला भड़क उठी। श्रेया ने अपर्णा से कहा, "बहन, तू भी बहुत चालु है। तू जानती है की मुझे कैसे भड़काना है। मैं तेरे पति के बारे में सोचती हूँ तो मेरी चूत में आग लग जाती है l उनकी गंभीरता, उनकी सादगी और उनकी शरारती आँखें मेरी चूत को गीली कर देती हैं। मैं जानती हूँ की आग दोनों तरफ से लगी है। अब तो तू मेरी बहन और अंतरंग सहेली बन गयी है ना? तो तू कुछ ऐसा तिकड़म चला की उनसे मेरी चुदाईहो जाए!" फिर श्रेया ने सोचा की उनकी ऐसी उटपटांग बात सुनकर कहीं अपर्णा नाराज ना हो जाए, इस लिए वह थोड़ा सम्हाल कर अपर्णा के सर पर हाथ फिराते हुए बोली, "बहन, मुझे माफ़ करना। मेरी बेबाकी में मैं कुछ ज्यादा ही बक गयी। मैं तुझे तेरे पति के बारेमें ऐसी बातें कर परेशान कर रही हूँ।"
अपर्णा ने जवाब में कहा, "दीदी, मैं जानती हूँ, मेरे पति आप पर फ़िदा हैं। और मैं उसे गलत नहीं समझती। आप जैसी कामुक बेतहाशा खूबसूरत कामिनी पर कौन अपनी जान नहीं छिड़केगा? अब तो हम दोनों ऐसे मोड़ पर आ गए हैं की क्या बताऊँ? मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा दीदी, क्यूंकि मैं जानती हूँ की आप अपने पति जीतूजी से बहुत प्यार करते हो l यही तो कारण है की आप मुझे उनसे चुदवाने के लिए ऐसे वैसे बड़ी कोशिश कर प्रोत्साहित कर रहे हो। कौन पत्नी भला अपने पति से चुदवाने के लिए किसी स्त्री को तैयार करेगी, जब तक की उसे अपने पति से बहुत प्यार ना हो और उन पर पूरा विश्वास ना हो?"