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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
#63
श्रेया ने अपर्णा की ब्रा के ऊपर से उठे हुए उभार को देखा और उन कामुक गोलों को छूने के लिये और पूरा निरावरोध देखने के लिए बेताब हो गयी। श्रेया थोड़ा बैठ गयी और धीरे से अपर्णा की पीठ पर हाथ घुमा कर श्रेया ने अपर्णा की ब्रा के हुक खोल दिए। अपर्णा के अक्कड़ स्तन जैसे ही ब्रा का बंधन खुल गया तो कूद कर बाहर गए। अपर्णा ने देखा की अब श्रेया से अपना बदन छुपाने का कोई फायदा नहीं था तो उसने अपने हाथ ऊपर किये और अपनी ब्रा निकाल फेंकी। श्रेया मन्त्र मुग्ध सी उन फुले हुए प्यारे दो अर्धगोलाकार गुम्बजों को, जिनके ऊपर शिखर सामान गुलाबी निप्पलेँ लम्बी फूली हुई शोभायमान हो रही थी; को देखती ही रही। श्रेया ने अपनी बाँहें फैलायीं और उपरसे एकदम नग्न अपर्णा को अपनी बाँहों में कस के जकड़ा और प्यार भरा आलिंगन किया। दोनों महिलाओं के उन्नत स्तन भी अब एक दूसरे को प्यार भरा आलिंगन कर रहे थे। फिर अपर्णा के बालों में अपनी उंगलियां फिराते हुए बोली, "मेरी प्यारी अपर्णा, कसम से मैंने आज तक किसी महिला से प्यार नहीं किया। आज तुझे देख कर पता नहीं मुझे क्या हो रहा है। मैं कोई लेस्बियन या समलैंगिक नहीं हूँ। मुझे मर्दों से प्यार करवाना और चुदवाना बहुत अच्छा लगता है, पर यार तूम तो गजब की कामुक स्त्री हो। मेरी पति जीतूजी की तो छोडो, वह तो मर्द हैं, तुम्हारे जाल में फंसेंगे ही, पर मैं भी तुम्हारे पुरे बदन और मन की कायल हो गयी। आज तुमने मुझे बिना मोल खरीद लिया।" श्रेया ने अपर्णा की छाती के स्तनों पर उभरी हुई और चारों और से एरोला से घिरी उन फूली हुई निप्पलों को अपने मुंह में लिया और उन्हें चूसने लगी। साथ साथ में अपर्णा के गोल गुम्बज सामान स्तनों को भी जैसे श्रेया अपने मुंह में चूसकर खा जाना चाहती हो ऐसे उनको भी अपने मुंह में प्यार से लेकर चूसने, चूमने और चाटने लगी। दूसरे हाथ से श्रेया ने अपर्णा के दूसरे स्तन को दबाया और बोली, "आरी मेरी बहन, तेरी चूँचियाँ तो बाहर दिखती हैं उससे कहीं ज्यादा मस्त और रसीली हैं। इन्हें छुपाकर रखना तो बड़ी नाइंसाफी होगी।" अपर्णा उत्तेजना के मारे, "ओहहह... आहहह..." कराह रही थी। जब अपर्णा ने श्रेया की बात सुनी तो वह मुस्करा कर बोली, "दीदी, मेरी चूँचियाँ आपकी के मुकाबले तो कुछ भी नहीं।" अपर्णा ने पलंग पर श्रेया का बदन अपनी टाँगों के बिच जकड कर रखा हुआ था। श्रेयाने जब अपनी आँखें खोली तो अपर्णा की कच्छी नजर आयी। श्रेया ने अपर्णा की कच्छी पर अपने हाथ फिराना शुरू किया तो अपर्णा रुक गयी और बोली, "दीदी अब क्या है?"

श्रेया ने अपनी आँखें नचाते हुए कहा, "अरे कमाल है, क्या मैं तुम्हारे इस कमसिन, करारे बदन की सबसे खूबसूरत नगीने को छू नहीं सकती? मैं देखना चाहती हूँ की मेरी अंतरंग प्यारी और बला की खूबसूरत दोस्त की सबसे प्यारी चीज़ कितनी खूबसूरत और रसीली है।

अपर्णा शर्म से सहम गयी और बोली, "ठीक है दीदी। मुझे आदत नहीं है ना किसी और से बदन को छुआने की और वह भी वहाँ जहां आप ने छुआ, इसलिए थोड़ा घबरा गयी थी।"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 11:13 AM



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