26-12-2019, 11:12 AM
अपर्णा ने श्रेया की बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसके मन में घमासान मचा हुआ था। वह क्या जवाब दे? एक तरफ वह जानती थी की कहीं ना कहीं उसके मन के एक कोने में वह जीतूजी का मोटा लण्ड अपनी चूत में डलवाने के लिए बेताब थी। दूसरी और अपना पतिव्रता होना और फिर उसमेंभी अपनी राजपूती आन को वह कैसे ठुकरा सकती थी? अपर्णा ने बिना बोले चुपचाप श्रेया की पीठ का मसाज करते हुए अपने हाथ निचे की और किये और श्रेया के करारे, कड़क और फुले हुए स्तनों को हलके से एक बाजू से रगड़ना शुरू किया। अपर्णा की चूत श्रेया की गाँड़ को छू रही थी। अपर्णा को तब समझ आया की क्यों मर्द लोग औरत की गाँड़ के पीछे इतना पागल हो रहे होंगें। श्रेया की गाँड़ को अपनी चूत से छूने में अपर्णा की चूत रिसने लगी। श्रेया जी की नंगी गाँड़ पर वह पानी जब "टपक टपक" कर गिरने लगा तब श्रेया जी अपना मुंह तकिये में ही ढका हुआ रखती हुई बोली, "देखा अपर्णा बहन! किसी प्यारी औरत की नंगीं गाँड़ को अपने लिंग से छूने में कितना आनंद मिलता है?"
अपर्णा ने श्रेया को पलटने को कहा। अब अपर्णा को श्रेया की ऊपर से मालिश करनी थी। अपर्णा फिर वही श्रेया का प्यारा सुन्दर करारा बदन देखने में ही खो गयी। बरबस ही अपर्णा के हाथ श्रेया जी के अल्लड़ स्तनोँ पर टिक गए। वह उन्हें सहलाने और दबाने लगी। श्रेया भी अपर्णा के हाथों से अपने स्तनोँ को इतने प्यारसे सहलानेके कारण मचलने लगी। फिर अपर्णा ने झुक कर श्रेया के नंगे उन्मत्त, पके फल की तरह फुले हुए स्तनोँ को चूमा और उनपर तेल मलना शुरू किया। साथ साथ वह उनकी पूरी फूली हुई गुलाबी निप्पलोँ को अपनी उँगलियों में दबाने और पिचका ने लगी। अपर्णा का गाउन अपर्णा ने जाँघों के ऊपर तक उठा रखा था ताकि वह पलंग पर अपने पाँव फैलाकर श्रेया जी के बदन के दोनों और अपने पाँव टिका सके। श्रेया को वहाँ से अपर्णा की करारी जाँघें और उन प्यारी जाँघों के बिच अपर्णा की चूत को छुपाती हुई सौतन समान कच्छी नजर आयी। श्रेया ने अपर्णा का गाउन का निचला छोर पकड़ा और गाउन अपने दोनों हाथों से ही ऊपर उठाया जिससे उसे अपर्णा की बाहों के ऊपर से उठाकर निकाला जा सके। अपर्णाने जब देखा की श्रेया उसको नग्न करने की कवायद कर रही थी तो उसके मुंह और गालों पर शर्म की लालिमा छा गयी। वह झिझकती, शर्माती हुई बोली, "दीदी आप क्या कर रही हो?" पर जब उसने देखा की श्रेया उसकी कोई बात सुन नहीं रही थी, तो निसहाय होकर बोली, "यह जरुरी है क्या?"
श्रेया ने कहा, "अरे पगली, मुझसे क्या शर्माना? अब क्या हमारा रिश्ता इन कपड़ों के अवरोध से रुकेगा? क्या तुमने अभी अभी यह वादा नहीं किया था की हम एक दूसरे से अपनी कोई भी बात या चीज़ नहीं छुपाएंगे? मैंने तो पहले ही बिना मांगें अपना पूरा बदन जैसा है वैसे ही तेरे सामने पेश कर दिया। तो फिर आओ मेरी जान, मुझसे बिना कोई अवरोधसे लिपट जाओ।" अपर्णा बेचारी के पास क्या जवाब था? श्रेया की बात तो सही थी। वह तो पहले से ही अपर्णा के सामने नंगी हो चुकी थीं। अपर्णा ने झिझकते हुए अपने हाथों को ऊपर उठाये और गाउन उतार दिया। अपर्णा ब्रा और पैंटीमें श्रेया को अपनी टाँगों के बीच फँसा कर अपने घुटनों के बल पर ऐसे बैठी हुई थी जिससे श्रेया के बदन पर उसका वजन ना पड़े। अब श्रेया को अपर्णा को निर्वस्त्र करने की मौन स्वीकृति मिल चुकी थी।
अपर्णा ने श्रेया को पलटने को कहा। अब अपर्णा को श्रेया की ऊपर से मालिश करनी थी। अपर्णा फिर वही श्रेया का प्यारा सुन्दर करारा बदन देखने में ही खो गयी। बरबस ही अपर्णा के हाथ श्रेया जी के अल्लड़ स्तनोँ पर टिक गए। वह उन्हें सहलाने और दबाने लगी। श्रेया भी अपर्णा के हाथों से अपने स्तनोँ को इतने प्यारसे सहलानेके कारण मचलने लगी। फिर अपर्णा ने झुक कर श्रेया के नंगे उन्मत्त, पके फल की तरह फुले हुए स्तनोँ को चूमा और उनपर तेल मलना शुरू किया। साथ साथ वह उनकी पूरी फूली हुई गुलाबी निप्पलोँ को अपनी उँगलियों में दबाने और पिचका ने लगी। अपर्णा का गाउन अपर्णा ने जाँघों के ऊपर तक उठा रखा था ताकि वह पलंग पर अपने पाँव फैलाकर श्रेया जी के बदन के दोनों और अपने पाँव टिका सके। श्रेया को वहाँ से अपर्णा की करारी जाँघें और उन प्यारी जाँघों के बिच अपर्णा की चूत को छुपाती हुई सौतन समान कच्छी नजर आयी। श्रेया ने अपर्णा का गाउन का निचला छोर पकड़ा और गाउन अपने दोनों हाथों से ही ऊपर उठाया जिससे उसे अपर्णा की बाहों के ऊपर से उठाकर निकाला जा सके। अपर्णाने जब देखा की श्रेया उसको नग्न करने की कवायद कर रही थी तो उसके मुंह और गालों पर शर्म की लालिमा छा गयी। वह झिझकती, शर्माती हुई बोली, "दीदी आप क्या कर रही हो?" पर जब उसने देखा की श्रेया उसकी कोई बात सुन नहीं रही थी, तो निसहाय होकर बोली, "यह जरुरी है क्या?"
श्रेया ने कहा, "अरे पगली, मुझसे क्या शर्माना? अब क्या हमारा रिश्ता इन कपड़ों के अवरोध से रुकेगा? क्या तुमने अभी अभी यह वादा नहीं किया था की हम एक दूसरे से अपनी कोई भी बात या चीज़ नहीं छुपाएंगे? मैंने तो पहले ही बिना मांगें अपना पूरा बदन जैसा है वैसे ही तेरे सामने पेश कर दिया। तो फिर आओ मेरी जान, मुझसे बिना कोई अवरोधसे लिपट जाओ।" अपर्णा बेचारी के पास क्या जवाब था? श्रेया की बात तो सही थी। वह तो पहले से ही अपर्णा के सामने नंगी हो चुकी थीं। अपर्णा ने झिझकते हुए अपने हाथों को ऊपर उठाये और गाउन उतार दिया। अपर्णा ब्रा और पैंटीमें श्रेया को अपनी टाँगों के बीच फँसा कर अपने घुटनों के बल पर ऐसे बैठी हुई थी जिससे श्रेया के बदन पर उसका वजन ना पड़े। अब श्रेया को अपर्णा को निर्वस्त्र करने की मौन स्वीकृति मिल चुकी थी।