26-12-2019, 11:10 AM
श्रेया ने एक प्लस्टिक की चद्दर की और इशारा किया जिसे अपर्णा ने उठ कर श्रेया के नंगे बदन के निचे रख दिया और फिर श्रेया का मालिश करना जारी रखा। अपर्णा ने अच्छी तरह श्रेया की गाँड़ के गालों को रगड़ा और अपनी एक उंगली गाँड़ की दरार में हलके से ऐसी घुसाई की सीधी निचे ढकी हुई चूत की पंखुड़ियों को छूने लगी। गाँड़ के ऊपर से ही धीरे धीरे अपर्णा ने श्रेया की चूत को भी सहलाना शुरू किया। हर औरत की यह अक्सर कमजोरी होती है जब उसकी चूत की संवेदनशील लेबिया को कोई स्पर्श करे या सहलाये तो उसे चुदवाने की प्रबल इच्छा इतनी जागरूक हो जाती है की उसका स्वयं पर कोई नियत्रण नहीं रहता। तब वह कोई भी हो उससे चुद वाने के लिए तैयार हो ही जाती है।
अपर्णा ने महसूस किया की श्रेया की चूत में तब भी जीतूजी का थोड़ा सा वीर्य था जो अपर्णा ने अपनी उँगलियों में महसूस किया। जीतूजी के अंडकोषों में कितना वीर्य भरा होगा यह सोच में अपर्णा खो गयी। जब वह इतने सुदृढ़, माँसल और ताकतवर थे तो वीर्य तो होगा ही। अपर्णा ने अपने हाथ हटा लिए और देखेतो उसपर जीतूजी का कुछ वीर्यभी चिपका हुआ था। कपडे से हाथों को पौंछ फिर उसपर तेल लगा कर अपर्णा श्रेया की कमर और पीठ पर मालिश करने में लग गयी। धीरे से अपर्णा ने श्रेया की पीठ का मसाज इतनी दक्षता से किया की श्रेया के मुंह से बार बार आह... ओह... बहुत अच्छ लग रहा है, बहन। तेरे हाथों में कमाल का जादू है। बदन से दर्द तो नाजाने कहाँ गायब हो गया।" बोलती रही।
अपर्णा ने कहा, "दीदी, अब जब कभी जीतूजी आपको रात को जम कर चोदे और अगर बदन में दर्द हो तो दूसरी सुबह मुझे बेझिझक बुला लेना। मैं आपकी ऐसी ही अच्छे से वर्जिश भी करुँगी और पूरी रात की आप दोनों की काम क्रीड़ा की पूरी लम्बी दास्तान भी आपसे सुनूंगी। आप मुझे सब कुछ खुल्लमखुल्ला बताओगी ना?"
श्रेया ने हँसते हुए कहा, "अरे पगली, मैं तो चाहती हूँ की तुझे हमारी चुदाई की दास्ताँ सुनाने की जरुरत ही ना पड़े। मैं ऐसा इंतजाम करुँगी की तुम हमें अपनी आँखों के सामने ही चोदते हुए देख सको।" फिर अपर्णा की और देख कर धीमे सुर में बड़े ही गंभीर लहजे में बोली, "पगली हमारी चुदाई तो देखना ही , पर मैं तुम्हें जीतूजी की चुदाई का स्वअनुभव भी करवा सकती हूँ, अगर तुम कहो तो। बोलो तैयार हो?"
यह सुनकर अपर्णा को चक्कर आगये। श्रेया यह क्या बोल रही थी? भला क्या कोई पत्नी किसी और स्त्री को अपने पति से चुदवाने के लिए कैसे तैयार हो सकती है? पर श्रेया तो श्रेया ही थी। अपर्णा की चूत श्रेया की बात सुन कर फिर रिसने लगी। क्या श्रेया सच में चाह रही थी की जीतूजी अपर्णा को चोदे? क्या श्रेया सच में ऐसा कुछ बर्दाश्त कर सकती हैं?
अपर्णा ने महसूस किया की श्रेया की चूत में तब भी जीतूजी का थोड़ा सा वीर्य था जो अपर्णा ने अपनी उँगलियों में महसूस किया। जीतूजी के अंडकोषों में कितना वीर्य भरा होगा यह सोच में अपर्णा खो गयी। जब वह इतने सुदृढ़, माँसल और ताकतवर थे तो वीर्य तो होगा ही। अपर्णा ने अपने हाथ हटा लिए और देखेतो उसपर जीतूजी का कुछ वीर्यभी चिपका हुआ था। कपडे से हाथों को पौंछ फिर उसपर तेल लगा कर अपर्णा श्रेया की कमर और पीठ पर मालिश करने में लग गयी। धीरे से अपर्णा ने श्रेया की पीठ का मसाज इतनी दक्षता से किया की श्रेया के मुंह से बार बार आह... ओह... बहुत अच्छ लग रहा है, बहन। तेरे हाथों में कमाल का जादू है। बदन से दर्द तो नाजाने कहाँ गायब हो गया।" बोलती रही।
अपर्णा ने कहा, "दीदी, अब जब कभी जीतूजी आपको रात को जम कर चोदे और अगर बदन में दर्द हो तो दूसरी सुबह मुझे बेझिझक बुला लेना। मैं आपकी ऐसी ही अच्छे से वर्जिश भी करुँगी और पूरी रात की आप दोनों की काम क्रीड़ा की पूरी लम्बी दास्तान भी आपसे सुनूंगी। आप मुझे सब कुछ खुल्लमखुल्ला बताओगी ना?"
श्रेया ने हँसते हुए कहा, "अरे पगली, मैं तो चाहती हूँ की तुझे हमारी चुदाई की दास्ताँ सुनाने की जरुरत ही ना पड़े। मैं ऐसा इंतजाम करुँगी की तुम हमें अपनी आँखों के सामने ही चोदते हुए देख सको।" फिर अपर्णा की और देख कर धीमे सुर में बड़े ही गंभीर लहजे में बोली, "पगली हमारी चुदाई तो देखना ही , पर मैं तुम्हें जीतूजी की चुदाई का स्वअनुभव भी करवा सकती हूँ, अगर तुम कहो तो। बोलो तैयार हो?"
यह सुनकर अपर्णा को चक्कर आगये। श्रेया यह क्या बोल रही थी? भला क्या कोई पत्नी किसी और स्त्री को अपने पति से चुदवाने के लिए कैसे तैयार हो सकती है? पर श्रेया तो श्रेया ही थी। अपर्णा की चूत श्रेया की बात सुन कर फिर रिसने लगी। क्या श्रेया सच में चाह रही थी की जीतूजी अपर्णा को चोदे? क्या श्रेया सच में ऐसा कुछ बर्दाश्त कर सकती हैं?