26-12-2019, 11:06 AM
श्रेया ने अपर्णा की ललचायी नजर अपने बदन पर फिसलते देखि तो वह मुस्कुरायी और अपर्णा की ठुड्डी अपनी हथेली में पकड़ कर बोली, "अरे बहन देखती क्या है। महसूस कर।" श्रेया ने अपर्णा के सर पर हाथ दबाया जिससे अपर्णा को बरबस ही आना सर नीचा करना पड़ा और उसक मुंह श्रेया जी उन्मत्त स्तनों तक आ पहुंचा। अपर्णा के होँठ श्रेया जी की फूली हुई गुलाबी निप्पलोँ को छूने लगे। अपर्णा के होँठ अपने आप ही खुल गए और देखते ही देखते श्रेया जी की निप्पलेँ अपर्णा के मुंह में गायब हो गयीं।
अपर्णा ने जैसे ही श्रेया की करारी निप्पलोँ को अपने होठोँ के बिच में महसूस किया तो उसके रोंगटे खड़े होगये। अपर्णा ने कभी यह सोचा भी नहीं था की कभी उसे कोई स्त्री के बदन को छूने के कारण इतनी उत्तेजना पैदा होगी। इससे अपर्णा के बदन में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। उसके बदन में सिहरन हो उठी। अचानक उसे ऐसा लग जैसे उस का सर घूम रहा हो। उसने महसूस किया की उसकी चूत में से स्त्री रस चू ने लगा। उसकी पैंटी उसे गीली महसूस हुई। अपर्णा ने श्रेया जी को धीरे से कहा, "दीदी, आप यह क्या कर रही हो? देखो मेरी हालत खराब हो रही है। मेरी पैंटी गीली हो रही है।
श्रेया ने कहा, "मेरी बहन अपर्णा, आज मुझे भी तुम पर बहुत प्यार आ रहा है। तुम मेरी गोद में आ जाओगी?" जब अपर्णा ने कोई जवाब नहीं दिया तो श्रेया ने अपर्णा को ऊपर उठाकर धीरे से अपनी गोद में बिठा दिया। अपर्णा भी चुपचाप उठकर श्रेया की गोद में बैठ गयी। अपर्णा को भी अपनी दीदी पर उस दिन न जाने कैसा प्यार उमड़ रहा था। श्रेया ने अपर्णा के ब्लाउज में अपना हाथ डाला और बोली, "तुम्हारे बूब्स इतने मुलायम और फिर भी इतने सख्त हैं की उनपर हाथ फिरते मेरा ही मन नहीं भरता।" श्रेया की हरकत देख कर अपर्णा थोड़ी घबड़ा गयी। उसे डर लगा की कहीं श्रेया समलैंगिक कामुक स्त्री तो नहीं है?" श्रेया अपर्णा के मन की बात समझ गयीं और बोली, "अपर्णा यह मत समझना की मैं समलैंगिक स्त्री हूँ। मुझे तुम्हारे जीतूजी से चुदवाने में अद्भुत आनंद आता है। पर हाय री अपर्णा! मैं वारी वारी जाऊं! तेरा बदन ही ऐसा कामणखोर है की मेरा भी मन मचल जाता है। क्या तुझे कुछ नहीं होता?" अपर्णा बेचारी चुपचाप श्रेया के कमसिन बदन को देखने लगी। श्रेया के उन्नत स्तन अपर्णाके मुंहके पास हीथे। श्रेया के बदन की कामुक सुगंध अपर्णा के तन में भी आग लगाने का काम कर रही थी।
श्रेया अपर्णा के कान में अपना मुंह दबा कर बोली, "अपर्णा, मेरे पति का लण्ड बहोत बड़ा है और (श्रेया अपनी उँगलियाँ बड़ी चौड़ी फैला कर बोली) इतना मोटा है। जो कोई उनसे एक बार चुदवाले वह उनसे चुदवाये बगैर रह नहीं सकता। अरे मैंने शादी भी तो मेरे पति का लण्ड देख कर ही तो की थी? एक बात कहूं बहन बुरा तो नहीं मानोगी?"
अपर्णा ने सर हिला कर ना कहा तो श्रेया ने कहा, "मेरी बहन अपर्णा! मेरे पति से तू भी एक बार अगर चुदवा लेगी ना, तो फिर तू उनसे बार बार चुदवाना चाहेगी।"
अपर्णा ने जैसे ही श्रेया की करारी निप्पलोँ को अपने होठोँ के बिच में महसूस किया तो उसके रोंगटे खड़े होगये। अपर्णा ने कभी यह सोचा भी नहीं था की कभी उसे कोई स्त्री के बदन को छूने के कारण इतनी उत्तेजना पैदा होगी। इससे अपर्णा के बदन में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। उसके बदन में सिहरन हो उठी। अचानक उसे ऐसा लग जैसे उस का सर घूम रहा हो। उसने महसूस किया की उसकी चूत में से स्त्री रस चू ने लगा। उसकी पैंटी उसे गीली महसूस हुई। अपर्णा ने श्रेया जी को धीरे से कहा, "दीदी, आप यह क्या कर रही हो? देखो मेरी हालत खराब हो रही है। मेरी पैंटी गीली हो रही है।
श्रेया ने कहा, "मेरी बहन अपर्णा, आज मुझे भी तुम पर बहुत प्यार आ रहा है। तुम मेरी गोद में आ जाओगी?" जब अपर्णा ने कोई जवाब नहीं दिया तो श्रेया ने अपर्णा को ऊपर उठाकर धीरे से अपनी गोद में बिठा दिया। अपर्णा भी चुपचाप उठकर श्रेया की गोद में बैठ गयी। अपर्णा को भी अपनी दीदी पर उस दिन न जाने कैसा प्यार उमड़ रहा था। श्रेया ने अपर्णा के ब्लाउज में अपना हाथ डाला और बोली, "तुम्हारे बूब्स इतने मुलायम और फिर भी इतने सख्त हैं की उनपर हाथ फिरते मेरा ही मन नहीं भरता।" श्रेया की हरकत देख कर अपर्णा थोड़ी घबड़ा गयी। उसे डर लगा की कहीं श्रेया समलैंगिक कामुक स्त्री तो नहीं है?" श्रेया अपर्णा के मन की बात समझ गयीं और बोली, "अपर्णा यह मत समझना की मैं समलैंगिक स्त्री हूँ। मुझे तुम्हारे जीतूजी से चुदवाने में अद्भुत आनंद आता है। पर हाय री अपर्णा! मैं वारी वारी जाऊं! तेरा बदन ही ऐसा कामणखोर है की मेरा भी मन मचल जाता है। क्या तुझे कुछ नहीं होता?" अपर्णा बेचारी चुपचाप श्रेया के कमसिन बदन को देखने लगी। श्रेया के उन्नत स्तन अपर्णाके मुंहके पास हीथे। श्रेया के बदन की कामुक सुगंध अपर्णा के तन में भी आग लगाने का काम कर रही थी।
श्रेया अपर्णा के कान में अपना मुंह दबा कर बोली, "अपर्णा, मेरे पति का लण्ड बहोत बड़ा है और (श्रेया अपनी उँगलियाँ बड़ी चौड़ी फैला कर बोली) इतना मोटा है। जो कोई उनसे एक बार चुदवाले वह उनसे चुदवाये बगैर रह नहीं सकता। अरे मैंने शादी भी तो मेरे पति का लण्ड देख कर ही तो की थी? एक बात कहूं बहन बुरा तो नहीं मानोगी?"
अपर्णा ने सर हिला कर ना कहा तो श्रेया ने कहा, "मेरी बहन अपर्णा! मेरे पति से तू भी एक बार अगर चुदवा लेगी ना, तो फिर तू उनसे बार बार चुदवाना चाहेगी।"