26-12-2019, 11:05 AM
अपर्णा ने श्रेया जी के उन्नत स्तनों पर अपना हाथ फिराते हुए कहा, "ना बहन, मैं कुछ नहीं कहूँगी। बल्कि मुझे उस बात का काफी कुछ अंदेशा था भी।" अपर्णा फिर कुछ खिसियानी सी हो गयी और उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने थोड़ा सम्हल कर कहा, "दीदी मैं आज आप से भी एक गुनाह कुबुल करती हूँ की आपके पति जीतूजी को मैंने भी मेरे बूब्स छूने दिया था। यह उस दिन सिनेमा हॉल में हुआ था। दीदी मैं अपने आपको रोक नहीं पायी थी और ना ही जीतूजी। मैंने उनको कई जगह से छुआ भी था। आप भी अपने पति जीतूजी से इस बारेमें कुछ मत कहियेगा।"
यह सुन कर श्रेया जी ने अपने होँठ अपर्णा के होँठ पर रख दिए और अपर्णा के होठोँ का रस चूसती हुई बोली, "पगली! तू क्या सोचती है? यह सब मुझे पता नहीं? अरे मैंने ही तो सब के मन की बात जानने के लिए यह खेल रचा था। अब तक जो हम सब के मन में था उस दिन सब बाहर आ गया।"
अपर्णा ने झिझकते हुए पूछा, "पर दीदी क्या यह सब सही है?"
श्रेया ने कहा, "देखो मेरी बहन। शादी के कुछ सालों बाद सब पति पत्नी एक दूसरे से थोड़े बोर हो जाते हैं। हमारी चुदाई में कोई नवीनता नहीं रहती। कोई अनअपेक्षित रोमांच नहीं रहता। पति और पत्नी दोनों का मन करता है की कुछ अलग हो, कुछ एक्साइटमेंट हो। इस लिए दोनों ही अपने मन में तो किसी और मर्द या औरत की कामना करते हैं पर डर के मारे या फिर सही पार्टनर ना मिलने के कारण कुछ कर नहीं पाते। कई मर्द या औरत चोरी छुपी अपने पति पति अथवा पत्नी की पीठ के पीछे किसी और मर्द या स्त्री से रिश्ते करते हैं या चोदते हैं। यह सब स्वाभाविक है। पर इस में एक मर्यादा रखनी चाहिए की अपना पति अथवा पत्नी अपनी है और दूसरी का पति अथवा पत्नी उस की ही है। उसे हथियाने की कोशिश कत्तई भी नहीं करनी चाहिए। बस चाह पूरी की फिर भले ही आप उसे प्यार करो पर उस पर अपना हक़ नहीं जमा सकते। यह मर्यादा अगर रख पाएं तो यह सही है। और इसमें एक और बात भी है। ऐसे में पति और पत्नी की सहमति जरुरी है, चाहे वह समझानेसे या फिर उकसाने से आये। और पति को पत्नी की सहमति तभी ही मिल सकती है जब पत्नी को अपने पति में पूरा विश्वास हो।" श्रेया ने अपर्णा को होठोँ पर काफी उत्कट और उन्माद भरा चुम्बन किया। दोनों महिलाये एक दूसरे के मुंह में जीभ डालकर एक दूसरे के मुंह की लार चूस रहीं थीं।
अपर्णा तब तक श्रेया के साथ काफी तनावमुक्त महसूस कर रही थी। अपर्णा ने देखा की श्रेया के बदन से तौलिया सरक गया था और श्रेया को उसकी कोई चिंता नहीं थी। वैसे तो अपर्णा को भी उस बात से कोई शिकायत नहीं थी क्यूंकि वह भी तो श्रेया के करारे और उन्मादक बदन की कायल थी।
यह सुन कर श्रेया जी ने अपने होँठ अपर्णा के होँठ पर रख दिए और अपर्णा के होठोँ का रस चूसती हुई बोली, "पगली! तू क्या सोचती है? यह सब मुझे पता नहीं? अरे मैंने ही तो सब के मन की बात जानने के लिए यह खेल रचा था। अब तक जो हम सब के मन में था उस दिन सब बाहर आ गया।"
अपर्णा ने झिझकते हुए पूछा, "पर दीदी क्या यह सब सही है?"
श्रेया ने कहा, "देखो मेरी बहन। शादी के कुछ सालों बाद सब पति पत्नी एक दूसरे से थोड़े बोर हो जाते हैं। हमारी चुदाई में कोई नवीनता नहीं रहती। कोई अनअपेक्षित रोमांच नहीं रहता। पति और पत्नी दोनों का मन करता है की कुछ अलग हो, कुछ एक्साइटमेंट हो। इस लिए दोनों ही अपने मन में तो किसी और मर्द या औरत की कामना करते हैं पर डर के मारे या फिर सही पार्टनर ना मिलने के कारण कुछ कर नहीं पाते। कई मर्द या औरत चोरी छुपी अपने पति पति अथवा पत्नी की पीठ के पीछे किसी और मर्द या स्त्री से रिश्ते करते हैं या चोदते हैं। यह सब स्वाभाविक है। पर इस में एक मर्यादा रखनी चाहिए की अपना पति अथवा पत्नी अपनी है और दूसरी का पति अथवा पत्नी उस की ही है। उसे हथियाने की कोशिश कत्तई भी नहीं करनी चाहिए। बस चाह पूरी की फिर भले ही आप उसे प्यार करो पर उस पर अपना हक़ नहीं जमा सकते। यह मर्यादा अगर रख पाएं तो यह सही है। और इसमें एक और बात भी है। ऐसे में पति और पत्नी की सहमति जरुरी है, चाहे वह समझानेसे या फिर उकसाने से आये। और पति को पत्नी की सहमति तभी ही मिल सकती है जब पत्नी को अपने पति में पूरा विश्वास हो।" श्रेया ने अपर्णा को होठोँ पर काफी उत्कट और उन्माद भरा चुम्बन किया। दोनों महिलाये एक दूसरे के मुंह में जीभ डालकर एक दूसरे के मुंह की लार चूस रहीं थीं।
अपर्णा तब तक श्रेया के साथ काफी तनावमुक्त महसूस कर रही थी। अपर्णा ने देखा की श्रेया के बदन से तौलिया सरक गया था और श्रेया को उसकी कोई चिंता नहीं थी। वैसे तो अपर्णा को भी उस बात से कोई शिकायत नहीं थी क्यूंकि वह भी तो श्रेया के करारे और उन्मादक बदन की कायल थी।