26-12-2019, 11:03 AM
अपर्णा यह सुनकर अजूबे से श्रेया जी को देखती ही रही। श्रेया अपर्णा का सर अपनी छाती पर रखती हुई बोली, " अपर्णा, मेरे पति तुम्हारी कामना करते हैं। उन्होंने मुझे कहा तो नहीं पर मैं जानती हूँ की वह तुम्हारे साथ सोना चाहते हैं। साफ़ साफ़ कहूं तो वह तुम्हें प्यार करना और चोदना चाहते हैं। तो फिर मुझे उनकी मदद करनी पड़ेगी l उसके लिए मुझे तुम्हार सहमति चाहिए। तुम्हारा कमसिन बदन देख कर मैं ही जब विचलित हो जाती हूँ तो मेरे पति की तो बात ही क्या? वह तो एक हट्टेकट्टे जवान मर्द है? जहाँ तक तुम्हारे पति रोहित का सवाल है, वह तुम मुझ पर छोड़ दो।"
श्रेया जी की बेबाक बातें सुनकर अपर्णा की तो बोलती ही बंद हो गयी थी। अपर्णा बेचारी चौड़ी, फूली हुई आँखों से श्रेया जी बातें सुन रही थी। अपर्णा ने देखा की श्रेया का तौलिया खिसक गया था और उनके उन्नत स्तन अपर्णा के सामने खुले हुए थे और उन स्तनों के शिखर पर गुलाबी फूली हुई निप्पलेँ इतनी मन को हरने वाली थीं की ना चाहते हुए भी अपर्णा की कोहनी एक स्तन पर लग ही गयी। अपर्णा की आँखें उनके वक्ष स्थल पर ऐसी टिकी हुई थीं की हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।
यह देख श्रेया बोली, "बहन देख क्यों रही हो? इन्हें अपने हाथोँ में महसूस करो। महसूस करना चाहती हो? सोचो मत। आओ बेबी, दोनों हाथों से पकड़ो और उन्हें महसूस करो। मैं पहली बार इतनी खूबसूरत स्त्री से मेरी चूँचियाँ मसलवाने का मौका पा रही हूँ। शादी के बाद आज तक इन पर मात्र जीतूजी का ही अधिकार रहा है।" श्रेया ने कहा, "शादी के बाद से आज तक इन पर तुम्हारे जीतूजी का सम्पूर्ण अधिकार रहा था। पर हाँ तुम्हारे पति रोहित ने भी इन्हें महसूस किया है और मसला भी है। बहन तुमने कसम ली है की तुम रोहित से कुछ नहीं कहोगी, और बुरा भी नहीं मानोगी। उसमें जितने वह दोषी हैं, उससे ज्यादा मैं गुनेहगार हूँ।" श्रेया ने अपर्णा का हाथ अपने हाथों में लिया और पकड़ कर अपनी छाती पर रखा। श्रेया जी का तौलिया वैसे ही खुल गया और श्रेया अपर्णा के सामने ही सम्पूर्ण नग्न अवस्था में अपर्णा की बाँहों में थीं। अपर्णा के लिए यह अपने जीवन की एक अद्भुत और अकल्पनीय घटना थी। कई बार अपर्णा के मन में कोई ना कोई मर्द के बारे में, उसके लण्ड के बारे में या उसको नंगा देखने के बारे में विचार हुए होंगें। अपर्णा ने पहले नग्न औरतों की तस्वीरों को भी देखा था। पर यह पहली बार था की अपर्णा साक्षात किसी औरत को ऐसे निर्वस्त्र देख रही थी और वह भी स्वयँ एक रति के सामान बला की कामुक और खूबसूरत श्रेया जी जैसी स्त्री उसकी नजर के सामने नंगी प्रस्तुत थी।
श्रेया जी की बेबाक बातें सुनकर अपर्णा की तो बोलती ही बंद हो गयी थी। अपर्णा बेचारी चौड़ी, फूली हुई आँखों से श्रेया जी बातें सुन रही थी। अपर्णा ने देखा की श्रेया का तौलिया खिसक गया था और उनके उन्नत स्तन अपर्णा के सामने खुले हुए थे और उन स्तनों के शिखर पर गुलाबी फूली हुई निप्पलेँ इतनी मन को हरने वाली थीं की ना चाहते हुए भी अपर्णा की कोहनी एक स्तन पर लग ही गयी। अपर्णा की आँखें उनके वक्ष स्थल पर ऐसी टिकी हुई थीं की हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।
यह देख श्रेया बोली, "बहन देख क्यों रही हो? इन्हें अपने हाथोँ में महसूस करो। महसूस करना चाहती हो? सोचो मत। आओ बेबी, दोनों हाथों से पकड़ो और उन्हें महसूस करो। मैं पहली बार इतनी खूबसूरत स्त्री से मेरी चूँचियाँ मसलवाने का मौका पा रही हूँ। शादी के बाद आज तक इन पर मात्र जीतूजी का ही अधिकार रहा है।" श्रेया ने कहा, "शादी के बाद से आज तक इन पर तुम्हारे जीतूजी का सम्पूर्ण अधिकार रहा था। पर हाँ तुम्हारे पति रोहित ने भी इन्हें महसूस किया है और मसला भी है। बहन तुमने कसम ली है की तुम रोहित से कुछ नहीं कहोगी, और बुरा भी नहीं मानोगी। उसमें जितने वह दोषी हैं, उससे ज्यादा मैं गुनेहगार हूँ।" श्रेया ने अपर्णा का हाथ अपने हाथों में लिया और पकड़ कर अपनी छाती पर रखा। श्रेया जी का तौलिया वैसे ही खुल गया और श्रेया अपर्णा के सामने ही सम्पूर्ण नग्न अवस्था में अपर्णा की बाँहों में थीं। अपर्णा के लिए यह अपने जीवन की एक अद्भुत और अकल्पनीय घटना थी। कई बार अपर्णा के मन में कोई ना कोई मर्द के बारे में, उसके लण्ड के बारे में या उसको नंगा देखने के बारे में विचार हुए होंगें। अपर्णा ने पहले नग्न औरतों की तस्वीरों को भी देखा था। पर यह पहली बार था की अपर्णा साक्षात किसी औरत को ऐसे निर्वस्त्र देख रही थी और वह भी स्वयँ एक रति के सामान बला की कामुक और खूबसूरत श्रेया जी जैसी स्त्री उसकी नजर के सामने नंगी प्रस्तुत थी।