26-12-2019, 11:01 AM
श्रेया ने हँस कर कहा, " मेरे पति और तुम्हारे जीतूजी ने हमारी शादी से पहले कई महिलाओं को आकर्षित किया था और मैं जानती थी की उन्होंने कई स्त्रियों को चोदा भी था l तुम नहीं जानती की मैं मेरे पति यानी जीतूजी से शादी से पहले हमारी दूसरी मुलाक़ात में ही चुदवा चुकी थी। मैं उनसे एक क्लब मैं मिली थी और पहली ही मुलाक़ात में उनपर फ़िदा हो गयी थी। मैंने तब तय किया था की अगली मुलाक़ात में ही मैं जीतूजी से जरूर चुदवाउंगी।" अपर्णा श्रेया का यह रूप पहली बार देख रही थी। वह जानती थी की श्रेया जी साफ़ साफ़ बोलती हैं। पर वह इतना खुल्लमखुल्ला चोदना, चुदाई, लण्ड, चूत बगैरह इस तरह बेबाक बोलेंगी उसकी तो कल्पना भी अपर्णा ने नहीं की थी। श्रेया बिना रुके बोले जा रही थीं।
"दूसरी मुलाक़ात में मैंने जीतूजी को साफ़ साफ़ कह दिया की मैं उनसे चुदवाना चाहती थी। जीतूजी मुझे आँखें फाड़ कर देखते रहे! उन्हें तब तक मेरे जैसी मुंहफाड़ स्त्री नहीं मिली थी। वह क्या कहते? मुझ पर तो वह पहले से ही फ़िदा थे! बस हम दोनों ने उसी दिन उसी क्लब में कमरा ले कर पहली बार घमासान चुदाई की। और मैंने उनसे शादी से काफी पहले दूसरी मुलाक़ात में ही चुदवाया। जब मेरी उन्होंने जम कर चुदाई की तब मैंने वहाँ ही तय कर लिया था की मैं उनसे बार बार चुदवाना चाहती थी। मैं जीतूजी से शादी करना चाहती थी। मैं उनके बच्चों की माँ बनना चाहती थी।
शुरू में जीतूजी मुझसे शादी करने के लिए इस लिए तैयार नहीं थे की मेरे साथ शादी करने से उनकी आझादी छीन जा रही थी। शादी के पहले उनपर कई लडकियां और औरतें ना सिर्फ फ़िदा थीं पर उनके साथ सोने के लिए मतलब चुदने के लिए भी आती थीं। पर मैंने भी तय किया था की मैं शादी करुँगी तो जीतूजी से ही। नहीं तो शादी ही नहीं करुँगी। बहन तुम शायद यह भी ना मनो की जीतूजी ने ही मेरा सील तोड़ा था। हालांकि मैं कॉलेज मैं भी बड़ी बेबाक और उद्दंड लड़की मानी जाती थी और सारे लड़के मुझे मिलने या यूँ कहिये की चोदने के लिए पागल थे। मैं सबके साथ घूमती थी, कुछ लड़कों के साथ चुम्माचाटी भी करती थी। पर मेरी चूत में मैंने पहेली बार जीतूजी का ही लण्ड डलवाया। मेरा सब कुछ मैंने पहली बार तुम्हारे जीतूजी को ही दिया। कोई और औरत उन्हें फाँस ले उससे पहले ही मैंने उनसे शादी करने का वचन ले लिया। तब मैंने उनसे वादा किया था की मेरे साथ शादी करने से उनकी आजादी नहीं छीन जायेगी। मैं उनको किसी भी औरत से मिलने या चोदने से नहीं रोकूंगी। इतना ही नहीं, मैंने उनसे वादा किया था की अगर उन्हें कोई औरत पसंद आए तो उसे मेरे पति के बिस्तर तक पहुंचाने में मैं उनकी सहायता करुँगी।"
"दूसरी मुलाक़ात में मैंने जीतूजी को साफ़ साफ़ कह दिया की मैं उनसे चुदवाना चाहती थी। जीतूजी मुझे आँखें फाड़ कर देखते रहे! उन्हें तब तक मेरे जैसी मुंहफाड़ स्त्री नहीं मिली थी। वह क्या कहते? मुझ पर तो वह पहले से ही फ़िदा थे! बस हम दोनों ने उसी दिन उसी क्लब में कमरा ले कर पहली बार घमासान चुदाई की। और मैंने उनसे शादी से काफी पहले दूसरी मुलाक़ात में ही चुदवाया। जब मेरी उन्होंने जम कर चुदाई की तब मैंने वहाँ ही तय कर लिया था की मैं उनसे बार बार चुदवाना चाहती थी। मैं जीतूजी से शादी करना चाहती थी। मैं उनके बच्चों की माँ बनना चाहती थी।
शुरू में जीतूजी मुझसे शादी करने के लिए इस लिए तैयार नहीं थे की मेरे साथ शादी करने से उनकी आझादी छीन जा रही थी। शादी के पहले उनपर कई लडकियां और औरतें ना सिर्फ फ़िदा थीं पर उनके साथ सोने के लिए मतलब चुदने के लिए भी आती थीं। पर मैंने भी तय किया था की मैं शादी करुँगी तो जीतूजी से ही। नहीं तो शादी ही नहीं करुँगी। बहन तुम शायद यह भी ना मनो की जीतूजी ने ही मेरा सील तोड़ा था। हालांकि मैं कॉलेज मैं भी बड़ी बेबाक और उद्दंड लड़की मानी जाती थी और सारे लड़के मुझे मिलने या यूँ कहिये की चोदने के लिए पागल थे। मैं सबके साथ घूमती थी, कुछ लड़कों के साथ चुम्माचाटी भी करती थी। पर मेरी चूत में मैंने पहेली बार जीतूजी का ही लण्ड डलवाया। मेरा सब कुछ मैंने पहली बार तुम्हारे जीतूजी को ही दिया। कोई और औरत उन्हें फाँस ले उससे पहले ही मैंने उनसे शादी करने का वचन ले लिया। तब मैंने उनसे वादा किया था की मेरे साथ शादी करने से उनकी आजादी नहीं छीन जायेगी। मैं उनको किसी भी औरत से मिलने या चोदने से नहीं रोकूंगी। इतना ही नहीं, मैंने उनसे वादा किया था की अगर उन्हें कोई औरत पसंद आए तो उसे मेरे पति के बिस्तर तक पहुंचाने में मैं उनकी सहायता करुँगी।"