26-12-2019, 11:00 AM
तब श्रेया ने अपर्णा की नाक पकड़ कर कहा, "देखो बहन, मैं जीतूजी की बीबी हूँ। और हमेशा रहूंगी। लेकिन मैंने उस दिन सिनेमा हॉल में तुम्हारे और मेरे पति के बिच हुई अठखेलियां देखीं थीं। मैं उसके लिए तुम्हें या मेरे पति को ज़रा सी भी जिम्मेवार नहीं मानती। ऐसे माहौल में ऐसी वैसी बातें हो ही जाती हैं। मैं झूठ नहीं बोलूंगी। मेरी और तुम्हारे पति के बिच उससे भी कहीं ज्यादा अठखेलियाँ हुई थीं।"
अपर्णा श्रेया जी की बात सुनकर कुछ खिसियानी सी लग रही थी तब श्रेया ने अपर्णा के गले में अपनी बाँहें डाल कर अपर्णा की आँखों में आँखें मिलाकर कहा, "देखो, शादी के कुछ सालों बाद मर्द लोग इधर उधर ताकते ही रहते हैं। हमारे पति तो फिर भी अच्छे हैं की ज्यादा इधर उधर ताँक झाँक नहीं कर रहे। और की भी तो वह हम पर ही की l कर्नल साहब तुम पर डोरे डाल रहे हैं तो तुम्हारे पति की नजर मुझपर है। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है की तुम्हारे पति रोहित मुझे बहुत पसंद हैं और अगर मौक़ा मिला तो मैं उनके साथ सोना भी चाहती हूँ। मेरे पति जीतूजी को भी इस बारे में पता है, हालांकि हमारी साफ़ साफ़ बात नहीं हुई।"
श्रेया जी की ऐसी बेख़ौफ़ वाणी सुनकर अपर्णा की आँखें फटी की फटी ही रह गयीं। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या बोले। एक भारतीय नारी इतनी खुल्लमखुल्ला कैसे अपने मन की बात बता रही थी? उनकी बात गलत तो नहीं थी। पर समझने में और बोलने में फर्क है। अपर्णा ने भी तो श्रेया जी के पति जीतूजी का लण्ड पकड़ा था? वह कैसे यह झुठला सकती थी?"
अपर्णा ने अपना सर हिलाकर हामी भरी की वह समझ रही है।
श्रेया ने कहा, "देखो बहन, मैं जानती हूँ की हम मर्द की तरह इतने खुल कर वह सब नहीं कर सकते जो वह कर सकते हैं। एक मेरी निजी और गुह्य बात मैं तुमसे आज शेयर करना चाहती हूँ। क्या मैं तुमसे हमारी कुछ गुप्त बातें शेयर कर सकती हूँ?"
अपर्णा ने कहा, "हाँ बिलकुल दीदी। मैं वादा करती हूँ की आपने अपने मन की बात कही है तो मैं उसे किसीके साथ भी शेयर नहीं करुँगी। यहां तक की आपने पति से भी नहीं। मैं भी आजसे आपको मेरे मन की हर एक बात बताउंगी और कुछ भी नहीं छुपाउंगी। हम एक दूसरे से अपनी कोई भी बात नहीं छुपायेंगे।"
अपर्णा श्रेया जी की बात सुनकर कुछ खिसियानी सी लग रही थी तब श्रेया ने अपर्णा के गले में अपनी बाँहें डाल कर अपर्णा की आँखों में आँखें मिलाकर कहा, "देखो, शादी के कुछ सालों बाद मर्द लोग इधर उधर ताकते ही रहते हैं। हमारे पति तो फिर भी अच्छे हैं की ज्यादा इधर उधर ताँक झाँक नहीं कर रहे। और की भी तो वह हम पर ही की l कर्नल साहब तुम पर डोरे डाल रहे हैं तो तुम्हारे पति की नजर मुझपर है। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है की तुम्हारे पति रोहित मुझे बहुत पसंद हैं और अगर मौक़ा मिला तो मैं उनके साथ सोना भी चाहती हूँ। मेरे पति जीतूजी को भी इस बारे में पता है, हालांकि हमारी साफ़ साफ़ बात नहीं हुई।"
श्रेया जी की ऐसी बेख़ौफ़ वाणी सुनकर अपर्णा की आँखें फटी की फटी ही रह गयीं। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या बोले। एक भारतीय नारी इतनी खुल्लमखुल्ला कैसे अपने मन की बात बता रही थी? उनकी बात गलत तो नहीं थी। पर समझने में और बोलने में फर्क है। अपर्णा ने भी तो श्रेया जी के पति जीतूजी का लण्ड पकड़ा था? वह कैसे यह झुठला सकती थी?"
अपर्णा ने अपना सर हिलाकर हामी भरी की वह समझ रही है।
श्रेया ने कहा, "देखो बहन, मैं जानती हूँ की हम मर्द की तरह इतने खुल कर वह सब नहीं कर सकते जो वह कर सकते हैं। एक मेरी निजी और गुह्य बात मैं तुमसे आज शेयर करना चाहती हूँ। क्या मैं तुमसे हमारी कुछ गुप्त बातें शेयर कर सकती हूँ?"
अपर्णा ने कहा, "हाँ बिलकुल दीदी। मैं वादा करती हूँ की आपने अपने मन की बात कही है तो मैं उसे किसीके साथ भी शेयर नहीं करुँगी। यहां तक की आपने पति से भी नहीं। मैं भी आजसे आपको मेरे मन की हर एक बात बताउंगी और कुछ भी नहीं छुपाउंगी। हम एक दूसरे से अपनी कोई भी बात नहीं छुपायेंगे।"