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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
#51
अपर्णा ने नमस्ते किया तो श्रेया ने अपर्णा को अपनी बाँहों में लपेट लिया और बोली, "अरे हम बहने हैं। आओ गले लग जाओ।" फिर अपर्णा का हाथ पकड़ श्रेया उसे अपने बैडरूम में ले गयी और खुद पलंग के एक छोर पर अपने कूल्हे टिका कर बैठी और रोहित की पत्नी अपर्णा को अपने पास बैठने के लिए इशारा किया। अपर्णा तो श्रेया को देखती ही रह गयी। तौलिये में लिपटी अर्धनग्न अवस्था में श्रेया गजब का कमाल ढा रही थीं। पलंग की और इशारा कर के श्रेया बोली, "बैठो ? ऐसे मुझे क्या देख रही हो? तुम आयी तो मैं बस नहा कर निकली ही हूँ। सुबह सुबह दरवाजे पर कबाड़ी, सब्जी वाले, सफाई करने वाले इत्यादि मर्द लोग जाते हैं। तुम थी तो मैंने दरवाजा खोला वरना इस हाल मैं किसी मर्द के सामने जाकर मुझे हार्ट अटैक थोड़े ही दिलवाना है? आज ज़रा मैं थकी हुई हूँ। कल रात देर रात हो गयी थी। आज मेरा बदन थोड़ा दर्द कर रहा है।"
 
अपर्णा समझ गयी की पिछली रात जीतूजी ने जरूर अपनी पत्नी श्रेया की जम कर चुदाई की होगी। यह सोच कर अपर्णा के बदन में सिहरन फ़ैल गयी। उसने जीतूजी का मोटा लण्ड अपनी उँगलियों में उनकी पतलून के उपरसे ही महसूस किया था। जब जीतूजी उस लण्ड से अपनी बीबी को चोदते होंगे तो बेचारी बीबी का क्या हाल होता होगा यह सोच कर रोहित की पत्नी अपर्णा काँप उठी। अरे बापरे! अगर कहीं ऐसी नौबत आयी की अपर्णा को श्रेया जी के पति जीतूजी से चुदवाना पड़े तो उसका अपना क्या हाल होगा यह सोच मात्र से ही अपर्णा के रोंगटे खड़े हो गए और उसकी की चूत में से पानी रिसने लगा। अपर्णा ने पहली बार श्रेया को अपने इतने करीब और वह भी ऐसे अर्ध नग्न हालत में देखा था। अपर्णा श्रेया को देखती ही रह गयी। शादी के इतने सालों के बाद भी श्रेया जैसे ही बिन शादी शुदा नवयुवती की तरह लग रहीं थीं। वह अपर्णा से करीब एक या दो साल बड़ी होंगीं। पर क्या बदन! और क्या बदन का अनूठा लावण्य! अपर्णा को ज़रा भी हैरानगी नहीं हुई की उसके अपने पति रोहित जीतूजी की पत्नी श्रेया के पीछे पागल थे। श्रेया के गीले केश उनके कंधे पर खुले फैले हुए थे। एक हाथ में कंघी ले कर घने बादलों से उनके केश को वह सँवार रहीं थीं। तौलिया ज्यादा चौड़ा नहीं था इस कारण ना सिर्फ श्रेया के उन्मत्त उरोजों का उद्दंड उभार, बल्कि उन गुम्बजोँ के शिखर के रूप में फूली हुई निप्पलोँ की भी कुछ कुछ झाँकी हो रही थीं। श्रेया ने अपर्णा को उनका बदन ताड़ते हुए देखा तो अपर्णा को अपने करीब खींचा। एक पुतले की तरह मंत्रमुग्ध अपर्णा श्रेया के खींचने से उनके इतने निकट पहुंची की दोनों एक दूसरे की धमन सी आवाज करती हुई तेज साँसे महसूस कर रहे थे। अपर्णा का तो उसी समय मन किया की वह आगे बढ़कर श्रेया की छाती के ऊपर स्थित फैले हुए उन दो मस्त टीलों पर अपनी हथेलियां रखदे और उनकी मुलायमता, सख्ती या लचक अपनी हाथों में महसूस करे। पर स्त्री सुलभ मर्यादा और इस डर से की कहीं श्रेया अपर्णा की इस हरकत को गलत ना समझले इस लिए रुक गयी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 10:54 AM



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