26-12-2019, 10:52 AM
दोनों पति पत्नी एक लम्बी और धमाकेदार चुदाई में मग्न हो गए। जीतूजी चोद तो श्रेया को रहे थे पर मन में अपर्णा ही थी। श्रेया चुदवा तो अपने पति से रही थी पर लण्ड उसको रोहित का दिख रहा था।
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दूसरे दिन सुबह कर्नल साहब की पत्नी श्रेया सुबह जब उठी तो उसे कुछ थकान सी लग रही थी। पिछली रात पति के साथ हुई धमासान चुदाई के कारण वह थोड़ी थकी हुई थी। कर्नल साहब को दफ्तर में कुछ अधिक और अर्जेंट काम था इस लिए वह जल्दी ही ऑफिस चले गए थे। श्रेया अपने मन में सोच रही ही थी की वह कैसे अपर्णा से बात करे की अचानक अपर्णा का ही फ़ोन आया।
अपर्णा ने श्रेया से कहा, "दीदी, मैं तुमसे मिलकर कुछ बात करना चाहती हूँ। आप कितने बजे फ्री होंगीं? मैं कितने बजे आऊं?"
कर्नल साहब की पत्नी श्रेया सोचने लगी आखिर अपर्णा उनसे क्या बात करना चाहती होगी? वाकई में तो श्रेया को ही रोहित की पत्नी अपर्णा से बात करनी थी। श्रेया ने अपर्णा से कहा, "अपर्णा, आप जब जी चाहे आओ, पर आप जब आओ तो मेरे साथ बैठने के लिए आना। आने के बाद जाने की जल्दी मत करना। आज मेरा भी मन तुमसे बहोत बात करने को कर रहा है। मैं अभी ही उठी हूँ और थोड़ासा थकी हुई हूँ। अक्सर जब मैं थकी होती हूँ तो जीतूजी मुझे सुबह की चाय बना के पिलाते हैं। तुम अभी ही आ जाओ ना? तुम जैसी हो वैसी ही आ जाओ l तुम्हें चेंज करने की भी जरुरत नहीं है। हम आमने सामने ही तो रहते हैं। कौनसा तुम्हें बाहर जाना है? अगर तुम्हें एतराज ना हो तो आज मैं मेरे घरमें ही तुम्हारी बनायी हुई चाय पीना चाहती हूँ।"
श्रेया जी की बात सुनकर अपर्णा का चेहरा खिल उठा। इतना बढ़िया परीक्षा का परिणाम आने के बावजूद अपर्णा को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। जीतूजी के साथ हुई शारीरिक हरकतों के कारण अपर्णा श्रेया के बारेमें सोचकर थोड़ा अपने आप को दोषी महसूस कर रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह कैसे श्रेया जी का सामना कर पाएगी। जब सामने चल कर श्रेया ने ही इतना अपनापन दिखाया तो अपर्णा की हिम्मत बढ़ गयी और वह थोड़ी ठीकठाक होकर बिना कपडे बदले तुरंत जाने के लिए निकल पड़ी। अपर्णा गाउन पहने हुए थी। सो वह ऐसे ही कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को मिलने के लिए चल पड़ी।
सुबह के दस बजे होंगे। सब मर्द लोग अपने दफ्तर जा चुके थे। कॉलेज में छुट्टियां चल रही थीं।
श्रेया उठ कर बाथरूम नहाने गयी और नहाकर बाहर निकल एक तौलिये में लिपटे हुए अपने बालों को कंघीं कर रही थी की घरकी घंटी बजी। घंटी बजने पर उन्होंने दरवाजा खोले बिना ही पूछा, "कौन है?" जब अपर्णा की आवाज सुनी तब उन्होंने दरवाजा धीरे से थोड़ा खोला और अपर्णा को अंदर ले कर दरवाजा फ़टाफ़ट बंद किया।
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दूसरे दिन सुबह कर्नल साहब की पत्नी श्रेया सुबह जब उठी तो उसे कुछ थकान सी लग रही थी। पिछली रात पति के साथ हुई धमासान चुदाई के कारण वह थोड़ी थकी हुई थी। कर्नल साहब को दफ्तर में कुछ अधिक और अर्जेंट काम था इस लिए वह जल्दी ही ऑफिस चले गए थे। श्रेया अपने मन में सोच रही ही थी की वह कैसे अपर्णा से बात करे की अचानक अपर्णा का ही फ़ोन आया।
अपर्णा ने श्रेया से कहा, "दीदी, मैं तुमसे मिलकर कुछ बात करना चाहती हूँ। आप कितने बजे फ्री होंगीं? मैं कितने बजे आऊं?"
कर्नल साहब की पत्नी श्रेया सोचने लगी आखिर अपर्णा उनसे क्या बात करना चाहती होगी? वाकई में तो श्रेया को ही रोहित की पत्नी अपर्णा से बात करनी थी। श्रेया ने अपर्णा से कहा, "अपर्णा, आप जब जी चाहे आओ, पर आप जब आओ तो मेरे साथ बैठने के लिए आना। आने के बाद जाने की जल्दी मत करना। आज मेरा भी मन तुमसे बहोत बात करने को कर रहा है। मैं अभी ही उठी हूँ और थोड़ासा थकी हुई हूँ। अक्सर जब मैं थकी होती हूँ तो जीतूजी मुझे सुबह की चाय बना के पिलाते हैं। तुम अभी ही आ जाओ ना? तुम जैसी हो वैसी ही आ जाओ l तुम्हें चेंज करने की भी जरुरत नहीं है। हम आमने सामने ही तो रहते हैं। कौनसा तुम्हें बाहर जाना है? अगर तुम्हें एतराज ना हो तो आज मैं मेरे घरमें ही तुम्हारी बनायी हुई चाय पीना चाहती हूँ।"
श्रेया जी की बात सुनकर अपर्णा का चेहरा खिल उठा। इतना बढ़िया परीक्षा का परिणाम आने के बावजूद अपर्णा को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। जीतूजी के साथ हुई शारीरिक हरकतों के कारण अपर्णा श्रेया के बारेमें सोचकर थोड़ा अपने आप को दोषी महसूस कर रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह कैसे श्रेया जी का सामना कर पाएगी। जब सामने चल कर श्रेया ने ही इतना अपनापन दिखाया तो अपर्णा की हिम्मत बढ़ गयी और वह थोड़ी ठीकठाक होकर बिना कपडे बदले तुरंत जाने के लिए निकल पड़ी। अपर्णा गाउन पहने हुए थी। सो वह ऐसे ही कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को मिलने के लिए चल पड़ी।
सुबह के दस बजे होंगे। सब मर्द लोग अपने दफ्तर जा चुके थे। कॉलेज में छुट्टियां चल रही थीं।
श्रेया उठ कर बाथरूम नहाने गयी और नहाकर बाहर निकल एक तौलिये में लिपटे हुए अपने बालों को कंघीं कर रही थी की घरकी घंटी बजी। घंटी बजने पर उन्होंने दरवाजा खोले बिना ही पूछा, "कौन है?" जब अपर्णा की आवाज सुनी तब उन्होंने दरवाजा धीरे से थोड़ा खोला और अपर्णा को अंदर ले कर दरवाजा फ़टाफ़ट बंद किया।