26-12-2019, 10:50 AM
श्रेया ने अपने पति की और आश्चर्य से देखा और पूछा, " वह कैसे?"
जीतूजी, "देखो डार्लिंग, तुम मेरी पत्नी हो। तुम अगर मेरी पसंद की औरत की इर्षा करो तो यह स्वाभाविक है, और इसी लिए मैं अपर्णा की तारीफ़ तुम्हारे सामने करने में डरता हूँ। पर जब तुमने पूछ ही लिया है और जब तुम यह कह रही हो की तुम्हें इर्षा नहीं होगी तो सुनो l पहली बात यह की अपर्णा बेतहाशा खूबसूरत है। उसके व्यक्तित्व में ही सुंदरता झलकती है। उसके अंग अंग में से अनंग टपकता है। पर आश्चर्य तो यह है की उसे यह पता ही नहीं वह कितनी खूबसूरत हैl तुम्हारे सवाल के जवाब में मैं यह कहता हूँ की तुम ने खुद कहा नहीं की हर जगह अपर्णा मेरे ही गुणगान गा रही थी? इसका मतलब यह की जो इंसान दूसरे का एहसान कभी ना भूले और अपनी काबिलियत पर अहंकार ना करे ऐसे इंसान कम होते हैं और उनकी कदर करनी चाहिए l और आखिरी बात, अपर्णा का मन काँच की तरह साफ़ है। इस चीज़ से मैं बहुत आकर्षित हुआ हूँ। मैं नहीं जानता की क्या अपर्णा भी मेरी और आकर्षित हुई है या फिर मरे अहसान के निचे दबी होने के कारण मुझे बर्दाश्त कर रही है?"
कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने अपने हाथ की ऊँगली से चुटकी बजाते हुए कहा, "मेरे लिए तो यह चुटकी बजाने वाली बात है। तुम निश्चिन्त रहो, मैं ना सिर्फ तुम्हारी प्यारी अपर्णा के मनका हाल जान कर तुम्हें बताउंगी, बल्कि मैं पूरी कोशिश करुँगी की एक ना एक दिन मैं उसे तुम्हारे बिस्तर पर लाकर तुमसे चुदवाउंगी बल्कि मैं तुम दोनों के सामने खड़ी होकर तुम दोनो को चोदते हुए देखूंगी।" सारी बातचीत सुनकर कर्नल साहब का लण्ड एक एकदम लोहे के छड़ सामान खड़ा हो गया। उन्होंने श्रेया का गाउन हटा कर उसे नग्न कर दिया। फिर उसकी बिस्तर पर लेटी हुई नग्न काया देख कर बोले, "हनी, आज भी तुम शादी के इतने सालों के बाद भी वैसी ही कमसिन लग रही हो जैसी मैंने तुम्हें पहली बार चोदने के पहले नंगी देखा था। शादी के इतने सालों और एक बच्चे के बाद भी तुम ज़रा भी बदली नहीं हो।"
श्रेया ने नाक सिकुड़ते हुए हँसते हुए कहा, "पर तुम्हें तो फिर भी दूसरे की थाली ही ज्यादा स्वादिष्ट लगती है। "
कर्नल साहब ने अपनी तरफ से एक गुब्बारा छोड़ते हुए कहा, "अच्छा? तो कहो तो तुम उस शाम को सिनेम हॉल में रोहित जी से चिपक चिपक कर क्या कर रही थी?"
श्रेया ने अपने पति की छाती में नकली घूंसा मारते हुए शर्मा ते हुए कहा, "चलो छोडो इन सब बातों को लगता है आज तुम्हें चोदने का बड़ा मूड है।"
कर्नल साहब अपनी बीबी की बात सुनकर ठहाका मार कर हँसकर बोले, "अरे, तुम अगर अपर्णा को मेरे साथ बिस्तर पर सुलाओगी तो मैं क्या मैं तुम्हें छोडूंगा? मैं भी तुम्हारे प्यारे रोहित को लाकर तुम्हारे साथ उसी बिस्तर पर ना सुलाकर तुम्हें अगर ना चुदवाया तो मेरा नाम कर्नल अभिजीत सिंह नहीं।"
जीतूजी, "देखो डार्लिंग, तुम मेरी पत्नी हो। तुम अगर मेरी पसंद की औरत की इर्षा करो तो यह स्वाभाविक है, और इसी लिए मैं अपर्णा की तारीफ़ तुम्हारे सामने करने में डरता हूँ। पर जब तुमने पूछ ही लिया है और जब तुम यह कह रही हो की तुम्हें इर्षा नहीं होगी तो सुनो l पहली बात यह की अपर्णा बेतहाशा खूबसूरत है। उसके व्यक्तित्व में ही सुंदरता झलकती है। उसके अंग अंग में से अनंग टपकता है। पर आश्चर्य तो यह है की उसे यह पता ही नहीं वह कितनी खूबसूरत हैl तुम्हारे सवाल के जवाब में मैं यह कहता हूँ की तुम ने खुद कहा नहीं की हर जगह अपर्णा मेरे ही गुणगान गा रही थी? इसका मतलब यह की जो इंसान दूसरे का एहसान कभी ना भूले और अपनी काबिलियत पर अहंकार ना करे ऐसे इंसान कम होते हैं और उनकी कदर करनी चाहिए l और आखिरी बात, अपर्णा का मन काँच की तरह साफ़ है। इस चीज़ से मैं बहुत आकर्षित हुआ हूँ। मैं नहीं जानता की क्या अपर्णा भी मेरी और आकर्षित हुई है या फिर मरे अहसान के निचे दबी होने के कारण मुझे बर्दाश्त कर रही है?"
कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने अपने हाथ की ऊँगली से चुटकी बजाते हुए कहा, "मेरे लिए तो यह चुटकी बजाने वाली बात है। तुम निश्चिन्त रहो, मैं ना सिर्फ तुम्हारी प्यारी अपर्णा के मनका हाल जान कर तुम्हें बताउंगी, बल्कि मैं पूरी कोशिश करुँगी की एक ना एक दिन मैं उसे तुम्हारे बिस्तर पर लाकर तुमसे चुदवाउंगी बल्कि मैं तुम दोनों के सामने खड़ी होकर तुम दोनो को चोदते हुए देखूंगी।" सारी बातचीत सुनकर कर्नल साहब का लण्ड एक एकदम लोहे के छड़ सामान खड़ा हो गया। उन्होंने श्रेया का गाउन हटा कर उसे नग्न कर दिया। फिर उसकी बिस्तर पर लेटी हुई नग्न काया देख कर बोले, "हनी, आज भी तुम शादी के इतने सालों के बाद भी वैसी ही कमसिन लग रही हो जैसी मैंने तुम्हें पहली बार चोदने के पहले नंगी देखा था। शादी के इतने सालों और एक बच्चे के बाद भी तुम ज़रा भी बदली नहीं हो।"
श्रेया ने नाक सिकुड़ते हुए हँसते हुए कहा, "पर तुम्हें तो फिर भी दूसरे की थाली ही ज्यादा स्वादिष्ट लगती है। "
कर्नल साहब ने अपनी तरफ से एक गुब्बारा छोड़ते हुए कहा, "अच्छा? तो कहो तो तुम उस शाम को सिनेम हॉल में रोहित जी से चिपक चिपक कर क्या कर रही थी?"
श्रेया ने अपने पति की छाती में नकली घूंसा मारते हुए शर्मा ते हुए कहा, "चलो छोडो इन सब बातों को लगता है आज तुम्हें चोदने का बड़ा मूड है।"
कर्नल साहब अपनी बीबी की बात सुनकर ठहाका मार कर हँसकर बोले, "अरे, तुम अगर अपर्णा को मेरे साथ बिस्तर पर सुलाओगी तो मैं क्या मैं तुम्हें छोडूंगा? मैं भी तुम्हारे प्यारे रोहित को लाकर तुम्हारे साथ उसी बिस्तर पर ना सुलाकर तुम्हें अगर ना चुदवाया तो मेरा नाम कर्नल अभिजीत सिंह नहीं।"