26-12-2019, 10:27 AM
भावावेश में अपर्णा ने अपने होँठ उठाये और बरबस ही कर्नल साहब के होँठ के तले रख दिए। वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रही थी। आज उसने महसूस किया की मन का तन पर बड़ा ही अद्भुत नियंत्रण है। यदि मन ठीक नहीं होता तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता। और अगर मन होता है सब कुछ अच्छा लगता है। कर्नल साहब भी अपर्णा के होँठ से अपने होँठ भींचने वाले ही थे की अचानक रुक गए। उन्होंने अपर्णा के होँठ से अपने होँठ हटा लिए और अपर्णा के नाक पर कस के चुम्बन किया और बोले, "डार्लिंग, भावावेश में बहने का समय नहीं है। तुम्हें बड़ी फतह करनी है। बड़ा किला जितना है। मैं चाहता हूँ की तुम गणित में अव्वल दर्जे से पास हो। तभी मुझे मेरा पारितोषिक मिलेगा।" कर्नल साहब की बात सुनकर अपर्णा भी मचल गयी। उसे कर्नल साहब पर और प्यार आया। जो इंसान इतना रोमांटिक था और जो उस पर इतना फ़िदा था, वह अपने आपको कैसे रोक पाया यह अपर्णा की समझ से परे था। उसने तो एक भावावेश भरे क्षण में अपना नियंत्रण गँवा दिया था पर कर्नल साहब ने उसे सम्हाल लिया। वह मन ही मन कर्नल साहब की ऋणी हो गयी। उनके पौरुष की कायल हो गयी।
जब रोहित वापस आये तो अपर्णा ने उसे सारी दास्तान कही। अपर्णा ने यह नहीं छुपाया की वह खुद तो ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी पर कर्नल साहसब ने अपने आप पर नियत्रण रक्खा और अपर्णा को होँठों पर किस नहीं की। यह सुनकर रोहित बहुत खुश हुआ। रोहित ने अपनी बीबी अपर्णा को कहा, "देखा? यही सही शिक्षक की पहचान है। उनका मन तुम्हारी पढ़ाई में तुम्हारे परिणाम में इतना लग चुका है की तुम्हारे जैसी सेक्सी और खूबसूरत औरत को भी नज़र अंदाज कर दिया। हालांकि की वह तुम पर लाइन मारते रहते हैं। तुम भी तो उनको कुछ ढील देती हो।" अपर्णा ने कटाक्ष से हँस कर कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। अरे लाइन तो मारेंगे ही ना? मर्द जो हैं। कॉलेज में तुम मुझे लाइन नहीं मारते थे? अरे अब भी तो मैं जब सजधज के तैयार होती हूँ तो तुम भी तो सिटी बजाने लगते हो! लाइन तो कई लोग मारते थे मुझ पर, और अभी भी मारते हैंl पर असली माल तो तुम ही चुरा के ले गए ना? बाकी सारे तो हाथ मलते रह गए। पर हाँ। खैर मजाक छोडो। सीरियसली बात करें तो जिस तरह से वह हाथ धो कर मेरी पढ़ाई के पीछे पड़े हैं, मुझे लगता है जीतूजी मुझे वाकई टॉप करा कर के ही छोड़ेंगे।"
रोहित ने पूछा, "अगर तुमको उन्होंने टॉप करवा दिया तो तुम उन्हें क्या पारितोषिक दोगी?
अपर्णा ने अपनी चोटी का छोर अपने हाथों में लेकर गोल गोल घुमाते हुए कहा, "अगर वाकई में ऐसा हुआ तो वह जो मांगेंगे वह दे दूंगी।"
रोहित ने अपनी पत्नी की और गंभीरता से देखते हुए पूछा, "वह जो मांगेंगे वह दे दोगी?"
अपर्णा ने कहा, "हाँ भाई। जो मांगेंगे मैं दे दूँगी। पहले तो वह बिचारे कुछ मांगेंगे ही नहीं। उन्होंने पहले ही कह दिया था की उन्हें कुछ नहीं चाहिए। फिर भी अगर मैं अव्वल आयी तो भला उससे कौनसी बात बड़ी हो सकती है? मुझे भी तो उनको गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी ना? वो आगे बोली, तो वह मैं उन्हें जरूर दूंगी। बशर्ते की मैं अव्वल आयी तो। और वैसे भी गुरुदक्षिणा तो देनी ही पड़ेगी। तो सोचेंगे क्या देना है। एक अच्छा सा गिफ्ट उनको देंगे। मानलो हर महीने अगर हम उन्हें ५ हजार रूपये भी दें तो उनको तीन महीने के पद्रह हजार देने होंगेl चलो मान लो बिस हजार भी देने पड़ जाएँ तो भी ज्यादा नहीं है। और वह भी अगर वह मांगेंगे तो। उन्होंने तो पैसे मांगे ही नहीं है। तो इस हालात में हम पैसे ना देते हुए उनको कोई इतनी ही रकम का गिफ्ट भी दे देंगे तो हमारा कोई खजाना नहीं लूट जाएगा।"
जब रोहित वापस आये तो अपर्णा ने उसे सारी दास्तान कही। अपर्णा ने यह नहीं छुपाया की वह खुद तो ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी पर कर्नल साहसब ने अपने आप पर नियत्रण रक्खा और अपर्णा को होँठों पर किस नहीं की। यह सुनकर रोहित बहुत खुश हुआ। रोहित ने अपनी बीबी अपर्णा को कहा, "देखा? यही सही शिक्षक की पहचान है। उनका मन तुम्हारी पढ़ाई में तुम्हारे परिणाम में इतना लग चुका है की तुम्हारे जैसी सेक्सी और खूबसूरत औरत को भी नज़र अंदाज कर दिया। हालांकि की वह तुम पर लाइन मारते रहते हैं। तुम भी तो उनको कुछ ढील देती हो।" अपर्णा ने कटाक्ष से हँस कर कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। अरे लाइन तो मारेंगे ही ना? मर्द जो हैं। कॉलेज में तुम मुझे लाइन नहीं मारते थे? अरे अब भी तो मैं जब सजधज के तैयार होती हूँ तो तुम भी तो सिटी बजाने लगते हो! लाइन तो कई लोग मारते थे मुझ पर, और अभी भी मारते हैंl पर असली माल तो तुम ही चुरा के ले गए ना? बाकी सारे तो हाथ मलते रह गए। पर हाँ। खैर मजाक छोडो। सीरियसली बात करें तो जिस तरह से वह हाथ धो कर मेरी पढ़ाई के पीछे पड़े हैं, मुझे लगता है जीतूजी मुझे वाकई टॉप करा कर के ही छोड़ेंगे।"
रोहित ने पूछा, "अगर तुमको उन्होंने टॉप करवा दिया तो तुम उन्हें क्या पारितोषिक दोगी?
अपर्णा ने अपनी चोटी का छोर अपने हाथों में लेकर गोल गोल घुमाते हुए कहा, "अगर वाकई में ऐसा हुआ तो वह जो मांगेंगे वह दे दूंगी।"
रोहित ने अपनी पत्नी की और गंभीरता से देखते हुए पूछा, "वह जो मांगेंगे वह दे दोगी?"
अपर्णा ने कहा, "हाँ भाई। जो मांगेंगे मैं दे दूँगी। पहले तो वह बिचारे कुछ मांगेंगे ही नहीं। उन्होंने पहले ही कह दिया था की उन्हें कुछ नहीं चाहिए। फिर भी अगर मैं अव्वल आयी तो भला उससे कौनसी बात बड़ी हो सकती है? मुझे भी तो उनको गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी ना? वो आगे बोली, तो वह मैं उन्हें जरूर दूंगी। बशर्ते की मैं अव्वल आयी तो। और वैसे भी गुरुदक्षिणा तो देनी ही पड़ेगी। तो सोचेंगे क्या देना है। एक अच्छा सा गिफ्ट उनको देंगे। मानलो हर महीने अगर हम उन्हें ५ हजार रूपये भी दें तो उनको तीन महीने के पद्रह हजार देने होंगेl चलो मान लो बिस हजार भी देने पड़ जाएँ तो भी ज्यादा नहीं है। और वह भी अगर वह मांगेंगे तो। उन्होंने तो पैसे मांगे ही नहीं है। तो इस हालात में हम पैसे ना देते हुए उनको कोई इतनी ही रकम का गिफ्ट भी दे देंगे तो हमारा कोई खजाना नहीं लूट जाएगा।"