25-12-2019, 07:48 PM
निचे कर्नल साहब और रोहित बाई बाई करनेके लिए और हाथ मिलानेके लिए खड़े हुए और एक दूसरे की ओर खिसियानी नजर से देखने लगे तब कर्नल साहब ने रोहित से कहा, "देखिये रोहित, आज जाने अनजाने हमारी दोस्ती, दोस्ती से आगे बढ़कर दोस्ताना बन गयी है। हम दोनों परिवार कुछ अधिक करीब आ रहे हैं। हमें चाहिए की हमारे बिच कुछ ग़लत-फ़हमी या मनमुटाव ना हो। इस लिए अगर आप दोनों में से किसी के भी मन में ज़रा सी भी रंजिश हो या आपको कुछ भी गलत या अरुचिकर भी लगे तो तो प्लीज खुल कर बोलिये और मुझे अपना मान कर साफ़ साफ़ बताइयेगा। मेरे लिए और श्रेया के लिए आप दोनों की दोस्ती अमूल्य है। हम किसी भी कारणवश उसपर आँच नहीं आने देंगे।" रोहित ने अपना हाथ कर्नल साहब के हाथों में देते हुए कहा, "ऐसी कुछ भी बात नहीं है। हम भी आप दोनों को उतना ही अपना मानते हैं जितना आप हमको मानते हैं। हमारे बिच कभी कोई भी मनमुटाव या गलत फहमी हो ही नहीं सकती क्यूंकि हम चारों एक दूसरे की संवेदन-शीलता का पूरा ख्याल रखते हैं। आज या पहले ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो हम सब नहीं चाहते हों। जहां तक मुझे लगता है, आगे भी ऐसा नहीं होगा। पर अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो हम जरूर आप से छुपायेंगे नहीं। हमारे लिए भी आप की दोस्ती अमूल्य है।" दोनों कुछ चैन की साँस लेते हुए अपने फ्लैट में अपनी पत्नियों के पास पहुंचे।
कर्नल साहब के घर पहुँचते ही श्रेया उनके गले लिपट गयी और कर्नल साहब के लण्ड को सहलाती हुई उनके लण्ड की और देख कर हँस कर शरारत भरी आवाज में बोली, "मेरे जीतूजी! आज मेरे इस दोस्त को कुछ नया एहसास हुआ की नहीं?" कर्नल साहब अपनी पत्नी की और खिसियानी नजर से देखने लगे तब श्रेया ने फिर हँस कर वही शरारती ढंग से कहा, "अरे मेरे प्यारे पति! इसमें खिसिया ने की क्या बात है?" श्रेया फिर अपने पति की बाँहों में चली गयी और बोली, "अरे मेरी प्यारी अपर्णा के जीतूजी! जो हुआ वह तो होना ही था! मैंने यह सब करने के लिए ही तो यह पिक्चर का प्लान किया था। क्या मैं अपने पति को नहीं जानती? और यह भी सुन लीजिये। तुम्हारे दोस्त रोहित भी तुमसे कुछ कम नहीं हैं। उन्होंने भी तुम्हारी तरह कोई कसर नहीं छोड़ी।"
घर पहुँच ने पर अपर्णा और रोहित के बिच में कोई बातचीत नहीं हुई। अपर्णा बेचारी झेंपी सी घर पहुँचते ही घरकाम (खाना बनाना, शाम की तैयारी इत्यादि) में जुट गयी। रोहित अपर्णा की मनोदशा समझ कर चुप रहे। उन्हें अपर्णा की झेंप के कारण का अच्छा खासा अंदाजा तो था ही। वह खुद भी तो जानते थे की जो उन्होंने श्रेया के साथ किया था शायद उससे कुछ ज्यादा कर्नल साहब ने अपर्णा के साथ करने की कोशिश की होगी।
कर्नल साहब के घर पहुँचते ही श्रेया उनके गले लिपट गयी और कर्नल साहब के लण्ड को सहलाती हुई उनके लण्ड की और देख कर हँस कर शरारत भरी आवाज में बोली, "मेरे जीतूजी! आज मेरे इस दोस्त को कुछ नया एहसास हुआ की नहीं?" कर्नल साहब अपनी पत्नी की और खिसियानी नजर से देखने लगे तब श्रेया ने फिर हँस कर वही शरारती ढंग से कहा, "अरे मेरे प्यारे पति! इसमें खिसिया ने की क्या बात है?" श्रेया फिर अपने पति की बाँहों में चली गयी और बोली, "अरे मेरी प्यारी अपर्णा के जीतूजी! जो हुआ वह तो होना ही था! मैंने यह सब करने के लिए ही तो यह पिक्चर का प्लान किया था। क्या मैं अपने पति को नहीं जानती? और यह भी सुन लीजिये। तुम्हारे दोस्त रोहित भी तुमसे कुछ कम नहीं हैं। उन्होंने भी तुम्हारी तरह कोई कसर नहीं छोड़ी।"
घर पहुँच ने पर अपर्णा और रोहित के बिच में कोई बातचीत नहीं हुई। अपर्णा बेचारी झेंपी सी घर पहुँचते ही घरकाम (खाना बनाना, शाम की तैयारी इत्यादि) में जुट गयी। रोहित अपर्णा की मनोदशा समझ कर चुप रहे। उन्हें अपर्णा की झेंप के कारण का अच्छा खासा अंदाजा तो था ही। वह खुद भी तो जानते थे की जो उन्होंने श्रेया के साथ किया था शायद उससे कुछ ज्यादा कर्नल साहब ने अपर्णा के साथ करने की कोशिश की होगी।