25-12-2019, 07:47 PM
अपर्णा को यह करुणा और उन्माद भरे दृश्य के देख कर पता नहीं क्या महसूस हो रहा था। भावावेश में बरबस ही अपर्णा जीतूजी का लण्ड पतलून के ऊपर से ही सहलाने लगी। उसे ऐसा करने में तब कुछ भी अयोग्य नहीं लग रहा था। जीतूजी अपर्णा को अपना लण्ड सहलाते पाकर ना जाने कैसा महसूस कर रहे थे। परदे पर अचानक एक नया मोड़ आया। जब वह पडोसी युवक उस लड़की को चोद रहा था की अचानक वह लड़की का पति अपनी पत्नी को ढूंढते हुए वहाँ आ पहुंचा और अपनी पत्नी को पडोसी युवक से चुदते हुए देख चक्कर खा कर गिर पड़ा। उसका सर एक मेज से जोर से टकराया और वह कुछ पल के लिए बेहोश हो गया। नंगा युवक और पडोसी की पत्नी दोनों एक दूसरे को देखने लगे की अब क्या करें? कुछ ही पलोँ में पति को जब होश आया तो उस सदमे से लड़की के पति का मानसिक संतुलन फिर से ठीक हो चुका था।
पति को अपनी पत्नी पर किये जुल्म पर पर काफी पछतावा हुआ और उसने नंगे युवक और अपनी पत्नी को अपनी खुली बाहों में ले लिया और तीनों साथ में पलंग पर लेट गए। पति ने वहीँ अपनी पत्नी को बड़े प्यार से पडोसी युवक के सामने ही चोदा और पड़ोसी युवक को भी अपनी बीबी को चोदने के लिए बाध्य किया। फिल्म का यह आखरी दृश्य ना सिर्फ उन्मादक था बल्कि अत्यंत भावुक भी था। जीतूजी ने अपर्णा की और वाला बाजू अपर्णा की सीट के पीछे से ऊपर से घुमा कर धीरे से चद्दर के निचे अपर्णा की छाती पर रख दिया और अपने हाथों से अपर्णा के ऊपर वाले बदन को अपने और करीब खींचा। बरबस ही अपर्णा को थोड़ा झुक कर अपना कंधा जीतूजी की छाती पर टिकाना पड़ा। जीतूजी का हाथ अब धीरे धीरे अपर्णा के टॉप के ऊपर वाले उन्मत्त उभार को छू रहा था। अपर्णा यह महसूस कर कुछ सहम गयी। वह रोमांच से काँप उठी। जीतूजी ने अपर्णा के दोनों स्तनों के बिच की खाई में अपनी उँगलियाँ डालीं। वह अपर्णा के स्तनों को सहलाने लगे ही थे की अचानक हॉल जगमगा उठा। पिक्चर खत्म हो चुकी थी। सारे दर्शकों के दिमाग में वही भावावेश और उन्मादक उत्तेजना एक सिक्के की तरह छप गयी थी। जीतूजी, श्रेया, रोहित और अपर्णा पिक्चर के अचानक ख़त्म होते ही भौंचक्के से खड़े हो कर अपने कपडे ठीक करने में लग गए।
जाहिर था की चारों अपने निकट बैठे हुए जोड़ीदार से कुछ ना कुछ हरकत कर रहे थे। कुछ भी बोलने का कोई अवसर ही नहीं था। सब एक दूसरे से नजरें बचा रहे थे या फिर दोषी की तरह खिसियाई नज़रों से देख रहे थे। वापसी में ट्रैन में कुछ भीड़ नहीं थी। सब ट्रैन में चुपचाप बैठे और बिना बोले वापस अपने घर पहुंचे। दोनों महिलाएं समय गँवाये बिना, फुर्ती से ऊपर सीढ़ियां चढ़कर अपने फ्लैट में पहुँच गयी।
पति को अपनी पत्नी पर किये जुल्म पर पर काफी पछतावा हुआ और उसने नंगे युवक और अपनी पत्नी को अपनी खुली बाहों में ले लिया और तीनों साथ में पलंग पर लेट गए। पति ने वहीँ अपनी पत्नी को बड़े प्यार से पडोसी युवक के सामने ही चोदा और पड़ोसी युवक को भी अपनी बीबी को चोदने के लिए बाध्य किया। फिल्म का यह आखरी दृश्य ना सिर्फ उन्मादक था बल्कि अत्यंत भावुक भी था। जीतूजी ने अपर्णा की और वाला बाजू अपर्णा की सीट के पीछे से ऊपर से घुमा कर धीरे से चद्दर के निचे अपर्णा की छाती पर रख दिया और अपने हाथों से अपर्णा के ऊपर वाले बदन को अपने और करीब खींचा। बरबस ही अपर्णा को थोड़ा झुक कर अपना कंधा जीतूजी की छाती पर टिकाना पड़ा। जीतूजी का हाथ अब धीरे धीरे अपर्णा के टॉप के ऊपर वाले उन्मत्त उभार को छू रहा था। अपर्णा यह महसूस कर कुछ सहम गयी। वह रोमांच से काँप उठी। जीतूजी ने अपर्णा के दोनों स्तनों के बिच की खाई में अपनी उँगलियाँ डालीं। वह अपर्णा के स्तनों को सहलाने लगे ही थे की अचानक हॉल जगमगा उठा। पिक्चर खत्म हो चुकी थी। सारे दर्शकों के दिमाग में वही भावावेश और उन्मादक उत्तेजना एक सिक्के की तरह छप गयी थी। जीतूजी, श्रेया, रोहित और अपर्णा पिक्चर के अचानक ख़त्म होते ही भौंचक्के से खड़े हो कर अपने कपडे ठीक करने में लग गए।
जाहिर था की चारों अपने निकट बैठे हुए जोड़ीदार से कुछ ना कुछ हरकत कर रहे थे। कुछ भी बोलने का कोई अवसर ही नहीं था। सब एक दूसरे से नजरें बचा रहे थे या फिर दोषी की तरह खिसियाई नज़रों से देख रहे थे। वापसी में ट्रैन में कुछ भीड़ नहीं थी। सब ट्रैन में चुपचाप बैठे और बिना बोले वापस अपने घर पहुंचे। दोनों महिलाएं समय गँवाये बिना, फुर्ती से ऊपर सीढ़ियां चढ़कर अपने फ्लैट में पहुँच गयी।