25-12-2019, 07:44 PM
रोहित समझ गए की श्रेया को रोहित के आगे बढ़ने में कोई एतराज नहीं था। शायद इस निष्क्रियता से वह अपनी मर्जी भी जाहिर कर रही थी। रोहित ने अपना हाथ कर्नल साहब की बीबी की दो टांगों के बिच सरका दिया। श्रेया ने सहज रूप से ही बरबस अपनी टांगें खोल दीं। रोहित का हाथ सरक कर श्रेया की जाँघों के बिच की वह जगह पर पड़ा जो श्रेया का सबसे बड़ा कमजोर बिंदु था। रोहित की पत्नी अपर्णा भी बड़े ही असमंजस में फँसी हुई थी। जीतूजी अपर्णा का हाथ अपनी टाँगों के बिच रख इशारा कर रहे थे की वह चाहते थे अपर्णा उनके लण्ड को अपने हाथ में सहलाये।
कहीं ना कहीं अपर्णा को क्या यह स्वीकार्य था? अपर्णा समझ नहीं पा रही थी। पर जीतूजी की यह ख्वाहिश उसको तिरस्कृत क्यों नहीं लग रही थी यह उसे समझ नहीं आ रहा था। क्या अपर्णा इस लिए जीतूजी की इस हरकत को नजर अंदाज कर रही थी क्यों की आखिर वह उसके गुरु थे और अपर्णा के लिए जीतूजी ने कितना बलिदान दिया था? या फिर अपर्णा खुद जीतूजी का मोटा और लम्बा लण्ड अपने हाथों में महसूस करना चाहती थी? शायद अपर्णा का मन ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन था। क्यूंकि अपर्णा जीतूजी की हरकत का ज़रा भी प्रतिरोध नहीं कर रही थी।
परदे पर मानसिक असंतुलन वाला पति अपनी पत्नी को नंगी कर पलंग पर सुला कर चोद रहा था। मर्जी ना होने पर भी लड़की चुपचाप पड़ी चुदवा रही थी। उसे निष्क्रिय देख कर पति ने उसे एक करारा थप्पड़ मारा और बार बार उसे मारने लगा। लड़की के होँठों से खून निकलने लगा। सहन ना कर पाने पर लड़की अपने पति को धक्का मार कर खड़ी हुई। पत्नी के धक्के मारने पर पति लड़खड़ाया और एकदम गुस्से हो गया और रसोई में से एक चाक़ू लेकर पत्नी को मारने के लिए तैयार हुआ। यह देख कर पत्नी पूरी निर्वस्त्र घर से बाहर भागी और पडोसी लड़के का दरवाजा खटखटा ने लगी। लड़की को एकदम नंग्न अपने दरवाजे पर खड़ी देख कर पडोसी युवक हतप्रभ रह गया। उसने उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर पलंग पर पड़ी चद्दर ओढ़ाई। लड़की युवक के कंधे पर सर रख कर रोने लगी। लड़के ने अपना हाथ लड़की के बदन पर फिराते हुए उसे ढाढस देने की कोशिश की। अचानक लड़की के कंधे से चद्दर गिर गयी और लड़का उस पत्नी का नंगा बदन देख कर फिर स्तब्ध सा देखता ही रहा। लड़की उस लड़के की बाहों में चली गयी और अनायास ही दोनों बाहुपाश में बँध गए और एक के बाद एक हरकतें हुई और लड़की पलंग पर सो गयी और लड़का उसे चुम्बन कर प्यार करने लगा और धीरे धीरे अपने कपडे उतार कर चोदने लगा। हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया।
कहीं ना कहीं अपर्णा को क्या यह स्वीकार्य था? अपर्णा समझ नहीं पा रही थी। पर जीतूजी की यह ख्वाहिश उसको तिरस्कृत क्यों नहीं लग रही थी यह उसे समझ नहीं आ रहा था। क्या अपर्णा इस लिए जीतूजी की इस हरकत को नजर अंदाज कर रही थी क्यों की आखिर वह उसके गुरु थे और अपर्णा के लिए जीतूजी ने कितना बलिदान दिया था? या फिर अपर्णा खुद जीतूजी का मोटा और लम्बा लण्ड अपने हाथों में महसूस करना चाहती थी? शायद अपर्णा का मन ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन था। क्यूंकि अपर्णा जीतूजी की हरकत का ज़रा भी प्रतिरोध नहीं कर रही थी।
परदे पर मानसिक असंतुलन वाला पति अपनी पत्नी को नंगी कर पलंग पर सुला कर चोद रहा था। मर्जी ना होने पर भी लड़की चुपचाप पड़ी चुदवा रही थी। उसे निष्क्रिय देख कर पति ने उसे एक करारा थप्पड़ मारा और बार बार उसे मारने लगा। लड़की के होँठों से खून निकलने लगा। सहन ना कर पाने पर लड़की अपने पति को धक्का मार कर खड़ी हुई। पत्नी के धक्के मारने पर पति लड़खड़ाया और एकदम गुस्से हो गया और रसोई में से एक चाक़ू लेकर पत्नी को मारने के लिए तैयार हुआ। यह देख कर पत्नी पूरी निर्वस्त्र घर से बाहर भागी और पडोसी लड़के का दरवाजा खटखटा ने लगी। लड़की को एकदम नंग्न अपने दरवाजे पर खड़ी देख कर पडोसी युवक हतप्रभ रह गया। उसने उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर पलंग पर पड़ी चद्दर ओढ़ाई। लड़की युवक के कंधे पर सर रख कर रोने लगी। लड़के ने अपना हाथ लड़की के बदन पर फिराते हुए उसे ढाढस देने की कोशिश की। अचानक लड़की के कंधे से चद्दर गिर गयी और लड़का उस पत्नी का नंगा बदन देख कर फिर स्तब्ध सा देखता ही रहा। लड़की उस लड़के की बाहों में चली गयी और अनायास ही दोनों बाहुपाश में बँध गए और एक के बाद एक हरकतें हुई और लड़की पलंग पर सो गयी और लड़का उसे चुम्बन कर प्यार करने लगा और धीरे धीरे अपने कपडे उतार कर चोदने लगा। हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया।