29-01-2019, 03:14 PM
ननद और नंदोई
थोड़ी देर में मेरी देह कांपने लगी| मैं झड़ने के कगार पे थी और वो भी| जिस तरह उसका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था...
“ओह्ह ओह्ह हाँ हाआआआं बस ओह्ह...झड़ऽऽऽ रही हूँउउउं...”
कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी
तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका
और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया|
“अरे ये ये...तो मेरा भाई है...”
मैंने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनों झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उसको हटा नहीं पा रही थी|
सच पूछिए तो मैं हटाना भी नहीं चाह रही थी, मेरी रात भर की प्यासी चूत में वीर्य की बारिश हो रही थी|
और ऊपर से नंदोई अभी भी कस के उसकी गांड़ मार रहे थे| हम लोगों के झड़ने के थोड़ी देर बाद जब झड़ कर हटे तब वो मुझसे अलग हो पाया|
“क्यों भाभी, मेरे भैया से तो रोज चुदवाती थीं...कैसा लगा अपने भैया से चुदवाना? चलिए कोई बात नहीं...बुरा ना मानो होली है...अब जरा मेरे सैंया से भी तो चुदवा के देख लीजिए|”
ननद ने छेड़ा|
“चल देख लूंगी उनको भी...” रस भरी निगाहों से नंदोई को देखते हुए मैं बोली|
तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी|
वो और जेठानी जी उसे लेके अंदर चली गईं और मैं, बड़ी ननद और नंदोई जी बचे|
कसरती देह, लंबा तगड़ा शरीर और सबसे बढ़ के लंबा और खूब मोटा लंड, जो अभी भी हल्का हल्का तन्नाया था|
तब तक एक और आदमी आया...ननद ने बताया कि ये उनके जीजा लगते हैं इसलिए वो भी मेरे नंदोई लगेंगे| हँस के मैंने चिढ़ाया,
“अरे ननद एक और नंदोई दो...बड़ी नाइंसाफी है|”
“अरे भाभी, आप हैं ना मुकाबला करने के लिए मेरी ओर से...” वो बोली|
“आज तो होली हमलोग अपनी सलहज से खेलने आए हैं|”
दोनों एक साथ बोले|
थोड़ी देर में मेरी देह कांपने लगी| मैं झड़ने के कगार पे थी और वो भी| जिस तरह उसका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था...
“ओह्ह ओह्ह हाँ हाआआआं बस ओह्ह...झड़ऽऽऽ रही हूँउउउं...”
कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी
तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका
और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया|
“अरे ये ये...तो मेरा भाई है...”
मैंने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनों झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उसको हटा नहीं पा रही थी|
सच पूछिए तो मैं हटाना भी नहीं चाह रही थी, मेरी रात भर की प्यासी चूत में वीर्य की बारिश हो रही थी|
और ऊपर से नंदोई अभी भी कस के उसकी गांड़ मार रहे थे| हम लोगों के झड़ने के थोड़ी देर बाद जब झड़ कर हटे तब वो मुझसे अलग हो पाया|
“क्यों भाभी, मेरे भैया से तो रोज चुदवाती थीं...कैसा लगा अपने भैया से चुदवाना? चलिए कोई बात नहीं...बुरा ना मानो होली है...अब जरा मेरे सैंया से भी तो चुदवा के देख लीजिए|”
ननद ने छेड़ा|
“चल देख लूंगी उनको भी...” रस भरी निगाहों से नंदोई को देखते हुए मैं बोली|
तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी|
वो और जेठानी जी उसे लेके अंदर चली गईं और मैं, बड़ी ननद और नंदोई जी बचे|
कसरती देह, लंबा तगड़ा शरीर और सबसे बढ़ के लंबा और खूब मोटा लंड, जो अभी भी हल्का हल्का तन्नाया था|
तब तक एक और आदमी आया...ननद ने बताया कि ये उनके जीजा लगते हैं इसलिए वो भी मेरे नंदोई लगेंगे| हँस के मैंने चिढ़ाया,
“अरे ननद एक और नंदोई दो...बड़ी नाइंसाफी है|”
“अरे भाभी, आप हैं ना मुकाबला करने के लिए मेरी ओर से...” वो बोली|
“आज तो होली हमलोग अपनी सलहज से खेलने आए हैं|”
दोनों एक साथ बोले|