25-12-2019, 07:37 PM
उनके घर के पास ही मेट्रो स्टेशन था। जब चारों चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने अपर्णा के पास आकर धीरे से उसकी शाल अपने हाथ में ले ली और हँस कर बोली, "इतनी गर्मी में इसकी कोई जरुरत नहीं। तुम जैसी हो ठीक हो। तुम बला की खूबसूरत लग रही हो। आज तो मेरा भी मन कर रहा है की मैं तुमसे लिपट जाऊं और खूब प्यार करूँ। मैं भी मेरे पति की जगह होती तो तुम्हें मेरी आँखों से नोंच खाती।"
रोहित की पत्नी अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "श्रेया जी मेरी टांगें मत खींचिए। यह वेश मेरे पति ने मुझे जबरदस्ती पहनने के लिए बोला है। मैं तो आपके सामने कुछ भी नहीं। आप गझब की खूबसूरत लग रही हो।"
जब चारों साथ में चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी श्रेया रोहित के साथ हो गयी और उनसे बातें करने लगीं। रोहित की पत्नी अपर्णा की चप्पल में कुछ कंकर जैसा उसे चुभने लगा तो वह रुक गयी और अपनी चप्पल निकाल कर उसने कंकर को निकाला। यह देख कर कर्नल साहब भी रुक गए। रोहित और श्रेया बात करते हुए आगे निकल गए। उन्होंने ध्यान नहीं दिया की अपर्णा और कर्नल साहब रुक गए थे। कर्नल साहब ने देखा की रोहित की पत्नी अपर्णा अपनी टाँगे उठा कर अपनी चप्पल साफ़ करने में लगी थीं तो उनसे रहा नहीं गया। वह अपर्णा को मदद करने के बहाने या फिर साथ देने के लिए रुक गए और जब सब कुछ ठीक हो गया तो कर्नल साहब और अपर्णा भी एक साथ धीरे धीरे साथमें चलने लगे। रास्ते में कर्नल साहब अपर्णा से इधर उधर की बातें करने लगे। मेट्रो स्टेशन पर काफी भीड़ थी। अपर्णा ने अपने पति और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को खोजने के लिए इधर उधर देखा पर वह कहीं नजर नहीं आये। जब तक कर्नल साहब टिकट ले आये तब तक एक ट्रैन जा चुकी थी। स्टेशन पर फिर भी काफी यात्री थे। शायद रोहित और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया पिछली मेट्रो ट्रैन में निकल चुके थे।
कर्नल साहब ने रोहित को फ़ोन किया तो रोहित ने उन्हें अगली ट्रैन मैं आने को कहा। उतनी देर में स्टेशन पर फिर भीड़ हो गयी। दूसरी मेट्रो तीन मिनट में ही आ गयी और अपर्णा और कर्नल साहब ट्रैन में चढ़ने लगे। थोड़ी सी अफरातफरी के कारण किसी के धक्के से एक बार अपर्णा लड़खड़ाई तो कर्नल साहब ने उसे पकड़ कर अपनी बाँहों में घेर लिया और खड़ा किया। डिब्बा खचाखच भरा हुआ था। राहत की बात यह थी की दोनों को एक साथ बैठने की जगह मिली थी। काफी भीड़ के कारण वह एक दूसरे से भींच के बैठे हुए थे।
रोहित की पत्नी अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "श्रेया जी मेरी टांगें मत खींचिए। यह वेश मेरे पति ने मुझे जबरदस्ती पहनने के लिए बोला है। मैं तो आपके सामने कुछ भी नहीं। आप गझब की खूबसूरत लग रही हो।"
जब चारों साथ में चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी श्रेया रोहित के साथ हो गयी और उनसे बातें करने लगीं। रोहित की पत्नी अपर्णा की चप्पल में कुछ कंकर जैसा उसे चुभने लगा तो वह रुक गयी और अपनी चप्पल निकाल कर उसने कंकर को निकाला। यह देख कर कर्नल साहब भी रुक गए। रोहित और श्रेया बात करते हुए आगे निकल गए। उन्होंने ध्यान नहीं दिया की अपर्णा और कर्नल साहब रुक गए थे। कर्नल साहब ने देखा की रोहित की पत्नी अपर्णा अपनी टाँगे उठा कर अपनी चप्पल साफ़ करने में लगी थीं तो उनसे रहा नहीं गया। वह अपर्णा को मदद करने के बहाने या फिर साथ देने के लिए रुक गए और जब सब कुछ ठीक हो गया तो कर्नल साहब और अपर्णा भी एक साथ धीरे धीरे साथमें चलने लगे। रास्ते में कर्नल साहब अपर्णा से इधर उधर की बातें करने लगे। मेट्रो स्टेशन पर काफी भीड़ थी। अपर्णा ने अपने पति और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को खोजने के लिए इधर उधर देखा पर वह कहीं नजर नहीं आये। जब तक कर्नल साहब टिकट ले आये तब तक एक ट्रैन जा चुकी थी। स्टेशन पर फिर भी काफी यात्री थे। शायद रोहित और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया पिछली मेट्रो ट्रैन में निकल चुके थे।
कर्नल साहब ने रोहित को फ़ोन किया तो रोहित ने उन्हें अगली ट्रैन मैं आने को कहा। उतनी देर में स्टेशन पर फिर भीड़ हो गयी। दूसरी मेट्रो तीन मिनट में ही आ गयी और अपर्णा और कर्नल साहब ट्रैन में चढ़ने लगे। थोड़ी सी अफरातफरी के कारण किसी के धक्के से एक बार अपर्णा लड़खड़ाई तो कर्नल साहब ने उसे पकड़ कर अपनी बाँहों में घेर लिया और खड़ा किया। डिब्बा खचाखच भरा हुआ था। राहत की बात यह थी की दोनों को एक साथ बैठने की जगह मिली थी। काफी भीड़ के कारण वह एक दूसरे से भींच के बैठे हुए थे।


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