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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
#25
एक हल्का सा धक्का लगा कर रोहित ने अपना लण्ड अपनी बीबी की चूतमें धकेल दिया। अपने पति का जाना पहचाना लण्ड पाकर भी अपर्णा उस रात मचल उठी। अपनी चूत में ऐसी गजब की फड़कन अपर्णा ने पहले कभी नहीं महसूस की थी। आज अपने पति के लण्ड में ऐसा क्या था? अपर्णा यह समझ नहीं पा रही थी। अचानक उसे ख्याल आया की सारी बात तो कर्नल साहब की शरारत और चोदने की बात से ही शुरू हुई थी। कहीं ऐसा तो नहीं की अपर्णा के अपने मन में ही खोट हो? अपर्णा खुद भी ना सोचते हुए भी खुद कर्नल साहब से चुदवाने के सपने देख रही हो? यह सोच कर अपर्णा सिहर उठी। उसका रोम रोम काँप उठा। अपर्णा के रोंगटे खड़े हो गए। अपने शरीर में हो रहे रोमांच से अपर्णा को एक अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई तो दूसरी और वह यह सोचने लगी की उसको यह क्या हो रहा था? काफी अरसे से सेक्स के बारेमें वह पहले तो कभी इतनी उत्तेजित नहीं हुई थी।


अपर्णा अपने मनमें अपने ही विचारों से डर गयी। जरूर कहीं ना कहीं उसके मन में चोर था। वह चाहती थी की कर्नल साहब उसके बदन को छुएं, सहलाएं, उसकी संवेदनशील इन्द्रियों को स्पर्श करें और उसे उत्तेजित करें। अचानक अपने विचारों में ऐसा धरमूल परिवर्तन अनुभव कर अपर्णा अपने आप से ही डर गयी। उसे चाहिए था की अपनी यह सोच को काबूमें रखे। कहीं यह वासना की आग उनके दाम्पत्य जीवन को झुलस ना दे। खैर, उस समय तो उसे अपने प्यारे पति को वह आनंद देना था जो वह कई महीनों से या शायद बरसोंसे दे नहीं पायी थी। बार बार कोशिश करने पर भी अपर्णा जीतूजी को अपने मन से दूर नहीं कर पायी। अपर्णा के लिए यह बड़ी उलझन थी। एक तरफ वह अपने पति को उस रात सम्भोग का सुख देना चाहती थी और दूसरी और वह किसी और से ही सम्भोग के बारे में सोच रही थी। खैर मन और शरीर का भी अजीब सम्बन्ध है। मन उत्तेजित होता है तो अंग अंग में भी उत्तेजना फ़ैल जाती है। जब अपर्णा बार बार कोशिश करने पर भी अपने जहन से जीतूजी के बारे में सोचना बंद ना कर पायी तो फिर उसने सोचा, यही उत्तेजना से अपने पति को क्यों ना खुश करे, चाहे वह भाव जीतूजी के लिए ही क्यों ना हो? यह सोच कर अपर्णा ने अपनी गाँड़ को ऊपर उठाकर अपने पति को अपना लण्ड चूत में घुसाने के लिए प्रेरित किया। रोहित ने एक हलके धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड अपनी बीबी अपर्णा की टाइट चूत में घुसेड़ दिया। अपर्णा के दिमाग में उस रात गजब का उन्माद सवार था। अपर्णा के बदन में उस रात खूब चुदाई करवाने की एक गजब की उत्कंठा थी। अपर्णा का पूरा बदन वासना से जल रहा था। जैसे जैसे रोहित ने अपना लण्ड अपनी पत्नी की चूत में पेलना शुरू किया वैसे वैसे ही अपर्णा की वासना की आग बढ़ती ही गयी। जैसे ही उसका पति अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसेड़ता ऐसे ही अपना पेडू और गाँड़ ऊपर उठाकर अपने पति के लण्ड को और गहराईयों तक पहुंचाने के लिए अपर्णा अपने बदन से ऊपर धक्का दे रही थी। दोनों ही पति पत्नी अपनी चुदाई की क्रिया में इतने मशगूल थे की उन्हें आसपास की कोई भी सुध ही नहीं थी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 25-12-2019, 07:32 PM



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