25-12-2019, 07:28 PM
तब अपर्णा ने रोहित की और बड़े ही भोलेपन से देखा और बोली, "तो फिर? तुम्हें क्या लगता है? कर्नल साहब क्या मांगेंगे?" रोहित ने अपने कंधे हिलाते हुए कहा, "क्या पता? देखते हैं। अगर वह कुछ भी नहीं मांगते हैं फिर भी हम को समझ कर कुछ ना कुछ तो देना ही पडेगा ना?"
वह बात यूँ ही खत्म हुई। कर्नल साहब नियमित ठीक बारह बजे आने लगे। अपर्णा एक अच्छे विद्यार्थी की तरह तैयार रहती और वह दोनों रोहित के स्टडी रूम में अलग से बैठ कर पढ़ाई करते। अपर्णा ने रोहित को बताया की कर्नल साहब गज़ब के शिक्षक थे, और कुछ ही दिनों में अपर्णा को गणित में काफी रस पड़ने लगा। वह गणित की कठिन समस्याओं को सुलझाने लगी। अपर्णा के चेहरे पर यह एक नयी उपलब्धि प्राप्त करने का संतोष साफ़ नजर आ रहा था। कई बार रोहित ने महसूस किया की कर्नल साहब और उसकी बीबी की नजदीकियाँ कुछ बढ़ सी गयी थी। रात को उनके शयन कक्ष में जब रोहित अपर्णा के साथ अठखेलियां करने लगता तो महसूस करता था की अपर्णा कुछ खोयी खोयी सी लगती थी। जब रोहित पूछता तो अपर्णा टाल देती। पर एक दिन जब रोहित ने अपर्णा को कुछ ज्यादा ही जोर देकर पूछा तो वह थोड़ी मायूस होकर बोली, "रोहित, मुझे समझ नहीं आता की मैं क्या बताऊँ।" रोहित ने कहा, "अगर तुम बताओगी नहीं तो मैं कैसे समझूंगा?" तो अपर्णा बोली, "कर्नल साहब मुझसे बड़ी ही निजी, अजीब सी लगने वाली हरकतें जाने अनजाने में करते हैं।"
रोहित ने पूछा, "क्या मतलब?"
तो बोली, "कर्नल साहब मुझे बहुत अच्छी तरह पढ़ाते हैं। मेरे लिए वह घर में देर रात तक खुद भी पढ़ाई करते हैं। पर कई बार वह ऐसा कुछ कर बैठते हैं की मैं उलझन में फँस जाती हूँ। समझ में नहीं आता की क्या करूँ और क्या कहूं। जब मैं पढ़ाई में अच्छा करती हूँ तो वह मुझ से लिपट जाते हैं, मतलब आलिंगन करते हैं और कई बार ख़ुशी के मारे मेरे बदन को सहलाते हैं, कई बार वह बूब्स को हलके से पकड़ कर सहला देते हैं या दबा देते हैं। कई बार गलती करती हूँ तो वह मेरे कान मरोड़ते हैं और मेरी साडी या ड्रेस में हाथ डाल कर मेरे पेट पर चूँटी भरते हैं; और अगर मैं खड़ी होती हूँ तो मेरे पिछवाड़े को भी दबाकर चूँटी भरते हैं। मैं उन्हें रोक नहीं पाती। मैं तुम्हें बताने की कोशिश कर रही थी, पर बोल नहीं पायी। कई बार मैं सोचती हूँ को उनको रोकूं और ऐसा ना करने के लिए टोकूं। मेरी समझ में यह नहीं आता की उनकी मंशा क्या है। जब वह पढ़ाते हैं तो उनका ध्यान कभी भी मुझे पढ़ाने के अलावा कहीं नहीं जाता। मैं उनसे सट कर भी बैठती हूँ तो भी उनपर कोई असर नहीं होता। पर अचानक वह मुझसे ऐसी शरारत कर बैठते हैं। मेरी समझ में नहीं आता बताओ मैं क्या करूँ?" रोहित की सीधी सादी बीबी अपर्णा की बातें सुनकर का हँसना थम नहीं रहा था।
रोहित ने कहा, "हे मेरी प्यारी भोली बीबी। अरे कर्नल साहब एक जाँबाज जवाँ मर्द हैं और वह कुछ रोमांटिक टाइप के भी हैं। अगर वह तुम्हारे लिए इतना श्रम कर रहे हैं, रात रात भर जाग कर तुम्हारे लिए वह खुद पढ़ रहे हैं तो फिर वह तुम्हारी सफलता और निष्फलता पर उत्तेजित तो होंगे ही। अगर तुम सफल होती हो तो वह तुम्हें आलिंगन भी करेंगे और तुम्हारे शरीर को प्यार से सेहलायेंगे भी। और अगर तुम असफल होती हो तो वह निराशा और गुस्से में तुम्हें चूँटी भरेंगे या कोई ना कोई सजा भी देंगे। यह स्वाभाविक है। इस में कुछ भी अजीब नहीं है। अगर तुम्हारी जगह कोई लड़का होता तो शायद वह ऐसा ही कुछ करते। पर चूँकि तुम औरत हो और खूबसूरत हो तो कर्नल साहब थोड़ा ज्यादा ही उत्साहित और रोमांचित होते होंगे। यह स्वाभाविक है। अगर तुम उसको नेगटिवली लेती हो तो यह गलत होगा। वह कर्नल साहब के ऊपर शक करने वाली बात होगी। मेरा तुमसे यह कहना है की तुम अपना ध्यान पूरी तरह से पढ़ाई में लगाओ।"
वह बात यूँ ही खत्म हुई। कर्नल साहब नियमित ठीक बारह बजे आने लगे। अपर्णा एक अच्छे विद्यार्थी की तरह तैयार रहती और वह दोनों रोहित के स्टडी रूम में अलग से बैठ कर पढ़ाई करते। अपर्णा ने रोहित को बताया की कर्नल साहब गज़ब के शिक्षक थे, और कुछ ही दिनों में अपर्णा को गणित में काफी रस पड़ने लगा। वह गणित की कठिन समस्याओं को सुलझाने लगी। अपर्णा के चेहरे पर यह एक नयी उपलब्धि प्राप्त करने का संतोष साफ़ नजर आ रहा था। कई बार रोहित ने महसूस किया की कर्नल साहब और उसकी बीबी की नजदीकियाँ कुछ बढ़ सी गयी थी। रात को उनके शयन कक्ष में जब रोहित अपर्णा के साथ अठखेलियां करने लगता तो महसूस करता था की अपर्णा कुछ खोयी खोयी सी लगती थी। जब रोहित पूछता तो अपर्णा टाल देती। पर एक दिन जब रोहित ने अपर्णा को कुछ ज्यादा ही जोर देकर पूछा तो वह थोड़ी मायूस होकर बोली, "रोहित, मुझे समझ नहीं आता की मैं क्या बताऊँ।" रोहित ने कहा, "अगर तुम बताओगी नहीं तो मैं कैसे समझूंगा?" तो अपर्णा बोली, "कर्नल साहब मुझसे बड़ी ही निजी, अजीब सी लगने वाली हरकतें जाने अनजाने में करते हैं।"
रोहित ने पूछा, "क्या मतलब?"
तो बोली, "कर्नल साहब मुझे बहुत अच्छी तरह पढ़ाते हैं। मेरे लिए वह घर में देर रात तक खुद भी पढ़ाई करते हैं। पर कई बार वह ऐसा कुछ कर बैठते हैं की मैं उलझन में फँस जाती हूँ। समझ में नहीं आता की क्या करूँ और क्या कहूं। जब मैं पढ़ाई में अच्छा करती हूँ तो वह मुझ से लिपट जाते हैं, मतलब आलिंगन करते हैं और कई बार ख़ुशी के मारे मेरे बदन को सहलाते हैं, कई बार वह बूब्स को हलके से पकड़ कर सहला देते हैं या दबा देते हैं। कई बार गलती करती हूँ तो वह मेरे कान मरोड़ते हैं और मेरी साडी या ड्रेस में हाथ डाल कर मेरे पेट पर चूँटी भरते हैं; और अगर मैं खड़ी होती हूँ तो मेरे पिछवाड़े को भी दबाकर चूँटी भरते हैं। मैं उन्हें रोक नहीं पाती। मैं तुम्हें बताने की कोशिश कर रही थी, पर बोल नहीं पायी। कई बार मैं सोचती हूँ को उनको रोकूं और ऐसा ना करने के लिए टोकूं। मेरी समझ में यह नहीं आता की उनकी मंशा क्या है। जब वह पढ़ाते हैं तो उनका ध्यान कभी भी मुझे पढ़ाने के अलावा कहीं नहीं जाता। मैं उनसे सट कर भी बैठती हूँ तो भी उनपर कोई असर नहीं होता। पर अचानक वह मुझसे ऐसी शरारत कर बैठते हैं। मेरी समझ में नहीं आता बताओ मैं क्या करूँ?" रोहित की सीधी सादी बीबी अपर्णा की बातें सुनकर का हँसना थम नहीं रहा था।
रोहित ने कहा, "हे मेरी प्यारी भोली बीबी। अरे कर्नल साहब एक जाँबाज जवाँ मर्द हैं और वह कुछ रोमांटिक टाइप के भी हैं। अगर वह तुम्हारे लिए इतना श्रम कर रहे हैं, रात रात भर जाग कर तुम्हारे लिए वह खुद पढ़ रहे हैं तो फिर वह तुम्हारी सफलता और निष्फलता पर उत्तेजित तो होंगे ही। अगर तुम सफल होती हो तो वह तुम्हें आलिंगन भी करेंगे और तुम्हारे शरीर को प्यार से सेहलायेंगे भी। और अगर तुम असफल होती हो तो वह निराशा और गुस्से में तुम्हें चूँटी भरेंगे या कोई ना कोई सजा भी देंगे। यह स्वाभाविक है। इस में कुछ भी अजीब नहीं है। अगर तुम्हारी जगह कोई लड़का होता तो शायद वह ऐसा ही कुछ करते। पर चूँकि तुम औरत हो और खूबसूरत हो तो कर्नल साहब थोड़ा ज्यादा ही उत्साहित और रोमांचित होते होंगे। यह स्वाभाविक है। अगर तुम उसको नेगटिवली लेती हो तो यह गलत होगा। वह कर्नल साहब के ऊपर शक करने वाली बात होगी। मेरा तुमसे यह कहना है की तुम अपना ध्यान पूरी तरह से पढ़ाई में लगाओ।"