25-12-2019, 07:17 PM
जब प्राथमिक औपचारिक बातें हो गयीं तब अपर्णा के बार बार पूछने पर कर्नल साहब ने बताया की वह आतंकी सुरक्षाबल में कमांडो ग्रुप में कर्नल थे। उन्होंने कई बार युद्ध मैं शौर्य प्रदर्शन किया था जिसके कारण उन्हें कई मेडल्स मिले थे। रोहित की पत्नी अपर्णा के पिताजी भी आर्मी में थे और आर्मी वालों को अपर्णा बड़े सम्मान से देखती थी। अपर्णा की यह शिकायत हमेशा रही की वह आर्मी में भर्ती होना चाहती थी पर उन दिनों आर्मी में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी। उसे देश सेवा की बड़ी लगन थी और वह एन.सी.सी. में कडेट रह चुकी थी। जाहिर है उसे आर्मी के बारे में बहोत ज्यादा उत्सुकता और जिज्ञाषा रहती थी। जब अपर्णा बड़ी उत्सुकता से कर्नल साहब को उनके मेडल्स के बारे में पूछने लगी तो कर्नल साहब ने खड़े होकर बड़े गर्व के साथ एक के बाद एक उन्हें कौन सा मैडल कब मिला था और कौन से जंग में वह कैसे लड़े थे और उन्हें कहाँ कहाँ घाव लगे थे, उसकी कहानियां जब सुनाई तो अपर्णा की आँखों में से आंसू झलक उठे। कर्नल साहब भी युद्ध के उनके अनुभव के बारेमें अपर्णा को विस्तार से बताने लगे। आधुनिक युद्ध कैसे लड़ा जाता है और पुराने जमाने के मुकाबले नयी तकनीक और उपकरण कैसे इस्तेमाल होते हैं वह कर्नल साहब ने रोहित की पत्नी अपर्णा को भली भाँती समझाया। अपर्णा के मन में कई प्रश्न थे जो एक के बाद एक वह कर्नल साहब को पूछने लगी। कर्नल साहब भी सारे प्रश्नों का बड़े धैर्य, गंभीरता और ध्यान से जवाब दे रहे थे।
उस शाम रोहित ने महसूस किया की उसकी पत्नी अपर्णा कर्नल साहब के शौर्य और वीरता की कायल हो गयी थी। काफी देर तक कर्नल साहब की पत्नी श्रेया और रोहित चुपचाप अपर्णा और कर्नल साहब की बातें सुनते रहे। कुछ देर बाद रोहित जब बोर होने लगा तो उसने कर्नल साहब की पत्नी श्रेया से पूछा, "श्रेया जी, आप क्या करती हैं?" श्रेया ने बताया की वह भी आर्मी अफसर की बेटी हैं और अब वह आर्मी पब्लिक कॉलेज में सामाजिक विज्ञान (पोलिटिकल साइंस) पढ़ाती हैं। बात करते करते रोहित को पता चला की कर्नल साहब की बीबी श्रेया ने राजकीय विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है और वह राजकीय मसलों पर काफी कुछ पढ़ती रहती हैं। श्रेया बोलनेमें कुछ शर्मिलि थीं। रोहित की बीबी अपर्णा की तरह वह ज्यादा नहीं बोलती थी। पर दिमाग की वह बड़ी कुशाग्र थी। उनकी राजकीय समझ बड़ी तेज थी। रोहित की पत्नी अपर्णा और कर्नल साहब आर्मी की बातों में व्यस्त हो गए तो रोहित और श्रेया अपनी बातों में जुट गए। श्रेया के बदन की सुकोमल और चिकनी त्वचा देखने में बड़ी आकर्षक थी। उसका बदन और खासकर चेहरा जैसी शीशे का बना हो ऐसे पारदर्शक सा लगता था। उसका चेहरा एक बालक के सामान था। वह अक्सर ब्यूटी पार्लर जाती थी जिसके कारण उसकी आँखों की भौंहें तेज कटार के सामान नुकीली थीं। उसके शरीर का हर अंग ना तो पतला था और ना ही मोटा। हर कोने से वह पूरी तरह सुआकार थी। उसके स्तन बड़े और फुले हुए थे। उसकी गाँड़ की गोलाई और घुमाव खूबसूरत थी। रोहित को उसके होँठ बड़े ही रसीले लगे। रोहित को ऐसा लगा जैसे उन में से हरदम रस बहता रहता हो। उससे भी कहीं ज्यादा कटीली थी श्रेया की नशीली आँखें। उन्हें देखते ही ऐसा लगता था जैसे वह आमंत्रण दे रही हों।
उस शाम रोहित ने महसूस किया की उसकी पत्नी अपर्णा कर्नल साहब के शौर्य और वीरता की कायल हो गयी थी। काफी देर तक कर्नल साहब की पत्नी श्रेया और रोहित चुपचाप अपर्णा और कर्नल साहब की बातें सुनते रहे। कुछ देर बाद रोहित जब बोर होने लगा तो उसने कर्नल साहब की पत्नी श्रेया से पूछा, "श्रेया जी, आप क्या करती हैं?" श्रेया ने बताया की वह भी आर्मी अफसर की बेटी हैं और अब वह आर्मी पब्लिक कॉलेज में सामाजिक विज्ञान (पोलिटिकल साइंस) पढ़ाती हैं। बात करते करते रोहित को पता चला की कर्नल साहब की बीबी श्रेया ने राजकीय विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है और वह राजकीय मसलों पर काफी कुछ पढ़ती रहती हैं। श्रेया बोलनेमें कुछ शर्मिलि थीं। रोहित की बीबी अपर्णा की तरह वह ज्यादा नहीं बोलती थी। पर दिमाग की वह बड़ी कुशाग्र थी। उनकी राजकीय समझ बड़ी तेज थी। रोहित की पत्नी अपर्णा और कर्नल साहब आर्मी की बातों में व्यस्त हो गए तो रोहित और श्रेया अपनी बातों में जुट गए। श्रेया के बदन की सुकोमल और चिकनी त्वचा देखने में बड़ी आकर्षक थी। उसका बदन और खासकर चेहरा जैसी शीशे का बना हो ऐसे पारदर्शक सा लगता था। उसका चेहरा एक बालक के सामान था। वह अक्सर ब्यूटी पार्लर जाती थी जिसके कारण उसकी आँखों की भौंहें तेज कटार के सामान नुकीली थीं। उसके शरीर का हर अंग ना तो पतला था और ना ही मोटा। हर कोने से वह पूरी तरह सुआकार थी। उसके स्तन बड़े और फुले हुए थे। उसकी गाँड़ की गोलाई और घुमाव खूबसूरत थी। रोहित को उसके होँठ बड़े ही रसीले लगे। रोहित को ऐसा लगा जैसे उन में से हरदम रस बहता रहता हो। उससे भी कहीं ज्यादा कटीली थी श्रेया की नशीली आँखें। उन्हें देखते ही ऐसा लगता था जैसे वह आमंत्रण दे रही हों।