25-12-2019, 07:14 PM
अभिजीत सिंह अपनी टाँगें फैलाये नग्न लेती हुई अपनी खूबसूरत माशूका को देखते ही रहे। उन्होंने श्रेया की चूत के ऊपर फैले हुए खूनको टिश्यू पेपर अंदर डाल कर उससे खून साफ़ किया। उन्होंने फिर श्रेया की चूत पर अपना लण्ड थोड़ा सा रगड़ कर फिर चिकना किया और धीरे धीरे श्रेया की खुली हुई चूत में डाला। अपने दोनों हाथों से उन्होंने माशूका के दोनों छोटे टीलों जैसे उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। अपनी माशूकाकी नग्न छबि देखकर जीतूजी के लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। पता नहीं उन रगों में कितना वीर्य जमा था। जीतूजी ने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार श्रेया की चूत में आधे से भी ज्यादा लण्ड घुस गया। ना चाहते हुए भी श्रेया के मुंह से लम्बी ओह्ह्ह निकल ही गयी। उसके कपोल पर प्रस्वेद की बूँदें बन गयी थीं। जाहिर था उसे काफी दर्द महसूस हो रहा था। पर श्रेया ने अपने होँठ भींच कर और आँखें मूँद कर उसे सहन किया और जीतू जी को अपने कूल्हे ऊपर उठाकर उनको लण्ड और अंदर डालने के लिए बाध्य किया। धीरे धीरे प्रिय और प्रियतमा के बिच एक तरह से चोदने और चुदवाने की जुगल बंदी शुरू हुई। हालांकि श्रेया को काफी दर्द हो रहा था पर वह एक आर्मी अफसर की बेटी थी। दर्द को जाहिर कैसे करती? जीतूजी के धक्के को श्रेया उतनी ही फुर्ती से ऊपर की और अपना बदन उठाकर जवाब देती। उसके मन में बस एक ही इच्छा थी की वह कैसे अपने प्रियतम को ज्यादा से ज्यादा सुख दे जिससे की उनका प्रियतम उनको ज्यादा से ज्यादा आनंद दे सके। जीतू जी मोटा और लम्बा लण्ड जैसे ही श्रेया की सनकादि चूत के योनि मार्ग में घुसता की दो आवाजें आतीं। एक श्रेया की ओहह ह...... और दुसरी जीतूजीके बड़े और मोटे अंडकोष की श्रेया की दो जाँघों के बिच में छपाट छपाट टकरा ने की आवाज। यह आवाजें इतनी सेक्सी और रोमांचक थीं की दोनों का दिमाग सिर्फ चोदने परही केंद्रित था। देर रात तक अभिजीत सिंह और श्रेया ने मिलकर ऐसी जमकर चुदाई की जो की शायद अभिजीत सिंह ने भी कभी किसी लड़की से नहीं की थी। श्रेया के लिए तो वह पहला मौक़ा था।
कॉलेज और कॉलेज में कई बार कई लड़कों से उसकी चुम्माचाटी हुई थी पर कोई भी लड़का उसे जँचा नहीं। अभिजीत सिंह की बात कुछ और ही थी। अच्छी तरह चुदाई होने के बाद आधी रात को श्रेया ने अभिजीत सिंह से कहा, "मैं आपसे एक बार नहीं हर रोज चुदवाना चाहती हूँ। मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ।"
अभिजीत सिंह उस लड़की श्रेया को देखतेही रहे। कुछ सोच कर उन्होंने श्रेया से कहा, "देखो श्रेया। मैं एक खुला आजाद पंछी हूँ। मुझे बंधन पसंद नहीं। मैं यह कबुल करता हूँ की आपके पहले मैंने कई औरतों को चोदा है। मैं शादी के बंधन में फँस कर यह आजादी खोना नहीं चाहता इसके अलावा तुम तो शायद जानती ही हो की मैं इन्फेंट्री डिवीज़न में हूँ। मेरा काम ही लड़ना है। मेरी जान का कोई भरोसा नहीं। अगले महीने ही मुझे कश्मीर जाना है। मुझे पता नहीं मैं कब लौटूंगा या लौटूंगा भी की नहीं l मुझसे शादी करके आप को वह जिंदगी नहीं मिलेगी जो आम लड़की चाहती है। पता नहीं, शादी के चंद महीनों में ही आप बेवा हो जाओ। इस लिए यह बेहतर है की आपका जब मन करे मुझे इशारा कर देना। हम लोग जम कर चुदाई करेंगे। पर मेरे साथ शादी के बारे में मत सोचो।"
कॉलेज और कॉलेज में कई बार कई लड़कों से उसकी चुम्माचाटी हुई थी पर कोई भी लड़का उसे जँचा नहीं। अभिजीत सिंह की बात कुछ और ही थी। अच्छी तरह चुदाई होने के बाद आधी रात को श्रेया ने अभिजीत सिंह से कहा, "मैं आपसे एक बार नहीं हर रोज चुदवाना चाहती हूँ। मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ।"
अभिजीत सिंह उस लड़की श्रेया को देखतेही रहे। कुछ सोच कर उन्होंने श्रेया से कहा, "देखो श्रेया। मैं एक खुला आजाद पंछी हूँ। मुझे बंधन पसंद नहीं। मैं यह कबुल करता हूँ की आपके पहले मैंने कई औरतों को चोदा है। मैं शादी के बंधन में फँस कर यह आजादी खोना नहीं चाहता इसके अलावा तुम तो शायद जानती ही हो की मैं इन्फेंट्री डिवीज़न में हूँ। मेरा काम ही लड़ना है। मेरी जान का कोई भरोसा नहीं। अगले महीने ही मुझे कश्मीर जाना है। मुझे पता नहीं मैं कब लौटूंगा या लौटूंगा भी की नहीं l मुझसे शादी करके आप को वह जिंदगी नहीं मिलेगी जो आम लड़की चाहती है। पता नहीं, शादी के चंद महीनों में ही आप बेवा हो जाओ। इस लिए यह बेहतर है की आपका जब मन करे मुझे इशारा कर देना। हम लोग जम कर चुदाई करेंगे। पर मेरे साथ शादी के बारे में मत सोचो।"