25-12-2019, 07:12 PM
अभिजीत सिंह ने श्रेया को अपने लण्ड को ध्यान से ताकतें हुए देखा तो समझ गए की उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर श्रेया परेशान महसूस कर रही थी। अभिजीत सिंह के लिए अपने साथी की ऐसी प्रतिक्रया कोई पहली बार नहीं थी। उन्होंने श्रेया को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर श्रेया के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। श्रेया को जैसे स्वर्ग का सुख मिल गया। उसने अपने होँठ खोल दिए और अभिजीत सिंह की जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर उसका आस्वादन करते रहे। साथ साथ में अभिजीत सिंह अपने हाथों से श्रेया के दोनों स्तनों को सहलाते और दबाते रहे। उसकी निप्पलोँ को अपनी उँगलियों के बिच कभी दबाते तो कभी ऐसी तीखी चूँटी भरते की श्रेया दर्द और उन्माद से कराह उठती। काफी देर तक चुम्बन करने के बाद हाथों को निवृत्ति देकर अभिजीत सिंह ने श्रेया की दोनों चूँचियों पर अपने होँठ चिपका दिए।
अब वह श्रेया की निप्पलोँ को अपने दांतो से काटते रहे जो की श्रेया को पागल करने के लिए पर्याप्त था। श्रेया मारे उन्माद के कराहती रही। श्रेया के दोनों स्तन दो उन्नत टीलों के सामान प्रतित होते थे। अभिजीत सिंह ने श्रेया की चूँचियों को इतना कस के चूसा की श्रेया को ऐसा लगा की कहीं वह फट कर अपने प्रियतम के मुंह में ही ना आ जायें। श्रेयाके स्तन अभिजीत सिंहके चूसने के कारण लाल हो गए थे और अभिजीत सिंह के दांतों के निशान उस स्तनों की गोरी गोलाई पर साफ़ दिख रहे थे। अभिजीत सिंह की ऐसी प्रेमक्रीड़ा से श्रेया को गजब का मीठा दर्द हो रहा था। जब अभिजीत सिंह श्रेया के स्तनों को चूस रहे थे तब श्रेया की उंगलियां अभिजीत सिंह के बालों को संवार रही थी। अभिजीत सिंह का हाथ श्रेया की पीठ पर घूमता रहा और उस पर स्थित टीलों और खाईयोँ पर उनकी उंगलयां फिरती रहीं। अभिजीत सिंह ने अपनी उस रात की माशूका के कूल्हों को दबा कर और उसकी दरार में उंगलियां डाल कर उसे उन्मादित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। थोड़ी देर तक स्तनों को चूसने और चूमने के बाद अभिजीत सिंह ने श्रेया को बड़े प्यार से पलंग पर लिटाया और उसकी खूबसूरत जॉंघों को चौड़ा करके खुद टाँगों के बिच आ गए और श्रेया की खूब सूरत चूत पर अपने होँठ रख दिए। रतिक्रीड़ा में श्रेया का यह पहला सबक था। अभिजीत सिंह तो इस प्रकिया के प्रमुख प्राध्यापक थे। उन्होंने बड़े प्यार से श्रेया की चूत को चूमना और चाटना शुरू किया। अभिजीत सिंह की यह चाल ने तो श्रेया का हाल बदल दिया। जैसे अभिजीत सिंह की जीभ श्रेया की चूत के संवेदनशील कोनों और दरारों को छूने लगी की श्रेया का बदन पलंग पर मचलने लगा और उसके मुंह से कभी दबी सी तो कभी उच्च आवाज में कराहटें और आहें निकलने लगीं। धीरे धीरे अभिजीत सिंह ने श्रेया की चूत में अपनी दो उंगलियां डालीं और उसे उँगलियों से चोदना शुरू किया। श्रेया के लिए यह उसके उन्माद की सिमा को पार करने के लिए पर्याप्त था।
श्रेया मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। श्रेया अभिजीत सिंह का हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया। श्रेया के रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे।
अब वह श्रेया की निप्पलोँ को अपने दांतो से काटते रहे जो की श्रेया को पागल करने के लिए पर्याप्त था। श्रेया मारे उन्माद के कराहती रही। श्रेया के दोनों स्तन दो उन्नत टीलों के सामान प्रतित होते थे। अभिजीत सिंह ने श्रेया की चूँचियों को इतना कस के चूसा की श्रेया को ऐसा लगा की कहीं वह फट कर अपने प्रियतम के मुंह में ही ना आ जायें। श्रेयाके स्तन अभिजीत सिंहके चूसने के कारण लाल हो गए थे और अभिजीत सिंह के दांतों के निशान उस स्तनों की गोरी गोलाई पर साफ़ दिख रहे थे। अभिजीत सिंह की ऐसी प्रेमक्रीड़ा से श्रेया को गजब का मीठा दर्द हो रहा था। जब अभिजीत सिंह श्रेया के स्तनों को चूस रहे थे तब श्रेया की उंगलियां अभिजीत सिंह के बालों को संवार रही थी। अभिजीत सिंह का हाथ श्रेया की पीठ पर घूमता रहा और उस पर स्थित टीलों और खाईयोँ पर उनकी उंगलयां फिरती रहीं। अभिजीत सिंह ने अपनी उस रात की माशूका के कूल्हों को दबा कर और उसकी दरार में उंगलियां डाल कर उसे उन्मादित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। थोड़ी देर तक स्तनों को चूसने और चूमने के बाद अभिजीत सिंह ने श्रेया को बड़े प्यार से पलंग पर लिटाया और उसकी खूबसूरत जॉंघों को चौड़ा करके खुद टाँगों के बिच आ गए और श्रेया की खूब सूरत चूत पर अपने होँठ रख दिए। रतिक्रीड़ा में श्रेया का यह पहला सबक था। अभिजीत सिंह तो इस प्रकिया के प्रमुख प्राध्यापक थे। उन्होंने बड़े प्यार से श्रेया की चूत को चूमना और चाटना शुरू किया। अभिजीत सिंह की यह चाल ने तो श्रेया का हाल बदल दिया। जैसे अभिजीत सिंह की जीभ श्रेया की चूत के संवेदनशील कोनों और दरारों को छूने लगी की श्रेया का बदन पलंग पर मचलने लगा और उसके मुंह से कभी दबी सी तो कभी उच्च आवाज में कराहटें और आहें निकलने लगीं। धीरे धीरे अभिजीत सिंह ने श्रेया की चूत में अपनी दो उंगलियां डालीं और उसे उँगलियों से चोदना शुरू किया। श्रेया के लिए यह उसके उन्माद की सिमा को पार करने के लिए पर्याप्त था।
श्रेया मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। श्रेया अभिजीत सिंह का हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया। श्रेया के रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे।