25-12-2019, 07:11 PM
बिच के कुछ हफ्ते अभिजीत सिंह को ना मिलने के कारण श्रेया इतनी बेचैन और परेशान हो गयी थी की उस बार श्रेया ने तय किया की वह हाथ में आये मौके को नहीं गँवायेगी। बिना सोचे समझे ही सारी लाज शर्म को ताक पर रख कर डांस करते हुए वह अभिजीत सिंह के गले लग गयी और बेतकल्लुफ और बेझिझक अभिजीत सिंह के कानों में बोली, "मैं आज रात आपसे चुदवाना चाहती हूँ। क्या आप मुझे चोदोगे?" अभिजीत सिंह स्तंभित हो कर श्रेया की और अचम्भे से देखन लगे तो श्रेया ने कहा, "मैं नशे में नहीं हूँ। मैं आपको कई हफ़्तों से देख रही हूँ। मैंने आपके बारे में काफी सूना भी है। मेरे पापा आपके बड़े प्रशंषक हैं। आज का मेरा यह फैसला मैंने कोई भावावेश में नहीं लिया है। मैंने तय किया था की मैं आपसे चुदवा कर ही अपना कौमार्य भंग करुँगी। मैं पिछले कई हफ़्तों से आपसे ऐसे ही मौके पर मिलने के लिए तलाश रही ही।" श्रेया की इतनी स्पष्ट और बेबाक ख्वाहिश ने अभिजीत सिंह को कुछ भी बोल ने का मौक़ा नहीं दिया। वह श्रेया की इतनी गंभीर बात को ठुकरा ना सके। और कप्तान अभिजीत सिंह ने ने वहीँ क्लब में ही एक कमरा बुक किया।
पार्टी खत्म होने के बाद श्रेया अपने माता और पिताजी से कुछ बहाना करके सबसे नजरें बचा कर अभिजीत सिंह के कमरे में चुपचाप चली गयी। श्रेया की ऐसी हिम्मत देख कर अभिजीत सिंह हैरान रह गए।
उस रात अभिजीत सिंह ने जब श्रेया को पहली बार नग्न अवस्था में देखा तो उसे देखते ही रह गए। श्रेया की अंग भंगिमा देख कर उन्हें ऐसा लगा जैसे जगत के विश्वकर्मा ने अपनी सबसे ज्यादा खूबसूरत कला के नमूने को इस धरती पर भेजा हो। श्रेयाके खुले, काले, घने बाल उसके कूल्हे तक पहुँच रहे थे। श्रेया का सुआकार नाक, उसके रसीले होँठ, उसके सुबह की लालिमा के सामान गुलाबी गाल उसके ऊपर लटकी हुई एक जुल्फ और लम्बी गर्दन श्रेया की जवानी को पूरा निखार दे रही थी। लम्बी गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके स्तन मंडल जिसकी चोटी पर फूली हुई गुलाबी निप्पलेँ ऐसे कड़ी खड़ी थीं जैसे वह अभिजीत सिंहको कह रही थीं, "आओ और मुझे मसल कर, दबा कर, चूस कर अपनी और मेरी बरसों की प्यास बुझाओ।" पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी ढूंटी जिसके निचे थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला भाग उरुसंधि, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी सुआकार जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर ज़रा से उभरे हुए कूल्हे देख कर अभिजीत सिंह, जिन्होंने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था, उनके मुंह से भी आह निकल गयी।
श्रेया भी जब कप्तान अभिजीत सिंह के सख्त नग्न बदन से रूबरू हुई तो उसे अपनी पसंद पर गर्व हुआ। अभिजीत सिंह के बाजुओं के फुले हुए डोले, उनका मरदाना घने बालों से आच्छादित चौड़ा सीना और सीने की सख्त माँस पेशियाँ, उनके काँधों का आकार, उनकी चौड़ी छाती के तले उनकी छोटी सी कमर और सबसे अचम्भा और विस्मयाकुल पैदा करने वाला उनका लंबा, मोटा, छड़ के सामान खड़ा हुआ लण्ड को देख कर श्रेया की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। श्रेया ने जो कप्तान अभिजीत सिंह के बारे में सूना था उससे कहीं ज्यादा उसने पाया। अभिजीत सिंह का लण्ड देख कर श्रेया समझ नहीं पायी की कोई भी औरत कैसे ऐसे कड़े, मोटे, लम्बे और खड़े लण्ड को अपनी छोटी सी चूत में डाल पाएगी? कुछ अरसे तक चुदवाने के बाद तो शायद यह संभव हो सके, पर श्रेया का तो यह पहला मौक़ा था।
पार्टी खत्म होने के बाद श्रेया अपने माता और पिताजी से कुछ बहाना करके सबसे नजरें बचा कर अभिजीत सिंह के कमरे में चुपचाप चली गयी। श्रेया की ऐसी हिम्मत देख कर अभिजीत सिंह हैरान रह गए।
उस रात अभिजीत सिंह ने जब श्रेया को पहली बार नग्न अवस्था में देखा तो उसे देखते ही रह गए। श्रेया की अंग भंगिमा देख कर उन्हें ऐसा लगा जैसे जगत के विश्वकर्मा ने अपनी सबसे ज्यादा खूबसूरत कला के नमूने को इस धरती पर भेजा हो। श्रेयाके खुले, काले, घने बाल उसके कूल्हे तक पहुँच रहे थे। श्रेया का सुआकार नाक, उसके रसीले होँठ, उसके सुबह की लालिमा के सामान गुलाबी गाल उसके ऊपर लटकी हुई एक जुल्फ और लम्बी गर्दन श्रेया की जवानी को पूरा निखार दे रही थी। लम्बी गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके स्तन मंडल जिसकी चोटी पर फूली हुई गुलाबी निप्पलेँ ऐसे कड़ी खड़ी थीं जैसे वह अभिजीत सिंहको कह रही थीं, "आओ और मुझे मसल कर, दबा कर, चूस कर अपनी और मेरी बरसों की प्यास बुझाओ।" पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी ढूंटी जिसके निचे थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला भाग उरुसंधि, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी सुआकार जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर ज़रा से उभरे हुए कूल्हे देख कर अभिजीत सिंह, जिन्होंने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था, उनके मुंह से भी आह निकल गयी।
श्रेया भी जब कप्तान अभिजीत सिंह के सख्त नग्न बदन से रूबरू हुई तो उसे अपनी पसंद पर गर्व हुआ। अभिजीत सिंह के बाजुओं के फुले हुए डोले, उनका मरदाना घने बालों से आच्छादित चौड़ा सीना और सीने की सख्त माँस पेशियाँ, उनके काँधों का आकार, उनकी चौड़ी छाती के तले उनकी छोटी सी कमर और सबसे अचम्भा और विस्मयाकुल पैदा करने वाला उनका लंबा, मोटा, छड़ के सामान खड़ा हुआ लण्ड को देख कर श्रेया की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। श्रेया ने जो कप्तान अभिजीत सिंह के बारे में सूना था उससे कहीं ज्यादा उसने पाया। अभिजीत सिंह का लण्ड देख कर श्रेया समझ नहीं पायी की कोई भी औरत कैसे ऐसे कड़े, मोटे, लम्बे और खड़े लण्ड को अपनी छोटी सी चूत में डाल पाएगी? कुछ अरसे तक चुदवाने के बाद तो शायद यह संभव हो सके, पर श्रेया का तो यह पहला मौक़ा था।