25-12-2019, 07:10 PM
अभिजीत सिंह (कर्नल साहब) के अत्यंत आकर्षक व्यक्तित्व, सुदृढ़ शरीर, ऊँचे ओहदे और मीठे स्वभाव के कारण उन को कभी किसी सुन्दर और वांछनीय स्त्री के पीछे पड़ने की जरुरत नहीं पड़ी। अक्सर कई बला की सुन्दर स्त्रियां पार्टियों में उनको अपने शरीर की आग बुझाने के लिए इशारा कर देती थीं। अभिजीत सिंह ने शुरुआत के दिनों में, शादी से पहले कई युवतियों का कौमार्य भंग किया था और कईयों की तन की भूख शांत की थी। उनमें से कई तो शादी होने के बाद भी अपने पति से छुपकर कर्नल साहब से चुदवाने के लिए लालायित रहतीं थीं और मौक़ा मिलने पर चुदवाती भी थीं। कर्नल साहब के साथ जो स्त्री एक बार सोती थी, उसके लिए कर्नल साहब को भुल जाना नामुमकिनसा होता था। आर्मी परिवार में और खास कर स्त्रियों में चोरी छुपी यह आम अफवाह थी की एक बार किसी औरत ने अगर अभिजीत सिंह का संग कर लिया (स्पष्ट भाषा में कहे तो अगर किसी औरत को कर्नल साहब से चुदवाने का मौक़ा मिल गया) तो वह कर्नल साहब के लण्ड के बारे में ही सोचती रहती थी। चुदवाने की बात छोड़िये, अगर किसी औरत को कर्नल साहब से बात भी करने का मौक़ा मिल जाए तो ऐसा कम ही होता था की वह उनकी दीवानी ना हो। कर्नल साहब की बातें सरल और मीठी होती थीं। वह महिलाओं के प्रति बड़ी ही शालीनता से पेश आते थे। जिस कारन उनकी बातों में सरलता, मिठास के साथ साथ जोश, उमंग और अपने देश के प्रति मर मिटने की भावना साफ़ प्रतीत होती थी। साथ में शरारत, मशखरापन और हाजिर जवाबी के लिए वह ख़ास जाने जाते थे।
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सालों पहले की बात है। कर्नल साहब की शादी भी तो ऐसे ही हुई थी। एक समारोह में युवा कर्नल की जब श्रेया से पहली बार मुलाक़ात हुई तो उनमें ज्यादा बात नहीं हो पायी थी। किसी पारस्परिक दोस्त ने उनका एक दूसरे से परिचय करवाया और बस। पर उनकी आंखें जरूर मिलीं। और आँखें मिलते ही आग तो दोनों ही तरफ से लगी। कर्नल साहब को श्रेया पहली नजर में ही भा गयी थी। श्रेया की आँखों में छिपी चंचलता और शौखपन अभिजीत सिंह के दिल को भेद कर पार गयी थी। श्रेया के बदन को देखकर उनपर जैसे बिजली ही गिर गयी थी। कई दिन बीत गए पर उन दोनोंकी दूसरी मुलाक़ात नहींहुई। अभिजीत सिंह की नजरें जहां भी आर्मी वालों का समारोह या प्रोग्राम होता था, श्रेया को ढूंढती रहती थीं। श्रेया का भी वही हाल था।
श्रेया के नाक नक्श, चाल, वेशभूषा, बदन का आकार और उसका अल्हड़पन ने उन्हें पहेली ही मुलाक़ात में ही विचलित कर दिया। श्रेया ने भी तो कप्तान अभिजीत सिंह (उस समय वह कप्तान अभिजीत सिंह के नाम से जाने जाते थे) के बारे में काफी सुन रखा था। अभिजीत सिंह से श्रेया की दूसरी बार मुलाक़ात आर्मी क्लब के एक सांस्कृतिक समारोह के दौरान हुई। दोनों में परस्पर आकर्षणतो था ही। अभिजीत सिंहने श्रेया के पापा, जो की एक निवृत्त आर्मी अफसर थे, उनके निचे काफी समय तक काम किया था, उनके बारे में पूछने के बहाने वह श्रेया के पास पहुंचे। कुछ बातचीत हुई, कुछ और जान पहचान हुई, कुछ शोखियाँ, कुछ शरारत हुई, नजरों से नजरें मिली और आग दावानल बन गयी। श्रेया अभिजीत सिंह की पहले से ही दीवानी तो थी ही।
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सालों पहले की बात है। कर्नल साहब की शादी भी तो ऐसे ही हुई थी। एक समारोह में युवा कर्नल की जब श्रेया से पहली बार मुलाक़ात हुई तो उनमें ज्यादा बात नहीं हो पायी थी। किसी पारस्परिक दोस्त ने उनका एक दूसरे से परिचय करवाया और बस। पर उनकी आंखें जरूर मिलीं। और आँखें मिलते ही आग तो दोनों ही तरफ से लगी। कर्नल साहब को श्रेया पहली नजर में ही भा गयी थी। श्रेया की आँखों में छिपी चंचलता और शौखपन अभिजीत सिंह के दिल को भेद कर पार गयी थी। श्रेया के बदन को देखकर उनपर जैसे बिजली ही गिर गयी थी। कई दिन बीत गए पर उन दोनोंकी दूसरी मुलाक़ात नहींहुई। अभिजीत सिंह की नजरें जहां भी आर्मी वालों का समारोह या प्रोग्राम होता था, श्रेया को ढूंढती रहती थीं। श्रेया का भी वही हाल था।
श्रेया के नाक नक्श, चाल, वेशभूषा, बदन का आकार और उसका अल्हड़पन ने उन्हें पहेली ही मुलाक़ात में ही विचलित कर दिया। श्रेया ने भी तो कप्तान अभिजीत सिंह (उस समय वह कप्तान अभिजीत सिंह के नाम से जाने जाते थे) के बारे में काफी सुन रखा था। अभिजीत सिंह से श्रेया की दूसरी बार मुलाक़ात आर्मी क्लब के एक सांस्कृतिक समारोह के दौरान हुई। दोनों में परस्पर आकर्षणतो था ही। अभिजीत सिंहने श्रेया के पापा, जो की एक निवृत्त आर्मी अफसर थे, उनके निचे काफी समय तक काम किया था, उनके बारे में पूछने के बहाने वह श्रेया के पास पहुंचे। कुछ बातचीत हुई, कुछ और जान पहचान हुई, कुछ शोखियाँ, कुछ शरारत हुई, नजरों से नजरें मिली और आग दावानल बन गयी। श्रेया अभिजीत सिंह की पहले से ही दीवानी तो थी ही।