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Adultery मायके का जायका
#29
आगे बढती जा रही थी।हमलोगों की बातचित भी अश्लीलता कि सारी सिमाओं को लांघ चुकी थी।यूं तो हम सभी एक दूसरी को च्छी तरह जानती थी,और आपस में ऐसी बातें भी होती थीं पररमेश भैया और दामु (दामोदर) के सामने ईतनी खुली बातें एक बार ही हुई थी जब दामु बहानचोद ने मेरी पहली बार चुदाई कि थी,वह भी सीमा बुरचोदी और एक दामु की छिनार बहिन के सहयोग से।
उधर दामु सीमा के साथ कुछ न कुछ छेरखानी करता ही जा रहा था जिसेसे सीमा कभी गुस्से से आंख तरेर देती पर चेहरे पर हंसी ही रहती। अचानक दामु कि दर्द भरी चिख निकलीऔर साथ ही सीमा की हंसने की आवाज भी।पिछे पलट के उषा भाभी के सथ मै भी अगली सिट पर बैठे दामु और सीमा को देखने लगी।

दामु के पैंट का बटन खुली थी और उसका छ ईंची लंड सीमा के दाहिने पंजे में जकरी हुइ थी ।ना सबुर भईल का हे सीमा बबुनी,हंसतीं हुइ उषा भाभी बोली। ना हे भाभी ई हरामी अपने खोल के देखावत रहे आउर हमरा हाथ में पकरा दिहलस।ओखनी से कभी हमार छाती पर हाथ फेर देता,कभी उंगली मे पकर के मिचमिमिचा देता,त हमहूँ वैसी ही मिसली ह त चिल्लाए लगलन ह।उधर से आटो चलाते रमेश भैया दामु को डांटते हुए बोले,तोहार गचरई बंद ना होखी।दामु कुछ बोले ईसके पहले ही उषा भाभी बोल परी,राउर काहे फटता,भाई बहिन के बीच में कुछो होखेला,आउर अगर अपनहुं के टनटना गईल ह त दुनो भाई आगे पिछे से घचाघच कर लिहीं आ न त हेने मीरा बबुनी खाली बारें गारी रोकीं आ एने आकर बहिनिया के माल खिलाई,ई देखी आपन मीरा बहिन के डबका माल,भाभी मेरी चुंचियों को हाथ से पकर कर दबाती हुई बोली।मैं शर्माती हुई उनके हाथों को झटकती हुई बोली जाईं ना आपन खाज मिटाई।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 25-12-2019, 07:09 PM



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