25-12-2019, 06:55 PM
अपर्णा ने चाय का कप रखकर बड़े ही सम्मान से कर्नल साहब को नमस्ते किया और बोली, "आप श्रेया जी के हस्बैंड हैं ना? बहुत अच्छीं हैं श्रेया जी।" अपर्णा की मीठी आवाज सुनते ही कर्नल साहब की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। वह कुछ बोल नहीं पाए तब अपर्णा ने कहा, "सर, आप कुछ कह रहे थे न?" अभिजीत सिंह जी का गुस्सा अपर्णा की सूरत और शब्दों को सुनकर हवा हो गया था। वह झिझकते हुए बड़बड़ाने लगे, "नहीं, कोई ख़ास बात नहीं, हमें कहीं जाना था तो मैं (रोहित की और इशारा करते हुए बोले) श्रीमान से आपकी गाडी की चाभी मांगने आया था। आपकी गाडी थोड़ी हटानी थी।"
अपर्णा समझ गयी की जरूर उसके पति रोहित ने कार को कर्नल साहब की कार के सामने पार्क कर दिया होगा। वह एकदम से हँस दी और बोली, "साहब, मेरे पति की और से मैं आपसे माफ़ी मांगती हूँ। वह हैं ही ऐसे। उन्हें अपने काम के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। व्यावहारिक वस्तुओं का तो उन्हें कुछ ध्यान ही नहीं रहता। हड़बड़ाहट मैं शायद उन्होंने अपनी कार आपकी कार के सामने रख दी होगी। आप प्लीज बैठिये और चाय पीजिये।" फिर अपर्णा ने मेरी और घूम कर मुझे उलाहना देते हुए कहा, "आप को ध्यान रखना चाहिए। जाइये और अपनी कार हटाइये।" फिर कर्नल साहब की और मीठी नजर से देखते हुए बोली, "माफ़ कीजिये। आगे से यह ध्यान रखेंगे। पर आप प्लीज चाय पीजिये और (मेज पर रखे कुछ नास्ते की चीजों की और इशारा करते हुए बोली) और कुछ लीजिये ना प्लीज?" रोहित हड़बड़ाहट में ही उठे और अपनी कार की चाभी ले कर भाग कर अपनी कार हटाने के लिए सीढ़ियोंकी और निचे उतरनेके लिए भागे। अपर्णा ठीक कर्नल साहब के सामने एक कुर्सी खिसका कर थोड़ा सा कर्नल साहब की और झुक कर बैठ गयी और उन्हें अपनी और ताकते हुए देख कर थोड़ी शर्मायी। शायद अपर्णा कहना चाह रही थी की "सर आप क्या देख रहे हैं?" पर झिझकती हुई बोली, "सर! आप क्या सोच रहे हैं? चाय पीजिये ना? ठंडी हो जायेगी।" अपर्णा को पता नहीं था उसे कर्नल साहब के ठीक सामने उस हाल में बैठा हुआ देख कर कर्नल साहब कितने गरम हो रहे थे। कर्नल साहब को ध्यान आया की उनकी नजरें अपर्णा के बड़े बड़े खूबसूरत स्तन मंडल के बिच वाली खाईसे हटनेका नाम नहीं लेरही थी। लेकिन अपर्णाका उलाहना सुनकर कर्नल साहबने अपनी नजर अपर्णाके ऊपर से हटायीं और कमरेके चारों और देखने लगे। क्या बोले वह समझ नहीं आया तो वह थोड़ी सी खिसियानी शक्ल बना कर बोले, "अपर्णाजी आप का घर आपने बड़ी ही सुन्दर तरीके से सजाया है। लगता है आप भी श्रेया की तरह ही सफाई पसंद हैं।"
कर्नल साहब की बात सुन कर अपर्णा हँस पड़ी और बोली, "नहीं जी, ऐसी कोई बात नहीं। बस थोड़ा घर ठीक ठाक रखना मुझे अच्छा लगता है। पर भला श्रेया जी तो बड़ी ही होनहार हैं। उनसे बातें करतें हैं तो वक्त कहाँ चल जाता है पता ही नहीं लगता। हम जब कल मार्किट में मिले थे तो श्रेया जी कह रही थीं l"
अपर्णा समझ गयी की जरूर उसके पति रोहित ने कार को कर्नल साहब की कार के सामने पार्क कर दिया होगा। वह एकदम से हँस दी और बोली, "साहब, मेरे पति की और से मैं आपसे माफ़ी मांगती हूँ। वह हैं ही ऐसे। उन्हें अपने काम के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। व्यावहारिक वस्तुओं का तो उन्हें कुछ ध्यान ही नहीं रहता। हड़बड़ाहट मैं शायद उन्होंने अपनी कार आपकी कार के सामने रख दी होगी। आप प्लीज बैठिये और चाय पीजिये।" फिर अपर्णा ने मेरी और घूम कर मुझे उलाहना देते हुए कहा, "आप को ध्यान रखना चाहिए। जाइये और अपनी कार हटाइये।" फिर कर्नल साहब की और मीठी नजर से देखते हुए बोली, "माफ़ कीजिये। आगे से यह ध्यान रखेंगे। पर आप प्लीज चाय पीजिये और (मेज पर रखे कुछ नास्ते की चीजों की और इशारा करते हुए बोली) और कुछ लीजिये ना प्लीज?" रोहित हड़बड़ाहट में ही उठे और अपनी कार की चाभी ले कर भाग कर अपनी कार हटाने के लिए सीढ़ियोंकी और निचे उतरनेके लिए भागे। अपर्णा ठीक कर्नल साहब के सामने एक कुर्सी खिसका कर थोड़ा सा कर्नल साहब की और झुक कर बैठ गयी और उन्हें अपनी और ताकते हुए देख कर थोड़ी शर्मायी। शायद अपर्णा कहना चाह रही थी की "सर आप क्या देख रहे हैं?" पर झिझकती हुई बोली, "सर! आप क्या सोच रहे हैं? चाय पीजिये ना? ठंडी हो जायेगी।" अपर्णा को पता नहीं था उसे कर्नल साहब के ठीक सामने उस हाल में बैठा हुआ देख कर कर्नल साहब कितने गरम हो रहे थे। कर्नल साहब को ध्यान आया की उनकी नजरें अपर्णा के बड़े बड़े खूबसूरत स्तन मंडल के बिच वाली खाईसे हटनेका नाम नहीं लेरही थी। लेकिन अपर्णाका उलाहना सुनकर कर्नल साहबने अपनी नजर अपर्णाके ऊपर से हटायीं और कमरेके चारों और देखने लगे। क्या बोले वह समझ नहीं आया तो वह थोड़ी सी खिसियानी शक्ल बना कर बोले, "अपर्णाजी आप का घर आपने बड़ी ही सुन्दर तरीके से सजाया है। लगता है आप भी श्रेया की तरह ही सफाई पसंद हैं।"
कर्नल साहब की बात सुन कर अपर्णा हँस पड़ी और बोली, "नहीं जी, ऐसी कोई बात नहीं। बस थोड़ा घर ठीक ठाक रखना मुझे अच्छा लगता है। पर भला श्रेया जी तो बड़ी ही होनहार हैं। उनसे बातें करतें हैं तो वक्त कहाँ चल जाता है पता ही नहीं लगता। हम जब कल मार्किट में मिले थे तो श्रेया जी कह रही थीं l"