25-12-2019, 06:54 PM
पर समय गुजरते उनकी चुदाई कुछ ठंडी पड़ने लगी, क्यूंकि अपर्णा कॉलेज में और घर के कामों में व्यस्त रहने लगी और रोहित उसके व्यावसायिक कामों में। रोहित और अपर्णा कई बार बिस्तर में पड़े पड़े उनकी शादी के कुछ सालों तक की घमासान चुदाई के दिनों को याद करते रहते थे। सोचते थे कुछ ऐसा हो जाए की वह दिन फिर आ जाएँ। उनका कई बार मन करता की वह कहीं थोड़े दिन के लिए ही सही, छुट्टी लें और सब रिश्ते दारी से दूर कहीं जंगलों में, पहाड़ियों में झरनों के किनारे कुछ दिन गुजारें, जिससे वह उनकी बैटरियां चार्ज कर पाएं और अपनी जवानी के दिनों का मजा फिर से उठाने लगें, फिर वही चुदाई करें और खूब मौज मनाएं। चूँकि दोनों पति पत्नी मिलनसार स्वभाव के थे इसलिए सोचते थे की अगर कहीं कोई उनके ही समवयस्क ग्रुप के साथ में जाने का मौक़ा मिले तो और भी मजा आये। अपर्णा के कॉलेज में छुट्टियां होने के बावजूद रोहित अत्याधिक व्यस्तता के चलते कोई कार्यक्रम बन नहीं पा रहा था। अपर्णा को मूवीज और घूमने का काफी शौक था पर यहाँ भी रोहित गुनेहगार ही साबित होता था। इस के कारण अपर्णा अपने पति रोहित से काफी नाराज रहती थी। रोहित को अपनी पत्नी को खुले में छेड़ने में बड़ा मजा आता था। अगर वह कहीं बाहर जाते तो रोहित अपर्णा को खुले में छेड़ने का मौक़ा नहीं चुकता था।
कई बार वह उसे सिनेमा हाल में या फिर रेस्तोरां में छेड़ता रहता था। दूसरे लोग जब देखते और आँखे फिरा लेते तो उसे बड़ी उत्तेजना होती थी। अपर्णा भी कई बार नाराज होती तो कई बार उसका साथ देती। नए घर में आने के कुछ ही दिनोंमें अपर्णा को करीब पड़ोस की सब महिलाएं भी जानने लगीं, क्यूंकि एक तो वह एकदम सरल और मधुर स्वभाव की थी। दूसरे उसे किसी से भी जान पहचान करनेमें समय नहीं लगताथा। सब्जी लेते हुए, आते जाते पड़ोसियों के साथ वह आसानी से हेलो, हाय से शुरू कर कई बार अच्छी खासी बातें कर लेती थीं। घर में रोहित जब अपने कमरे में बैठकर कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा होता था, तो अक्सर उसे खिड़की में से सामने के फ्लैट में रहने वाले कर्नल साहब और उनकी पत्नी दिखाई देते थे। उनकी एक बेटी थोड़ी बड़ी थी और उन दिनों कॉलेज जाया करती थी। कर्नल साहब और रोहित की पहेली बार जान पहचान कुछ अजीबो गरीब तरीके से हुई।
एक दिन रोहित कुछ जल्दी में घर आया तो उसने अपनी कार कर्नल साहब के गेराज के सामने खड़ी कर दी थी। शायद रोहित को जल्दी टॉयलेट जाना था। घर में आने के बाद वह भूल गया की उसे अपनी गाडी हटानी चाहिए थी। अचानक रोहित के घर के दरवाजे की घंटी बजी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो कर्नल अभिजीत सिंह को बड़े ही गुस्से में पाया। आते ही वह रोहित को देख कर गरज पड़े, "श्रीमान, आप अपनी कार को ठीक तरह से क्यों नहीं पार्क कर सकते?" रोहित ने उनको बड़े सम्मान से बैठने के लिए कहा तो बोल पड़े, " मुझे बैठना नहीं है। आप को समझना चाहिए की कई बार कोई जल्दी में होता ही तो कितनी दिक्कत होती है?" आगे वह कुछ बोलने वाले ही थे की रोहित की पत्नी अपर्णा जो कुछ ही समय पहले बाथरूम से निकली ही थी, चाय बना कर रसोई से चाय का प्याला लेकर ड्राइंगरूम में दाखिल हुई। अपर्णा के बाल घने, गीले और बिखरे हुए थे और उनको अपर्णा ने तौलिये में ढक कर लपेट रखा था। और ब्लाउज गीला होने के कारण अपर्णा की छाती पर उसके फुले हुए स्तन कुछ ज्यादा ही उभरे हुए लग रहे थे। अपर्णा का चेहरे की लालिमा देखते ही बनती थी। अपर्णा को इस हाल में देखतेही कर्नल साहब की बोलती बंद हो गयी। अपर्णा ने आगे बढ़कर कर्नल साहब के सामने ही झुक कर मेज पर जैसे ही चाय का कप रखा तो रोहित ने देखा की कर्नल साहब की आँखें अपर्णा के वक्षों के बिच का अंतराल देखते ही फ़टी की फटी रह गयीं।
कई बार वह उसे सिनेमा हाल में या फिर रेस्तोरां में छेड़ता रहता था। दूसरे लोग जब देखते और आँखे फिरा लेते तो उसे बड़ी उत्तेजना होती थी। अपर्णा भी कई बार नाराज होती तो कई बार उसका साथ देती। नए घर में आने के कुछ ही दिनोंमें अपर्णा को करीब पड़ोस की सब महिलाएं भी जानने लगीं, क्यूंकि एक तो वह एकदम सरल और मधुर स्वभाव की थी। दूसरे उसे किसी से भी जान पहचान करनेमें समय नहीं लगताथा। सब्जी लेते हुए, आते जाते पड़ोसियों के साथ वह आसानी से हेलो, हाय से शुरू कर कई बार अच्छी खासी बातें कर लेती थीं। घर में रोहित जब अपने कमरे में बैठकर कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा होता था, तो अक्सर उसे खिड़की में से सामने के फ्लैट में रहने वाले कर्नल साहब और उनकी पत्नी दिखाई देते थे। उनकी एक बेटी थोड़ी बड़ी थी और उन दिनों कॉलेज जाया करती थी। कर्नल साहब और रोहित की पहेली बार जान पहचान कुछ अजीबो गरीब तरीके से हुई।
एक दिन रोहित कुछ जल्दी में घर आया तो उसने अपनी कार कर्नल साहब के गेराज के सामने खड़ी कर दी थी। शायद रोहित को जल्दी टॉयलेट जाना था। घर में आने के बाद वह भूल गया की उसे अपनी गाडी हटानी चाहिए थी। अचानक रोहित के घर के दरवाजे की घंटी बजी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो कर्नल अभिजीत सिंह को बड़े ही गुस्से में पाया। आते ही वह रोहित को देख कर गरज पड़े, "श्रीमान, आप अपनी कार को ठीक तरह से क्यों नहीं पार्क कर सकते?" रोहित ने उनको बड़े सम्मान से बैठने के लिए कहा तो बोल पड़े, " मुझे बैठना नहीं है। आप को समझना चाहिए की कई बार कोई जल्दी में होता ही तो कितनी दिक्कत होती है?" आगे वह कुछ बोलने वाले ही थे की रोहित की पत्नी अपर्णा जो कुछ ही समय पहले बाथरूम से निकली ही थी, चाय बना कर रसोई से चाय का प्याला लेकर ड्राइंगरूम में दाखिल हुई। अपर्णा के बाल घने, गीले और बिखरे हुए थे और उनको अपर्णा ने तौलिये में ढक कर लपेट रखा था। और ब्लाउज गीला होने के कारण अपर्णा की छाती पर उसके फुले हुए स्तन कुछ ज्यादा ही उभरे हुए लग रहे थे। अपर्णा का चेहरे की लालिमा देखते ही बनती थी। अपर्णा को इस हाल में देखतेही कर्नल साहब की बोलती बंद हो गयी। अपर्णा ने आगे बढ़कर कर्नल साहब के सामने ही झुक कर मेज पर जैसे ही चाय का कप रखा तो रोहित ने देखा की कर्नल साहब की आँखें अपर्णा के वक्षों के बिच का अंतराल देखते ही फ़टी की फटी रह गयीं।