25-12-2019, 06:53 PM
"कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - 01
रोहित की बीबी अपर्णा करीब 31 की होते हुए भी 25 साल की ही दिखती थी। खान पान पर कडा नियत्रण और नियमित व्यायाम और योग के कारण उसने अपना आकार एकदम चुस्त रखा था। अपर्णा का चेहरा वयस्क लगता ही नहीं था। उसके स्तन परिपक्व होते हुए भी तने और कसे हुए थे। उसके स्तन 32+ और स्तन सी कप साइज के थे। व्यवहार और विचार में आधुनिक होते हुए भी अपर्णा के मन पर कौटुम्बिक परम्परा का काफी प्रभाव था। कई बार जब ख़ास प्रसंग पर वह राजस्थानी लिबास में सुसज्जित होकर निकलती थी तो उसकी जवानी और रूप देख कर कई दिल टूट जाते थे। राजस्थानी चुनरी, चोली और घाघरे में वह ऐसे जँचती थी की दूसरों की तो बात ही क्या, स्त्रियां भी अपर्णा को ताकने से बाज ना आती थीं। अपर्णा को ऐसे सजने पर कई मर्दों की मर्दानगी फूल जाती थी और कईयों की तो बहने भी लग जाती थी।
अपर्णा का खानदान राजपूती परम्परा से प्रभावित था। कहते हैं की हल्दीघाटी की लड़ाई में अपर्णा के दादा परदादा हँसते हँसते लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उधर अपर्णा के पिता भी कुछ ऐसी ही भावना रखते थे और अपनी बेटी को कई बार राजपूती शान की कहानियां सुनाते थे। उनका कहना था की असली राजपूत एहसान करने वाले पर अपना तन और मन कुर्बान कर देता है, पर अपने शत्रु को वह बख्शता नहीं है। उन्होंने दो बड़ी लड़ाइयां लड़ी और घायल भी हुए। पर उन्हें एक अफ़सोस रहा की वह रिटायर होने से पहले अपनी जान कोई भी लड़ाई में देश के लिए बलिदान नहीं कर पाए।
अपर्णा की कमर का घुमाव और उसकी गाँड़ इतनी चुस्त और लचीली थी की चाहे कोई भी पोशाक क्यों ना पहनी हो वह गजब की सेक्सी लगती थी। उस कॉलोनी के ब्लॉक में उनके आते ही रोहित की बीबी अपर्णा के आशिकों की जैसे झड़ी लग गयी थी। दूध वाले से लेकर अखबार वाला। सब्जी वाले से लेकर हमारी कॉलोनी के जवान बूढ़े बच्चे सब उसके दीवाने थे। कॉलेज और कॉलेज में अपर्णा एक अच्छी खासी खिलाड़ी थी। वह लम्बी कूद, दौड़ इत्यादि खेल प्रतियोगिता में अव्वल रहती थी। इसके कारण उसका बदन गठीला और चुस्त था। उन दिनों भी वह हर सुबह चड्डी पहन कर उनकी छत पर व्यायाम करती रहती थी। जब वह व्यायाम करती थी तो कई बार उनके सामने रहते एक आर्मी अफसर कर्नल अभिजीत सिंह को अपर्णा को चोरी चोरी ताकते हुए अपर्णा के पति रोहित ने देख लिया था। हालांकि रोहित को कर्नल अभिजीत सिंह से मिलने का मौक़ा नहीं मिला था, रोहित ने कर्नल साहब की तस्वीर अखबारों में देखि थी और उन के बारे में काफी पढ़ा था। कर्नल अभिजीत सिंह जैसे सुप्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति को अपनी बीबी को ताकते हुए देख कर रोहित मन ही मन मुस्करा देता था। कर्नल साहब के घर की एक खिड़की से रोहित के घर की छत साफ़ दिखती थी। चूँकि मर्द लोग हमेशा अपर्णा को घूरते रहते थे तो रोहित हमेशा अपनी बीबी अपर्णा से चुटकी लेता रहता था। उसे छेड़ता रहता था की कहीं वह किसी छैल छबीले के चक्कर में फँस ना जाये।
अपर्णा भी अपने पति रोहित को यह कह कर शरारत से हँस कर उलाहना देती रहती की, "अरे डार्लिंग अगर तुम्हें ऐसा लगता है की दूसरे लोग तुम्हारी बीबी से ताक झाँक करते हैं तो तुम अपनी बीबी को या ताक झाँक करने वालों को रोकते क्यों नहीं? यदि कहीं किसी छैल छबीले ने तुम्हारी बीबी को फाँस लिया तो फिर तुम तो हाथ मलते ही रह जाओगे। फिर मुझे यह ना कहना की अरे यह क्या हो गया? जिसकी बीबी खूबसूरत हो ना, तो उस पर नजर रखनी चाहिए।" ऐसे ही उनकी नोंक झोंक चलती रहती थी। रोहित अपर्णा की बातों को हँस कर टाल देता था। उसे अपर्णा से कोई शिकायत नहीं थी। उसे अपनी बीबी पर खुदसे भी ज्यादा भरोसा था। रोहित और अपर्णा एक ही कॉलेज में पढ़े थे। कॉलेज में भी अपर्णा पर कई लड़के मरते थे, यह बात रोहित भाली भाँती जानता था। पर कभी अपर्णा ने उनमें से किसी को भी अपने करीब फटकने नहीं दिया था। बल्कि अपर्णा से जब कॉलेज में ही रोहित की मुलाक़ात हुई और धीरे धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गयी और शादी भी पक्की हो गयी तब भी अपर्णा रोहित को आगे बढ़ने का कोई मौक़ा नहीं देती थी। उनमें चुम्माचाटी तो चलती थी पर अपर्णा रोहित को वहीँ रोक देती थी।
अपर्णा एक प्राथमिक कॉलेज में अंग्रेजी शिक्षक की नौकरी करती थी। और वहाँ भी कॉलेज के प्रिंसिपल से लेकर सब उसके दीवाने थे। वैसे तो रोहित की प्यारी बीबी अपर्णा काफी शर्मीली थी, पर चुदाई के समय बिस्तर में एकदम शेरनी की तरह गरम हो जाती थी और जब वह मूड़ में होती थी तो गजब की चुदाई करवाती थी।
अपर्णा की पतली कमर रोहित की टांगों के बिच स्थापित जनाब को हमेशा वक्त बे वक्त खड़ा कर देती थी। अगर समय होता और मौक़ा मिलता तो रोहित अपर्णा को वहीँ पकड़ कर चोद देता।