25-12-2019, 12:14 PM
उन्हें रीमा के दुख दर्द तकलीफ से कोई लेना-देना नहीं था | उन्हें तो एहसास भी नहीं था एक मोटा लंड जब किसी केअंदर घुसता है तो कितनी तकलीफ होती है | यहां तो दो-दो मोटे मुसल तने हुए लंड थे | दोनों एक साथ दनादन रीमा को चीर के रख दे दे रहे थे | रीमा दर्द से बड़बड़ा रही थी, बिलख रही थी तड़प रही थी लेकिन उन दोनों लंडो को अपने अंतर में ले भी रही थी | उन्हें मना नहीं कर सकती थी ना मना करना चाहती थी | अब तो बहुत देर हो चुकी थी अब तो अगर वह उन्हें रोकना भी चाहे तो भी कोई फायदा नहीं | अब तो बस वह चाहती थी किसी तरह से यह सिलसिला रुक जाए और उनके जिस्म में जल्दी आग के फव्वारे छूट पड़े और उससे वो सरोबार हो जाये |
गिरधारी से अब रहा नहीं जा रहा था, गिरधारी का जोश अब उतरने को ही था, उसकी कोकीन का असर भी खत्म हो गया था | दो चार मिनट में झड़ जाने वाला गिरधारी आधे घंटे तक रीमा की कसी हुई गांड को चीरता रहा | कोकीन उसे इससे ज्यादा क्या दे सकती थी अब तो उसे झड़ना ही था लेकिन उसके नशे में वह पूरी तरह से उत्तेजित था और उसने रीमा की चुताड़ो को थोड़ा सा ऊपर उठाया और दना दन दना दन पूरा लंड अपना रीमा की गांड में उतार दिया |
इतनी देर से अपनी गांड पर पड़ रही मुसल लंड की भीषण ठोकरों के बाद रीवा की संकरी कसी गांड तो पूरी तरह से खुल गई थी लेकिन लगातार लगाती ठोकरों और लंड पेलाई की वजह से उसमें इतनी तेज जलन दर्द हो रहा था कि अब तक वह उसे उबर नहीं पाई थी इसी बीच इस नए भीषण हमले ने तो जैसे रीवा के पूरे जिस्म को दर्द से नहला दिया | रीमा को भी पता था यह आखरी बार है और इसके बाद में उसे उसकी गुलाबी गांड में निचुड़ जाना है | आखिर में जीतेगी रीमा ही | इसीलिए वह गिरधारी के इस भीषण ठोकरों को भी आंखें बंद करके बर्दाश्त करने लगी | इधर नीचे से जितेश भी रुकने के मूड में नहीं था | उसकी भी कमर तेजी से हिल रही थी लेकिन उसके मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा ताकतवर और तेज थी | जितेश ने रीमा को कस कसकर खुद से चिपका लिया | जिस्म पर पड़ रही इस तरह की भीषण ठोकरों को और अपनी कोमल गांड का कचूमर बनते वो गर्दन घुमाकर देखने लगी | वह कराह रही थी चीख रही थी लेकिन अब ना तो उसकी चीख से किसी को कोई फर्क पड़ रहा था और ना ही उसके गांड और चूतड़ पर लगने वाले धक्को से |
दर्द के इन आखिरी पलो को उसे बर्दाश्त करना ही होगा | आखिरकार रीमा ने ही तो उन्हें अपना जिस्म सौंपा था अब खुद उन्हें कैसे मना कर सकती थी, वासना के इस चरम पर तो बिलकुल नहीं | अब तो जो करना चाहे वह कर सकते थे | रीमा के जिस्म की यह दुर्गति रीमा की ही खुद की गलती थी | रीमा को उसके जिस्म पर पड़ रही है हर ठोकर रीमा को अपनी गलती का एहसास तो करा रही थी लेकिन उसकी वासना भी अपने अहंकार में अपने जिस्म की दुर्गति को नकार रही थी | आखिरकार रीमा ने ही तो बुलाया था कहा था कि वह आकर उसकी गांड मारे और अब उसकी गांड मार रहा था , ऐसे मार रहा था ऐसे लंड पेल रहा था जैसे उसकी गांड में आज तक किसी ने नहीं पेला| जिस कसी गांड में एक उंगली तक नहीं जाती थी उसमें एक मोटा लंड दनादन किसी पिस्टन की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और उसके चूतड़ों पर बेतहाशा ठोकर मार रहा था और दूसरी तरफ से जितेश का लंड रीमा की चूत में धंसा हुआ था | रीमा जाये तो कहां जाए | दोनों के बीच में सैंडविच बन के रह गई | ऐसा लग रहा था जैसे दो पाटों के बीच में किसी ने मक्खन को रख करके और दोनों पाते चला दिए हो | इसी तरह वह दो मर्दों के जिस्मो की चुदाई में पिघल कर रह गयी | यही उसकी किस्मत थी उसकी मक्खन मलाई जैसे चूत और गांड को इसी तरह से पत्थर जैसे कठोर दोनो लंडो से कुचलना लिखा था | वह अपने चरम के उफान पर खड़े दनादन रीमा को चोद रहे थे और वो तन मन से पूरी तरह से चुद रही थी | आखिरी मानेगी तो ऐसी चुदाई ही तो मांगी थी रीमा ने | उसके तपते का हर हिस्सा अब दुखने लगा था | जितेश और गिरधारी की तेज ठोकरों के साथ में रीमा का अस्तित्व तिनके की तरह हवा में उड़ा जा रहा था | रीमा किस मुंह से उन्हें रोकेगी किस मुझसे कहेगी बस करो मेरे जिस्म का बलात्कार करना बंद करो | मेरे जिस्म को इस तरह से नोचना बंद करो | लूटना खसोटना बंद करो लेकिन इसी तरह से तो वो लूटना चाहती कि कोई उसे इसी तरह बेदर्दी से मसले कुचले चोदे और अब इसी तरह से उसे गिरधारी और जितेश मसल रहे थे |
गिरधारी की ठोकरों ने रीमा के न केवल जिस्म को बल्कि उसके अस्तित्व को हिलाकर रख दिया था | गिरधारी की ठोकरें ने रीमा की कमर में वह दर्द पैदा कर दिया जिसमे उसका पूरा जिस्म कहा गया था लेकिन अब इस वासना के चरम पर किस को किस की फिक्र थी | गिरधारी अपनी वासना के ऐसे चरम पर था जहां आदमी को औरत के छोड़ो खुद के जिस्म का ख्याल रहता है नहीं रहता | उसके खुद के लंड की खाल भी छिलने के कगार पर पहुंच गई थी और उसके सुपाडे का बुरा हाल था , वहां वह रीमा की गांड का क्या ख्याल रखता | वासना चीज ही ऐसी है जहां पर जिस्म बेमानी हो जाते हैं बस रह जाती है तो वासना वासना वासना और उसकी आग बुझाने की अंधी ललक | इधर जितेश भी रीमा की चूत की कुटाई लगातार जारी रखें |
कुछ ही देर में गिरधारी फड़फड़ाने लगा और उसकी कोकीन का नशा उतरते ही हुए वो अपने चरम की तरफ जाने लगा | उसकी गोलियां फटने लगी और उनकी गोलियों में भरा हुआ सफेद गाढ़ा गरम लावा उसके जिस्म की आग की तपिश को जलाता हुआ उसकी वासना की झील के बाँध को चीरता हुआ ऊपर की तरफ बह निकला और रीमा की गहरी गुलाबी जलती गांड में छूटने लगा |
इसी के साथ जैसे लग रहा था गिरधारी के भी प्राण छूट गए वह बस इसी लाश की तरह से अकड़ गया उसका लंड पूरी तरह से रीमा की गांड में धंसा हुआ था और उसके लंड से लगातार गर्म सफेद लावे की पिचकारियाँ रीमा की गांड की जलती दीवारों को ठंडा करने में लगी थी | गिरधारी की एक्सप्रेस ट्रेन पैसेंजेर हो गयी | वह बस हल्के हल्के से अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा की तो जैसे जान वापस आ गई हो उसे लग नहीं रहा था कि वह आज जिंदा बच पायेगी | जब तक लंड की ठोकरे लगती रही ऐसा लगा जैसे उसकी जान उसके हलक में अटकी रही | जैसी उसकी आज दोनों के लंडो से ठुकाई हुई थी उससे लग ही रहा था कि आज उसकी जान निकल जाएगी लेकिन पहली बार उसे एहसास हुआ कि वह अभी जिंदा है और अब मरेगी नहीं आखिर उसकी वासना उसे उस मोड़ पर ले आई थी जहां पर उसे मौत साफ-स साफ दिखाई देने लगी थी | रीमा मौत के मुंह से वापस लौट आई | गिरधारी हिलती कमर बता रही थी कि उसकी पिचकारिया दनादन रीमा की जलती हुई गांड में छूट रही है | ऐसा लगा जैसे किसी ने रीमा की गांड को जलते हुए कोयले की भट्टी के पास से निकालकर पानी के टैंक में डुबो दिया हो | उसकी जलती हुई गांड में गिरधारी के सफ़ेद सफेद लावे ने जैसे बाहर ला दी हो | रीमा उस ठंडक और तृप्ति के अहसास में डूबने लगी | इसी पल के लिए वह इतनी देर तक कराहती रही, बिलखती रही खुद को कुचलवाती मसलवाती रही चुदवाती खुद की कोरी करारी गांड मरवाती रही | गिरधारी के लंड से सफ़ेद लावा रीमा की गांड की कसी दीवारों को भरने के बाद बूंद बूंद कर बाहर रिसने लगा |
इधर गिरधारी को धीमा पड़ता देख जितेश ने भी अपनी ठोकरे बढ़ा दी है और दनादन सीमा की चूत में अपने लंड को पेलने लगा | जाहिर सी बात है उसका चरम भी करीब था | गिरधारी झड़ के बाद वैसे ही बीमा के बदन से चिपक गया और उसका लंड रीमा की गांड की गहराइयों में पूरी तरह से धंसा रहा | इधर जितेश रीमा के चूत पर दनादन ठोकरें मारने लगा | उधर गिरधारी का लंड रीमा की गांड में आराम फरमाने लगा | जितेश को भी ज्यादा देर नहीं लगी और वह भी अपनी जिस्म में इतनी देर से उबल रही वासना की गर्मी को चरम पर पहुंचा गया | बेतहाशा धक्वको की ठोकरों ने उसके लंड में तेज सनसनाहट पैदा कर दी | वह भी अब खुद को संभाल नहीं पाया और उसका लंड भी जवाब दे गया उसकी गोलियों से फिर से सफेद लावे की धार बह निकली और उसके लंड से निकलकर रीमा की चूत की गहराइयो में झरने लगी | रीमा की चूत जितेश के सफेद लावे से भरने लगी गिरधारी ने रीमा की गांड को पहले ही सफेद लावे से पूरी तरह से भर दिया था | जितेश की कमर कुछ देर तक हिलती रही और हिलती कमर के साथ जितेश का रस रीमा की चूत में निकलता रहा |
रीमा तो जैसे जन्नत में पहुंच गई हो उसकी जलती हुई दीवारों पर जितेश की फुहारे, उसकी गाड़ की बिलखती दीवारों पर गिरधारी की फुहारे , रीमा को जैसे नया जीवन मिल गया हो | जैसे मरते हुए को अमृत मिल गया हो रीमा की सुख की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | जो चूत घंटे भर से से ज्यादा मुसल लंड से रगड़ी गई हो उसकी दीवारों की हालत उसकी चूत की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है इतनी देर मसली जा रही चूत की दीवारों पर जब जितेश की गरम फुहारे पड़ी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी चूत को नया जीवन दे दिया होगा एक नया जीवनदान मिला हो उसकी चूत की दीवारों में एक नई जान सी आ गई उसकी चूत जो इतनी देर से जितेश के लैंड से रगड़ खाकर जल रही थी उसकी आग पूरी तरह से शांत हो गई | अब वह पूरी तरह से जितेश के उस गुनगुने लावे में गोते लगाने लगी | रीमा को तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं था | दो दो लंडो का सफ़ेद गाढ़ा रस उसकी गुलाबी सुरंगों में भरा हुआ था | इसकी अहसास की तृप्ति तो बस रीमा ही महसूस कर सकती थी | उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता | आखिर इतनी देर खुद को दो मर्दो के हवाले करके मुसल लंडो से कुचलवाने और चुदवाने के बाद उसके हाथ में सिर्फ वह गाढ़ा सफेद रस ही तो था जो सिर्फ उसका था | बाकी आदमी तो जितनी देर औरत के अंदर रहता है बस उतनी देर ही वो उसका होता है | रीमा को अच्छे से पता था जब तक मर्द औरत की चूत में रहता है तब तक ही मर्द पूरी तरह से उसका होता है इसीलिए उसे पता था खुद को इस तरह से चुदवाने के बाद उसे सिर्फ कुछ हासिल होगा तो वह है उसके मन के कोनों में दबि वासना की तृप्ति और यह मीठा सफेद रस | इसके अलावा तो उसके हाथ कुछ आना भी नहीं था |
यही तो रीमा को चाहिए था रीमा जानती थी उसने जो किया है वह उसे नहीं करना चाहिए था लेकिन आखिर कब तक हो अपने के अरमानों को कुचलती रहती उसके अंदर जो भी कुंठा होगी शायद चुदाई के बाद कम हो जाए वैसे भी अगर वह अपने मन के दबे अरमानों को पूरा नहीं करती तो अंदर ही अंदर खुद को कोसती रहती अब कम से कम अपने मन में दबी वासनाओं के कारण खुद को नहीं कोसेगी | सही गलत क्या है इसका फैसला करने का यह सही वक्त नहीं था अभी वक्त था बस इसे साथ में डूब जाने का दो दो और उनका सफेद गाढ़ा रस उसकी दोनों सुरंगों को पूरी तरह से लबालब भरे हुए था और उसमे उतराती इठलाती रीमा मन ही मन उस लम्बे दौर के दर्द को बर्दास्त करने के बाद गहरी शांति में थी |
हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी अंत हुआ इस भीषण चुदाई का रीमा के जीवन की अब तक की सबसे खतरनाक सबसे रोमांचक सबसे दुसह्सिक चुदाई ऐसी चुदाई जिसमें रीमा ने अपने मन के कोने में दबे हुए सारे अरमान खोल दिए अपने जिस्म के सारी सुरंगे खोल दी और उन सुरंगों के दरवाजों में मोटे मोटे मुसल लंडो को आने-जाने की बेरोकटोक इजाजत दे दी | ऐसी चुदाई जब उसके जिस्म में हाहाकारी लंड बेधड़क अंदर बाहर हुए और वह बिना किसी ना नुकुर के पूरी तरह से इन दोनों के लंडो से मिले दर्द को पूरी तरह उसने बर्दास्त किया | जी भर के जी दोनों लंडो के अहसास को दिलो दिमाग में उतारा | इसका अहसास उसके अन्तर्मन में सालों तक जिंदा रहेगा | इस एहसास को वह अपने अंदर सालों तक जिंदा रखेगी वह तकलीफ देह था, बर्दास्त न कर पाने वाले दर्द से गुजरने वाला था लेकिन एक ऐसा एहसास था तो शायद औरत को बिना तकलीफ के मिल भी नहीं सकता था इस तरह से दो दो लंड उसके जिस्म को चीर रहे थे यह कैसा एहसास था जो औरत के नसीब में तभी होगा जब वह अपने जिस्म में दो लंडो को घुसने देगी | उसने अपने जिस्म में दोनों लंडो को घुसने दिया, एक बेहद तकलीफ भरा लेकिन बहुत ही खास चुदाई का अनुभव जो वो कभी नहीं भूलेगी | उसने भी सपने में नहीं सोचा था ऐसे भी मर्द होते हैं, जो औरत की चोद चोद कर जान निकाल देते है | रीमा के परपराते दोनों गुलाबी छेद उसको उसकी चुदाई का मीठा दर्द भरा अहसास करा रहे थे |
गिरधारी से अब रहा नहीं जा रहा था, गिरधारी का जोश अब उतरने को ही था, उसकी कोकीन का असर भी खत्म हो गया था | दो चार मिनट में झड़ जाने वाला गिरधारी आधे घंटे तक रीमा की कसी हुई गांड को चीरता रहा | कोकीन उसे इससे ज्यादा क्या दे सकती थी अब तो उसे झड़ना ही था लेकिन उसके नशे में वह पूरी तरह से उत्तेजित था और उसने रीमा की चुताड़ो को थोड़ा सा ऊपर उठाया और दना दन दना दन पूरा लंड अपना रीमा की गांड में उतार दिया |
इतनी देर से अपनी गांड पर पड़ रही मुसल लंड की भीषण ठोकरों के बाद रीवा की संकरी कसी गांड तो पूरी तरह से खुल गई थी लेकिन लगातार लगाती ठोकरों और लंड पेलाई की वजह से उसमें इतनी तेज जलन दर्द हो रहा था कि अब तक वह उसे उबर नहीं पाई थी इसी बीच इस नए भीषण हमले ने तो जैसे रीवा के पूरे जिस्म को दर्द से नहला दिया | रीमा को भी पता था यह आखरी बार है और इसके बाद में उसे उसकी गुलाबी गांड में निचुड़ जाना है | आखिर में जीतेगी रीमा ही | इसीलिए वह गिरधारी के इस भीषण ठोकरों को भी आंखें बंद करके बर्दाश्त करने लगी | इधर नीचे से जितेश भी रुकने के मूड में नहीं था | उसकी भी कमर तेजी से हिल रही थी लेकिन उसके मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा ताकतवर और तेज थी | जितेश ने रीमा को कस कसकर खुद से चिपका लिया | जिस्म पर पड़ रही इस तरह की भीषण ठोकरों को और अपनी कोमल गांड का कचूमर बनते वो गर्दन घुमाकर देखने लगी | वह कराह रही थी चीख रही थी लेकिन अब ना तो उसकी चीख से किसी को कोई फर्क पड़ रहा था और ना ही उसके गांड और चूतड़ पर लगने वाले धक्को से |
दर्द के इन आखिरी पलो को उसे बर्दाश्त करना ही होगा | आखिरकार रीमा ने ही तो उन्हें अपना जिस्म सौंपा था अब खुद उन्हें कैसे मना कर सकती थी, वासना के इस चरम पर तो बिलकुल नहीं | अब तो जो करना चाहे वह कर सकते थे | रीमा के जिस्म की यह दुर्गति रीमा की ही खुद की गलती थी | रीमा को उसके जिस्म पर पड़ रही है हर ठोकर रीमा को अपनी गलती का एहसास तो करा रही थी लेकिन उसकी वासना भी अपने अहंकार में अपने जिस्म की दुर्गति को नकार रही थी | आखिरकार रीमा ने ही तो बुलाया था कहा था कि वह आकर उसकी गांड मारे और अब उसकी गांड मार रहा था , ऐसे मार रहा था ऐसे लंड पेल रहा था जैसे उसकी गांड में आज तक किसी ने नहीं पेला| जिस कसी गांड में एक उंगली तक नहीं जाती थी उसमें एक मोटा लंड दनादन किसी पिस्टन की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और उसके चूतड़ों पर बेतहाशा ठोकर मार रहा था और दूसरी तरफ से जितेश का लंड रीमा की चूत में धंसा हुआ था | रीमा जाये तो कहां जाए | दोनों के बीच में सैंडविच बन के रह गई | ऐसा लग रहा था जैसे दो पाटों के बीच में किसी ने मक्खन को रख करके और दोनों पाते चला दिए हो | इसी तरह वह दो मर्दों के जिस्मो की चुदाई में पिघल कर रह गयी | यही उसकी किस्मत थी उसकी मक्खन मलाई जैसे चूत और गांड को इसी तरह से पत्थर जैसे कठोर दोनो लंडो से कुचलना लिखा था | वह अपने चरम के उफान पर खड़े दनादन रीमा को चोद रहे थे और वो तन मन से पूरी तरह से चुद रही थी | आखिरी मानेगी तो ऐसी चुदाई ही तो मांगी थी रीमा ने | उसके तपते का हर हिस्सा अब दुखने लगा था | जितेश और गिरधारी की तेज ठोकरों के साथ में रीमा का अस्तित्व तिनके की तरह हवा में उड़ा जा रहा था | रीमा किस मुंह से उन्हें रोकेगी किस मुझसे कहेगी बस करो मेरे जिस्म का बलात्कार करना बंद करो | मेरे जिस्म को इस तरह से नोचना बंद करो | लूटना खसोटना बंद करो लेकिन इसी तरह से तो वो लूटना चाहती कि कोई उसे इसी तरह बेदर्दी से मसले कुचले चोदे और अब इसी तरह से उसे गिरधारी और जितेश मसल रहे थे |
गिरधारी की ठोकरों ने रीमा के न केवल जिस्म को बल्कि उसके अस्तित्व को हिलाकर रख दिया था | गिरधारी की ठोकरें ने रीमा की कमर में वह दर्द पैदा कर दिया जिसमे उसका पूरा जिस्म कहा गया था लेकिन अब इस वासना के चरम पर किस को किस की फिक्र थी | गिरधारी अपनी वासना के ऐसे चरम पर था जहां आदमी को औरत के छोड़ो खुद के जिस्म का ख्याल रहता है नहीं रहता | उसके खुद के लंड की खाल भी छिलने के कगार पर पहुंच गई थी और उसके सुपाडे का बुरा हाल था , वहां वह रीमा की गांड का क्या ख्याल रखता | वासना चीज ही ऐसी है जहां पर जिस्म बेमानी हो जाते हैं बस रह जाती है तो वासना वासना वासना और उसकी आग बुझाने की अंधी ललक | इधर जितेश भी रीमा की चूत की कुटाई लगातार जारी रखें |
कुछ ही देर में गिरधारी फड़फड़ाने लगा और उसकी कोकीन का नशा उतरते ही हुए वो अपने चरम की तरफ जाने लगा | उसकी गोलियां फटने लगी और उनकी गोलियों में भरा हुआ सफेद गाढ़ा गरम लावा उसके जिस्म की आग की तपिश को जलाता हुआ उसकी वासना की झील के बाँध को चीरता हुआ ऊपर की तरफ बह निकला और रीमा की गहरी गुलाबी जलती गांड में छूटने लगा |
इसी के साथ जैसे लग रहा था गिरधारी के भी प्राण छूट गए वह बस इसी लाश की तरह से अकड़ गया उसका लंड पूरी तरह से रीमा की गांड में धंसा हुआ था और उसके लंड से लगातार गर्म सफेद लावे की पिचकारियाँ रीमा की गांड की जलती दीवारों को ठंडा करने में लगी थी | गिरधारी की एक्सप्रेस ट्रेन पैसेंजेर हो गयी | वह बस हल्के हल्के से अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा की तो जैसे जान वापस आ गई हो उसे लग नहीं रहा था कि वह आज जिंदा बच पायेगी | जब तक लंड की ठोकरे लगती रही ऐसा लगा जैसे उसकी जान उसके हलक में अटकी रही | जैसी उसकी आज दोनों के लंडो से ठुकाई हुई थी उससे लग ही रहा था कि आज उसकी जान निकल जाएगी लेकिन पहली बार उसे एहसास हुआ कि वह अभी जिंदा है और अब मरेगी नहीं आखिर उसकी वासना उसे उस मोड़ पर ले आई थी जहां पर उसे मौत साफ-स साफ दिखाई देने लगी थी | रीमा मौत के मुंह से वापस लौट आई | गिरधारी हिलती कमर बता रही थी कि उसकी पिचकारिया दनादन रीमा की जलती हुई गांड में छूट रही है | ऐसा लगा जैसे किसी ने रीमा की गांड को जलते हुए कोयले की भट्टी के पास से निकालकर पानी के टैंक में डुबो दिया हो | उसकी जलती हुई गांड में गिरधारी के सफ़ेद सफेद लावे ने जैसे बाहर ला दी हो | रीमा उस ठंडक और तृप्ति के अहसास में डूबने लगी | इसी पल के लिए वह इतनी देर तक कराहती रही, बिलखती रही खुद को कुचलवाती मसलवाती रही चुदवाती खुद की कोरी करारी गांड मरवाती रही | गिरधारी के लंड से सफ़ेद लावा रीमा की गांड की कसी दीवारों को भरने के बाद बूंद बूंद कर बाहर रिसने लगा |
इधर गिरधारी को धीमा पड़ता देख जितेश ने भी अपनी ठोकरे बढ़ा दी है और दनादन सीमा की चूत में अपने लंड को पेलने लगा | जाहिर सी बात है उसका चरम भी करीब था | गिरधारी झड़ के बाद वैसे ही बीमा के बदन से चिपक गया और उसका लंड रीमा की गांड की गहराइयों में पूरी तरह से धंसा रहा | इधर जितेश रीमा के चूत पर दनादन ठोकरें मारने लगा | उधर गिरधारी का लंड रीमा की गांड में आराम फरमाने लगा | जितेश को भी ज्यादा देर नहीं लगी और वह भी अपनी जिस्म में इतनी देर से उबल रही वासना की गर्मी को चरम पर पहुंचा गया | बेतहाशा धक्वको की ठोकरों ने उसके लंड में तेज सनसनाहट पैदा कर दी | वह भी अब खुद को संभाल नहीं पाया और उसका लंड भी जवाब दे गया उसकी गोलियों से फिर से सफेद लावे की धार बह निकली और उसके लंड से निकलकर रीमा की चूत की गहराइयो में झरने लगी | रीमा की चूत जितेश के सफेद लावे से भरने लगी गिरधारी ने रीमा की गांड को पहले ही सफेद लावे से पूरी तरह से भर दिया था | जितेश की कमर कुछ देर तक हिलती रही और हिलती कमर के साथ जितेश का रस रीमा की चूत में निकलता रहा |
रीमा तो जैसे जन्नत में पहुंच गई हो उसकी जलती हुई दीवारों पर जितेश की फुहारे, उसकी गाड़ की बिलखती दीवारों पर गिरधारी की फुहारे , रीमा को जैसे नया जीवन मिल गया हो | जैसे मरते हुए को अमृत मिल गया हो रीमा की सुख की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | जो चूत घंटे भर से से ज्यादा मुसल लंड से रगड़ी गई हो उसकी दीवारों की हालत उसकी चूत की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है इतनी देर मसली जा रही चूत की दीवारों पर जब जितेश की गरम फुहारे पड़ी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी चूत को नया जीवन दे दिया होगा एक नया जीवनदान मिला हो उसकी चूत की दीवारों में एक नई जान सी आ गई उसकी चूत जो इतनी देर से जितेश के लैंड से रगड़ खाकर जल रही थी उसकी आग पूरी तरह से शांत हो गई | अब वह पूरी तरह से जितेश के उस गुनगुने लावे में गोते लगाने लगी | रीमा को तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं था | दो दो लंडो का सफ़ेद गाढ़ा रस उसकी गुलाबी सुरंगों में भरा हुआ था | इसकी अहसास की तृप्ति तो बस रीमा ही महसूस कर सकती थी | उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता | आखिर इतनी देर खुद को दो मर्दो के हवाले करके मुसल लंडो से कुचलवाने और चुदवाने के बाद उसके हाथ में सिर्फ वह गाढ़ा सफेद रस ही तो था जो सिर्फ उसका था | बाकी आदमी तो जितनी देर औरत के अंदर रहता है बस उतनी देर ही वो उसका होता है | रीमा को अच्छे से पता था जब तक मर्द औरत की चूत में रहता है तब तक ही मर्द पूरी तरह से उसका होता है इसीलिए उसे पता था खुद को इस तरह से चुदवाने के बाद उसे सिर्फ कुछ हासिल होगा तो वह है उसके मन के कोनों में दबि वासना की तृप्ति और यह मीठा सफेद रस | इसके अलावा तो उसके हाथ कुछ आना भी नहीं था |
यही तो रीमा को चाहिए था रीमा जानती थी उसने जो किया है वह उसे नहीं करना चाहिए था लेकिन आखिर कब तक हो अपने के अरमानों को कुचलती रहती उसके अंदर जो भी कुंठा होगी शायद चुदाई के बाद कम हो जाए वैसे भी अगर वह अपने मन के दबे अरमानों को पूरा नहीं करती तो अंदर ही अंदर खुद को कोसती रहती अब कम से कम अपने मन में दबी वासनाओं के कारण खुद को नहीं कोसेगी | सही गलत क्या है इसका फैसला करने का यह सही वक्त नहीं था अभी वक्त था बस इसे साथ में डूब जाने का दो दो और उनका सफेद गाढ़ा रस उसकी दोनों सुरंगों को पूरी तरह से लबालब भरे हुए था और उसमे उतराती इठलाती रीमा मन ही मन उस लम्बे दौर के दर्द को बर्दास्त करने के बाद गहरी शांति में थी |
हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी अंत हुआ इस भीषण चुदाई का रीमा के जीवन की अब तक की सबसे खतरनाक सबसे रोमांचक सबसे दुसह्सिक चुदाई ऐसी चुदाई जिसमें रीमा ने अपने मन के कोने में दबे हुए सारे अरमान खोल दिए अपने जिस्म के सारी सुरंगे खोल दी और उन सुरंगों के दरवाजों में मोटे मोटे मुसल लंडो को आने-जाने की बेरोकटोक इजाजत दे दी | ऐसी चुदाई जब उसके जिस्म में हाहाकारी लंड बेधड़क अंदर बाहर हुए और वह बिना किसी ना नुकुर के पूरी तरह से इन दोनों के लंडो से मिले दर्द को पूरी तरह उसने बर्दास्त किया | जी भर के जी दोनों लंडो के अहसास को दिलो दिमाग में उतारा | इसका अहसास उसके अन्तर्मन में सालों तक जिंदा रहेगा | इस एहसास को वह अपने अंदर सालों तक जिंदा रखेगी वह तकलीफ देह था, बर्दास्त न कर पाने वाले दर्द से गुजरने वाला था लेकिन एक ऐसा एहसास था तो शायद औरत को बिना तकलीफ के मिल भी नहीं सकता था इस तरह से दो दो लंड उसके जिस्म को चीर रहे थे यह कैसा एहसास था जो औरत के नसीब में तभी होगा जब वह अपने जिस्म में दो लंडो को घुसने देगी | उसने अपने जिस्म में दोनों लंडो को घुसने दिया, एक बेहद तकलीफ भरा लेकिन बहुत ही खास चुदाई का अनुभव जो वो कभी नहीं भूलेगी | उसने भी सपने में नहीं सोचा था ऐसे भी मर्द होते हैं, जो औरत की चोद चोद कर जान निकाल देते है | रीमा के परपराते दोनों गुलाबी छेद उसको उसकी चुदाई का मीठा दर्द भरा अहसास करा रहे थे |