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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा चुद रही थी और वह चोद रहे थे और वह भी बेतताशा चोद रहे थे कैसे चोद रहे थे  जैसे उन्होंने कभी किसी औरत को नहीं चोदा था |  रीमा भी ऐसे ही चुद रही  थी जैसे वो जिंदगी में कभी नहीं  चुदी थी | बिल्कुल बेतरबीब   फुल स्पीड में नॉन स्टॉप दनादन सटासट  अपना सब कुछ झोंक कर .......सब कुछ गवा कर ....सब कुछ न्योछावर कर के .... पूरी तरह से उन दो मर्दो की गुलाम बनकर अपना पूरा जिस्म उन्हें सौंप दे  रही थी ताकि अपने जिस्म की वासना मिटा सके | ये ऐसी चुदाई थी जो शायद रीमा को बरसों बरसों तक याद रहेगी क्योंकि इस तरह से दो मर्दो के हाथ की कठपुतली बनकर इतनी बेरहमी से ..इतनी बेदर्दी से ..इतनी वाहियात पाशविक तरीके... से शायद उसको भी अंदाजा नहीं था वैसे कुछ जानवरों की तरह चुद रही थी | 


इस तरह की पासविक वासना को लेकर वह भी हैरान थी लेकिन जो भी  हो रहा था और रीमा की मर्जी और मन के खिलाफ तो नहीं था | अपने मन की ही तो कर रही थी उसका जिस्म पूरी तरह से पस्त  हो गया था ...जिस्म पूरा थका हुआ था ..और पूरी तरह से जितेश और गिरधारी के हाथ में था | उसके हाथ पाँव जांघे कमर  पूरी तरह से पस्त थे |  उसके जिस्म की दो सुरंगे थी जो अभी  पूरी तरह से आग की भट्ठी बनी हुई थी और उनको आग की भठ्ठी बनाने में बड़ा हाथ था इतनी तेज धक्कों का, जो रीमा की चूत और गांड में लगी आग को बुझाने की बजाय और भड़का रहे थे | उसने सपने में भी नहीं सोचा था ये वासना की यह आग रीमा को पूरी तरह से जलाकर खाक कर देने वाली थी  ऐसी चुदाई होगी उसने भी नहीं सोचा था और ना ही उसको चोदने वालों ने सोचा था लेकिन वह सब हो रहा था जो उनमे से  किसी ने नहीं सोचा था | वह दोनों की रीमा को दनादन सो चोद रहे थे और रीमा उन दोनों के जिस्म के बीच में पिसती हुई पूरी तरह से खुद को उनके हवाले करके उनसे बेतहाशा चुद रही थी |


रीमा के जिस्म पर पड़ रही दनादन ठोकरें रीमा के लिए बर्दाश्त से बाहर थी लेकिन मजाल है जो रीमा के मुंह से उफफ्तफ्कफ्फ़ निकल जाए वह अपने जिस्म की सारी ताकत बटोर के बस उन दोनों के मुसल लंडो को अपने जिस्म गुलाबी सुरंगों की गहराइयों को चीरता हुआ महसूस कर रही थी

रीमा - आआह्ह आआह्ह आआह्ह आआह्ह हां हां हां हां हां हां बस अब चीर के रख दो रुकना नहीं बिल्कुल नहीं बस जान चाहे भले निकल जाए लेकिन ऐसे ही पेलते रहो, चोदते रहो यस यस यस बेबी ऐसे ही चोदते रहो, फाड़ दो मेरी चूत फाड़ दो मेरी गांड |
 आपकी गांड को चीर के रख देंगे मैडम - गिरधारी दनादन ठोकरे लगाता हुआ बोला |
 रीमा भी वासना के जोश में - तो चीर दो ना |
 गिरधारी - यह लो मैडम यह लो मैडम |
रीमा उसकी हर ठोकर पर - आआईइ ममाआआअ आईई आआईइ ममाआआअ आआईइ आआईइ आआईइ रेरेरेरेरेरेरेरेरे आआआआह्हा आअह्ह्हा आआह्हा आह्ह्ह |
[Image: download%2B%25288%2529.gif]

गिरधारी रीमा की गांड पर जोरदार ठोकर मार रहा था उसका पूरा लंड रीमा की गांड में लंडअंदर तक घुसा जा रहा था | इधर जितेश रीमा के चुताड़ो को कसकर थामे हुए था ताकि उसका लंड भी रीमा की चूत की गहराइयों में तेजी से जा सके जबकि गिरधारी उसको कंधे से पकड़े हुए उसके उसके जिस्म को  पीछे की तरफ ठेल रहा था  | दोनों केवल रीमा की चूत और गांड में अपने लंड को नहीं पेल रहे थे  बल्कि अपने लंड पर रीमा के जिस्म को भी ठेल रहे थे | जिससे  कि उनके लंड रीमा के जिस्म के अंदर दोगुनी स्पीड से अंदर जा रहे थे |
रीमा की चूत और गांड के मुहाने इन भीषण तेज ठोकरों से जल उठे |  उसकी चूत और गांड दोनों ही आग की भट्ठी  बन गई थी | इतनी तेज लंड उसे चोदेगे  उसने नहीं सोचा था इतनी कस कर इतनी बेदर्दी से उसे कुचलेगे | हालांकि उसके मन में हमेशा से इस तरह से लंड लेने का ख्याल आता था लेकिन यह इस स्तर तक पहुंच जाएगा यह उसने भी नहीं सोचा था | गिरधारी और जितेश के लंडो ने रीमा को पूरी तरह निचोड़ लिया था |  उसके जिस्म में जान नहीं बची थी लेकिन वह अपनी सारी ताकत कट्ठा करके उनके मोटे  मोटे लंडो को अपने जिस्म के अंदर पूरी तरह से उतारने में लगी हुई थी | इस चुदाई को पूरी तरह से अपने दिलो दिमाग में भी भर लेना चाहती थी | वह चाहती थी ये चुदाई उसके  दिलो-दिमाग में बैठ जाए | आज ना उसे कोई रोकने वाला था ना उसे कोई टोकने वाला था आज ना ही उसका कोमल मन उसे रोक रहा था और ना ही उसकी नैतिकता से रोक रही थी | भले ही उसने ऐसा कुछ न सोचा हो लेकिन  वह  जिस तरह से चुदना चाहती थी उसी तरह से चुद रही थी | उसके मन के कोने में दबे हुए हैं  वहशी अरमान आज पूरी तरह उसके  दिमाग पर हावी थे | उसके वहशी अरमानो का नतीजा  था कि खुद को फूलों की तरह से बचाकर रखने वाली रीमा आज दो दो लंडो से खुद को कुचलवा रही थी |

वो तो बस दो लंडो की लौड़ी बनकर रह गयी थी | न तो उसके हाथ में कुछ था न वो कुछ कर सकती थी |  वह तो बस अपने जिस्म की बची हुई ताकत बचाकर उन लोगों को अपनी गहराइयों में जब तक जितनी देर तक महसूस कर सकती थी कर रही थी | हर चीज का एक समय होता है और उसके बाद उसका अंत  होता है इस भीषण दोतरफा चुदाई का भी अंत होना था | आखिर इतनी देर से रीमा इसी में तो दिलो जान से लगी थी |
 जितेश ने रीमा के  चूतड़ थोड़ा ऊपर उठा दिए और बुलेट ट्रेन की स्पीड से चोदने लगा | उसकी चूत में जितेश का लंड अब दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन  जा रहा था अब तो किसी को  भी सांस लेने की भी फुर्सत  थी इतनी तेज चुदाई चल रही थी | उपर से गिरधारी भी पूरी ताकत  लगाकर रीमा की गांड को फाड़ने पर लगा हुआ था | रीमा के मोटे मोटे बड़े बड़े  मांसल चुताड़ो का तो जैसे कीमा बन गया हो | उसके चूतड़ों  पर पड़ती ठोकरों से उसके गुलाबी गोरे कपाट लाल हो गए थे |

[Image: 12178189.gif]

 इस बेतहाशा दर्द भरी जुदाई से रीमा बुरी तरह कराह रही रही थी लेकिन अपने जिस्म को दे रही तकलीफ में भी उसको अपने मन की वासना की आग बुझाने की किरण नजर आ रही थी | अपनी वासना की आग बुझाते बुझाते  रीमा उस मोड़ पर पहुंच गई थी जहां पर उसे अपने जिस्म को हो रही तकलीफ का अहसास तक नहीं था | अपने  गुलाबी नरम गुदाज मांसल गोरे बदन को लेकर रीमा इतनी क्रूर कैसे हो सकती है |  कैसे उसने दो जानवरों को अपने मोटे मुसल लंडो  से उसे कुचलने की इजाजत दे दी और अब वह  दोनों लंड  उसे उसी तरह से कुचल रहे थे | इधर दर्द से बिलखती बस खुद को किसी तरह से समेटे हुए उन दोनों को अपने अंतरों में आते जाते महसूस कर रही थी इस वक्त ना वो केवल पूरी ताकत कट्ठा करके खुद के जिस्म को समेटे हुए थी बल्कि अपने मन को भी समेटे हुए थी क्योंकि उन दोनों की ठोकरें इतनी तेज थी जो ना केवल रीमा के जिस्म को तितर-बितर कर सकती थी बल्कि उसके कोमल मन की भी धज्जियां  उड़ा सकती थी | गिरधारी और जितेश को तो बस इस समय रीमा की गहरी गुलाबी सुरंगों में अपने जिस्म में धधकती आग उतारने का अंधा जोश चढ़ा हुआ था | उन्हें इसके अलावा और कुछ नहीं सूझ नहीं रहा था |  वह बस रीमा की गुलाबी सूरंगों में दनादन खुद को उतारने में लगे हुए थे |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 25-12-2019, 12:13 PM



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