25-12-2019, 11:40 AM
गिरधारी की ठोकरे रीमा के मुहँ से कराह निकाले दे रही थी - आआआअह्ह्ह मेरी संकरी गुलाबी गांड को चीरता ये लंड मेरे जिस्म में कैसे दर्द भरी तरंगे भर रहा है | ये ऐसे ही गांड मारता रहा तो मुझे पागल कर देगा | ये अहसास अलग है रीमा, इसी दर्द के अन्दर उस अहसास को देखो, इस तुमारी चूत तुम्हे कभी नहीं दे पायेगी | उसकी दीवारों में उठने वाली तरंगे उमंगें अलग तरह की होती है लेकिन मेरी पिछवाड़े की गुलाबी दीवारे इस लंड से टकराकर कुछ अलग ही दर्द भरा मजा दे रही है | अपने इसी दर्द में, इसी कराह में डूब जावो रीमा, यही तुम्हे वासना के इस मकडजाल से बाहर निकलेगा | जमकर अपना हुस्न और जवानी लुटाओ | जितना लुटावोगी, उतना ही मजा मिलेगा | गिरधारी आराम से रीमा की गांड मार रहा था वो नहीं चाहता था पिछली बार की तरह इस बार मामला खराब हो जाये, पिछली बार रीमा की गांड में अपने पुरे लंड की भीषण ठोकरे से रीमा की पिंडलियों में दर्द होने लगा था |
तुमारे जिस्म में कुछ नहीं घटेगा, बल्कि तुम्हे चोदने वाले मर्द न केवल तुमारे बंद छेदों को खोलेगे बल्कि अपनी कीमती मलाई तुम्हे और देकर जायेगे | किस बात से डर रही हो रीमा | आज तक चुदाई से औरत का कभी कुछ घटा है | ये जिस्म ये जवानी लुटाने के लिए ही बनी है, जितना इसे लूटाओगी, उतना वासना की तृप्ति हासिल करोगी | रीमा को न जाने क्यों मुसल लंडो की लगती उन ठोकरे से उसके अन्दर एक नया विस्वास पैदा हुआ | उन दोनों की चुदाई से रीमा अपने अंतर्मन की उहापोह से बाहर आ गयी | आखिर जिस चुदाई का हौवा उसने अपने दिमाग में बना रखा था उसी ने उसके सारे डर को दूर किया |
जितेश अब और रुकने या थमने को तैयार नहीं था | उसे पता था जब तक रीमा उसके ऊपर पड़ी है और गिरधारी दनादन रीमा की गाड़ में लंड पेलता रहेगा उसे रीमा की चूत को गहराई से चोदने का मौका नहीं मिलेगा | आखिरकार रीमा की दो गुलाबी सुरंगे थी तो एक ही जिस्म का हिस्सा | जब चूत में मोटा लंड जाता है तो चूत चारो तरफ को फ़ैल जाती है | जब गांड के छल्ले को चीर कर गांड में मुसल लंड जाता है तो गांड की दीवारे भी अन्दर फ़ैल जाती है | लेकिन यहाँ तो दोनों तरफ से लंड घुसा पड़ा था | अब गाड़ की और चूत की दीवारे फैलकर कहाँ जाये | इसलिए दो लंड लेने में औरत का कलेजा मुहँ को आ जाता है | गिरधारी को पोजीशन रीमा की गांड को बेतहाशा पेलने के लिए सही थी | वो ज्यादा ताकत लगाकर झटके मार सकता था और मार रहा था | ये एडवांटेज जितेश के पास नहीं था | एक तो उसे रीमा के जिस्म को भी संभालना था और नीचे से कमर हिलाने की एक सीमा थी | ऊपर से उसके लंड पेलने मे सबसे बड़ी ठोकर तो गिरधारी का रीमा की गांड में धंसा हुआ लंड था | दोनों रीमा के जिस्म के अन्दर आप में बेतहाशा रगड़ रहे थे | ऐसा लग रहा था जैसे बाहर जितेश और गिरधारी की मर्दानगी की कुश्ती चल रही हो और रीमा के जिस्म के अन्दर उनके लंड आपस में लड़ रहे हो | इस दोनों की नूरा कुश्ती में पिस तो रीमा ही रही थी | आखिर कार जितेश रीमा को हटाकर उसके ऊपर आ गया | गिरधारी रीमा के नीचे जाकर लेट गया | रीमा को गिरधारी की शक्ल ही नहीं पसंद थी भले ही वो उसकी गांड मार रही हो | उसे पता था ये कितना लीचड़ इंसान है पक्का उसे चूमने चटाने की कोशिश करेगा और रीमा को उससे घिन आएगी | इसीलिए रीमा भी जितेश की तरफ मुहँ करके अपने चूतड़ गिरधारी के पेट पर सटा दिए | पलक झपकते ही दोनों के लंड रीमा के जिस्म में गायब हो गए |
जितेश रीमा को चोदने लगा | गिरधारी भी अपनी कमर हिलाने लगा | अब बस चुदाई ही चुदाई हो रही थी | चुदाई के दौर पर दौर बीतते जा रहे थे लेकिन मजाल है जो किसी के लंड से पिचकारी छूटना शुरू हुई हो | रीमा को अब तक तो दर्द के मारे ही होश नहीं था | अब तक वो इतनी लम्बी दोतरफा चुदाई से बुरी तरह थककर पस्त हो चुकी थी | अब उसके हाथ और पैरो में जान नहीं बची थी | वो बस चुदे जा रही थी चुदे जा रही थी | दोनों उसके जिस्म में अपना लंड पेले जा रहे थे पेले जा रहे थे | गिरधारी ने अपना लंड बाहर खीचा था, उसी वक्त रीमा की उंगलियाँ जितेश की गोलियों को सहला रही थी | उसकी उंगलियाँ अपनी खुली गांड की सुरंग को टटोलने लगी | इससे पहले वो मुयाना कर पाती गिरधारी ने फिर से लंड पेल दिया |
तभी रीमा को ख्याल आया आखिर ये लोग इतनी देर से उसे चोद रहे है फिर झड़ क्यों नहीं रहे है | इतनी मर्दाना ताकत वाले लंड तो उसने पहली बार अपनी जिंदगी में देखे थे | उसका चुदवा चुदवा के बुरा हाल हो गया था | उसकी गांड बुरी तरह दुःख रही थी लेकिन गिरधारी का लंड पेलना ख़तम ही नहीं हो रहा था | गिरधारी के लंड ने उसकी गांड की चीथड़े कर दिए थे | उसकी गांड का छेद पूरी तरह चिर कर फ़ैल गया था | जितना मोटा गिरधारी का लंड था इतनी चौड़ी उसकी गांड की सुरंग हो गयी थी | मन ही मन बडबडा रही थी कितनी कसी हुई गांड थी मेरी, इसने चोद चोद कर कैसी सुरंग बना दी है | इतनी कसी गांड को इतनी देर तक बिना थके ये लंड कैसे पेल रहा है | अब तो सटासट इसका लंड जा रहा है, धीरे धीरे मार मेरी गांड मादरजात | अब खुल गयी है तो पूरा एक्सप्रेस ट्रेन बनकर दौड़ रहा है | हाय धीर धीरे ठोकर मार हरामी के लंड मेरी गांड को और कितना दुखायेगा | हरामजादे दर्द हो रहा है | जब तेरी गांड मरूंगी तब पता चलेगा |
अभी जितेश भी तो नहीं थक रहा है | कब से मुझे चोदना शुरू किया था, उसके लंड ने भी मेरी चूत का कूट कूट के बुरा हाल कर दिया था | अब तो चूत की दीवारे भी पस्त हो गयी, उन्होंने भी जितेश के लंड से चिपकना छोड़ दिया है और एक चौड़ी सी सुरंग बना दी है |
चूत के ओंठ ठोकर खा खा कर लाल हो गए है |फिर भी न तो इसका लंड मुरझा रहा है न इसमें से पिचकारी छुट रही है न ये थकावट महसूस कर रहा है | आखिर हो क्या रहा है | जितेश बहुत जोर से रीमा की चूत की कुटाई कर रहा था | उसकी कमर पुरजोर लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल रही थी | उसके करारे जोरदार गहरे झटको की पीड़ा रीमा के चेहरे पर साफ़ देखि जा सकती थी |
हाय मेरी कमर दुखाने लगी है तेरे झटके झेल झेल कर आखिर कब तक झेलू इस मर्द के करारे झटके, ऐसा क्या हो गया है, रात में तो सही टाइम पर पिचकारी फुट पड़ी थी अब क्या हो गया है | रीमा के लिए दोनों का इस तरह बिना रुके बिना थके चोदना किसी पहेली से कम नहीं था | उसने पहले भी चुदाई की थी उसे पता था ताकतवर से ताकतवर मर्द भी इतनी देर में निपट जाता है |
इतनी लम्बी चुदाई के बाद अब तो रीमा की चूत की दीवारे भी सुख गयी थी | इसीलिए रीमा की चूत में लंड पेलने को जितेश को ताकतवर झटके मारने पड़ रहे थे | नीचे से गिरधारी ऊपर से जितेश, आखिर और कितना चुदेगी रीमा | कब ये दोनों झडेगें | कब इस दर्द और तकलीफ से छुटकारा मिलेगा | कोई नहीं रीमा जब तक चुद रही हो जवानी के मजे लूटती रहो | अभी तो तुमारे बदन में बहुत जान है | अभी तो घन्टे दो घन्टे लगातार ठोकरे बर्दास्त कर सकती हो | रीमा की कराहे जितेश का जोश और बढ़ा रही थी | जितेश तो रीमा को चोद रहा था लेकिन गिरधारी अपना लंड गांड में थामे बस कमर ही हिला पा रहा था | रीमा को लगा अगर ऐसे ही चलता रहा तो सुबह की शाम हो जाएगी, दोनों में से जब एक मुझे चोदेगा तो दूसरा थमा रहेगा | जब दूसरा चोदेगा तो पहला थमा रहेगा | आखिर ये कब तक चलेगा | ऐसे तो दोनों में से कोई झाड़ेगा ही नहीं | दोनों मिलकर मेरा कचूमर निकालते रहेंगे | लंड तो मेरी चूत और गाड़ में जा रहे है, इन्हें तो बस पेलने से मतलब है, हर करारी ठोकर पर दीवारे तो मेरी मखमली गुलाबी चूत और कसी गांड की छिल रही है | इन्हें क्या है दे ठोकर पर ठोकर लंड पेले जा रहे है | ठोकर तो मेरी पिंडली पर लग रही है | कमर तो दर्द से मेरी सीधे नहीं होगी | गाड़ की दीवारों की जलन अभी कम नहीं हुई है इन्होने चूत को भी चोद चोद कर सुखा डाला है | अब ऐसे सुखी सुरंगों में लगातार धक्के मारते रहेंगे तो मेरी चूत और गांड तो आज ही शहीद हो जाएगी | यही सोचकर रीमा बिना कुछ कहे एक करवट झुकने लगी | उसे घूमता देख जितेश भी उससे आकर चिपक गया | रीमा को अपने चूत में भी जलन महसूस होने लगी थी | उसने ढेर सारी लार निकल कर जितेश के लंड पर मल दी | इधर गिरधारी ने ये देख अपनी ही लार रीमा की गांड के खुले छेद में भर दी | फिर से रीमा की पेलाई का सिलसिला शुरू हो गया | दोनों के चेहरो के हाव भाव बता रह इथे अब उनकी मजिल दूर नहीं है बशर्ते कोई व्यवधान न आये |
रीमा - मुझे अब एक साथ चोदो लगातार, रुकना नहीं | मै इस थोडा आगे थोड़ा पीछे पेलाई चुदाई के खेल से थक गयी हूँ | मुझे आगे पीछे दोनों जगह एक साथ लंड चाहिए | तेज तेज चोदो, जमकर चोदो | जो कुछ होगा देखा जायेगा | अब किसी भी कीमत पर रुकना नहीं | मै नहीं पूरा दिन इस दर्द से गुजर कर नहीं चुदती रहना नहीं चाहती हूँ |
जितेश - ठीक है मैडम जैसा आपका आदेश | ये लो घोटो मुसल लंडो को | इतना कहकर उसने जबरदस्त ठोकर लगायी | उसका लंड रीमा की चूत में पैबस्त हो गया |
रीमा - आआआआआआआआआआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्ह |
गिरधारी - ये लो मैडम | इतना कहकर उसने भी अपना लंड घुसेड दिया |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मममममममाआआआआआआआ |
दोनों के लंड रीमा के जिस्म की गहराइयो में फिसलने लगे | ठोकरे जबरदस्त थी दर्द को बर्दास्त करने को रीमा ने मुट्ठियाँ भीच ली | उसकी गांड का दर्द और जलन तो अब जैसे उसके जिस्म का हिस्सा बन गए थे | उसकी जलती गांड की गुलाबी सुरंग पर पड़ती हर ठोकर रीमा को दर्द से कराहने पर मजबूर कर देती | आखिर क्या करे गांड मरवाने पर दर्द तो बोनस के रूप में मिलता ही है | आखिर इतना ही आसान होता तो हर औरत ख़ुशी ख़ुशी अपनी गांड न मरवा लेती | लेकिन उसके साथ तो नियति कुछ ज्यादा ही निष्ठुर हो गयी थी | एक तो उसे मुसल लंड मिला उपर से झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा | उसके गाड़ के दर्द और जलन के जाने का इन्तजार अंतहीन हो गया | आखिर कब तक मुसल लंड उसकी गांड को कूटते रहेंगे | उसकी गांड को कब सुकून मिलेगा लेकिन जीतनी देर तक उसकी गाड़ की कुटाई होगी उतना ही दर्द से भरा मजा भी तो वो लुट रही है, वो गांड की दीवारों से रगड़ खाता उसका मोटा लंड और उसकी सनसनाहट | जितेश भी तो मेरी चूत की दीवारों का कचूमर बनाये दे रहा है | मेरी चूत इतनी देर तक कभी नहीं चुदी | अब शायद महीने 6 महीने चुदाई नहीं मांगेगी | ये दर्द भरी कराहटे ही तो उसके आनंद की निशानी है |
तुमारे जिस्म में कुछ नहीं घटेगा, बल्कि तुम्हे चोदने वाले मर्द न केवल तुमारे बंद छेदों को खोलेगे बल्कि अपनी कीमती मलाई तुम्हे और देकर जायेगे | किस बात से डर रही हो रीमा | आज तक चुदाई से औरत का कभी कुछ घटा है | ये जिस्म ये जवानी लुटाने के लिए ही बनी है, जितना इसे लूटाओगी, उतना वासना की तृप्ति हासिल करोगी | रीमा को न जाने क्यों मुसल लंडो की लगती उन ठोकरे से उसके अन्दर एक नया विस्वास पैदा हुआ | उन दोनों की चुदाई से रीमा अपने अंतर्मन की उहापोह से बाहर आ गयी | आखिर जिस चुदाई का हौवा उसने अपने दिमाग में बना रखा था उसी ने उसके सारे डर को दूर किया |
जितेश अब और रुकने या थमने को तैयार नहीं था | उसे पता था जब तक रीमा उसके ऊपर पड़ी है और गिरधारी दनादन रीमा की गाड़ में लंड पेलता रहेगा उसे रीमा की चूत को गहराई से चोदने का मौका नहीं मिलेगा | आखिरकार रीमा की दो गुलाबी सुरंगे थी तो एक ही जिस्म का हिस्सा | जब चूत में मोटा लंड जाता है तो चूत चारो तरफ को फ़ैल जाती है | जब गांड के छल्ले को चीर कर गांड में मुसल लंड जाता है तो गांड की दीवारे भी अन्दर फ़ैल जाती है | लेकिन यहाँ तो दोनों तरफ से लंड घुसा पड़ा था | अब गाड़ की और चूत की दीवारे फैलकर कहाँ जाये | इसलिए दो लंड लेने में औरत का कलेजा मुहँ को आ जाता है | गिरधारी को पोजीशन रीमा की गांड को बेतहाशा पेलने के लिए सही थी | वो ज्यादा ताकत लगाकर झटके मार सकता था और मार रहा था | ये एडवांटेज जितेश के पास नहीं था | एक तो उसे रीमा के जिस्म को भी संभालना था और नीचे से कमर हिलाने की एक सीमा थी | ऊपर से उसके लंड पेलने मे सबसे बड़ी ठोकर तो गिरधारी का रीमा की गांड में धंसा हुआ लंड था | दोनों रीमा के जिस्म के अन्दर आप में बेतहाशा रगड़ रहे थे | ऐसा लग रहा था जैसे बाहर जितेश और गिरधारी की मर्दानगी की कुश्ती चल रही हो और रीमा के जिस्म के अन्दर उनके लंड आपस में लड़ रहे हो | इस दोनों की नूरा कुश्ती में पिस तो रीमा ही रही थी | आखिर कार जितेश रीमा को हटाकर उसके ऊपर आ गया | गिरधारी रीमा के नीचे जाकर लेट गया | रीमा को गिरधारी की शक्ल ही नहीं पसंद थी भले ही वो उसकी गांड मार रही हो | उसे पता था ये कितना लीचड़ इंसान है पक्का उसे चूमने चटाने की कोशिश करेगा और रीमा को उससे घिन आएगी | इसीलिए रीमा भी जितेश की तरफ मुहँ करके अपने चूतड़ गिरधारी के पेट पर सटा दिए | पलक झपकते ही दोनों के लंड रीमा के जिस्म में गायब हो गए |
जितेश रीमा को चोदने लगा | गिरधारी भी अपनी कमर हिलाने लगा | अब बस चुदाई ही चुदाई हो रही थी | चुदाई के दौर पर दौर बीतते जा रहे थे लेकिन मजाल है जो किसी के लंड से पिचकारी छूटना शुरू हुई हो | रीमा को अब तक तो दर्द के मारे ही होश नहीं था | अब तक वो इतनी लम्बी दोतरफा चुदाई से बुरी तरह थककर पस्त हो चुकी थी | अब उसके हाथ और पैरो में जान नहीं बची थी | वो बस चुदे जा रही थी चुदे जा रही थी | दोनों उसके जिस्म में अपना लंड पेले जा रहे थे पेले जा रहे थे | गिरधारी ने अपना लंड बाहर खीचा था, उसी वक्त रीमा की उंगलियाँ जितेश की गोलियों को सहला रही थी | उसकी उंगलियाँ अपनी खुली गांड की सुरंग को टटोलने लगी | इससे पहले वो मुयाना कर पाती गिरधारी ने फिर से लंड पेल दिया |
तभी रीमा को ख्याल आया आखिर ये लोग इतनी देर से उसे चोद रहे है फिर झड़ क्यों नहीं रहे है | इतनी मर्दाना ताकत वाले लंड तो उसने पहली बार अपनी जिंदगी में देखे थे | उसका चुदवा चुदवा के बुरा हाल हो गया था | उसकी गांड बुरी तरह दुःख रही थी लेकिन गिरधारी का लंड पेलना ख़तम ही नहीं हो रहा था | गिरधारी के लंड ने उसकी गांड की चीथड़े कर दिए थे | उसकी गांड का छेद पूरी तरह चिर कर फ़ैल गया था | जितना मोटा गिरधारी का लंड था इतनी चौड़ी उसकी गांड की सुरंग हो गयी थी | मन ही मन बडबडा रही थी कितनी कसी हुई गांड थी मेरी, इसने चोद चोद कर कैसी सुरंग बना दी है | इतनी कसी गांड को इतनी देर तक बिना थके ये लंड कैसे पेल रहा है | अब तो सटासट इसका लंड जा रहा है, धीरे धीरे मार मेरी गांड मादरजात | अब खुल गयी है तो पूरा एक्सप्रेस ट्रेन बनकर दौड़ रहा है | हाय धीर धीरे ठोकर मार हरामी के लंड मेरी गांड को और कितना दुखायेगा | हरामजादे दर्द हो रहा है | जब तेरी गांड मरूंगी तब पता चलेगा |
अभी जितेश भी तो नहीं थक रहा है | कब से मुझे चोदना शुरू किया था, उसके लंड ने भी मेरी चूत का कूट कूट के बुरा हाल कर दिया था | अब तो चूत की दीवारे भी पस्त हो गयी, उन्होंने भी जितेश के लंड से चिपकना छोड़ दिया है और एक चौड़ी सी सुरंग बना दी है |
चूत के ओंठ ठोकर खा खा कर लाल हो गए है |फिर भी न तो इसका लंड मुरझा रहा है न इसमें से पिचकारी छुट रही है न ये थकावट महसूस कर रहा है | आखिर हो क्या रहा है | जितेश बहुत जोर से रीमा की चूत की कुटाई कर रहा था | उसकी कमर पुरजोर लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल रही थी | उसके करारे जोरदार गहरे झटको की पीड़ा रीमा के चेहरे पर साफ़ देखि जा सकती थी |
हाय मेरी कमर दुखाने लगी है तेरे झटके झेल झेल कर आखिर कब तक झेलू इस मर्द के करारे झटके, ऐसा क्या हो गया है, रात में तो सही टाइम पर पिचकारी फुट पड़ी थी अब क्या हो गया है | रीमा के लिए दोनों का इस तरह बिना रुके बिना थके चोदना किसी पहेली से कम नहीं था | उसने पहले भी चुदाई की थी उसे पता था ताकतवर से ताकतवर मर्द भी इतनी देर में निपट जाता है |
इतनी लम्बी चुदाई के बाद अब तो रीमा की चूत की दीवारे भी सुख गयी थी | इसीलिए रीमा की चूत में लंड पेलने को जितेश को ताकतवर झटके मारने पड़ रहे थे | नीचे से गिरधारी ऊपर से जितेश, आखिर और कितना चुदेगी रीमा | कब ये दोनों झडेगें | कब इस दर्द और तकलीफ से छुटकारा मिलेगा | कोई नहीं रीमा जब तक चुद रही हो जवानी के मजे लूटती रहो | अभी तो तुमारे बदन में बहुत जान है | अभी तो घन्टे दो घन्टे लगातार ठोकरे बर्दास्त कर सकती हो | रीमा की कराहे जितेश का जोश और बढ़ा रही थी | जितेश तो रीमा को चोद रहा था लेकिन गिरधारी अपना लंड गांड में थामे बस कमर ही हिला पा रहा था | रीमा को लगा अगर ऐसे ही चलता रहा तो सुबह की शाम हो जाएगी, दोनों में से जब एक मुझे चोदेगा तो दूसरा थमा रहेगा | जब दूसरा चोदेगा तो पहला थमा रहेगा | आखिर ये कब तक चलेगा | ऐसे तो दोनों में से कोई झाड़ेगा ही नहीं | दोनों मिलकर मेरा कचूमर निकालते रहेंगे | लंड तो मेरी चूत और गाड़ में जा रहे है, इन्हें तो बस पेलने से मतलब है, हर करारी ठोकर पर दीवारे तो मेरी मखमली गुलाबी चूत और कसी गांड की छिल रही है | इन्हें क्या है दे ठोकर पर ठोकर लंड पेले जा रहे है | ठोकर तो मेरी पिंडली पर लग रही है | कमर तो दर्द से मेरी सीधे नहीं होगी | गाड़ की दीवारों की जलन अभी कम नहीं हुई है इन्होने चूत को भी चोद चोद कर सुखा डाला है | अब ऐसे सुखी सुरंगों में लगातार धक्के मारते रहेंगे तो मेरी चूत और गांड तो आज ही शहीद हो जाएगी | यही सोचकर रीमा बिना कुछ कहे एक करवट झुकने लगी | उसे घूमता देख जितेश भी उससे आकर चिपक गया | रीमा को अपने चूत में भी जलन महसूस होने लगी थी | उसने ढेर सारी लार निकल कर जितेश के लंड पर मल दी | इधर गिरधारी ने ये देख अपनी ही लार रीमा की गांड के खुले छेद में भर दी | फिर से रीमा की पेलाई का सिलसिला शुरू हो गया | दोनों के चेहरो के हाव भाव बता रह इथे अब उनकी मजिल दूर नहीं है बशर्ते कोई व्यवधान न आये |
रीमा - मुझे अब एक साथ चोदो लगातार, रुकना नहीं | मै इस थोडा आगे थोड़ा पीछे पेलाई चुदाई के खेल से थक गयी हूँ | मुझे आगे पीछे दोनों जगह एक साथ लंड चाहिए | तेज तेज चोदो, जमकर चोदो | जो कुछ होगा देखा जायेगा | अब किसी भी कीमत पर रुकना नहीं | मै नहीं पूरा दिन इस दर्द से गुजर कर नहीं चुदती रहना नहीं चाहती हूँ |
जितेश - ठीक है मैडम जैसा आपका आदेश | ये लो घोटो मुसल लंडो को | इतना कहकर उसने जबरदस्त ठोकर लगायी | उसका लंड रीमा की चूत में पैबस्त हो गया |
रीमा - आआआआआआआआआआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्ह |
गिरधारी - ये लो मैडम | इतना कहकर उसने भी अपना लंड घुसेड दिया |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मममममममाआआआआआआआ |
दोनों के लंड रीमा के जिस्म की गहराइयो में फिसलने लगे | ठोकरे जबरदस्त थी दर्द को बर्दास्त करने को रीमा ने मुट्ठियाँ भीच ली | उसकी गांड का दर्द और जलन तो अब जैसे उसके जिस्म का हिस्सा बन गए थे | उसकी जलती गांड की गुलाबी सुरंग पर पड़ती हर ठोकर रीमा को दर्द से कराहने पर मजबूर कर देती | आखिर क्या करे गांड मरवाने पर दर्द तो बोनस के रूप में मिलता ही है | आखिर इतना ही आसान होता तो हर औरत ख़ुशी ख़ुशी अपनी गांड न मरवा लेती | लेकिन उसके साथ तो नियति कुछ ज्यादा ही निष्ठुर हो गयी थी | एक तो उसे मुसल लंड मिला उपर से झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा | उसके गाड़ के दर्द और जलन के जाने का इन्तजार अंतहीन हो गया | आखिर कब तक मुसल लंड उसकी गांड को कूटते रहेंगे | उसकी गांड को कब सुकून मिलेगा लेकिन जीतनी देर तक उसकी गाड़ की कुटाई होगी उतना ही दर्द से भरा मजा भी तो वो लुट रही है, वो गांड की दीवारों से रगड़ खाता उसका मोटा लंड और उसकी सनसनाहट | जितेश भी तो मेरी चूत की दीवारों का कचूमर बनाये दे रहा है | मेरी चूत इतनी देर तक कभी नहीं चुदी | अब शायद महीने 6 महीने चुदाई नहीं मांगेगी | ये दर्द भरी कराहटे ही तो उसके आनंद की निशानी है |