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Adultery रीमा की दबी वासना
गिरधारी अपना सारा दमखम झोक कर दनादन रीमा की कसी  गांड  के चीथड़े उड़ाने लगा | जितेश के मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा जोरदार थी | वह रीमा की गांड को बड़ी निष्ठुरता से ठोंक रहा था |  गिरधारी की बर्बरता भरी गांड कुटाई कुछ देर तक रीमा  बर्दास्त करती रही , लेकिन उसकी कठोर तेज ठोकरे दनादन लगातार  उसके चुताड़ो और गांड पर पड़ रही थी इससे  उसकी पिंडलियों में दर्द होने लगा | आखिरकार रीमा चीखते हुए उस न बर्दास्त कर पाने वाले दर्द के साथ जितेश के ऊपर ही लुढ़क गयी | 



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 जितेश अपनी पूरी रौ में रीमा को चोद रहा था इसलिए उसे कुछ समय लगा समझने में  की आखिर क्या हुआ | उसने रीमा का चेहरा उठकर देखा | बंद आँखों के साथ उसके चेहरे पर असीमित दर्द झलक रहा  था |  रीमा को अपने ऊपर इस तरह से दर्द से  बेसुध देख जितेश को थमना पड़ गया | गिरधारी की हालत जितेश से कुछ अलग नहीं थी वो रीमा की गांड में बेतहाशा धक्के लगाता रहा | आखिरकार जितेश को उसे रोकना पड़ा , तब जाकर वो थमा | फिर भी उसने लंड बाहर नहीं निकाला | जितेश का लंड भी रीमा की चूत में धंसा रहा |  दोनों अपनी अपनी सांसो को काबू करने लगे | 
जितेश रीमा का चेहरा थाम - रीमा मैडम रीमा मैडम आप ठीक तो हो | 
रीमा दर्द बर्दास्त करती आंखे बंद किये हुए - हूँ |
जितेश - रीमा मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस थोड़ा सा थम जाओ, साँस ले लेने दो | मुझे नहीं पता था तुम लोग इस हद तक जाकर मेरी चूत गांड के चीथड़े उड़ाओगे | बस थोड़ा सा थम जावो |
जितेश - दर्द हो रहा है रीमा बेबी | गिरधारी भोसड़ी के  रबर की पाइप में लंड नहीं पेल रहा है आराम से चोद मैडम को | 
गिरधारी - बॉस अब क्या दर्द, क्या तकलीफ मैडम की गांड  इतना मोटा लंड घोंट गयी, अब क्या अब तो सटासट लंड जा रह है गांड में |
जितेश - भोसड़ी के तो क्या गांड फाड़कर रख देगा मराद्चोद | 
गिरधारी - अभी तो मै मैडम चोद हूँ क्यों सही कहा न मैडम | मैडम आज आपकी गांड की खुजली मिटा कर ही रहूँगा भले ही सारा दम निकल जाये | ऐसी गोरी चिकनी गुलाबी कसी हुई मख्खन मलाई जैसी गांड रोज रोज मारने को कहाँ मिलती है | 
जितेश - मैडम चोद तुझे समझ नहीं आ रहा है मै क्या बोल रहा हूँ |
गिरधारी - बॉस मै तो बस मैडम की गांड की खुजली मिटा रहा था |
जितेश - भोसड़ी के मै भी तेरी गांड की ऐसे ही खुजली मिटाऊ तब समझ में आएगा | बहुत हो गया तेरा अब तू हाथ हिलाकर अपनी पिचकारी निकाल | बहुत देर तूने रीमा की मक्खन मलाई जैसी  गांड का सुख लूट लिया | 
बॉस - ये तो सरासर ज्यायती है | 
जितेश - तू साला नीच आदमी तुझे किसी चीज की क़द्र करनी आती है | साले मैडम ने अपनी गांड मारने को दी है, पता है गांड मरवाने में कितनी तकलीफ होती है | साले पिस्टन की तरह लंड पेले जा रहा है | 
रीमा जितेश को रोकती हुई  - उसे मना मत करो प्लीज बस थोड़ा सा थम लो | मैं इस हालात में तुम दोनों को नहीं रोकना चाहती थी लेकिन क्या करू बर्दास्त से बाहर हो गया | मुझे पता है तुम लोग अपनी पूरी रौ में हो |
जितेश - कोई बात नहीं मैडम, आपको तकलीफ और दर्द देकर थोड़े मजे लुटेगें | 

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दोनों अपना अपना लंड रीमा के जिस्म की गुलाबी कसी सुरंगों में घुसेड़े पड़े रहे | रीमा अपनी बेलगाम सांसो और धडकनों दोनों को काबू करने की असफल कोशिश करते हुए अपनी पिंडलियों का दर्द सँभालने लगी | आखिर कार रीमा उन दोनों हाहाकारी लंडो के आगे पस्त ही हो गयी | उन लंडो ने उसके जिस्म को हरा दिया | उन लंडो ने उसको इस कदर चोदा की उसकी पिंडलियाँ जवाब दे गयी | रीमा जितेश और गिरधारी के पसीने से लथपथ जिस्मो के बीच में सैंडविच बनी हुई थी | अपने हालातों पर उसे रोना आ रहा था | अपने जिस्म की दुर्दशा देखकर मन कर रहा था जोर जोर से दहाड़ मार कर रोये | उसकी वासना ने उसे किस गर्त में धकेल दिया था | आज यहाँ एक अनजान सी गुमनाम अँधेरी बस्ती के एक छोटे से कमरे में वो अपना सब कुछ लुटाये दे रही है | नहीं जानती अपने जिस्म और जवानी को न्योछावर करने के बाद भी उसे कुछ हासिल होगा की नहीं | आखिर वो कर क्या रही है | जिस गोरे कमसिन जिस्म की रंगत तक नहीं उतरने देती थी वो जिस्म दो मर्द भूखे भेडियों की तरह नोच रहे है | जिस चूत को इतना नजाकत से चिकना बनाकर, सबसे बचाकर  रखती थी | आज उसे चूत को इस तरह लुटते पिटते कुचलते देख उसे रोना क्यों नहीं आ रहा | आखिर क्यों एक अनजान मर्द को अपनी सबसे कीमती चीज सौंप दी क्या लगता है वो तेरा | गिरधारी को तो तू जानती तक नहीं, वो तेरे जिस्म के उस हिस्से को चीर रहा है जहाँ तू अपनई उंगली घुसेड़ने से भी डरती है | ये सब क्या है रीमा,  तू वासना में इतनी अन्धी हो गयी है की अपने जिस्म की दुर्दशा करवाने पर तुली हुई है | ये चुदाई नहीं है, ये तेरे जिस्म को चोद नहीं रहे है | ये गिद्ध बनकर तेरे जिस्म को नोच रहे है | बोटी बोटी नोच रहे है | गलती उनकी नहीं है | उनकी तो फितरत ही यही है, जहाँ चूत देखेगे वहां टूट पड़ेगे |  इस तरह से अपने जिस्म को इन भूखे भेडियों से नुचवाने के लिए तूने खुद को इनके सामने परोस दिया है | अपनी इस हालत के लिए तू ही जिम्मेदार है | उसका बहुत तेज रोने का मन कर रहा था | तभी उसके चुताड़ो पर फिर से ठोकरे लगनी शुरू हो गयी | दनादन सटासट तेज ठोकरे |
गिरधारी - मैडम अब ज्यादा रुका नहीं जा रहा, थोड़ा बर्दाश्त कर  लो, अब तो आराम से आपकी गांड में लंड जा रहा है | आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह मैडम मै सारी दुनिया की बद्शाहत छोड़ दो ऐसी गांड के लिए | क्या गद्देदार नरम नरम चूतड़ है आपके | 
रीमा - तो आराम से करो, मैंने कब रोका है, जब बेतहाशा ठोकरे मारोगे तो मेरा जिस्म भी जवाब दे जाता है | 
गिरधारी - अब आराम आराम से चोदुंगा आपको | आपको तकलीफ थोड़े पहूँचानी है, बल्कि मै तो आपको गांड मरवाने का वो सुख देना चाहता हूँ जो आप जिंदगी भर न भूले | मै सच में स्वर्ग की सैर कर रहा हूँ आपके के आगे तो वहां की अप्सरा भी फ़ैल है | मैडम मै बस जिंदगी भर आपकी गांड ही मारता रहना चाहता हूँ | कितनी कोमल गुलाबी कसी गरम गांड है आपकी |
रीमा समझ गयी इसके दिमाग में वासना बुरी तरह चढ़ गयी है अब इसका अंत निकट है |

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 ये गिरधारी था | उससे अब और रुका नहीं जा रहा था | रीमा गर्दन घुमाकर देखने लगती है | आखिर वो रीमा की गांड जोर जोर से मारने लगा | रीमा फिर कराह उठी | जितेश भी कमर हिलाने लगा | रीमा के जिस्म में घुसते उसके जिस्म को चीरते दो लंड | रीमा के दिमाग में बस एक शब्द गूंजा - दो लंड | कितनी औरते दो लंड लेने की हिम्मत एक साथ जुटा पाती है | रीमा ने दो लंड एक साथ लिए थे | बस अपने अंतर्मन की एक आवाज पर | आखिर वो अफ़सोस क्यों करे | उसका जिस्म है, उसके जिस्म को चीरते लंड, भले ही उसकी आज दर्द से चीर कर रख दिया हो लेकिन जिस्म की में भरी हवस को भी तो बुझा डालेगे | कुछ दिन तक ये जिस्म हवस की आग में जलकर उसकी रातो की नीद नहीं ख़राब करेगा | मै क्यों शर्म करू, क्यों फालतू का सोचु | मेरे जिस्म की मखमली सुरंगों को इसलिए चीरा है इसलिए मुझे चोदा है  क्योकि मै चाहती थी |
तकलीफ तो होगी ही, थोड़ा जोश में आकर कुछ ज्यादा तेज ठोकरे लगा दी लेकिन औरत का जिस्म बना ही ठोकरे खाने के लिए | क्या गलत कर रहे हो वो, मुझे चोद ही तो रहे है मेरे कहने पर चोद रहे है | अब सब कुछ मेरे मन का मेरे कहे अनुसार तो नहीं होगा | मेरी ख्वाइशे है तो उनकी भी ख्वाइशे है, मै अपनी ख्वाइशे पूरी कर रही हूँ और वो अपनी | चूत थोड़े ठोकर मारेगी, लंड ही ठोकर मारेगा, मारने दो न ठोकरे, बस उनके मुसल लंडो को अपने जिस्म के अन्दर महसूस करो, देखो न कितनी गहराई तक जा रहे है | बस उस अहसास को अपने दिल में संजोओं, दर्द तो साथ में मिलेगा ही | जब तक दर्द से भागोगी तब तक चुदाई के इस अहसास को भी नहीं जी पावोगी |
गिरधारी - अब ठीक है मैडम, इतनी आराम से आपकी गांड मारू |
रीमा - हाँ बस ऐसे ही करते रहो |
जितेश - मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजा, गांड से जब तक पक पक पक की आवाज  न निकले तब तक लगता ही नहीं किसी की गांड मारी जा रही है | 
रीमा - तुम उसे भड़का रहे हो | मेरी जान निकलवाना चाहते हो | मुझे सब पता है तुम उससे जल रहे हो | 
जितेश - भला मै क्यों .........|
गिरधारी रीमा के चूतड़ पर तड़ाक से अपनी चपत लगाता हुआ - बिलकुल सही कहाँ मैडम | मै आपकी गांड मार रहा हूँ यही सोचकर बॉस की झांटे राख हुई जा रही है | ये लो मैडम मेरा मुसल लंड अपनी गांड में | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ पर एक  करारी चपत जमा दी | 
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह मादरचोद गांड में लंड पेल भोसड़ी के, चूतड़ क्यों बजा रहा है चोट लगती है |
गिरधारी - इसका भी तो मजा लूटो, गांड के साथ साथ जब तक चूतड़ भी लाल ना हो जाये तब तक पता कैसे चलेगा की गांड मरवाई है | | इतना कहकर उसने फिर से रीमा के चुताड़ो पर एक चपत मारी |
रीमा बिलबिला कर रह गयी - तेरी तो साले भड़वे मादरचोद दो टके के नाली के कीड़े, हरामजादे चोट लगती है |
गिरधारी - मजा भी तो तुम्ही लूट रही हो मैडम, ये लो मेरा लंड अपनी गांड में अन्दर तक | 
इतना कहकर उसने एक जोरदार करारा झटका मारा | वो फिर से रीमा के चूतड़ पर चपत मारने वाला था लेकिन जितेश ने बीच में हाथ डाल दिया इसलिए बस हलके से चपत लगी |
रीमा - तू नहीं मानेगा मादरचोद ..............तेरी तो |  
इससे पहले रीमा पीछे की तरफ मुड़ती जितेश ने रीमा को चूम लिया और रीमा की बात उसके मुहँ में घुट कर रह गई | जितेश ने भी रीमा के चुताड़ो पर चपत लगायी | उसकी देखादुनी में गिरधारी ने भी जारी रखा | दोनों रीमा को चोदते हुए उसके चुताड़ो को लाल करने लगे | रीमा को बड़ा रोना आया | दोनों ने उसके चुताड़ो को तबला बना दिया | वो अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रह गयी | 


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रीमा कुछ देर तक तो चुताड़ो पर पड़ रहे थप्पड़ो को बर्दाश्त करती रही फिर बोल ही पड़ी - क्या कर रहे हो तुम लोग | मेरे चुताड़ो का तबला बना दिया है | 
गिरधारी - मैडम चुदाई में सिर्फ लंड पेलाई ही नहीं होती, थोड़ा मसलना कुचलना चिकोटी काटना , इन सबका भी  थोड़ा सा इसका मजा लो | हम तो आपको जी जान से सारा मजा देने की फ़िराक में और आप हमसे ही शिकायते करे जा रही हो |
गिरधारी की इस बढ़ी हिम्मत पर रीमा खीझ गयी - तुमारी गांड में अभी अपना हाथ घुसेड़ के तुमारे चूतड़ लाल करूंगी तब समझ में आएगा | 
गिरधारी खीसे निपोरता हुआ - करो न मैडम, आपके लिए तो जान हाजिर है, आप मेरी गांड मरोगी ये तो मेरी खुशनसीबी होगी |
रीमा झुन्झुलाती हुई - कहाँ फंस गयी मै |
गिरधारी - दो लंडो के बीच | 
रीमा - ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ये तो सर पर ही चढ़ा जा रहा है, तूम कुछ बोलते क्यों नहीं |
जितेश - मैंने तो पहले ही कहाँ था बहुत ही लीचड़ किस्म का इंसान है मै तो मुहँ नहीं लगाता | तुमने ही उसे चढ़ाया है तुम ही जानो | 
चिकोटी से जितेश को याद आया, उसने रीमा के निप्पल मसला दिए | 
रीमा - आआआआआऔऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउचच |

इससे पहले रीमा जितेश से शिकायत करती जितेश ने  तेजी से जाकर उसके चूत दाने को मसल दिया | ये टीजिंग रीमा की चुदाई में मसाले की तरह और मजा डाल रही थी लेकिन रीमा को तो इससे भी शिकायत थी भले ही उसे कितना भी मजा आ रहा हो | 

तुम दोनों आपस में मिलकर मुझे परेशान कर रहे हो | मै किसी से बात नहीं करूंगी | रीमा किसल के रह गयी | वो अपनी चुदाई पर दिमाग दौड़ाने लगी | अपने जिस्म में जाते लंडो के बारे ,में सोचने लगी | आखिर क्या बुराई है दो लंडो से चुदने में | हाँ मैंने ...........मैंने लिए है दो लंड, मुसल लंड  एक साथ, आगे भी लूंगी | जब मेरी मर्जी होगी तब लूंगी | इसी विचार  के आते ही जादू की तरह उसके अन्दर से वो ग्लानी पता नहीं कहाँ फुर्र हो गयी |  इसी के साथ वो खुद को अपने अंतर्समन में ही साबित करने में लग गयी | दिन रात अपनी ख्वाइशो के अरमानो में घुट घुट कर जीने से बेहतर है जब मौका मिले तो अपने मन की करना | क्या करूंगी इस खूबसूरत जिस्म का जब इसका कोई कदरदान ही नहीं होगा | क्या करूंगी इस कमसिन चूत की गुलाबी कोमलता को बचाकर जब कोई इसे चाहने वाला ही नहीं होगा | इसे कोई चाहेगा तो तब जब इसका स्वाद ले पायेगा | जब मर्द को औरत कुछ खास तरह से सुख देती है तो मर्द भी उसका दीवाना हो जाता है |  ये गांड का दर्द कल को मीठे अहसास में तब बदल जायेगा, जब अपने चाहने वाले को  चूत के साथ साथ गांड की सैर भी कराउंगी | सब औरते गांड नहीं मरवाती लेकिन जो मरवाती है उनके चाहने वाले उनसे कितना खुस रहते है | मर्द भी खुस हो जाते है आखिर औरत तकलीफ और दर्द बर्दास्त करके उसको एक नया सुख दे रही है |  इसी दर्द में तो औरत का सारा मजा छुपा हुआ है | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 25-12-2019, 11:38 AM



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