25-12-2019, 11:10 AM
रीमा दो दो लंडो की ठोकरों के दर्द से कराह रही थी | उसका बदन उसके नियंत्रण से बाहर था | वो दोनों पूरी तरह से अपने जिस्म की सारी ताकत लगाकर उसे चोद रहे थे | रीमा और उसकी संकरी सुरंगे दो लंडो के दया के भरोसे पर थी, लेकिन उनसे दया की उम्मीद करना इस समय बेमानी थी | न तो अब वो उसकी आवाज सुनने वाले थे न दर्द को महसूस करने वाले , वो तो अपने जिस्म में जल रही आग को रीमा के जिस्म की गुलाबी अंतरों में उतार देने को आतुर थे |
दो लंडो की लगातार एक साथ पेलाई ने उसे पस्त कर दिया था ऊपर से उसकी गांड का जलन भरा भीषण दर्द | रीमा की गांड शुरू से ही लगातार ठोकी जा रही थी | उसकी गांड का छल्ला चीरने के बाद भी उसे ज्यादा सुस्ताने का मौका नहीं मिला | गिरधारी सफ़ेद पाउडर के नशे में अपने लंड को पूरी तरह से तन्नाये हुए था इसलिए उसके कठोरता में कोई कमी नहीं थी | दो तरफ़ा ठोकरों से रीमा अब पस्त होने लगी थी | उसके जिस्म की ताकत तो नार्मल ही थी उसने कोकीन तो चाट नहीं रखी थी जो थकावट ही न महसूस हो | गांड चीरने के दर्द बाद अब दो तरफ़ा मुसल लंड की ठोकरों का दर्द भी उसकी पिंडलियों को दुखाने लगा था | रीमा के अन्दर इतनी ताकत नहीं बची थी की वो कुछ कर सके | उसके जिस्म ने पहले ही हथियार डाल रखे थे | दो मर्दों की बाहों में झूलते जिस्म पर पड़ती ठोकरों से कराह रही थी और जितना कुछ लुटा सकती थी लुटा रही थी | रीमा के जिस्म को दोनों जमकर लूट रहे थे | उसकी जवानी को उसके कसे गुलाबी जिस्म को उसकी कामुक मादकता भरी गंध को, सब कुछ लुटे ले रहे थे | रीमा भी अपना सर्वस्व लुटाकर अपने जिस्म की वासना को ठंडा करने में लगी थी | अपने अपने लंडो को रीमा के छेदों में पेल कर वो रीमा का जिस्म और हुस्न दोनों लूट रहे थे और रीमा लुट रही, जमकर लुट रहीथी | न तो वो उन्हें रोक सकती थी न रोक पाने की हालत में थी और न ही वो उन्हें रोकना चाहती थी | वो चाहती थी उसके जिस्म में जब तक ताकत बची रहे तब तक वो उसे बेतहाशा चोदकर निचोड़ते रहे | वो भी निचुड़ निचुड़ कर बार बार बरसना चाहती थी ताकि उसके जिस्म की लगी आग बुझ सके | लेकिन रीमा को कहाँ पता था जिस्म की हवस की जीतनी बुझाने की कोशिश करो ये उतना ही और भड़कती है | वो चुदकर जीतना ज्यादा अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती थी उसकी चूत की प्यास उतनी ही बढ़ती जा रही थी |
जितेश रीमा के जिस्म को भोगते भोगते, उसके जवानी का रस पीते पीते उसी में रम गया था | जितना ज्यादा उसका लंड रीमा की गरम गुलाबी मखमली चूत का सफ़र तय करता उतना ही जितेश का जोश और बढ़ता जाता | उसके मुसल लंड के हर धक्के से रीमा अपनी वासना की एक नयी मंजिल तय कर रही थी | रीमा की गुलाबी मखमली गरम चूत में जितना ज्यादा जितेश अपने लंड को पेल रहा था, उतना ही गहराई तक रीमा उसके दिलो दिमाग में घुसती चली जा रही थी | ऐसा लग रहा था वो रीमा की चूत को नहीं चोद रहा है उसकी गीली गुलाबी गहराइयो को नहीं तय कर रहा बल्कि रीमा की गरम गुलाबी हुस्न की झील की गहराई में डूबता चला जा रहा है | रीमा की चूत पर पेलते हर धक्के के साथ उसे रीमा से इश्क होने लगा | क्या बदन है, क्या हुस्न है, क्या रंग है क्या बनावट है क्या कसावट है, कैसे बताऊ रीमा तुम ऊपर से नीचे तक हुस्न परी हो | जो तुम्हे देख ले उसकी रातों की नीद उड़ जाये यहाँ तो मै साक्षात तुम्हे चोद रहा हूँ तुमारे रसीले गुलाबी अधरों का रसपान कर रहा हूँ, तुमारे उन्नत गुलाबी गोरे उरोजो को मसल रहा हूँ, उसकी नुकीली चोटियों से तुमारी छाती का रस चूस रहा हूँ | तुमारी गुलाबी मखमली रसीली गीली गरम चूत को चोद रहा हूँ आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह रीमा कैसे बाताऊ तुम क्या चीज हो |
उसे रीमा पर कितना प्यार आ रहा था ये शायद वो बता नहीं सकता था | इतनी कमाल की औरत इतनी कमाल की चूत उसने अपने जीवन में नहीं देखि थी | ऐसी औरत की गरम गुलाबी गीली चूत की गहराई में उतर कर उसे चोदना आआअह्ह्ह जैसे उसका जीना सफल हो गया | उसका लंड कितना खुशनसीब था जो रीमा की चूत उसे चोदने को मिली थी | अब वो सारी जिंदगी इसी चूत में पड़े पड़े कटाना चाहता था | वो चाहता था ये पल कभी खतम ही न हो | रीमा उसकी बाँहों में ऐसे ही सिमटी रहे और वो उसे ऐसे ही चोदता रहे | रीमा उसकी सीने से चिपकी बस चुदती रही |
दूसरी तरफ से गिरधारी भी बस रीमा की गांड में लंड डाले हिलाता रहा | जितेश ने रीमा की चूत की जोरदार ठुकाई करी | जितेश हांफने लगा था | रीमा का भी बुरा हाल हो गया था | पहले गिरधारी अब जितेश ने उसके जिस्म की टाइट गुलाबी सुरंगों को सुपरफास्ट स्पीड से चीर कर रख दिया था | उसे तो अपनी उफनती सांसो को काबू करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था | वो बुरी तरफ से हांफ रही थी कराह रही थी | उसने ऐसी चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी | उसका जिस्म बिलकुल पस्त हो चूका था | जितेश था जो उसे संभाले था वर्ना कब का बिखर गयी होती | अब तो निढाल सी वो दो मर्दों के चौड़ी छाती के बीच पिस रही थी | उसके हाथो ने जितेश की पीठ की पकड़ छोड़ दी थी | जितेश ने उसकी जांघे हवा में उठा दी | रीमा की जोरदार पेलाई के कारन बुरी तरह हांफते जितेश ने एक लम्बी साँस खीची और फिर रीमा के जिस्म को छोड़कर उसकी एक जांघ पकड़कर फिर से उसे पेलने लगा |
रीमा को तो अपनी साँस भी सँभालने का मौका नहीं मिला | जितेश भी अपने जिस्म की सारी ताकत उड़ेल देना चाहता था | वो बुरी तरह हांफ रहा था लेकिन कुछ था जो उसे रुकने नहीं दे रहा था | शायद उसका मर्दाना अहंकार, कोकीन का असर या गिरधारी से हो रहा उसका मुकाबला, कौन जोरदार तरीके से रीमा का बाजा बजा पाता है आखिर गिरधारी के सामने वो कैसे हार मान ले, वो एक फौजी है, हट्ठे कट्टे जिस्म का मालिक और मुसल लंड, वो तो ऐसे दिनभर रीमा को चोदता रहा सकता है | बार बार लगातार, गिरधारी भला उसका मुकाबला क्या करेगा |
रीमा तो दो लंडो को घोट रही है | बुरी तरह थक चुकी है, पस्त हो चुकी है | जिस्म में अब ताकत नहीं बची है, निढाल पड़ी है लेकिन मजाल है जो चुदाई रोकने को बोल दे, दो दो लंडो की ठोकरे अब उसके जिस्म के बर्दास्त सीमा से बाहर जा रही है, अपनी पिछली सुरंग के दर्द की कराह अभी भी बंद नहीं हुई लेकिन फिर भी रीमा चुद रही है | फिर वो कैसे थम सकता है |
जब रीमा औरत होकर चुदते चुदते नहीं थकी तो वो मर्द होकर कैसे थक सकता है | उसकी नाजुक मखमली चूत की दीवारे मुसल लंड से बेतहाशा कुचले जाने के बाद भी उफ़ नहीं कर रही है तो उसका लंड कैसे सुस्ता सकता है | उसे रीमा को चोदते रहना होगा | शायद वो ऐसे ही चुदना चाहती है यही उसकी दिली ख्वाइश थी | दो दो लंड से हाहाकारी चुदाई, भीषण चुदाई, दनादन लगातार चुदाई जब तक उसका जिस्म जवाब न दे जाये | नीचे गिरधारी के लिए ज्यादा कुछ करने को था नहीं जितेश के धक्को के साथ ही रीमा की कसी गांड में अटका उसका लंड थोड़ा सा आगे पीछे हो रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अभी भी इतना कसा था की जब तक जोर लगाकर लंड को न घुसेड़ो, रीमा की गांड में लंड नहीं जाने दे रहा था | जितेश के हर धक्के के साथ रीमा की गांड के मुहाने की आगे पीछे होती सख्त मांसपेशियां, जिन्होंने गिरधारी के लंड को जकड रखा था रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग में उसका सुपाडा घिस रही थी | आखिर गिरधारी को भी अपनी हवस बुझानी थी | उसने अपने दोनों हाथ से रीमा के नरम मांसल चुताड़ो को अपनी हथेलियों पर टिकाया और उसकी कमर और चूतड़ थोडा सा उचकाए | अपने लंड को रीमा की गांड में अन्दर तक तेजी से सरकाने लगा | उसे रीमा की कसी गांड में अपने मोटे लंड को पेलने में ताकत लगानी पड़ रही थी लेकिन वो जितेश से कमतर नहीं दिखाना चाहता था | मर्दों में चुदाई को लेकर बड़ी असुरक्षा होती है, वो भी तब जब दोनों एक ही औरत को आमने सामने चोद रहे हो | जैसे ही गिरधारी का लंड रीमा के जिस्म के अन्दर जितेश के लंड से रगड़ खाता उसके अन्दर की इर्ष्या कुलाचे मारने लगती | वो गिरधारी को घूर घूर कर देखने लगता | गिरधारी भी ये समझ रहा था बॉस उसकी बेइजत्ति करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगें | वो रीमा के सामने मर्दाना ताकत में जितेश से कम नहीं दिखना चाहता था | उसने भी रीमा की कसी संकरी गांड को चीरना शुरू कर दिया | दोनों लंड बेतहाशा तरीके से पूरी स्पीड में दनादन दनादन सटासट सटासट गपागप गपागप धकाधक धकाधक रीमा को चोद रहे थे | दो तरफ़ा एक साथ चोद रहे थे |
जितेश भी बेतहाशा रीमा की चूत चोद रहा था | अपने जिस्म के सबसे नाजुक कोमल गुलाबी सुरंगों को इस बेदर्दी से चीरे कुचले और पेले जाने से बुरी तरह हांफती कराहती रीमा दर्द से बिलबिलाने लगी | दो लंडो की बेतहाशा पेलाई से रीमा की हालत बिगड़ने लगी | उसकी सांसे बहुत तेज थी और तेज हो गयी | वो बुरी तरह कराहने और हांफने लगी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था | उसे जरा सा भी अहसास नहीं था की उसके अंतर्मन की ये पाशविक वासना उसे इस कदर भीषण चुदाई के हालात तक पंहुचा देगी | अब उसे हर हाल में इन लंडो को जबदस्त ठोकरों को झेलना ही था बर्दास्त करना ही था | आखिर किस मुहँ से रोकती उन दोनों को, उसी ने तो आमंत्रित किया था अपने खूबसूरत गुलाबी नरम मांसल जिस्म के सबसे वर्जित हिस्से की दो गहरी गुलाबी संकरी सुरंगों को चीरने के लिए, चोदने के लिए, उनके अन्दर की खुजली मिटाने के लिए | अब दोनों लंड अपनी हवस के शबाब पर थे, अगर वो रोकती भी तो भी न रुकते | कैसे रुकते एक तो उनकी वासना का जोश अपने शबाब पर था ऊपर से कोकीन का असर, उन्हें अहसास ही नहीं था जिस बेदर्द तरीके से वो रीमा को चोद रहे है उसमे उनके लंड को भी नुकसान हो सकता है, उन दोनों को कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था, न लंड का मसलना, न सुपाडे की सनसनाहट, वो दनादन बस लंड पेलने में लगे थे | यही उनकी वासना की हकीकत थी और उनसे इस तरह जानवरों की चुदना ही रीमा की वासना की परिणिति थी | आखिर उसकी वासना उसे किस मोड़ पर ले आई थी | दो मर्द उसके जिस्म को लूट रहे थे उसके गुलाबी वर्जित अंतरों को बुरी तरह से चीर रहे थे और वो असहाय थी लाचार थी उनकी दया की मोहताज थी | उनके रहमोकरम पर थी | उसके ठोस कठोर मर्दाने जिस्म रुपी चक्की के दो पाटो के बीच पिस रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था की दोनों इस कदर उसे दोतरफा चोद डालेगे | गलती उनकी भी नहीं थी अपने होशोहवास में होते तो अब तक गिरधारी की कब की पिचकारी छुट गयी होती लेकिन वो दोनों तो खुद कोकीन के नशे में डूबे हुए थे, उन्हें अपना ही ख्याल नहीं था तो रीमा का कहाँ रखते | अब रीमा की सिर्फ एक ही तमन्ना थी जल्दी से दोनों अपने चरम पर पहुँच जाये और उसे इस तकलीफ भरी चुदाई से मुक्ति मिले | फिलहाल उसके हाथ में कुछ नहीं था | ये मुसीबत तो उसी की बुलाई थी | उसे चुदना था बेतहाशा चुदना था और अब जब अपने दबे अरमानो की तरह चुद रही थी तो पछता रही थी | लेकिन उसके पास तो अभी अफ़सोस करने का भी वक्त नहीं था, दोनों लंड हाहाकारी तरीके से दनादन उसकी चूत और गांड की कुटाई कर रहे थे | इससे उसके जिस्म का पारा बहुत बढ़ गया था | उसकी तेज सांसे और धकधक करती धड़कने कब की उसके काबू से बाहर जा चुकी थी | अब तो बस वो हांफ रही थी कराह थी |
दोनों लंड मिलकर रीमा की कसी गांड और गुलाबी चूत का कीमा बनाये दे रहे थे | इस कदर जबदस्त तरीके से रीमा को वो पेलेगे चोदेगे ये तो उन्होंने भी नहीं सोचा था | रीमा का नाजुक नरम कसा हुआ जवान बदन, उसके जिस्म से निकलती मादक गंध और रीमा को चोदने का ख्याल ही उनके लंडो को पत्थर की सख्त बनाये हुए था, ऊपर से सफ़ेद पाउडर की अनोखी ताकत का नशा | दोनों न झड़ने का नाम ले रहे थे न मुरझाने का | रीमा की बेतहाशा दोतरफा चुदाई के इस खेल में तीनो के जिस्म से निकलती गर्मी के कारन पसीने से तर बतर थे | जितेश के धक्को से रीमा की बुरी हालत हो गयी थी, उसकी चूत आग की भट्ठी बन गयी थी | जितेश के हाहाकारी लंड की भीषण ठोकरों से उसकी चूत की गुलाबी दीवारे थरथरा रही थी | जितेश के तेज झटको से कांपता रीमा का गुलाबी गोरा जिस्म गिरधारी के पेट पर फिसल रहा था | उसके सर से लेकर पाँव तक सब कुछ हिल रहा था, जितेश की एक्सप्रेस चुदाई के कारन उसकी मांसल जांघे और चौड़े चूतड़ थरथरा रहे थे | उसके उन्नत नुकीले उरोज तेजी से आगे पीछे झुला झूल रहे थे | जितेश की सांसे उखड़ने लगी | उसकी उफनती सांसे उसके काबू से बाहर हो गयी | वो तेजी से हांफता हुआ रीमा के ऊपर से हट गया | तीनो की ही हालत बुरी हो गयी थी | तीनो ही अपने अपने सांसो और धडकनों को काबू करने लगे | अब कोई भी ज्यादा इन्तजार करने को राजी नहीं था | जैसे ही धकधक करती छाती कुछ थमी, जितेश रीमा को लेकर बिस्तर पर लुढ़क गया और उसका लंड सीधा रीमा की चूत की मखमली गहराइयो में | गिरधारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी अपना निशाना लगाया और एक ही झटके में आधा लंड रीमा की कसी गांड में पेल दिया |
दो लंडो की लगातार एक साथ पेलाई ने उसे पस्त कर दिया था ऊपर से उसकी गांड का जलन भरा भीषण दर्द | रीमा की गांड शुरू से ही लगातार ठोकी जा रही थी | उसकी गांड का छल्ला चीरने के बाद भी उसे ज्यादा सुस्ताने का मौका नहीं मिला | गिरधारी सफ़ेद पाउडर के नशे में अपने लंड को पूरी तरह से तन्नाये हुए था इसलिए उसके कठोरता में कोई कमी नहीं थी | दो तरफ़ा ठोकरों से रीमा अब पस्त होने लगी थी | उसके जिस्म की ताकत तो नार्मल ही थी उसने कोकीन तो चाट नहीं रखी थी जो थकावट ही न महसूस हो | गांड चीरने के दर्द बाद अब दो तरफ़ा मुसल लंड की ठोकरों का दर्द भी उसकी पिंडलियों को दुखाने लगा था | रीमा के अन्दर इतनी ताकत नहीं बची थी की वो कुछ कर सके | उसके जिस्म ने पहले ही हथियार डाल रखे थे | दो मर्दों की बाहों में झूलते जिस्म पर पड़ती ठोकरों से कराह रही थी और जितना कुछ लुटा सकती थी लुटा रही थी | रीमा के जिस्म को दोनों जमकर लूट रहे थे | उसकी जवानी को उसके कसे गुलाबी जिस्म को उसकी कामुक मादकता भरी गंध को, सब कुछ लुटे ले रहे थे | रीमा भी अपना सर्वस्व लुटाकर अपने जिस्म की वासना को ठंडा करने में लगी थी | अपने अपने लंडो को रीमा के छेदों में पेल कर वो रीमा का जिस्म और हुस्न दोनों लूट रहे थे और रीमा लुट रही, जमकर लुट रहीथी | न तो वो उन्हें रोक सकती थी न रोक पाने की हालत में थी और न ही वो उन्हें रोकना चाहती थी | वो चाहती थी उसके जिस्म में जब तक ताकत बची रहे तब तक वो उसे बेतहाशा चोदकर निचोड़ते रहे | वो भी निचुड़ निचुड़ कर बार बार बरसना चाहती थी ताकि उसके जिस्म की लगी आग बुझ सके | लेकिन रीमा को कहाँ पता था जिस्म की हवस की जीतनी बुझाने की कोशिश करो ये उतना ही और भड़कती है | वो चुदकर जीतना ज्यादा अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती थी उसकी चूत की प्यास उतनी ही बढ़ती जा रही थी |
जितेश रीमा के जिस्म को भोगते भोगते, उसके जवानी का रस पीते पीते उसी में रम गया था | जितना ज्यादा उसका लंड रीमा की गरम गुलाबी मखमली चूत का सफ़र तय करता उतना ही जितेश का जोश और बढ़ता जाता | उसके मुसल लंड के हर धक्के से रीमा अपनी वासना की एक नयी मंजिल तय कर रही थी | रीमा की गुलाबी मखमली गरम चूत में जितना ज्यादा जितेश अपने लंड को पेल रहा था, उतना ही गहराई तक रीमा उसके दिलो दिमाग में घुसती चली जा रही थी | ऐसा लग रहा था वो रीमा की चूत को नहीं चोद रहा है उसकी गीली गुलाबी गहराइयो को नहीं तय कर रहा बल्कि रीमा की गरम गुलाबी हुस्न की झील की गहराई में डूबता चला जा रहा है | रीमा की चूत पर पेलते हर धक्के के साथ उसे रीमा से इश्क होने लगा | क्या बदन है, क्या हुस्न है, क्या रंग है क्या बनावट है क्या कसावट है, कैसे बताऊ रीमा तुम ऊपर से नीचे तक हुस्न परी हो | जो तुम्हे देख ले उसकी रातों की नीद उड़ जाये यहाँ तो मै साक्षात तुम्हे चोद रहा हूँ तुमारे रसीले गुलाबी अधरों का रसपान कर रहा हूँ, तुमारे उन्नत गुलाबी गोरे उरोजो को मसल रहा हूँ, उसकी नुकीली चोटियों से तुमारी छाती का रस चूस रहा हूँ | तुमारी गुलाबी मखमली रसीली गीली गरम चूत को चोद रहा हूँ आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह रीमा कैसे बाताऊ तुम क्या चीज हो |
उसे रीमा पर कितना प्यार आ रहा था ये शायद वो बता नहीं सकता था | इतनी कमाल की औरत इतनी कमाल की चूत उसने अपने जीवन में नहीं देखि थी | ऐसी औरत की गरम गुलाबी गीली चूत की गहराई में उतर कर उसे चोदना आआअह्ह्ह जैसे उसका जीना सफल हो गया | उसका लंड कितना खुशनसीब था जो रीमा की चूत उसे चोदने को मिली थी | अब वो सारी जिंदगी इसी चूत में पड़े पड़े कटाना चाहता था | वो चाहता था ये पल कभी खतम ही न हो | रीमा उसकी बाँहों में ऐसे ही सिमटी रहे और वो उसे ऐसे ही चोदता रहे | रीमा उसकी सीने से चिपकी बस चुदती रही |
दूसरी तरफ से गिरधारी भी बस रीमा की गांड में लंड डाले हिलाता रहा | जितेश ने रीमा की चूत की जोरदार ठुकाई करी | जितेश हांफने लगा था | रीमा का भी बुरा हाल हो गया था | पहले गिरधारी अब जितेश ने उसके जिस्म की टाइट गुलाबी सुरंगों को सुपरफास्ट स्पीड से चीर कर रख दिया था | उसे तो अपनी उफनती सांसो को काबू करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था | वो बुरी तरफ से हांफ रही थी कराह रही थी | उसने ऐसी चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी | उसका जिस्म बिलकुल पस्त हो चूका था | जितेश था जो उसे संभाले था वर्ना कब का बिखर गयी होती | अब तो निढाल सी वो दो मर्दों के चौड़ी छाती के बीच पिस रही थी | उसके हाथो ने जितेश की पीठ की पकड़ छोड़ दी थी | जितेश ने उसकी जांघे हवा में उठा दी | रीमा की जोरदार पेलाई के कारन बुरी तरह हांफते जितेश ने एक लम्बी साँस खीची और फिर रीमा के जिस्म को छोड़कर उसकी एक जांघ पकड़कर फिर से उसे पेलने लगा |
रीमा को तो अपनी साँस भी सँभालने का मौका नहीं मिला | जितेश भी अपने जिस्म की सारी ताकत उड़ेल देना चाहता था | वो बुरी तरह हांफ रहा था लेकिन कुछ था जो उसे रुकने नहीं दे रहा था | शायद उसका मर्दाना अहंकार, कोकीन का असर या गिरधारी से हो रहा उसका मुकाबला, कौन जोरदार तरीके से रीमा का बाजा बजा पाता है आखिर गिरधारी के सामने वो कैसे हार मान ले, वो एक फौजी है, हट्ठे कट्टे जिस्म का मालिक और मुसल लंड, वो तो ऐसे दिनभर रीमा को चोदता रहा सकता है | बार बार लगातार, गिरधारी भला उसका मुकाबला क्या करेगा |
रीमा तो दो लंडो को घोट रही है | बुरी तरह थक चुकी है, पस्त हो चुकी है | जिस्म में अब ताकत नहीं बची है, निढाल पड़ी है लेकिन मजाल है जो चुदाई रोकने को बोल दे, दो दो लंडो की ठोकरे अब उसके जिस्म के बर्दास्त सीमा से बाहर जा रही है, अपनी पिछली सुरंग के दर्द की कराह अभी भी बंद नहीं हुई लेकिन फिर भी रीमा चुद रही है | फिर वो कैसे थम सकता है |
जब रीमा औरत होकर चुदते चुदते नहीं थकी तो वो मर्द होकर कैसे थक सकता है | उसकी नाजुक मखमली चूत की दीवारे मुसल लंड से बेतहाशा कुचले जाने के बाद भी उफ़ नहीं कर रही है तो उसका लंड कैसे सुस्ता सकता है | उसे रीमा को चोदते रहना होगा | शायद वो ऐसे ही चुदना चाहती है यही उसकी दिली ख्वाइश थी | दो दो लंड से हाहाकारी चुदाई, भीषण चुदाई, दनादन लगातार चुदाई जब तक उसका जिस्म जवाब न दे जाये | नीचे गिरधारी के लिए ज्यादा कुछ करने को था नहीं जितेश के धक्को के साथ ही रीमा की कसी गांड में अटका उसका लंड थोड़ा सा आगे पीछे हो रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अभी भी इतना कसा था की जब तक जोर लगाकर लंड को न घुसेड़ो, रीमा की गांड में लंड नहीं जाने दे रहा था | जितेश के हर धक्के के साथ रीमा की गांड के मुहाने की आगे पीछे होती सख्त मांसपेशियां, जिन्होंने गिरधारी के लंड को जकड रखा था रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग में उसका सुपाडा घिस रही थी | आखिर गिरधारी को भी अपनी हवस बुझानी थी | उसने अपने दोनों हाथ से रीमा के नरम मांसल चुताड़ो को अपनी हथेलियों पर टिकाया और उसकी कमर और चूतड़ थोडा सा उचकाए | अपने लंड को रीमा की गांड में अन्दर तक तेजी से सरकाने लगा | उसे रीमा की कसी गांड में अपने मोटे लंड को पेलने में ताकत लगानी पड़ रही थी लेकिन वो जितेश से कमतर नहीं दिखाना चाहता था | मर्दों में चुदाई को लेकर बड़ी असुरक्षा होती है, वो भी तब जब दोनों एक ही औरत को आमने सामने चोद रहे हो | जैसे ही गिरधारी का लंड रीमा के जिस्म के अन्दर जितेश के लंड से रगड़ खाता उसके अन्दर की इर्ष्या कुलाचे मारने लगती | वो गिरधारी को घूर घूर कर देखने लगता | गिरधारी भी ये समझ रहा था बॉस उसकी बेइजत्ति करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगें | वो रीमा के सामने मर्दाना ताकत में जितेश से कम नहीं दिखना चाहता था | उसने भी रीमा की कसी संकरी गांड को चीरना शुरू कर दिया | दोनों लंड बेतहाशा तरीके से पूरी स्पीड में दनादन दनादन सटासट सटासट गपागप गपागप धकाधक धकाधक रीमा को चोद रहे थे | दो तरफ़ा एक साथ चोद रहे थे |
जितेश भी बेतहाशा रीमा की चूत चोद रहा था | अपने जिस्म के सबसे नाजुक कोमल गुलाबी सुरंगों को इस बेदर्दी से चीरे कुचले और पेले जाने से बुरी तरह हांफती कराहती रीमा दर्द से बिलबिलाने लगी | दो लंडो की बेतहाशा पेलाई से रीमा की हालत बिगड़ने लगी | उसकी सांसे बहुत तेज थी और तेज हो गयी | वो बुरी तरह कराहने और हांफने लगी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था | उसे जरा सा भी अहसास नहीं था की उसके अंतर्मन की ये पाशविक वासना उसे इस कदर भीषण चुदाई के हालात तक पंहुचा देगी | अब उसे हर हाल में इन लंडो को जबदस्त ठोकरों को झेलना ही था बर्दास्त करना ही था | आखिर किस मुहँ से रोकती उन दोनों को, उसी ने तो आमंत्रित किया था अपने खूबसूरत गुलाबी नरम मांसल जिस्म के सबसे वर्जित हिस्से की दो गहरी गुलाबी संकरी सुरंगों को चीरने के लिए, चोदने के लिए, उनके अन्दर की खुजली मिटाने के लिए | अब दोनों लंड अपनी हवस के शबाब पर थे, अगर वो रोकती भी तो भी न रुकते | कैसे रुकते एक तो उनकी वासना का जोश अपने शबाब पर था ऊपर से कोकीन का असर, उन्हें अहसास ही नहीं था जिस बेदर्द तरीके से वो रीमा को चोद रहे है उसमे उनके लंड को भी नुकसान हो सकता है, उन दोनों को कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था, न लंड का मसलना, न सुपाडे की सनसनाहट, वो दनादन बस लंड पेलने में लगे थे | यही उनकी वासना की हकीकत थी और उनसे इस तरह जानवरों की चुदना ही रीमा की वासना की परिणिति थी | आखिर उसकी वासना उसे किस मोड़ पर ले आई थी | दो मर्द उसके जिस्म को लूट रहे थे उसके गुलाबी वर्जित अंतरों को बुरी तरह से चीर रहे थे और वो असहाय थी लाचार थी उनकी दया की मोहताज थी | उनके रहमोकरम पर थी | उसके ठोस कठोर मर्दाने जिस्म रुपी चक्की के दो पाटो के बीच पिस रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था की दोनों इस कदर उसे दोतरफा चोद डालेगे | गलती उनकी भी नहीं थी अपने होशोहवास में होते तो अब तक गिरधारी की कब की पिचकारी छुट गयी होती लेकिन वो दोनों तो खुद कोकीन के नशे में डूबे हुए थे, उन्हें अपना ही ख्याल नहीं था तो रीमा का कहाँ रखते | अब रीमा की सिर्फ एक ही तमन्ना थी जल्दी से दोनों अपने चरम पर पहुँच जाये और उसे इस तकलीफ भरी चुदाई से मुक्ति मिले | फिलहाल उसके हाथ में कुछ नहीं था | ये मुसीबत तो उसी की बुलाई थी | उसे चुदना था बेतहाशा चुदना था और अब जब अपने दबे अरमानो की तरह चुद रही थी तो पछता रही थी | लेकिन उसके पास तो अभी अफ़सोस करने का भी वक्त नहीं था, दोनों लंड हाहाकारी तरीके से दनादन उसकी चूत और गांड की कुटाई कर रहे थे | इससे उसके जिस्म का पारा बहुत बढ़ गया था | उसकी तेज सांसे और धकधक करती धड़कने कब की उसके काबू से बाहर जा चुकी थी | अब तो बस वो हांफ रही थी कराह थी |
दोनों लंड मिलकर रीमा की कसी गांड और गुलाबी चूत का कीमा बनाये दे रहे थे | इस कदर जबदस्त तरीके से रीमा को वो पेलेगे चोदेगे ये तो उन्होंने भी नहीं सोचा था | रीमा का नाजुक नरम कसा हुआ जवान बदन, उसके जिस्म से निकलती मादक गंध और रीमा को चोदने का ख्याल ही उनके लंडो को पत्थर की सख्त बनाये हुए था, ऊपर से सफ़ेद पाउडर की अनोखी ताकत का नशा | दोनों न झड़ने का नाम ले रहे थे न मुरझाने का | रीमा की बेतहाशा दोतरफा चुदाई के इस खेल में तीनो के जिस्म से निकलती गर्मी के कारन पसीने से तर बतर थे | जितेश के धक्को से रीमा की बुरी हालत हो गयी थी, उसकी चूत आग की भट्ठी बन गयी थी | जितेश के हाहाकारी लंड की भीषण ठोकरों से उसकी चूत की गुलाबी दीवारे थरथरा रही थी | जितेश के तेज झटको से कांपता रीमा का गुलाबी गोरा जिस्म गिरधारी के पेट पर फिसल रहा था | उसके सर से लेकर पाँव तक सब कुछ हिल रहा था, जितेश की एक्सप्रेस चुदाई के कारन उसकी मांसल जांघे और चौड़े चूतड़ थरथरा रहे थे | उसके उन्नत नुकीले उरोज तेजी से आगे पीछे झुला झूल रहे थे | जितेश की सांसे उखड़ने लगी | उसकी उफनती सांसे उसके काबू से बाहर हो गयी | वो तेजी से हांफता हुआ रीमा के ऊपर से हट गया | तीनो की ही हालत बुरी हो गयी थी | तीनो ही अपने अपने सांसो और धडकनों को काबू करने लगे | अब कोई भी ज्यादा इन्तजार करने को राजी नहीं था | जैसे ही धकधक करती छाती कुछ थमी, जितेश रीमा को लेकर बिस्तर पर लुढ़क गया और उसका लंड सीधा रीमा की चूत की मखमली गहराइयो में | गिरधारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी अपना निशाना लगाया और एक ही झटके में आधा लंड रीमा की कसी गांड में पेल दिया |