25-12-2019, 10:56 AM
गिरधारी ने जोर जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया | उसके धक्को से रीमा आगे पीछे हिल रही थी | साथ में उसके पर गिरधारी की ठोकरे कमरे में थप थप की आवाज गुंजायमान कर रही थी | रीमा के बड़े बड़े उरोज उसकी गांड की सुरंग पर पड़ते हर झटके से साथ झुला झूल रहे थे | नीचे से जितेश की कमर भी हिल रही थी | दो दो मोटे मुसल फूले हुए लंडो ने रीमा के अंतरों को पूरा का पूरा भर दिया था | अभी वो दर्द से ही बिलबिला रही थी और इस हालत में नहीं थी की कुछ महसूस कर सके | फिर भी उसे आभास था दो मांस की तगड़ी गरम सख्त मीनारे दनादन उसके अंतरों को चीर रही है | उसके जिस्म की नाजुक गुलाबी सुरंगों में रेस लगा रही है | जितेश पूरी कोशिश कर रहा था की वो रीमा की चूत में बेतहाशा लंड पेल सके लेकिन ये सौभाग्य गिरधारी के पास था | वो रीमा की गांड जमकर लंड पेलने की पोजीशन में था और वो पेल भी रहा था | रीमा सिसक रही थी कराह रही थी बिलख रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था ये इतना तकलीफदेह होगा | दर्द तो उसे तब भी हुआ था जब रोहिणी ने उसकी कुंवारी गांड की नथ उतारी थी | वो दर्द भी ऐसा ही तीखा था, तब भी वो बिलबिला कर रह गयी थी यकीन तब उसका दर्द जल्दी ही गायब हो गया था | गार्ड का लंड लेटे समय भी वो इसी दर्द से गुजारी थी लेकिन वहां भी जल्दी ही उसकी गांड ने अपने कपाट खोल दिए थे | लेकिन यहाँ तो दर्द जाने का नाम ही नहीं ले रहा | उसकी वजह थी दो दो मोटे मुसल लंड | जो उसकी गांड और चूत को एक साथ कुचल रहे थे | उसकी कसी गांड और गुलाबी चूत का एक साथ भुर्ता बनाये दे रहे थे | आखिर उसकी गुलाबी गांड फैलकर जाये भी कहाँ | दूसरी तरफ से फौलाद की सख्त मीनार नुमा मोटा फूला हुआ लंड उसकी क्मख्माली चूत में जो धंसा था | इन्ही दो लंडो के पाटो के बीच उसकी चूत और गांड बुरी तरह पिस रही थी | उसका कोमल जिस्म दो कठोर मर्दों के बीच में सैंडविच बनकर रह गया था | उसके हाथ में कुछ नहीं था | न वो ठीक से सोच पा रही थी वो इस हालत में भी नहीं थी की अपना दिमाग चलाये, न ही उसका शरीर पर नियंत्रण था | वो अब बस उन दोनों मर्दों के भरोसे थी | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के काबू में था | उसे जैसे चाहे सहलाये , चाटे, चूमे, मसले और चोदे | उन मर्दों की वासना की ठोकरों में ही अब उसका पूरा अस्तित्व हिल रहा था | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के मोटे मुसल लंडो की भीषण ठोकरों से कठपुतली की तरह नाच अरह था | गिरधारी जोर जोर से रीमा की गांड में दनादन लंड पेल रहा था | जितेश भी रीमा की जिद को अब पूरा करने में लगा हुआ था, वो जानता था रीमा तकलीफ में है, उसे दर्द हो रहा है लेकिन उसने अपनी नियति खुद चुनी है | रीमा अपनी जिद की कीमत आड़ कर रही थी | उसे जीवन में पहली बार अहसास हो रहा था, अपनी कामवासना की फैन्ताशी पालना, उसके मीठे मीठे सपने देखना और उसे सच में जिंदगी में जीने में कितना फर्क है | दो लंडो की चुदाई की हकीकत कितनी तकलीफदेह होगी रीमा ने सपने में भी नहीं सोचा था | अक्सर हकीकत की ठोकर खाकर सपने टूट जाते है | और जो अपने सपनो की खातिर उस हकीकत को बर्दाश्त कर जाते है वो ही असली चैम्पियन बन जाते है | रीमा पछता रही थी बिलख रही थी सिसक रही थी, दो तरफ़ा चुद रही थी |
जितेश ने रीमा की चूत में अपना लंड अन्दर तक घुसेड कर स्थिर हो गया |
जितेश ने गिरधारी को और भड़काया - क्या कर रहा है गिरधारी, ऐसे हिला हिला कर मैडम की गांड की खुजली मिटाएगा | मर्द की तरह लंड पेल मर्द की तरह | मैडम की गांड का ढंग से बाजा बजा | मैडम को कम से कम सात दिन गांड मरवाने का अहसास होते रहना चाहिए | जब चले तो मटकती गांड और हिलाते चुताड़ो में तेरे लंड की चुभन का दर्द महसूस होना चाहिए | मै होता तो अब तक चीर के रख देता |
गिरधारी अब रीमा पीठ पर झुक गया | उसने अपने लंड को रीमा को गांड में जड़ तक घुसा दिया | रीमाँ के मांसल चौड़े चूतड़, कमर पिंडलियाँ जांघे, सब उस भीषण आघात से दर्द से नहा गए |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामामामामामाम्मामाआआआआआआअ रररर रररर रररर रररर गयीईईईईईई रीईईईईए |
रीमा की गांड की सुरंग तो खुल गयी थी लेकिन मुसल लंड के भीषण आघातों के लिए उसका संकरा छेद नाकाफी था | चूत में धंसे लंड की वजह से कही कोई गुंजाईश बची ही नहीं थी | जितेश का मोटा लंड रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो को बुरी तरह से फैलाकर अन्दर तक धंसा हुआ था | गांड की संकरी दीवारों को गिरधारी का लंड बुरी तरह कुचल रहा था | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा के छेदों को ऊपर तक ठसाठस उन लंड ने भर दिया है अब उसकी सुरंगों में और जगह नहीं बची है |
रीमा - हाय हाय हाय माआआआआआआ रररर डाला तुम मर्द कितने जालिम होते हो | गांड क्या चोदने के लिए दी तुम तो मेरी जान निकाल लेने पर उतारू हो | बहुत दर्द हो रहा है |
गिरधारी - मैडम उस दर्द का मजा भी तो आप ही लूट रही हो | यहाँ तो आपकी कसी गांड ने लंड छील के रख दिया है |
जितेश - गांड मार रहा है भोसड़ी के दम तो लगेगा ही |
रीमा - धीरे धीरे दम लगावो, नहीं तो मेरी फट जाएगी .....................एक दम से पेल देते हो जान निकल जाती है |
जितेश - ये तो खूंटा ठुकवाने से पहले सोचना था | अब तो हम अपने हिसाब से तुमारी चूत और गांड को बजायेगे |
रीमा - हाय हाय कितने जालिम हो, मुझे नहीं पता था तुम इतने बेरहम निकालोगे | खुद तो मेरी चूत में खूंटा गाड़े बैठे हो और भड़का उस बेचारे को रहे हो | गांड फाड़ के रख दी, हाय मुझे बहुत दर्द हो रहा , हाय मुझे न घोंटा जा रहा ये मुसल लंड, निकाल लो प्लीज |
जितेश - भला आज तक कोई गांड मरवाने से मारा है, गिरधारी मैडम की गांड की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए | आज दिखा दे तू भी असली मर्द का बच्चा है | गिरधारी ने ठोकरे मारनी जारी रखी | रीमा दर्द से कसमसाती रही बिलखती रही |
दो मुसल लंड और दोनों गहराई तक रीमा के जिस्म में............ सच में यही था रीमा के दोनों अंतर पूरी तरह से भरे हुए थे | फनफनाता फूलता लंड आखिर किधर जाये | उसके उसी गहरी संकरी सुरंग को चीर कर अपना सफ़र तय करना था | ये सफ़र गिरधारी के लिए भी आसन नहीं था | लेकिन रीमाँ के लिये बेहद तकलीफदेह था | वो तड़प रही थी बिलख रही थी हाथ पैर पटक रही थी लेकिन रीमा ये तकलीफ सह भी रही थी, इतना सब होने के बावजूद उसे पता था न तो वो दोनों उसकी संकरी सुरंगों से लंड निकालने वाले है और न ही वो इसके लिए कहने वाली है | इसी दर्द तड़प से अपनी अनंत वासनाओं के ख्वाबो को पूरा कर रही थी | भले ही उसकी कीमत कुछ भी क्यों न हो | गिरधारी ने रीमा ही गांड में जड़ तक् लंड धंसाने के बाद ऊपर तक खीच लिया और फिर से उसके चुताड़ो पर भीषण ठोकर मारी | रीमा की आँखों में पानी की धार निकल आई | गिरधारी दे दनादन रीमा के पिछले छेद की संकरी गुलाबी सुरंग को चीर कर अपने लंड को सटासट उसमे पेलने लगा |
वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था |
गिरधारी की कमर रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया |
ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड |
रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के खूबसूरत मासूम दर्द भरे चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा |
जितेश ने रीमा की चूत में अपना लंड अन्दर तक घुसेड कर स्थिर हो गया |
जितेश ने गिरधारी को और भड़काया - क्या कर रहा है गिरधारी, ऐसे हिला हिला कर मैडम की गांड की खुजली मिटाएगा | मर्द की तरह लंड पेल मर्द की तरह | मैडम की गांड का ढंग से बाजा बजा | मैडम को कम से कम सात दिन गांड मरवाने का अहसास होते रहना चाहिए | जब चले तो मटकती गांड और हिलाते चुताड़ो में तेरे लंड की चुभन का दर्द महसूस होना चाहिए | मै होता तो अब तक चीर के रख देता |
गिरधारी अब रीमा पीठ पर झुक गया | उसने अपने लंड को रीमा को गांड में जड़ तक घुसा दिया | रीमाँ के मांसल चौड़े चूतड़, कमर पिंडलियाँ जांघे, सब उस भीषण आघात से दर्द से नहा गए |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामामामामामाम्मामाआआआआआआअ रररर रररर रररर रररर गयीईईईईईई रीईईईईए |
रीमा की गांड की सुरंग तो खुल गयी थी लेकिन मुसल लंड के भीषण आघातों के लिए उसका संकरा छेद नाकाफी था | चूत में धंसे लंड की वजह से कही कोई गुंजाईश बची ही नहीं थी | जितेश का मोटा लंड रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो को बुरी तरह से फैलाकर अन्दर तक धंसा हुआ था | गांड की संकरी दीवारों को गिरधारी का लंड बुरी तरह कुचल रहा था | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा के छेदों को ऊपर तक ठसाठस उन लंड ने भर दिया है अब उसकी सुरंगों में और जगह नहीं बची है |
रीमा - हाय हाय हाय माआआआआआआ रररर डाला तुम मर्द कितने जालिम होते हो | गांड क्या चोदने के लिए दी तुम तो मेरी जान निकाल लेने पर उतारू हो | बहुत दर्द हो रहा है |
गिरधारी - मैडम उस दर्द का मजा भी तो आप ही लूट रही हो | यहाँ तो आपकी कसी गांड ने लंड छील के रख दिया है |
जितेश - गांड मार रहा है भोसड़ी के दम तो लगेगा ही |
रीमा - धीरे धीरे दम लगावो, नहीं तो मेरी फट जाएगी .....................एक दम से पेल देते हो जान निकल जाती है |
जितेश - ये तो खूंटा ठुकवाने से पहले सोचना था | अब तो हम अपने हिसाब से तुमारी चूत और गांड को बजायेगे |
रीमा - हाय हाय कितने जालिम हो, मुझे नहीं पता था तुम इतने बेरहम निकालोगे | खुद तो मेरी चूत में खूंटा गाड़े बैठे हो और भड़का उस बेचारे को रहे हो | गांड फाड़ के रख दी, हाय मुझे बहुत दर्द हो रहा , हाय मुझे न घोंटा जा रहा ये मुसल लंड, निकाल लो प्लीज |
जितेश - भला आज तक कोई गांड मरवाने से मारा है, गिरधारी मैडम की गांड की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए | आज दिखा दे तू भी असली मर्द का बच्चा है | गिरधारी ने ठोकरे मारनी जारी रखी | रीमा दर्द से कसमसाती रही बिलखती रही |
दो मुसल लंड और दोनों गहराई तक रीमा के जिस्म में............ सच में यही था रीमा के दोनों अंतर पूरी तरह से भरे हुए थे | फनफनाता फूलता लंड आखिर किधर जाये | उसके उसी गहरी संकरी सुरंग को चीर कर अपना सफ़र तय करना था | ये सफ़र गिरधारी के लिए भी आसन नहीं था | लेकिन रीमाँ के लिये बेहद तकलीफदेह था | वो तड़प रही थी बिलख रही थी हाथ पैर पटक रही थी लेकिन रीमा ये तकलीफ सह भी रही थी, इतना सब होने के बावजूद उसे पता था न तो वो दोनों उसकी संकरी सुरंगों से लंड निकालने वाले है और न ही वो इसके लिए कहने वाली है | इसी दर्द तड़प से अपनी अनंत वासनाओं के ख्वाबो को पूरा कर रही थी | भले ही उसकी कीमत कुछ भी क्यों न हो | गिरधारी ने रीमा ही गांड में जड़ तक् लंड धंसाने के बाद ऊपर तक खीच लिया और फिर से उसके चुताड़ो पर भीषण ठोकर मारी | रीमा की आँखों में पानी की धार निकल आई | गिरधारी दे दनादन रीमा के पिछले छेद की संकरी गुलाबी सुरंग को चीर कर अपने लंड को सटासट उसमे पेलने लगा |
वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था |
गिरधारी की कमर रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया |
ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड |
रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के खूबसूरत मासूम दर्द भरे चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा |