25-12-2019, 10:14 AM
जितेश के झिझोड़ने के बाद रीमा अपने वजूद में लौटी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी | रीमा को उन दोनों के बीच चल रही नुरा कुश्ती से कोई मतलब नहीं था | वो अपने ही कहे गए शब्दों के सदमे में थी | आखिर उसने क्या कह दिया | वासना के गहरे सागर में गोते लागते हुए भी उसके कान सुन्न हो गए, क्या सच में उसने ही ये कहा है | अपने ही शब्दों को सोचकर वो जड़ सी हो गयी | वो खुद को कोरी गांड मराने के लिए किसी अनजान को बुला रही है | वो उसकी कोरी करारी गांड और जिस्म दोनों की दुर्दशा करेगा | एक बार उसका लंड घुसा नहीं की फिर वो उस आदमी के हाथ की लौड़ी बन जाएगी | बिलकुल सड़क छाप रंडी बनाकर उसकी गाड़ बजाएगा वो | हाय क्यों मै अपने ही जिस्खिम की दुर्रदशा करने पर उतारू हूँ | कोई खुद का सम्मान है यां नहीं उसकी वासना इतनी गहरी है, क्या उसे इस कदर जलील करेगी | उसके खूबसूरत जिस्म की ऐसी की तैसी करवाएगी | उसकी वासना की भूख को वो बस दुसरे के हाथो का खिलौना बनकर रह जाएगी | क्या फर्क पड़ता है रीमा, ये तड़प हमेशा के लिए बुझ जाएगी | अभी कौन तेरी आरती उतार रहा है | अभी भी की हाथ की लौड़ी बनी उसकी बाहों में ही झूल झूल कर चुद रही है | फिर क्या फर्क पड़ता है दो बांहों की जगह चार हो जाएगी, एक लंड की जगह दो हो जायेंगे | एक भले दो, जल्दी से ये तड़प ख़त्म होगी | इस प्यास के लिए किस हद तक जावोगी रीमा, इस वासना को मिटाते मिटाते तुमारा खुद का वजूद ख़त्म हो जायेगा | ये वासना नहीं थी ये पाशविक वासना थी | रीमा की अंतर्मन का वो पहलू जो शायद उससे भी अनछुआ था | ये पाशविकता नहीं तो और क्या थी, एक लंड एक चूत में एक गांड में एक साथ | ये कामुकता का वहशीपन था | क्या करू इसी आग में जलती रहू, लेकिन ऐसे सड़क चलते किसी को अपने जिस्म की गहरइयो में उतार लेना कहाँ तक सही है | रीमा को अपने शब्दों पर पछतावा होने लगा लेकिन तीर तो कमान से निकल चूका था | पता नहीं कौन सी जिद थी, नहीं अब पीछे नहीं हटूंगी | जो भी होगा देखा जायेगा |
जितेश रीमा के फैसले से सन्न रह गया | उधर गिरधारी की तो जैसे लाटरी खुल गयी हो |
जितेश कोकीन चाट कर तरोताजा हो गया था, फिर भी जितेश रीमा को रोकना चाहता था - रीमा एक बार फिर सोच लो .......|
रीमा उसकी बात काटती हुई - बस जितेश मै अब और कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ, तुम ठीक से मेरी चूत को चोदो इतनी देर से चोद रहे हो और मेरी चूत की प्यास तो मिटा नहीं पाए | मेरे पुरे जिस्म का ठेका लेने चले हो |
रीमा ने जितेश को ललकार दिया था | जितेश को भी रीमा पर गुस्सा आ गया |
गिरधारी तो जैसे को जैसे इसी पल का इंतजार था उसने बिजली की तेजी से अपने लंड को मसलते हुए बेड पर पहुँच गया |
रीमा वैसे भी दाहिने करवट लेटी जितेश की बांहों में थी | गिरधारी रीमा के पीछे जाकर लेट बैठ गया |
रीमा बोली - मेरे पीछे आ जाओ |
उसके बाद रीमा एक हाथ से पीछे करके उसके लंड को लार से भिगोकर सानने लगी | गिरधारी को तो जैसे जन्नत मिल गई हो तो सपने में भी नहीं सोचा था कोई इस तरह से इतनी खूबसूरत औरत का पिछवाडा बजाने का सौभाग्य उसे मिलेगा | जितेश रीमा से वैसे भी गुस्सा था ऊपर से गिरधारी से थोड़ी सी जलन होने लगी थी हालांकि वह रीमा के कहे अनुसार उसकी चूत में फिर से लंड पेलने लगा लेकिन वह गिरधारी को लेकर थोड़ा सा असुरक्षा महसूस कर रहा था | क्योंकि गिरधारी एक तो उसका नौकर जैसा था दूसरे रीमा उसके सपनों की मलिका थी और उसे अपनी खुली आँखों के सामने सपनों की मल्लिका को अपने नौकर के साथ शेयर करना पड़ रहा था | उसे लगता का रीमा अब सिर्फ उसकी है, रीमा के जिस्म पर सिर्फ उसका हक़ है | रीमा की जवान और हुस्न लुटने का अधिकार सिर्फ उसका है | रीमा के जिस्म से जिस तरह से वह भोग रहा था यह चीज उसे अखर रही थी | अपने ख्वाबो की मल्लिका को कोई हाथ नहीं लगाने देता यहाँ तो उसी का नौकर उसकी के साथ उसके सपनो की रानी के जिस्म की सबसे नाजुक और कसी कोरी गुलाबी सुरंग का सफ़र तय करने जा रहा था | गिरधारी रीमा की गांड मारने जा रहा था यही सोचकर उसकी छाती पर सांप लोट रहे थे | इसे रात में ही क्यों न भाग दिया कम से कम ये सब तो नहीं देखना पड़ता | साला मेरी बराबरी करेगा इस मादरजात की इतनी औकात हो गयी | पता नहीं रीमा को कौन सा नशा हो गया है अपनी दुर्गति करवाने पर तुली है, आखिर कर भी क्या सकता हूँ जब कुछ सुनने को राजी ही नहीं है | बेटा जितेश अपनी चूत पर फोकस करो बाकि रीमा का जिस्म है वो जाने |
आखिर रीमा की जिद के आगे क्या कर सकता था वह बस चुपचाप अपने सिर को रीमा के उठी हुए उन्नत नुकीली छातियों में धंसाकर उसके छातियों का रस पीने लगा और उसको बेतहाशा चोदने लगा था | इधर रीमा ने ढेर सारी लार से गिरधारी के लंड को भिगो दिया और फिर अपनी गांड के छेद को लार से नम करने लगी |
गिरधारी तो बस रीमा के मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ देना चाहता था | जितेश को रीमा की फिक्र थी | वो गिरधारी के स्वभाव को भी जानता था |
जितेश - मैडम आपको बहुत तकलीफ होगी |
रीमा - तकलीफ तो हर औरत को होती है और इस तकलीफ से कहां तक डरूंगी | जवानी की दहलीज से ही दर्द की शुरआत हो जाती है | हर महीने एक बार तो वो दर्द आता ही है | जब पहली बार चुदती है तब भी तो दर्द होता है | जब नौ महीने तक दर्द नहीं होता तो ऐसा दर्द होता है की जान निकल जाती है | औरत की जिंदगी ही दर्द से भरी है |
जितेश - फिर भी पहली बार मैडम एक साथ दो लंडो को घोटना | फिल्मो की बात अलग है लेकिन हकीकत में तो यह बहुत तकलीफ दे होता है |
रीमा के वासना के नशे के आवेग में ऐसे डूबी हुई थी की जितेश की हर सही बात उसे टोकाटोकी लग रही थी - हां जानती हूँ तकलीफदेह होता है लेकिन लंड मुझे घोटना है और गाड़ तुमारी क्यों फट रही है |
गिरधारी रीमा की गांड के गुलाबी छेद पर अपना सुपाडा रगड़ने लगा | उसकी तो जैसे जन्नत की लाटरी निकल आई हो | उसके लिए तो जैसे कोई अप्सरा खुद ही अपना जिस्म उसे सौंप रही हो | रीमा की लार से उसका लंड और गांड के कसे छल्ले का बाहरी इलाका पूरी तरह गीले थे | जितेश तेजी से अपने सिरहाने की तरफ लपका और वैसलीन की डिबिया उसकी तरफ फेंकते हुए - ये ले इसे मल दे छेद पर, रीमाँ मैडम की गांड में क्या सुखा लंड पेल देगा | मैडम की सुखी कसी गांड तेरे लंड की खाल उतार लेगी | बहुत किस्मत वाला है अपनी किस्मत पर नाजकर कि तुझ जैसे लीचड़ को स्वर्ग की अप्सरा खुद अपनी गांड का छेद खोलने को आमंत्रित कर रही है |
रीमा झुंझलाती हुई - ओफ्फ्फ तुम लोग मुझे चोदना क्या तब शुरू करोगे जब मेरी सारी हवस का नशा उतर जायेगा |
जितेश - मैडम आपकी सहूलियत का इंतजाम कर रहा था | अब बस बेतहाशा चुदोगी ही | चीखों चिल्लाओ हाथ पाँव पटको , अब तो गाड़ी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ेगी | कितना भी रोकने की कोशिश करोगी रुकने वाली नहीं है |
रीमा को लगा वो नाराज है - तो दौड़ा दो न अपनी ट्रेन, कितना भी चीखू चिल्लाऊ रोकना मत अपनी एक्सप्रेस चुदाई को |
जितेश - नहीं ही रुकेगी | आज आपको पता चलेगा दो लंडो की असली ठुकाई क्या होती है |
गिरधारी - सही कहा बॉस, आज मैडम को दोनों तरफ से जमकर बजाते है देखते है कौन जीतता है |
जितेश - साले तू बहुत उछल रहा है भोसड़ी के |
गिरधारी ने कसकर ढेर सारी वैसलीन अपने लंड पर मल ली और उंगली से रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना भी चिकना बना दिया |
तब रीमा की गांड का मुहाना अच्छे से चिकना हो गया | गिरधारी अब पूरी तरह से रीमा के पीछे आ गया था |
जितेश का लंड रीमा की चूत में अच्छे से धंसा हुआ था |
रीमा और जितेश का चेहरा आमने सामने था | जितेश की ख़ामोशी रीमा ने पहचान ली - नाराज हो |
जितेश - नहीं तो |
रीमा - मुझे ये मानकर चोदो की वो यहाँ है ही नहीं, बस तुम हो और मै, बस मै | मेरी इस तकलीफदेह सफ़र के तुम्ही साथी हो | जब गिरने लगु तो थाम लेना | रीमा ने उसके ओंठो से अपने ओंठो को सटा दिया |
जितेश का गुस्सा तो जैसे छु मंतर हो गया | उफ़ ये औरत भी क्या बला है | फिलहाल अब गुस्सा प्यार में बदल गया था | जितेश ने हकीकत स्वीकार कर ली थी लेकिन गिरधारी को स्वीकार कर पाना उसके लिए संभव नहीं था | अब दो लंडो की ठुकाई पेलाई में रीमा का कचूमर निकलने पर उसे ही उसको संभालना था |
जितेश ने रीमा को खुद से चिपका लिया था, कसकर चिपका लिया था | रीमा को भी पता था ये सफ़र चूत की चुदाई से इतर तकलीफदेह होता है | रीमा ने भी अपनी जांघे जितेश की कमर पर फंसा दी | इधर पीछे गिरधारी ने अपने तने हुए मोटे लंड को रीमा की कसी हुई गांड के कसे हुए छल्ले पर लगाया और अंदर की तरफ टहलने लगा | रीमा की गांड के मुहाने की कसावट फौलादी थी | एक उंगली को तो उसकी गांड का गुलाबी छल्ला कस कर जकड़ लेता था यहाँ तो मुसल लंड | गिरधारी को रीमा की तकलीफ से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं था | वो तो बस रीमा की गांड मराने के ख्याल से ही पगलाया हुआ था | जितेश रीमा को हलके हलके धक्के मार रह था | इधर गिरधारी तो बौराए आदमी की तरह अपने लंड को रीमा की गांड में पेलने की कोशिश करने लगा | गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड ठेलने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा की गांड का फौलादी छल्ला टस से मस नहीं हुआ | ये अलग बात है इस भीषण हमले से रीमा की गांड से उठा एक तीखा दर्द उसके चुताड़ो, जांघो को कांपता उसकी पिंडलियों को हिलाता हुआ उसके बदन में तैर गया |
रीमा के मुहँ से दर्द भरी कराह निकली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामममामआआआआआआआआआआआअ |
रीमा की चुताड़ो की घाटी में एक तीखा सा दर्द उसकी टांगो को कंपाने लगा | रीमा ने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपने गांड के मुहाने पर मल दी | उसके बाद रीमा ने उसको बोला अब वह उसके गांड पर अपने मुसल लंड को सटाए | उतावले गिरधारी ने फिर से ठोकर लगायी और उसका लंड रीमा की गांड पर से फिसलता हुआ जितेश के लंड से जा टकराया जो हौले हौले लंड पेल कर रीमा की चूत की मालिश कर रहा था | तीसरी बार भी उसने कोशिश करी लेकिन कुछ नहीं हुआ उसका लंड रीमा की गांड के छेद से फिसल गया था |
जितेश रीमा के फैसले से सन्न रह गया | उधर गिरधारी की तो जैसे लाटरी खुल गयी हो |
जितेश कोकीन चाट कर तरोताजा हो गया था, फिर भी जितेश रीमा को रोकना चाहता था - रीमा एक बार फिर सोच लो .......|
रीमा उसकी बात काटती हुई - बस जितेश मै अब और कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ, तुम ठीक से मेरी चूत को चोदो इतनी देर से चोद रहे हो और मेरी चूत की प्यास तो मिटा नहीं पाए | मेरे पुरे जिस्म का ठेका लेने चले हो |
रीमा ने जितेश को ललकार दिया था | जितेश को भी रीमा पर गुस्सा आ गया |
गिरधारी तो जैसे को जैसे इसी पल का इंतजार था उसने बिजली की तेजी से अपने लंड को मसलते हुए बेड पर पहुँच गया |
रीमा वैसे भी दाहिने करवट लेटी जितेश की बांहों में थी | गिरधारी रीमा के पीछे जाकर लेट बैठ गया |
रीमा बोली - मेरे पीछे आ जाओ |
उसके बाद रीमा एक हाथ से पीछे करके उसके लंड को लार से भिगोकर सानने लगी | गिरधारी को तो जैसे जन्नत मिल गई हो तो सपने में भी नहीं सोचा था कोई इस तरह से इतनी खूबसूरत औरत का पिछवाडा बजाने का सौभाग्य उसे मिलेगा | जितेश रीमा से वैसे भी गुस्सा था ऊपर से गिरधारी से थोड़ी सी जलन होने लगी थी हालांकि वह रीमा के कहे अनुसार उसकी चूत में फिर से लंड पेलने लगा लेकिन वह गिरधारी को लेकर थोड़ा सा असुरक्षा महसूस कर रहा था | क्योंकि गिरधारी एक तो उसका नौकर जैसा था दूसरे रीमा उसके सपनों की मलिका थी और उसे अपनी खुली आँखों के सामने सपनों की मल्लिका को अपने नौकर के साथ शेयर करना पड़ रहा था | उसे लगता का रीमा अब सिर्फ उसकी है, रीमा के जिस्म पर सिर्फ उसका हक़ है | रीमा की जवान और हुस्न लुटने का अधिकार सिर्फ उसका है | रीमा के जिस्म से जिस तरह से वह भोग रहा था यह चीज उसे अखर रही थी | अपने ख्वाबो की मल्लिका को कोई हाथ नहीं लगाने देता यहाँ तो उसी का नौकर उसकी के साथ उसके सपनो की रानी के जिस्म की सबसे नाजुक और कसी कोरी गुलाबी सुरंग का सफ़र तय करने जा रहा था | गिरधारी रीमा की गांड मारने जा रहा था यही सोचकर उसकी छाती पर सांप लोट रहे थे | इसे रात में ही क्यों न भाग दिया कम से कम ये सब तो नहीं देखना पड़ता | साला मेरी बराबरी करेगा इस मादरजात की इतनी औकात हो गयी | पता नहीं रीमा को कौन सा नशा हो गया है अपनी दुर्गति करवाने पर तुली है, आखिर कर भी क्या सकता हूँ जब कुछ सुनने को राजी ही नहीं है | बेटा जितेश अपनी चूत पर फोकस करो बाकि रीमा का जिस्म है वो जाने |
आखिर रीमा की जिद के आगे क्या कर सकता था वह बस चुपचाप अपने सिर को रीमा के उठी हुए उन्नत नुकीली छातियों में धंसाकर उसके छातियों का रस पीने लगा और उसको बेतहाशा चोदने लगा था | इधर रीमा ने ढेर सारी लार से गिरधारी के लंड को भिगो दिया और फिर अपनी गांड के छेद को लार से नम करने लगी |
गिरधारी तो बस रीमा के मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ देना चाहता था | जितेश को रीमा की फिक्र थी | वो गिरधारी के स्वभाव को भी जानता था |
जितेश - मैडम आपको बहुत तकलीफ होगी |
रीमा - तकलीफ तो हर औरत को होती है और इस तकलीफ से कहां तक डरूंगी | जवानी की दहलीज से ही दर्द की शुरआत हो जाती है | हर महीने एक बार तो वो दर्द आता ही है | जब पहली बार चुदती है तब भी तो दर्द होता है | जब नौ महीने तक दर्द नहीं होता तो ऐसा दर्द होता है की जान निकल जाती है | औरत की जिंदगी ही दर्द से भरी है |
जितेश - फिर भी पहली बार मैडम एक साथ दो लंडो को घोटना | फिल्मो की बात अलग है लेकिन हकीकत में तो यह बहुत तकलीफ दे होता है |
रीमा के वासना के नशे के आवेग में ऐसे डूबी हुई थी की जितेश की हर सही बात उसे टोकाटोकी लग रही थी - हां जानती हूँ तकलीफदेह होता है लेकिन लंड मुझे घोटना है और गाड़ तुमारी क्यों फट रही है |
गिरधारी रीमा की गांड के गुलाबी छेद पर अपना सुपाडा रगड़ने लगा | उसकी तो जैसे जन्नत की लाटरी निकल आई हो | उसके लिए तो जैसे कोई अप्सरा खुद ही अपना जिस्म उसे सौंप रही हो | रीमा की लार से उसका लंड और गांड के कसे छल्ले का बाहरी इलाका पूरी तरह गीले थे | जितेश तेजी से अपने सिरहाने की तरफ लपका और वैसलीन की डिबिया उसकी तरफ फेंकते हुए - ये ले इसे मल दे छेद पर, रीमाँ मैडम की गांड में क्या सुखा लंड पेल देगा | मैडम की सुखी कसी गांड तेरे लंड की खाल उतार लेगी | बहुत किस्मत वाला है अपनी किस्मत पर नाजकर कि तुझ जैसे लीचड़ को स्वर्ग की अप्सरा खुद अपनी गांड का छेद खोलने को आमंत्रित कर रही है |
रीमा झुंझलाती हुई - ओफ्फ्फ तुम लोग मुझे चोदना क्या तब शुरू करोगे जब मेरी सारी हवस का नशा उतर जायेगा |
जितेश - मैडम आपकी सहूलियत का इंतजाम कर रहा था | अब बस बेतहाशा चुदोगी ही | चीखों चिल्लाओ हाथ पाँव पटको , अब तो गाड़ी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ेगी | कितना भी रोकने की कोशिश करोगी रुकने वाली नहीं है |
रीमा को लगा वो नाराज है - तो दौड़ा दो न अपनी ट्रेन, कितना भी चीखू चिल्लाऊ रोकना मत अपनी एक्सप्रेस चुदाई को |
जितेश - नहीं ही रुकेगी | आज आपको पता चलेगा दो लंडो की असली ठुकाई क्या होती है |
गिरधारी - सही कहा बॉस, आज मैडम को दोनों तरफ से जमकर बजाते है देखते है कौन जीतता है |
जितेश - साले तू बहुत उछल रहा है भोसड़ी के |
गिरधारी ने कसकर ढेर सारी वैसलीन अपने लंड पर मल ली और उंगली से रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना भी चिकना बना दिया |
तब रीमा की गांड का मुहाना अच्छे से चिकना हो गया | गिरधारी अब पूरी तरह से रीमा के पीछे आ गया था |
जितेश का लंड रीमा की चूत में अच्छे से धंसा हुआ था |
रीमा और जितेश का चेहरा आमने सामने था | जितेश की ख़ामोशी रीमा ने पहचान ली - नाराज हो |
जितेश - नहीं तो |
रीमा - मुझे ये मानकर चोदो की वो यहाँ है ही नहीं, बस तुम हो और मै, बस मै | मेरी इस तकलीफदेह सफ़र के तुम्ही साथी हो | जब गिरने लगु तो थाम लेना | रीमा ने उसके ओंठो से अपने ओंठो को सटा दिया |
जितेश का गुस्सा तो जैसे छु मंतर हो गया | उफ़ ये औरत भी क्या बला है | फिलहाल अब गुस्सा प्यार में बदल गया था | जितेश ने हकीकत स्वीकार कर ली थी लेकिन गिरधारी को स्वीकार कर पाना उसके लिए संभव नहीं था | अब दो लंडो की ठुकाई पेलाई में रीमा का कचूमर निकलने पर उसे ही उसको संभालना था |
जितेश ने रीमा को खुद से चिपका लिया था, कसकर चिपका लिया था | रीमा को भी पता था ये सफ़र चूत की चुदाई से इतर तकलीफदेह होता है | रीमा ने भी अपनी जांघे जितेश की कमर पर फंसा दी | इधर पीछे गिरधारी ने अपने तने हुए मोटे लंड को रीमा की कसी हुई गांड के कसे हुए छल्ले पर लगाया और अंदर की तरफ टहलने लगा | रीमा की गांड के मुहाने की कसावट फौलादी थी | एक उंगली को तो उसकी गांड का गुलाबी छल्ला कस कर जकड़ लेता था यहाँ तो मुसल लंड | गिरधारी को रीमा की तकलीफ से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं था | वो तो बस रीमा की गांड मराने के ख्याल से ही पगलाया हुआ था | जितेश रीमा को हलके हलके धक्के मार रह था | इधर गिरधारी तो बौराए आदमी की तरह अपने लंड को रीमा की गांड में पेलने की कोशिश करने लगा | गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड ठेलने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा की गांड का फौलादी छल्ला टस से मस नहीं हुआ | ये अलग बात है इस भीषण हमले से रीमा की गांड से उठा एक तीखा दर्द उसके चुताड़ो, जांघो को कांपता उसकी पिंडलियों को हिलाता हुआ उसके बदन में तैर गया |
रीमा के मुहँ से दर्द भरी कराह निकली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामममामआआआआआआआआआआआअ |
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रीमा की चुताड़ो की घाटी में एक तीखा सा दर्द उसकी टांगो को कंपाने लगा | रीमा ने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपने गांड के मुहाने पर मल दी | उसके बाद रीमा ने उसको बोला अब वह उसके गांड पर अपने मुसल लंड को सटाए | उतावले गिरधारी ने फिर से ठोकर लगायी और उसका लंड रीमा की गांड पर से फिसलता हुआ जितेश के लंड से जा टकराया जो हौले हौले लंड पेल कर रीमा की चूत की मालिश कर रहा था | तीसरी बार भी उसने कोशिश करी लेकिन कुछ नहीं हुआ उसका लंड रीमा की गांड के छेद से फिसल गया था |