25-12-2019, 12:29 AM
रीमा ने तुरंत मुहँ घुमा लिया लेकिन उसके शब्द उसके कानो को चीरते हुए उसके दिल तक घुस गए | हाथ भले ही उसका अपंग हो गया हो लेकिन लंड में बहुत जान थी | कड़क तगड़ा लंड था | रीमा के दिमाग में पहली बार उसके लड़ का ख्याल आया | रीमा का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं था | रीमा ने इस नजरिये से सोचा भी नहीं था | नीचे से जितेश धक्के पर धक्के लगा रहा था | रीमा की कराहे तो छुट रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और ही चला गया | उसके दिमाग में बस बारबार एक ही वाकया गूम रहा था - आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
दुनिया के कितने मर्द एक खूबसूरत नंगी औरत को इस तरह से सामने चुदते हुए देख ऐसा कह सकते है | जितेश रीमा के उरोजो से खेल रहा था | नीचे से लग रहे धक्को से उसका बदन हिल रहा था लेकिन वो कही और ही खो गयी | रीमा पूरी तरह से नंगी होकर एक मर्द के सामने चुद रही थी और उसे सिर्फ इसी बात में सतोष था की वो उसके नंगे जिस्म को देख प् रहा | सच ही कहावत है छोटे आदमी का दिल बड़ा होता है और मन संतोषी | अगर वो चाहे तो क्या उसे हासिल नहीं कर सकता लेकिन अपनी हद लाघने को तैयार नहीं है | उसके लिए बस रीमा के खूबसूरत जिस्म को निहारने में ही स्वर्ग का सुख मिल जायेगा | रीमा के अन्दर उसके लिए हमदर्दी पनपने लगी |
रीमा की सेक्स में दिलचस्पी न देखते हुए आखिरकार जितेश ने पूछ लिया - क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस ऐसे ही, कुछ सोच रही थी |
जितेश - कमाल करती हो, मेरा सारा ध्यान अपने ऊपर लगवा कर खुद किसी और के बारे में सोच रही हो |
रीमा - नहीं ऐसा नहीं है |
जितेश अब वासना के आवेग में पूरी तरह डूब चूका था |
उसने रीमा के चुताड़ो पर एक जोरदार ठोकर मारी और ठहर गया - तो फिर क्या है बताओ तो सही क्या हुआ |
रीमा - आआआआह्नह्हींह्ह कुछ नहीं बस ऐसे ही, बेबी तुम चोदो न मुझे तुम क्यों रुक गए |
जितेश - मै अकेला चोदु ? क्या चल रहा है दिमाग में बतावो न बेबी तभी तो पता चलेगा |
जितेश फिर से रीमा को चोदने लगा | रीमा सिसकारियां भरने लगी |
रीमा - जितेश क्या जो हम कर रहे हो ैं वह ठीक है मतलब मतलब वह आदमी नीचे लेटा हुआ अकेला और हम यहां पर जवानी का मजा लूट रहे हैं चुदाई कर रहे हैं क्या यह ठीक है |
जितेश बोला - मैं कुछ समझा नहीं |
रीमा - मेरा मतलब साफ है वह नीचे वहां अकेला लेटा हुआ है और हम यहां अपने अपने जिस्म की भूख और वासना में डूबे हुए हैं |
जितेश रीमा की चुताड़ो पर लगातार ठोकरे मारता हुआ - तो क्या हुआ हर कोई ऐसे ही तो करता है |
रीमा -हां लेकिन जब तीसरा आदमी होता है तब भी क्या हम ऐसे ही करते हैं |
जितेश पुरे जोश में था - पहेली मत बुझावो |
रीमा जितेश की ठोकरों को अपनी चूत की गहराई में महसूस कर रही थी लेकिन उसका दिमाग कही और ही था |
रीमा - अगर हमें पता होता कि कोई तीसरा यहां नहीं है तब तो ठीक था लेकिन जब हमें पता है वो तीसरा यही है और वह सब कुछ देख चुका है या देख रहा है तो क्यों ना हम उसे अपने खेल में शामिल कर लें |
जितेश थोड़ा हैरान होता हुआ - यह क्या बकवास कर रही हो रीमा |
तीसरे के ख्याल से ही रीमा के मन कोने में एक रोमान्च सा पैदा होने लगा | वो वासना में पूरी तरह डूब चुकी थी |
जितेश की बेतहाशा चुदाई से वो मदहोश हो चुकी थी इसलिए अब उसका विवेक भी वासना के चश्मे से ही सब सोच समझ रहा था | तीसरे का ख्याल आते ही उसके दिमाग में नूतन घूम गयी | कैसे इतनी कच्ची उम्र में वो आराम से दो लंड को एक साथ चूस रही थी | कुछ तो अलग अहसास होता होगा जिससे मै अनजान हूँ | जिस अहसास को नूतन इतनी कच्ची उम्र में अनुभव कर चुकी है उससे मै अभी तक अनजान हूँ | रीमा को लगा नूतन उससे आगे कही निकल गयी जबकि वो कल की छोकरी है, नहीं मै कैसे पीछे रह सकती हूँ | कैसे कपिल एक साथ दो लडकियों बारी बारी से चोद रहा था | आखिर वो सब कर सकते है तो मै क्यों नहीं, मै तो उनसे हर मामले में बेहतर हूँ |उसके मन की दबी लालसाओ की परते खुलने लगी थी, उसके अन्दर की दबी रीमा अपने खोल से बाहर आकर इस रीमा को निगलने लगी |
उसने रिवर लॉज में एक साथ दो औरतें देखी थी और कैसे दोनों औरतें कपिल को सारा सुख देने को आतुर थी | जब 2 औरतें एक मर्द को सुख दे सकती हैं तो क्या एक औरत दो मर्दो को सुख नहीं दे सकती | रीमा अपने ही अन्दर के छिपे जंगली रीमा के आगोश में सामने लगी | अपने मन के उस कोने में झाकने लगी थी जहाँ जाने से वो हमेशा डरती थी | जब भी उसे वासना का बुखार चढ़ता तभी उसके मन के कोने की परते खुलती थी | रीमा अपने मन को टटोलने से झिझक रही थी | पता नहीं क्या निकल कर आ जाये वो उसके सामने हजार सवाल छोड़ जाये | ऐसे ख्याल उसे आते ही तब थे जब उसके अंदर की वास्तविक वासना जग जाती थी | उसे पता था अब वह वह नहीं रहेगी जो वह खुद थी वह कोई हो जाएगी | उसके मन के कोने में बैठी हुई थी उसी की अंतर्उमन की वासना का एक रूप जिसकी परछाई से बजी वो भागती रहती थी | उसके मन में बार-बार वही शब्द घूम रहा था मैं हाथ से काम चला लूंगा | रीमा के दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर उसकी क्या गलती है | रीमा की ही एक प्रतिलिपि उसके असली रूप को ढककर उसके सामने आ गया | वासना में फडफडा रही रीमा को ये रूप ज्यादा सहज लग रहा था, जहाँ उसका मन एक तरफ़ा था न कोई प्रतिरोध न कोई बंधन | सब कुछ सोचने करने के उन्मुक्त आजाद |
हमारी चुदाई देख कर ही तो उसके मन में यह ख्याल आया होगा आखिर मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर तो उसका लंड खड़ा हुआ होगा इसमें उसकी क्या गलती है दो औरतें एक आदमी को एक साथ वासना का नंगा नाच कर सकती हैं तो एक औरत क्या दो आदमियों को एक साथ खुश नहीं कर सकती |
उसकी गुलाबी चूत में लग रहे जितेश के लगातार लग रहे तेज दनादन धक्को ने उसे वासना के सागर में और गहरे तक डुबो दिया |
रीमा भीषण चुदाई से कांपती आवाज में बोली - जितेश मैंने एक बार देखा था कि 2 औरतें एक आदमी को एक साथ चोद रही थी |
जितेश हांफता हुआ - तो |
रीमा - तो एक औरत दो आदमी भी तो हो सकते है |
जितेश रीमा के शब्दों को समझता हुआ - क्या बकवास कर रही हो रीमा ऐसा कैसे हो सकता है | मतलब तुमने सोचा भी कैसे |
रीमा - गुस्सा मत हो जितेश मैं सिर्फ इतना कह रही हूं | आखिर उसकी क्या गलती है मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर ही तो उसके अंदर की भावनाएं जागी है और उसका लंड खड़ा हुआ है तो क्या हम उसे इसी तरह से छोड़ दें उसी के हाल पर |
जितेश के बेतहाशा लग रहे धक्के रुक गए - वह मेरा एक तरह से नौकर है और मैं जो कहूंगा वह वही करेगा | उसके साथ मै तुम्हे ......... सोचकर ही मन कसैला हो जा रहा है | वो रीमा के चूत दाने को मसलने लगा | रीमा ने भी उसके ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए |
उसे चुमते हुए रीमा बोली - तो क्या हुआ वह तुम्हारा नौकर है तो वह भी इंसान ना | फिर इस वासना के रिश्ते में कोई छोटा बड़ा नहीं | ये रिश्ता इंसानों की दुनिया से नहीं बनता | ये रिश्ता लंड और चूत की दुनिया का रिश्ता है, यहाँ इंसानों के नहीं लंड और चूत के नियम चलते है | मैं नहीं चाहती कि वह इस तरह से अकेला बेबस होकर .......................................................|
जितेश - तुम अपने होश में नहीं हो |
रीमा कामुकता से जितेश की तरफ देखती हुई - पता है वो इतना वफादार क्यों है क्योंकि बहुत छोटी सी चीज से भी उसे संतोष हो जाता है | वो सिर्फ इस बात से खुस है की वो मुझे देख पा रहा है, उसने इससे ज्यादा कुछ नहीं माँगा | वरना बड़ी बड़ी हवेलियों में घर के नौकर मौका मिलने पर हवेली की मालकिन के साथ साथ हवेली की बहुओं को भी चोद डालते है | जब चूत खुद सामने जांघे फैलाकर बैठी हो तो कौन उसे सिर्फ देखकर खुश होता है |
जितेश हांफता हुआ- तुमसे जीतना तो बहुत मुश्किल है | बताओ क्या करना चाहती हो |
जितेश के दनादन धक्के लगाकर अपने लंड को जिस वासना के सुरूर में डुबोया था वो चुदाई का चढ़ा सारा नशा फिर से उतरने लगा | उसका लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया |
रीमा - मैं चाहती हूं तुम उसे यहां पास में बुला लो |
जितेश - फिर क्या करोगी |
रीमा - मुझे भी नहीं पता नहीं मैं क्या करूंगी | लेकिन मैं चाहती हूं जिस तरह से मैं तुम्हें सुख दे रही हूं, तुम पर अपना सब कुछ लुटा रही हूँ इसी लूट की छिटकन का ही वो मजा ले ले |
जितेश - कही तुमारा दिल उसके लंड पर तो नहीं अटक गया है | कही मेरे बाद उसे चोदने के लिए अपनी चूत तो नहीं दे दोगी |
रीमा खामोश रही | उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है फिर जितेश के सवाल का जवाब कहाँ से देती |
जितेश के अन्दर रीमा की बातो इर्ष्या घर कर गयी, आखिर रीमा सिर्फ उसकी है वो आखिर रीमा को उस नौकर के साथ नहीं नहीं ये नहीं हो सकता , उसने रीमा से वादा माँगा - मुझे लगता है मेरे बाद उसे अपनी चूत चोदने के लिए दोगी, पक्का है उसके लंड को देखकर तुमारी लार टपकने लगी है , तुमारी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही हो | चूत को चोदने के लिए तो मुझे तो रात में लाखों कसमे वादे खिला रही थी | जनम जन्मान्तर की कसमे | अब उसके लंड को देखकर तुमारा मन बेईमान हो गया है | सच बोलो, उससे चुदने की ख्वाइश जग गयी है |
रीमा मजबूती से प्रतिकार करती हुई - नहीं |
जितेश - तो फिर क्या करोगी | जब उसे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम उसको लेकर इतनी परेशान क्यों हो रही हो |
रीमा - मैं परेशान नहीं हो रही हूं मैं बस चाहती हूं जैसे मैं तुम्हें सुख दे रही हूं अपने हुस्न और जवानी का समुन्दर तुम पर लुटा रही हूँ उसकी कुछ बुँदे उसे भी मिल जाये |
अब तक रीमा के चूत दाने को मसल रहे जितेश के हाथ भी रुक गए |
जितेश - तुम न पागल हो गयी हो |
रीमा ने फिर से जितेश का हाथ अपने चूत दाने से सटा दिया - मै तुम पर इतना भरोसा करती हूँ की सब कुछ तुम्हे सौंप दिया, तुम इतना भरोसा नहीं कर सकते |
जितेश निरुत्तर हो गया | रीमा के जवाब के आगे उसे कुछ कहते नहीं बना |
रीमा ने जितेश का बाहर झूल रहा लंड अपनी चूत में घुसेड लिया | जितेश घूर घूर कर गिरधारी को देख रहा था |
जितेश - तो बतावो क्या करना है |
रीमा - अब तुम्हें कुछ नहीं करना है जो तुम्हें करना था तुम कर रहे थे और वही करते रहो |
जितेश - क्या ?
रीमा उसे चूमती हुई - मुझे चोदो न बेबी क्या इधर उधर की बातो में पड़े हो , जमकर कसकर चोदो न|
जितेश को अभी भी संतोष नहीं हुआ उसने पूछा - तुम क्या करने वाली हो |
रीमा - कुछ नहीं बाद मोरे राजा अब मुझे चोदो ............. कितनी देर से तडपा कर रखा है मेरी गुलाबी मखमली चूत को , और कितना तड़पावोगे, मेरी चूत तुमारे लंड की भूखी है सिर्फ तुमारे, इसीलिए ये सिर्फ तुमारा लंड खाएगी | अभी आगे और हमेशा, अब खुश |
जितेश उसे लेकर लुढ़क गया | रीमा नीचे हो गयी और जितेश ऊपर हो गया | जितेश ने रीमा की चूत में गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिए | रीमा को चोदते चोदते वो दाहिनी तरफ को खिसकता चला गया |
दुनिया के कितने मर्द एक खूबसूरत नंगी औरत को इस तरह से सामने चुदते हुए देख ऐसा कह सकते है | जितेश रीमा के उरोजो से खेल रहा था | नीचे से लग रहे धक्को से उसका बदन हिल रहा था लेकिन वो कही और ही खो गयी | रीमा पूरी तरह से नंगी होकर एक मर्द के सामने चुद रही थी और उसे सिर्फ इसी बात में सतोष था की वो उसके नंगे जिस्म को देख प् रहा | सच ही कहावत है छोटे आदमी का दिल बड़ा होता है और मन संतोषी | अगर वो चाहे तो क्या उसे हासिल नहीं कर सकता लेकिन अपनी हद लाघने को तैयार नहीं है | उसके लिए बस रीमा के खूबसूरत जिस्म को निहारने में ही स्वर्ग का सुख मिल जायेगा | रीमा के अन्दर उसके लिए हमदर्दी पनपने लगी |
रीमा की सेक्स में दिलचस्पी न देखते हुए आखिरकार जितेश ने पूछ लिया - क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस ऐसे ही, कुछ सोच रही थी |
जितेश - कमाल करती हो, मेरा सारा ध्यान अपने ऊपर लगवा कर खुद किसी और के बारे में सोच रही हो |
रीमा - नहीं ऐसा नहीं है |
जितेश अब वासना के आवेग में पूरी तरह डूब चूका था |
उसने रीमा के चुताड़ो पर एक जोरदार ठोकर मारी और ठहर गया - तो फिर क्या है बताओ तो सही क्या हुआ |
रीमा - आआआआह्नह्हींह्ह कुछ नहीं बस ऐसे ही, बेबी तुम चोदो न मुझे तुम क्यों रुक गए |
जितेश - मै अकेला चोदु ? क्या चल रहा है दिमाग में बतावो न बेबी तभी तो पता चलेगा |
जितेश फिर से रीमा को चोदने लगा | रीमा सिसकारियां भरने लगी |
रीमा - जितेश क्या जो हम कर रहे हो ैं वह ठीक है मतलब मतलब वह आदमी नीचे लेटा हुआ अकेला और हम यहां पर जवानी का मजा लूट रहे हैं चुदाई कर रहे हैं क्या यह ठीक है |
जितेश बोला - मैं कुछ समझा नहीं |
रीमा - मेरा मतलब साफ है वह नीचे वहां अकेला लेटा हुआ है और हम यहां अपने अपने जिस्म की भूख और वासना में डूबे हुए हैं |
जितेश रीमा की चुताड़ो पर लगातार ठोकरे मारता हुआ - तो क्या हुआ हर कोई ऐसे ही तो करता है |
रीमा -हां लेकिन जब तीसरा आदमी होता है तब भी क्या हम ऐसे ही करते हैं |
जितेश पुरे जोश में था - पहेली मत बुझावो |
रीमा जितेश की ठोकरों को अपनी चूत की गहराई में महसूस कर रही थी लेकिन उसका दिमाग कही और ही था |
रीमा - अगर हमें पता होता कि कोई तीसरा यहां नहीं है तब तो ठीक था लेकिन जब हमें पता है वो तीसरा यही है और वह सब कुछ देख चुका है या देख रहा है तो क्यों ना हम उसे अपने खेल में शामिल कर लें |
जितेश थोड़ा हैरान होता हुआ - यह क्या बकवास कर रही हो रीमा |
तीसरे के ख्याल से ही रीमा के मन कोने में एक रोमान्च सा पैदा होने लगा | वो वासना में पूरी तरह डूब चुकी थी |
जितेश की बेतहाशा चुदाई से वो मदहोश हो चुकी थी इसलिए अब उसका विवेक भी वासना के चश्मे से ही सब सोच समझ रहा था | तीसरे का ख्याल आते ही उसके दिमाग में नूतन घूम गयी | कैसे इतनी कच्ची उम्र में वो आराम से दो लंड को एक साथ चूस रही थी | कुछ तो अलग अहसास होता होगा जिससे मै अनजान हूँ | जिस अहसास को नूतन इतनी कच्ची उम्र में अनुभव कर चुकी है उससे मै अभी तक अनजान हूँ | रीमा को लगा नूतन उससे आगे कही निकल गयी जबकि वो कल की छोकरी है, नहीं मै कैसे पीछे रह सकती हूँ | कैसे कपिल एक साथ दो लडकियों बारी बारी से चोद रहा था | आखिर वो सब कर सकते है तो मै क्यों नहीं, मै तो उनसे हर मामले में बेहतर हूँ |उसके मन की दबी लालसाओ की परते खुलने लगी थी, उसके अन्दर की दबी रीमा अपने खोल से बाहर आकर इस रीमा को निगलने लगी |
उसने रिवर लॉज में एक साथ दो औरतें देखी थी और कैसे दोनों औरतें कपिल को सारा सुख देने को आतुर थी | जब 2 औरतें एक मर्द को सुख दे सकती हैं तो क्या एक औरत दो मर्दो को सुख नहीं दे सकती | रीमा अपने ही अन्दर के छिपे जंगली रीमा के आगोश में सामने लगी | अपने मन के उस कोने में झाकने लगी थी जहाँ जाने से वो हमेशा डरती थी | जब भी उसे वासना का बुखार चढ़ता तभी उसके मन के कोने की परते खुलती थी | रीमा अपने मन को टटोलने से झिझक रही थी | पता नहीं क्या निकल कर आ जाये वो उसके सामने हजार सवाल छोड़ जाये | ऐसे ख्याल उसे आते ही तब थे जब उसके अंदर की वास्तविक वासना जग जाती थी | उसे पता था अब वह वह नहीं रहेगी जो वह खुद थी वह कोई हो जाएगी | उसके मन के कोने में बैठी हुई थी उसी की अंतर्उमन की वासना का एक रूप जिसकी परछाई से बजी वो भागती रहती थी | उसके मन में बार-बार वही शब्द घूम रहा था मैं हाथ से काम चला लूंगा | रीमा के दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर उसकी क्या गलती है | रीमा की ही एक प्रतिलिपि उसके असली रूप को ढककर उसके सामने आ गया | वासना में फडफडा रही रीमा को ये रूप ज्यादा सहज लग रहा था, जहाँ उसका मन एक तरफ़ा था न कोई प्रतिरोध न कोई बंधन | सब कुछ सोचने करने के उन्मुक्त आजाद |
हमारी चुदाई देख कर ही तो उसके मन में यह ख्याल आया होगा आखिर मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर तो उसका लंड खड़ा हुआ होगा इसमें उसकी क्या गलती है दो औरतें एक आदमी को एक साथ वासना का नंगा नाच कर सकती हैं तो एक औरत क्या दो आदमियों को एक साथ खुश नहीं कर सकती |
उसकी गुलाबी चूत में लग रहे जितेश के लगातार लग रहे तेज दनादन धक्को ने उसे वासना के सागर में और गहरे तक डुबो दिया |
रीमा भीषण चुदाई से कांपती आवाज में बोली - जितेश मैंने एक बार देखा था कि 2 औरतें एक आदमी को एक साथ चोद रही थी |
जितेश हांफता हुआ - तो |
रीमा - तो एक औरत दो आदमी भी तो हो सकते है |
जितेश रीमा के शब्दों को समझता हुआ - क्या बकवास कर रही हो रीमा ऐसा कैसे हो सकता है | मतलब तुमने सोचा भी कैसे |
रीमा - गुस्सा मत हो जितेश मैं सिर्फ इतना कह रही हूं | आखिर उसकी क्या गलती है मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर ही तो उसके अंदर की भावनाएं जागी है और उसका लंड खड़ा हुआ है तो क्या हम उसे इसी तरह से छोड़ दें उसी के हाल पर |
जितेश के बेतहाशा लग रहे धक्के रुक गए - वह मेरा एक तरह से नौकर है और मैं जो कहूंगा वह वही करेगा | उसके साथ मै तुम्हे ......... सोचकर ही मन कसैला हो जा रहा है | वो रीमा के चूत दाने को मसलने लगा | रीमा ने भी उसके ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए |
उसे चुमते हुए रीमा बोली - तो क्या हुआ वह तुम्हारा नौकर है तो वह भी इंसान ना | फिर इस वासना के रिश्ते में कोई छोटा बड़ा नहीं | ये रिश्ता इंसानों की दुनिया से नहीं बनता | ये रिश्ता लंड और चूत की दुनिया का रिश्ता है, यहाँ इंसानों के नहीं लंड और चूत के नियम चलते है | मैं नहीं चाहती कि वह इस तरह से अकेला बेबस होकर .......................................................|
जितेश - तुम अपने होश में नहीं हो |
रीमा कामुकता से जितेश की तरफ देखती हुई - पता है वो इतना वफादार क्यों है क्योंकि बहुत छोटी सी चीज से भी उसे संतोष हो जाता है | वो सिर्फ इस बात से खुस है की वो मुझे देख पा रहा है, उसने इससे ज्यादा कुछ नहीं माँगा | वरना बड़ी बड़ी हवेलियों में घर के नौकर मौका मिलने पर हवेली की मालकिन के साथ साथ हवेली की बहुओं को भी चोद डालते है | जब चूत खुद सामने जांघे फैलाकर बैठी हो तो कौन उसे सिर्फ देखकर खुश होता है |
जितेश हांफता हुआ- तुमसे जीतना तो बहुत मुश्किल है | बताओ क्या करना चाहती हो |
जितेश के दनादन धक्के लगाकर अपने लंड को जिस वासना के सुरूर में डुबोया था वो चुदाई का चढ़ा सारा नशा फिर से उतरने लगा | उसका लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया |
रीमा - मैं चाहती हूं तुम उसे यहां पास में बुला लो |
जितेश - फिर क्या करोगी |
रीमा - मुझे भी नहीं पता नहीं मैं क्या करूंगी | लेकिन मैं चाहती हूं जिस तरह से मैं तुम्हें सुख दे रही हूं, तुम पर अपना सब कुछ लुटा रही हूँ इसी लूट की छिटकन का ही वो मजा ले ले |
जितेश - कही तुमारा दिल उसके लंड पर तो नहीं अटक गया है | कही मेरे बाद उसे चोदने के लिए अपनी चूत तो नहीं दे दोगी |
रीमा खामोश रही | उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है फिर जितेश के सवाल का जवाब कहाँ से देती |
जितेश के अन्दर रीमा की बातो इर्ष्या घर कर गयी, आखिर रीमा सिर्फ उसकी है वो आखिर रीमा को उस नौकर के साथ नहीं नहीं ये नहीं हो सकता , उसने रीमा से वादा माँगा - मुझे लगता है मेरे बाद उसे अपनी चूत चोदने के लिए दोगी, पक्का है उसके लंड को देखकर तुमारी लार टपकने लगी है , तुमारी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही हो | चूत को चोदने के लिए तो मुझे तो रात में लाखों कसमे वादे खिला रही थी | जनम जन्मान्तर की कसमे | अब उसके लंड को देखकर तुमारा मन बेईमान हो गया है | सच बोलो, उससे चुदने की ख्वाइश जग गयी है |
रीमा मजबूती से प्रतिकार करती हुई - नहीं |
जितेश - तो फिर क्या करोगी | जब उसे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम उसको लेकर इतनी परेशान क्यों हो रही हो |
रीमा - मैं परेशान नहीं हो रही हूं मैं बस चाहती हूं जैसे मैं तुम्हें सुख दे रही हूं अपने हुस्न और जवानी का समुन्दर तुम पर लुटा रही हूँ उसकी कुछ बुँदे उसे भी मिल जाये |
अब तक रीमा के चूत दाने को मसल रहे जितेश के हाथ भी रुक गए |
जितेश - तुम न पागल हो गयी हो |
रीमा ने फिर से जितेश का हाथ अपने चूत दाने से सटा दिया - मै तुम पर इतना भरोसा करती हूँ की सब कुछ तुम्हे सौंप दिया, तुम इतना भरोसा नहीं कर सकते |
जितेश निरुत्तर हो गया | रीमा के जवाब के आगे उसे कुछ कहते नहीं बना |
रीमा ने जितेश का बाहर झूल रहा लंड अपनी चूत में घुसेड लिया | जितेश घूर घूर कर गिरधारी को देख रहा था |
जितेश - तो बतावो क्या करना है |
रीमा - अब तुम्हें कुछ नहीं करना है जो तुम्हें करना था तुम कर रहे थे और वही करते रहो |
जितेश - क्या ?
रीमा उसे चूमती हुई - मुझे चोदो न बेबी क्या इधर उधर की बातो में पड़े हो , जमकर कसकर चोदो न|
जितेश को अभी भी संतोष नहीं हुआ उसने पूछा - तुम क्या करने वाली हो |
रीमा - कुछ नहीं बाद मोरे राजा अब मुझे चोदो ............. कितनी देर से तडपा कर रखा है मेरी गुलाबी मखमली चूत को , और कितना तड़पावोगे, मेरी चूत तुमारे लंड की भूखी है सिर्फ तुमारे, इसीलिए ये सिर्फ तुमारा लंड खाएगी | अभी आगे और हमेशा, अब खुश |
जितेश उसे लेकर लुढ़क गया | रीमा नीचे हो गयी और जितेश ऊपर हो गया | जितेश ने रीमा की चूत में गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिए | रीमा को चोदते चोदते वो दाहिनी तरफ को खिसकता चला गया |