25-12-2019, 12:28 AM
इधर जब यह नजारा रीमा और जितेश ने देखा तो दोनों हक्के बक्के रह गए आखिर अब करें तो क्या करें चोरी तो उनकी ही पकड़ी गई है | इस तरह से दोनों नंगे बदन एक दूसरे को से चिपके हुए और चोदते हुए आखिर उनको एक तीसरे आदमी ने पकड़ लिया है | अब क्या करें कि रीमा तो काफी घबरा गई थी उसको तो उसकी तरफ देखने से भी शर्म आ रही थी |
रीमा अपनी लाज शर्म छोड़ नंगी ही बीच बचाव को आ गयी नहीं तो शायद जितेश उसे पीट पीट कर अधमरा ही कर डालता |
रीमा - छोड़ दो जितेश | जितेश की ताकत के आगे रीमा का क्या बस था लेकिन रीमा ने उसके ओंठो अपने ओंठ चिपका दिए | जितेश को ठेलती हुए किसी तरह से गिरधारी से दूर बिस्तर पर लायी |
रीमा - हे जितेश मेरी तरफ देखो मेरी तरफ , सिर्फ मेरी आँखों में |
उसका चेहरा थामकर चूमने हुए , उसकी आँखों में आंखे डालते हुए - दुनिया में किस किस का मुहँ बंद करोगे, मेरी तरफ देखो | तुम क्या सोचते हो मेरे बारे में मेरे लिए बस वही मायने रखता है | बाकि दुनिया की परवाह किसको है |
रीमा ने उसके हाथ को अपनी नरम छातियों पर ले आई | वो जितेश का पूरा धयान खुद पर केन्द्रित करवाना चाह रही थी |
रीमा - मेरी आँखों में देखो जितेश, अगर तुम्हे बुरा लगा है तो खुलकर वो सब करो जिसका डर तुम्हे दुनिया दिखा रही है | मै हमेशा ऐसे ही सोचती हूँ | मै तुमारे लिए रंडी बनने के लिए तैयार हूँ | आज तुम मुझे रंडी की तरह ही चोदो | देखती हूँ देख लेने उसके बाद तुम्हे ये शब्द इतने तीखे नहीं लगेगे | उस पर की बजाय मुझ पर ध्यान दो |
जितेश का गुस्सा काफी हद तक कम हो गया था | वो फिर से रीमा की मादकता में खोने की कोशिश करने लगा | रीमा उसे चूमती रही | वो रीमा के जिस्म को मसलता रहा | उसके बाद जहाँ गाडी रुकी थी वही से फिर से शुरू करना था | देखते ही देखते रीमा जितेश के ऊपर आ गयी | अभी तक वो गिरधारी से खुद के जिस्म को छिपा रही थी लेकिन इस लडाई ने वो पर्दा भी ख़त्म कर दिया |
रीमा ने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार उड़ेली और उसे अपनी गुलाबी चूत के मुहाने पर सटाकर बैठती चली गयी | जितेश का तना सख्त लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ, भीषण रगड़न के साथ अन्दर तक समां गया | रीमा ने तीन चार बार कमर हिलाई और जितेश के लंड के लिए अपनी चूत में जगह बनायीं | उसके बाद आराम से कमर हिलाकर उसका लंड पानी चूत में सटासट लेने लगी |
इधर गिरधारी जितेश से पिटने के बाद जमीन पर ही फ़ैल गया और रोने लगा - और मारो और मारो |
गिरधारी जमीन पर अपनी छाती पीट पीट रो रहा था | रीमा को पहले पहले लगा वो नौटंकी कर रहा है लेकिन उसके आँखों के निकले आंसू लगा, सच में वो रो रहा है |
गिरधारी - भाग क्यों गए, आवो और मारो, और पीटो, बॉस जो हो | दिन रात लगा रहता हूँ पीछे पालतू कुत्ते की तरह उसका यही सिला दिया है | आज तक कभी चु तक नहीं करी | जो दे देते हो रख लेता हूँ |
जितेश उसकी नौटंकी से परेशान हो रहा था लेकिन इससे पहले जितेश कोई प्रतिक्रिया से रीमा ने झुककर उसके ओंठो को अपने आगोश में ले लिया | रीमा जितेश के कान में फुसफुसाई - तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, उसे बडबडाने दो |
इतना कहकर उसने अपनी नुकीली पहाड़ियों की चोटियों को जितेश के मुहँ से सटा दिया | जितेश में किसी छोटे बच्चे की तरह उन्नत उरोजो की पहाड़ियों से बह रहे रस का रस स्वादन करने लगा |
रीमा जितेश का ध्यान गिरधारी की नौटंकी से हटाने में लगी थी लेकिन उसका खुद का ध्यान अब उसी की तरफ चला गया |
ऐसा लग रहा था वो सच में बहुत दुखी है - और पीटो आकर मुझे, मै तो तुमारा कुत्ता हूँ न | जब मन करेगा रोटी का टुकड़ा फेक दोगे जब मन करेगा दुत्कार दोगे | कितनी जल्दी भूल गए जिस गोली पर तुमारा नाम लिखा था उसे मैंने अपने कंघे पर झेला था | लेकिन आखिर कुत्ता तो कुत्ता होता है |
जितेश फिर से वासना की मस्ती में डूबने लगा था | कुछ ही पलो में उसका गुस्सा जैसे फुर्र हो गया | रीमा ने उसकी तरफ सवलिया नजरो देखा | उसने पलके बंद कर इशारा किया, जैसे वो गिरधारी की बातो को सहमती दे रहा हो |
गिरधारी रोता हुआ - क्या कुछ नहीं किया हाय इस पालतू ने अपने मालिक के लिए | तीन चाकू मारे थे हाथ में लेकिन उफ़ जो मैंने अपने मालिक को छोड़ा हो | जो कुछ मिलता है सब तुमारे चरणों में लाकर रख देता हूँ फिर भी ये सिल दिया मुझे | वो भी एक औरत के लिए |
एक औरत की वजह से मुझ पर हाथ उठा दिया | मेरी इतने दिनों की दिन रात की सेवा का भी ख्याल नहीं आया |
जीत तो तुमसे सकता नहीं, आपाहिज जो हूँ इसलिए और पीट लो | मालिक जो हो, मेरा भाग्य तुमारे हाथ में जो है |
रीमा भी कामुकता के नशे में उतारने लगी थी लेकिन गिरधारी की बकवास अब उसे परेशान कर रही थी |
रीमा जितेश के कान बुदबुदाती हुई - कितना नौटंकी बाज है |
जितेश - मैंने पहली बार हाथ उठाया है | उसके बाये हाथ में तीन बार चाकू से वार हुआ था और मै तीस फीट से ज्यादा ऊँचाई से लटक रहा था लेकिन इसने मुझे पकडे रखा, नहीं तो आज शायद मै जिन्दा नहीं होता |
रीमा ने एक करारा झटका नीचे की तरफ मारा | उसके मांसल चूतड़ जितेश की जांघो से जाकर टकराए और उसका पूरा लंड रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में | जितेश और रीमा दोनों के मुहँ से मादक कराह एक साथ निकल गयी |
दोनों एक साथ कामुकता के जोश में कराह उठे - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह्ह बेबी तुमारा लंड कितना बड़ा है ...................... मेरी पूरी चूत भर गयी है |
गिरधारी की बडबडाना रीमा के कामुक माहौल में खलल डाल रहा था |
रीमा - ओओ फोफोफ़ जितेश अब ये चुप कैसे होगा |
रीमा के लयबद्ध कमर हिलाने से जितेश तो स्वर्ग की सैर करने लगा था | मादक कराह के साथ - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पता नहीं |
रीमा - मुझे देखने की ही इजाजत मांग रहा था, देखने दो न | अब कौन सा पर्दा बचा है वैसे भी उसने सब कुछ तो देख लिया है | अभी भी देख ही रहा है
जितेश - मै उसके साथ चार सालो से काम कर रहा हूँ, उंगली पकड़ कर पन्हुचा पकड़ने वालो में से है | बहुत ही लीचड़ और बेह्शर्म किस्म का इन्सान | मेरे काम धंधे में ऐसे आदमी की जरुरत पड़ती है इसलिए पाल रखा है | लेकिन मुहँ नहीं लगाता हूँ |
रीमा - ऐसा भी क्या जोंक है, हम दोनों को इस तरह नंग धढंग देखकर अरमान जाग जाग गए होंगे, हिलाने दो न अपने हाथ से |
रीमा जितेश के उपर जोरो से उछलती हुई - गलती हमारी ही है | अब क्या करे |
जितेश और रीमा के दिलो दिमाग पर वासना का नशा पूरी तरह से हावी हो चूका था | अब दुसरी तरफ ध्यान लगाने की हालत में नहीं थे | दोनों एक दुसरे में खो से गए |
गिरधारी उधर जमीन पर अपनी छाती पीटता रहा | उसकी कर्कश आवाज उन दोनों के कामुक मादक माहौल को ख़राब कर रही थी |
जितेश से रीमा अनुरोद्ध करती हुई - इससे कुछ बोलो न बेबी | इतनी मेहनत से फोकस आता है ये सारा मूड ख़राब कर रहा है | ये हमारी इंटिमेसी को डिस्टर्ब कर रहा है |
रीमा की कामुक आवाज और तेज उफनती सांसो के बीच निकले शब्द जैसे जितेश के दिल में उतर गए |
जितेश हांफता कांपता कड़क आवाज में बोला - चुप हो जा, देख ले जितना देखना है मैडम |
गिरधारी की आवाज बंद हो गयी | जब उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया | औरत मर्द पर चढ़ी बैठी है | क्या ऐसा भी होता है | उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी | पहली बार वो रीमा के हुस्न का दीदार खुली आखो से भरपूर कर रहा था | कितनी गोरी है, कितने बड़े बड़े दूध है और कैसे फूटबाल की तरह उछाल रहे है |वो हैरान था उसने हमेशा औरत को मर्द की जांघ के नीचे ही देखा था | जिस तरह से खुद को उछाल उछाल कर जितेश का लंड रीमा अपनी चूत में घोंट रही थी वो देखकर गिरधारी तो बस रीमा के गोरे गुलाबी बदन का उछलना ही देखता रहा | उसका रोना धोना सब बंद हो चूका था लेकिन अंदर से वो दुखी था क्यूंकि जितेश ने उस पर हाथ उठाया |
गिरधारी - मुझे मारा क्यों ?
जितेश को ये खलल बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था - गलती हो गयी अब आगे से नहीं होगा |
गिरधारी - लेकिन मुझे मारा क्यों ?
जितेश गरजते हुए - बोला न गलती हो गयी |
बड़ी मुश्किल से दोनों कामुकता में डूबने का माहौल बना पा रहे थे और वो एक पल में ही उसकी ऐसी की तैसी करे दे रहा था |
गिरधारी कुछ देर तक रीमा के हुस्न को घूरता रहा | उसका लंड फिर से तनने लगा | उसे रीमा बहुत अच्छी लग रही थी | इतनी अच्छी की उसके लिए सीने पर गोली खा ले |
जितेश रीमा आपस में अपने जिस्मो की आग की ताप बढ़ाने में लगे हुए थे |
जैसे ही वो दोनों फिर से वासना की रौ में पंहुचे गिरधारी ने फिर एक सवाल पूछ लिया -तुमने मुझे मैडम के लिए मारा है, आगे फिर नहीं पीटोगे इसकी क्या गारंटी है |
जितेश का लंड रीमा चूत में पूरा का पूरा धंसा हुआ था, दोनों अब जमकर चुदाई करना चाहते थे लेकिन बीच में गिरधारी अड़चन बनकर उनके सारे मूड का सत्यानाश कर देता | रीमा और जितेश दोनों के लिए ये मंद्बुधि अब झेला नहीं जा रहा था | मन कर रहा था उसे उठाकर बाहर फेंक दे |
जितेश कुछ बोलता उससे पहले रीमा ने उसके मुहँ पर हाथ रखकर - अब ये तुम्हे कभी नहीं मारेगे | मेरी कसम | तुमने कहाँ था तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगे | अब तुम अपना काम करो हमें अपना करने दो |
रीमा की पतली सी मीठी सी मादक आवाज उसे अपने कानो में ऐसी लगी जैसे किसी ने उसे फूल फेंककर मारा हो | वो रीमा की आवाज सुनकर अन्दर तक गनगना गया |
रीमा और जितेश फिर आपस में चिपक गए | गिरधारी ने भी रीमा और जितेश को देखकर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए | रीमा कमर हिलाने लगी और जितेश भी नीचे से कमर हिलाने लगा | ऊपर से रीमा का झटका और नीचे से जितेश का, रीमा की चूत में दनादन लंड अन्दर बाहर होने लगा | दोनों की सांसो की गर्माहट फिर से उफनने लगी |
इधर कपड़े उतार कर गिरधारी भी तेजी अपने लंड को मसलने लगा | जल्दी ही उसका लंड पहले की तरह कड़क हो गया | मुठ मारते मारते वो तेज आवज में कराहने लगा | रीमा गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी | उसकी कमर हिलानी बंद हो गयी |
रीमा को अपनी तरफ देख गिरधारी कराहता हुआ - मैडम आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |
जितेश ने रीमा को ढांढस बंधाया चिंता मत करो यह गिरधारी मेरा बहुत खास आदमी है या यूं कह लो एक तरह से मेरा पालतू है जब तक मैं इशारा नहीं करूंगा यह काटना तो दूर भौकेंगा तक नहीं | रीमा जितेश के सीने से सर चिपकाकर चादर ओढ़ ली | उसके अन्दर हिम्मत नहीं थी की वो उसका सामना करे |
रीमा फुसफुसाई - काटेगा नहीं लेकिन चोद तो सकता है आखिर हवस पर किसका जोर, वहां कोई बॉस नहीं होता | एक बार लंड खड़ा हो गया और अगर सामने चूत है तो आदमी जान पर खेलकर भी उसमे घुसने की कोशिश करता है |
इधर रितेश भी जुगत भिड़ाने लगा कि आखिर क्या किया जाए | तब तक गिरधारी खुद ही पलट का ये देखने ;लगा की अब वो लोग क्या कर रहे है | लेकिन जैसे ही उसने गर्दन घुमाई जितेश उसी की तरफ देख रहा था | रीमा उसके सीने से चिपकी पूरी तरह से खुद को चादर से ढके हुई थी | अपनी चोरी पकडे जाने से थोड़ा सा डर गया | उसके हाथ से उसका लंड छुट गया | उसने अपने तने हुए लंड को जबरन अपने पजामे में घुसेड़ने की असफल कोशिश की | खुस की आंखे मूंद कर सोने की नौटंकी करने लगा | उसे भी पता था की जितेश ने पकड़ लिया है लेकिन इंसान की फितरत होती है जब तक मजबूर न हो जाये सच से आंखे नहीं मिलाता |
जितेश भावहीन चेहरे से - क्या हो रहा है | इसी तरह का नाटक करने की जरूरत नहीं है | नौटंकी बंद कर दे |
ग्लानी और डर से भरा हुआ नजरे झुकाए - कुछ नहीं बॉस |
जितेश - कुछ नहीं |
वो चुप रहा |
जितेश सख्ती से - मैंने पुछा ये क्या हो रहा है |
गिरधारी - सब कुछ तो पता है आपको बॉस, बताइए कैसे सब्र करते |
जितेश - जब खुद की ठरक नहीं संभलती तो बाहर निकल जाता | पता है रीमा मैडम कितना डर गयी तेरी इस हरकत से |
गिरधारी - क्या बात कर रहे है बॉस, भला इतनी छोटी सी चीज से भला ऐसी औरत कभी डरती है उसके लिए तो ये रोज का काम होगा |
जितेश तेज आवाज में बोला - क्या मतलब है तेरा |
गिरधारी - क्यों मुझ पर सुबह सुबह बरस रहे है | आप अपने मजे लो, मुझे अपने मजे लेने दो | मै बिलकुल आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगा |
जितेश - क्या बकवास कर रहा है |
गिरधारी - बॉस आप लगे रहो, जो कर रहे थे करते रहो चिंता की बात नहीं है मैं समझ सकता हूं हर किसी के साथ ऐसा ही होता है | मैं बस अपना हाथ से काम चला लूंगा आप अपने काम में लगे रहो |
जितेश - तू कपड़े पहन और निकल ले यहाँ से |
गिरधारी - ये तो ज्यायती है बॉस |
जितेश भड़कता हुआ - तू जाता है या तुझे लात मार कर भगाऊं |
गिरधारी - क्या बॉस इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो, मैंने कहाँ न मै हाथ से काम चला लूँगा | बस थोड़ीसी झलक दिखा देना बीच बीच में | आप जो कर रहे थे करते रहो | मै बस बीच बीच में थोड़ा देख लूँगा तो मेरे मन भी खुस हो जायेगा | आपको बिलकुल डिस्टर्ब नहीं करूंगा | बस मैडम की एक झलक ही काफी है मरे लिए |
जितेश - क्या बकवास कर रहा है, तेरी हरकत की वजह से कितना डर गयी है मैडम | चल भाग ले यहाँ से वरना अभी मै तुझे झलक दिखाता हूँ |
गिरधारी - बॉस बस देखने की ही तो गुजारिश कर रहा हूँ | जो कुछ खर्चा पानी हो काट लेना |
रीमा भी चादर के अन्दर से ये सारी बाते सुन रही थी | उसकी बाते सुनकर रीमा शर्म से गड गयी | उसके बारे में ऐसा आजतक किसी ने नहीं सोचा था | धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | हाय अब ये दिन देखने के लिए मै जिन्दा हूँ | इसने तो मुझे रंडी समझ लिया |
जितेश उसका इशारा तो समझ गया लेकिन उसके मुहँ से ही सुनना चाहता था - खर्चा पानी मतलब |
गिरधारी - हमारी औकात तो साहब 50 100 वाली ही है | आपको जितना लगे मेरे हिस्से में से काट लेना | मुझे पता है मैडम की फीस लाखो में होगी, इतनी हमारी औकात नहीं लेकिन दूर बैठ कर देखने भर की फीस तो भर ही सकता हूँ |
जितेश को गुस्सा आ गया, वो रीमा को रंडी समझ रहा था - मैंने तुझे रात में ही समझाई थी तुझे समझ न आई | मैंने बोला था तुझे दुबारा ये शब्द अपनी जुबान पर लाया तो यही तेरी लाश पड़ी होगी |
गिरधारी - क्यों गरज रहे हो साहब, जो आँखों से देख रहा हूँ उसे कैसे झुठला दू | ढील डौल और नैन नक्शों से मैडम पैसो वाली सोसाइटी की लागती है वहां कुछ और नाम से बुलाते होंगे लेकिन काम तो हर जगह एक ही होता है | रातो रात कहाँ से आपकी मासुका पैदा हो गयी | अगर ये आपकी सच्च्ची मासुका होती तो हाथ तक न लगाने देती | आप तो.............................. |
जितेश उसे धमकता हुआ - आखिरी बार बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो यही तुझे गोली मार दूंगा | तू अब कुछ ज्यादा बोल रहा है, अपनी हद लाँघ रहा है | रीमा मैडम के बारे में जो कुछ भी तू सोच रहा है वैसा बिलकुल नहीं है |
गिरधारी - ठीक है बॉस आपकी बात मान लेता हूँ लेकिन मेरे कुछ सवालो के जवाब तो दे दो | आखिर ये रंडी नहीं है तो रंडी की तरह चुद क्यों रही है | कोई शरीफ औरत किसी पराये मर्द से इस तरह से चूतड़ हिला हिलाकर थोड़े ही चुदती है | आखिर बॉस ये इतनी जल्दी आपसे चुदने को राजी कैसे हो गयी | इतनी जल्दी इसको आप बिस्तर पर ले कैसे आये | इतनी जल्दी इसको जांघे खोलने के लिए राजी कैसे कर लिया | इतनी जल्दी इस औरत ने अपने कपड़े कैसे उतार दिए, न केवल कपड़े उतार दिए बल्कि बॉस आपका मुसल लंड भी घोट रही है |
जितेश उसके सवालो से सन्न रह गया | उसकी ख़ामोशी बता रही थी की उसके पास कोई जवाब नहीं है | उसके संयम की सारी हदे टूट चुकी थी | पता नहीं कैसे अब तक खुद को रोके हुए था |
गिरधारी - है कोई जवाब आपके पास बॉस |
जितेश का गुस्सा अब काबू से बाहर चला गया | वो बेड से उतरा और गिरधारी को लातो घूंसों से पीटने लगा - बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो आज यहाँ से जिन्दा नहीं जायेगा | बिस्तर पर लेती हर औरत मर्द के सामने रंडी ही होती है | बिना रंडी बने अपने मर्द को वो कोई सुख नहीं दे पायेगी | तेरी बीबी भी तेरे सामने हर रात को रंडी बनती है ताकि तू खुश रह सके | दुनिया की हर औरत इसलिए रंडी बनती है ताकि उनके मर्दों की प्यास बुझा सके और उन्हें खुश रख सके | (उसे झिन्झ्कोरता हुआ ) तू बता क्या तेरे सामने तेरी बीबी रंडी नहीं बनती | बिना उसके रंडी बने ही तू उसे चोद लेता है | जिनकी बिबिया बिस्तर पर रंडी नहीं बनती उन घरो के मर्द बाहर मुहँ मारते फिरते है |
गिरधारी को पीट पीट कर उसकी हालत ख़राब कर दी |
रीमा अपनी लाज शर्म छोड़ नंगी ही बीच बचाव को आ गयी नहीं तो शायद जितेश उसे पीट पीट कर अधमरा ही कर डालता |
रीमा - छोड़ दो जितेश | जितेश की ताकत के आगे रीमा का क्या बस था लेकिन रीमा ने उसके ओंठो अपने ओंठ चिपका दिए | जितेश को ठेलती हुए किसी तरह से गिरधारी से दूर बिस्तर पर लायी |
रीमा - हे जितेश मेरी तरफ देखो मेरी तरफ , सिर्फ मेरी आँखों में |
उसका चेहरा थामकर चूमने हुए , उसकी आँखों में आंखे डालते हुए - दुनिया में किस किस का मुहँ बंद करोगे, मेरी तरफ देखो | तुम क्या सोचते हो मेरे बारे में मेरे लिए बस वही मायने रखता है | बाकि दुनिया की परवाह किसको है |
रीमा ने उसके हाथ को अपनी नरम छातियों पर ले आई | वो जितेश का पूरा धयान खुद पर केन्द्रित करवाना चाह रही थी |
रीमा - मेरी आँखों में देखो जितेश, अगर तुम्हे बुरा लगा है तो खुलकर वो सब करो जिसका डर तुम्हे दुनिया दिखा रही है | मै हमेशा ऐसे ही सोचती हूँ | मै तुमारे लिए रंडी बनने के लिए तैयार हूँ | आज तुम मुझे रंडी की तरह ही चोदो | देखती हूँ देख लेने उसके बाद तुम्हे ये शब्द इतने तीखे नहीं लगेगे | उस पर की बजाय मुझ पर ध्यान दो |
जितेश का गुस्सा काफी हद तक कम हो गया था | वो फिर से रीमा की मादकता में खोने की कोशिश करने लगा | रीमा उसे चूमती रही | वो रीमा के जिस्म को मसलता रहा | उसके बाद जहाँ गाडी रुकी थी वही से फिर से शुरू करना था | देखते ही देखते रीमा जितेश के ऊपर आ गयी | अभी तक वो गिरधारी से खुद के जिस्म को छिपा रही थी लेकिन इस लडाई ने वो पर्दा भी ख़त्म कर दिया |
रीमा ने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार उड़ेली और उसे अपनी गुलाबी चूत के मुहाने पर सटाकर बैठती चली गयी | जितेश का तना सख्त लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ, भीषण रगड़न के साथ अन्दर तक समां गया | रीमा ने तीन चार बार कमर हिलाई और जितेश के लंड के लिए अपनी चूत में जगह बनायीं | उसके बाद आराम से कमर हिलाकर उसका लंड पानी चूत में सटासट लेने लगी |
इधर गिरधारी जितेश से पिटने के बाद जमीन पर ही फ़ैल गया और रोने लगा - और मारो और मारो |
गिरधारी जमीन पर अपनी छाती पीट पीट रो रहा था | रीमा को पहले पहले लगा वो नौटंकी कर रहा है लेकिन उसके आँखों के निकले आंसू लगा, सच में वो रो रहा है |
गिरधारी - भाग क्यों गए, आवो और मारो, और पीटो, बॉस जो हो | दिन रात लगा रहता हूँ पीछे पालतू कुत्ते की तरह उसका यही सिला दिया है | आज तक कभी चु तक नहीं करी | जो दे देते हो रख लेता हूँ |
जितेश उसकी नौटंकी से परेशान हो रहा था लेकिन इससे पहले जितेश कोई प्रतिक्रिया से रीमा ने झुककर उसके ओंठो को अपने आगोश में ले लिया | रीमा जितेश के कान में फुसफुसाई - तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, उसे बडबडाने दो |
इतना कहकर उसने अपनी नुकीली पहाड़ियों की चोटियों को जितेश के मुहँ से सटा दिया | जितेश में किसी छोटे बच्चे की तरह उन्नत उरोजो की पहाड़ियों से बह रहे रस का रस स्वादन करने लगा |
रीमा जितेश का ध्यान गिरधारी की नौटंकी से हटाने में लगी थी लेकिन उसका खुद का ध्यान अब उसी की तरफ चला गया |
ऐसा लग रहा था वो सच में बहुत दुखी है - और पीटो आकर मुझे, मै तो तुमारा कुत्ता हूँ न | जब मन करेगा रोटी का टुकड़ा फेक दोगे जब मन करेगा दुत्कार दोगे | कितनी जल्दी भूल गए जिस गोली पर तुमारा नाम लिखा था उसे मैंने अपने कंघे पर झेला था | लेकिन आखिर कुत्ता तो कुत्ता होता है |
जितेश फिर से वासना की मस्ती में डूबने लगा था | कुछ ही पलो में उसका गुस्सा जैसे फुर्र हो गया | रीमा ने उसकी तरफ सवलिया नजरो देखा | उसने पलके बंद कर इशारा किया, जैसे वो गिरधारी की बातो को सहमती दे रहा हो |
गिरधारी रोता हुआ - क्या कुछ नहीं किया हाय इस पालतू ने अपने मालिक के लिए | तीन चाकू मारे थे हाथ में लेकिन उफ़ जो मैंने अपने मालिक को छोड़ा हो | जो कुछ मिलता है सब तुमारे चरणों में लाकर रख देता हूँ फिर भी ये सिल दिया मुझे | वो भी एक औरत के लिए |
एक औरत की वजह से मुझ पर हाथ उठा दिया | मेरी इतने दिनों की दिन रात की सेवा का भी ख्याल नहीं आया |
जीत तो तुमसे सकता नहीं, आपाहिज जो हूँ इसलिए और पीट लो | मालिक जो हो, मेरा भाग्य तुमारे हाथ में जो है |
रीमा भी कामुकता के नशे में उतारने लगी थी लेकिन गिरधारी की बकवास अब उसे परेशान कर रही थी |
रीमा जितेश के कान बुदबुदाती हुई - कितना नौटंकी बाज है |
जितेश - मैंने पहली बार हाथ उठाया है | उसके बाये हाथ में तीन बार चाकू से वार हुआ था और मै तीस फीट से ज्यादा ऊँचाई से लटक रहा था लेकिन इसने मुझे पकडे रखा, नहीं तो आज शायद मै जिन्दा नहीं होता |
रीमा ने एक करारा झटका नीचे की तरफ मारा | उसके मांसल चूतड़ जितेश की जांघो से जाकर टकराए और उसका पूरा लंड रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में | जितेश और रीमा दोनों के मुहँ से मादक कराह एक साथ निकल गयी |
दोनों एक साथ कामुकता के जोश में कराह उठे - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह्ह बेबी तुमारा लंड कितना बड़ा है ...................... मेरी पूरी चूत भर गयी है |
गिरधारी की बडबडाना रीमा के कामुक माहौल में खलल डाल रहा था |
रीमा - ओओ फोफोफ़ जितेश अब ये चुप कैसे होगा |
रीमा के लयबद्ध कमर हिलाने से जितेश तो स्वर्ग की सैर करने लगा था | मादक कराह के साथ - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पता नहीं |
रीमा - मुझे देखने की ही इजाजत मांग रहा था, देखने दो न | अब कौन सा पर्दा बचा है वैसे भी उसने सब कुछ तो देख लिया है | अभी भी देख ही रहा है
जितेश - मै उसके साथ चार सालो से काम कर रहा हूँ, उंगली पकड़ कर पन्हुचा पकड़ने वालो में से है | बहुत ही लीचड़ और बेह्शर्म किस्म का इन्सान | मेरे काम धंधे में ऐसे आदमी की जरुरत पड़ती है इसलिए पाल रखा है | लेकिन मुहँ नहीं लगाता हूँ |
रीमा - ऐसा भी क्या जोंक है, हम दोनों को इस तरह नंग धढंग देखकर अरमान जाग जाग गए होंगे, हिलाने दो न अपने हाथ से |
रीमा जितेश के उपर जोरो से उछलती हुई - गलती हमारी ही है | अब क्या करे |
जितेश और रीमा के दिलो दिमाग पर वासना का नशा पूरी तरह से हावी हो चूका था | अब दुसरी तरफ ध्यान लगाने की हालत में नहीं थे | दोनों एक दुसरे में खो से गए |
गिरधारी उधर जमीन पर अपनी छाती पीटता रहा | उसकी कर्कश आवाज उन दोनों के कामुक मादक माहौल को ख़राब कर रही थी |
जितेश से रीमा अनुरोद्ध करती हुई - इससे कुछ बोलो न बेबी | इतनी मेहनत से फोकस आता है ये सारा मूड ख़राब कर रहा है | ये हमारी इंटिमेसी को डिस्टर्ब कर रहा है |
रीमा की कामुक आवाज और तेज उफनती सांसो के बीच निकले शब्द जैसे जितेश के दिल में उतर गए |
जितेश हांफता कांपता कड़क आवाज में बोला - चुप हो जा, देख ले जितना देखना है मैडम |
गिरधारी की आवाज बंद हो गयी | जब उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया | औरत मर्द पर चढ़ी बैठी है | क्या ऐसा भी होता है | उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी | पहली बार वो रीमा के हुस्न का दीदार खुली आखो से भरपूर कर रहा था | कितनी गोरी है, कितने बड़े बड़े दूध है और कैसे फूटबाल की तरह उछाल रहे है |वो हैरान था उसने हमेशा औरत को मर्द की जांघ के नीचे ही देखा था | जिस तरह से खुद को उछाल उछाल कर जितेश का लंड रीमा अपनी चूत में घोंट रही थी वो देखकर गिरधारी तो बस रीमा के गोरे गुलाबी बदन का उछलना ही देखता रहा | उसका रोना धोना सब बंद हो चूका था लेकिन अंदर से वो दुखी था क्यूंकि जितेश ने उस पर हाथ उठाया |
गिरधारी - मुझे मारा क्यों ?
जितेश को ये खलल बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था - गलती हो गयी अब आगे से नहीं होगा |
गिरधारी - लेकिन मुझे मारा क्यों ?
जितेश गरजते हुए - बोला न गलती हो गयी |
बड़ी मुश्किल से दोनों कामुकता में डूबने का माहौल बना पा रहे थे और वो एक पल में ही उसकी ऐसी की तैसी करे दे रहा था |
गिरधारी कुछ देर तक रीमा के हुस्न को घूरता रहा | उसका लंड फिर से तनने लगा | उसे रीमा बहुत अच्छी लग रही थी | इतनी अच्छी की उसके लिए सीने पर गोली खा ले |
जितेश रीमा आपस में अपने जिस्मो की आग की ताप बढ़ाने में लगे हुए थे |
जैसे ही वो दोनों फिर से वासना की रौ में पंहुचे गिरधारी ने फिर एक सवाल पूछ लिया -तुमने मुझे मैडम के लिए मारा है, आगे फिर नहीं पीटोगे इसकी क्या गारंटी है |
जितेश का लंड रीमा चूत में पूरा का पूरा धंसा हुआ था, दोनों अब जमकर चुदाई करना चाहते थे लेकिन बीच में गिरधारी अड़चन बनकर उनके सारे मूड का सत्यानाश कर देता | रीमा और जितेश दोनों के लिए ये मंद्बुधि अब झेला नहीं जा रहा था | मन कर रहा था उसे उठाकर बाहर फेंक दे |
जितेश कुछ बोलता उससे पहले रीमा ने उसके मुहँ पर हाथ रखकर - अब ये तुम्हे कभी नहीं मारेगे | मेरी कसम | तुमने कहाँ था तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगे | अब तुम अपना काम करो हमें अपना करने दो |
रीमा की पतली सी मीठी सी मादक आवाज उसे अपने कानो में ऐसी लगी जैसे किसी ने उसे फूल फेंककर मारा हो | वो रीमा की आवाज सुनकर अन्दर तक गनगना गया |
रीमा और जितेश फिर आपस में चिपक गए | गिरधारी ने भी रीमा और जितेश को देखकर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए | रीमा कमर हिलाने लगी और जितेश भी नीचे से कमर हिलाने लगा | ऊपर से रीमा का झटका और नीचे से जितेश का, रीमा की चूत में दनादन लंड अन्दर बाहर होने लगा | दोनों की सांसो की गर्माहट फिर से उफनने लगी |
इधर कपड़े उतार कर गिरधारी भी तेजी अपने लंड को मसलने लगा | जल्दी ही उसका लंड पहले की तरह कड़क हो गया | मुठ मारते मारते वो तेज आवज में कराहने लगा | रीमा गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी | उसकी कमर हिलानी बंद हो गयी |
रीमा को अपनी तरफ देख गिरधारी कराहता हुआ - मैडम आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |