25-12-2019, 12:25 AM
इससे बेखबर दोनों बहुत ही गहरी नींद में सोते रहे | रीमा को पता नहीं चला लेकिन रात में जितेश का खास आदमी आ गया | उसे कच्ची नीद में उठा दिया | हाल ही में सोया जितेश ने आंखे खोलकर देखा तो उसका खास आदमी गिरधारी था | उसने झट से रीमा को चादर के हवाले किया और अपने ऊपर भी एक चादर लपेट ली |
जितेश के बिस्तर पर एक हसीन औरत को नंगी देखकर गिरधारी की आँखों में चमक आ गयी और हैरानी से जितेश को देखता हुआ घूरता हुआ - बॉस इतना कड़क माल कहाँ से झपट मारे |
जितेश को उसके सवाल का मतलब समझ नहीं आया - क्या बकवास कर रहा है |
गिरधारी रीमा की तरफ इशारा करता हुआ - बॉस कहाँ से इस मक्खन मलाई को ले आये हो | यहाँ कस्बे में तो साला सब घटिया माल है | इतना गोरा और कसा हुआ चुस्त जिस्म, आपके किस्मत के तो दरवाजे खुल गए होंगे | कितनी बार ली है अब तक |
जितेश - काम बता बकवास न कर, क्यों आया है यहाँ इतनी रात को |
गिरधारी का ध्यान कही और ही था - साहब कितने रूपये में मानी है |
जितेश की एक तो कच्ची नीद ऊपर से गिरधारी की बकवास, उसने एक जोरदार कंटाप जड़ दिया - बोला न बकवास न कर |
गिरधारी - पहले बतावो इतना हसीन अपसरा मिली कहाँ से |
जितेश - रंडी नहीं है वो, अब बता क्यों आया यहाँ |
गिरधारी - रंडी नहीं तो.......... क्या साहब आपको इश्क हो गया है | काहे झूठ बोल रहे है कल तक तो बिलकुल ठीक ठाक थे और अचानक एक रात में किसकी माल अपनी जांघे खोल देती है और चुदवाने को राजी हो जाती है |
जितेश गंभीर होता हुआ - तुझे समझ नहीं आ रहा, यही वो मैडम है जिनका सूर्यदेव से पंगा चल रहा है | बताया था न मैंने तुझे |
गिरधारी थोडा संशकित होता हुआ - इन्ही को सुर्यदेब के आदमी कुत्तो की तरह ढूंढ रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - ये यहाँ बेफिक्र .............(कुछ सोचता हुआ ) ...लेकिन इनकी तो जान पर .........(फिर रुककर ) बड़ी दिलचस्प औरत है लोग इसके खून के प्यासे है और ये यहाँ .............(फिर कुछ रूककर जितेश को देखता ) मतलब मैडम को राजी कैसे किया ............मतलब कोई इस हालत में औरत अपनी जान बचाएगी या कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी ............................मतलब आपने मनाया कैसे चोदने के लिए |
जितेश - हो गयी तेरी बकवास खतम या मै तुझे चुप कराऊ |
गिरधारी - लेकिन बॉस ............ये जैकपोट लगा .........................|
जितेश - बस तू ये समझ ले आज से ये तेरे बॉस की बॉस है |
गिरधारी - मतलब मैडम को आपने पटा लिया है लेकिन इतनी जल्दी वो कपड़े उतार के चुदने को राजी कैसे हो गयी | यहाँ तो साली अपनी बीबी इतना नखरा झाड़ती है की पिछले तीन महीने से हाथ से ही हिला रहा हूँ |
जितेश - मैंने बोला न अब कोई बकवास की अगर अपने बॉस के बॉस के बारे में तो तू पिटेगा |
गिरधारी बस एक आखिरी सवाल - कितनी बार चोदा है अब तक मैडम को |
जितेश - मुझे गुस्सा मत दिला |
गिरधारी को लगा मामला संगीन है | वो चादर से ढके रीमा के नंगे गोर बदन को निहारते हुए - बॉस पोलिस पता नहीं क्यों हाथ धोकर पड़ी है, अगले कॉन्ट्रैक्ट के ये ढेढ़ लाख एडवांस मिले है | एक झोपड़पट्टी में इतने पैसे कहाँ से आये, पोलिस हजार सवाल पूछती इसलिए भाग आया | इतनी रात को कहाँ जाता | आपकी तरह कोई सुरंग तो है नहीं जो बाहर से ताला लगाकर फिर उसी में घुस जाऊ |
गिरधारी जितेश के साथ ही काम करता था | जितेश से उम्र में कुछ बड़ा था लेकिन जितेश को अपना गुरु और बॉस दोनों मानता था | एक तरह से उसका दाहिना हाथ | इसी अवैध बस्ती के दुसरे छोर पर एक झुग्गी में उसका ठिकाना है | ऐसा नहीं था की वो गरीब था लेकिन कस्बे में रहकर सबकी नजरों से बचकर काम कर पाना जरा मुश्किल था | इसलिए अपने बॉस यानि की जितेश को फॉलो करता था | सूर्यदेव के आदमियों को सूंघते सूंघते पोलिस यहाँ तक आ पंहुची | आज रात इस अवैध बस्ती का एक एक घर तलाशा जायेगा | इसलिए किसी तरह से बचते बचाते यहाँ आ गया |
जितेश - पोलिस तुझे नहीं इस मैडम को ढूंढ रही है |
गिरधारी चौकता हुआ - क्या बात कर रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - फिर तो और भी अच्छा है, मैडम को पोलिस के हवाले कर दो | सारा झंझट ही खतम हो |
जितेश - यही तो मुसीबत है | पोलिस भी तो सूर्यदेव के ही कब्जे में है | पोलिस को मैडम को देने का मतलब है इनको सूर्यदेव को सौंप देना | वही से तो जान बचाकर भागी है |
गिरधारी - फिर |
जितेश - जमीन में बिस्तर बिछा ले और सो जा | सुबह सोचते है आगे क्या करना है | और सुन बीडी मत पीना यहाँ वर्ना लात मार के बाहर निकालूँगा |
गिरधारी ने कोने में पड़ी दरी उठाई और जमीन पर बिछाकर सो गया |
जितेश भी बिस्तर पर आकर लेट गया और जितेश काफी देर तक बिस्तर लेता रहा तब जाकर उसे नीद आई | इसीलिए जितेश सुबह देर तक सोता रहा |
सुबह रीमा की आंख पहले खुल गई और सबसे पहले रीमा की नजर जितेश पर ही गई, रितेश पूरी तरह से बेखबर होकर गहरी नींद में सो रहा था | रीमा ने अपने बदन की तरफ देखा उसकी हालत अच्छी नहीं थी | बाल उलझे हुए, चेहरा रुखा सा, जिस्म में दर्द था और रीमा की जांघों चिपचिपाहट थी | जितेश के प्यार की चिपचिपाहट | रीमा समझ गई यह जितेश के लंड के मुरझाने के बाद बाहर फिसलने बाद में उसकी चूत से भरा जितेश का सफ़ेद रस रिस कर बाहर आया है | उसने न केवल उसकी जांघों को भिगोकर गीला किया है बल्कि चद्दर पर भी फैल गया था |अब तक सूख कर काफी चिपचिपा हो गया था | रीमा ने अपनी चूत पर सने उस चिपचिपे रस को एक उंगली में लेकर चाटा और फिर जितेश को देखने लगी | आखिरकार कौन सी वजह थी जो इतने कम समय में जितेश उसका इतना खास हो गया | जिसे रीमा ने अपना सारा जिस्म उसे सौंप दिया था | वो जिस्म जिसे छूना तो दूर कोई गैर देख ले ये भी उसे गंवारा नहीं था | आज वही जिस्म एक अनजान सी जगह में एक मर्द को उसने पूरी तरह सौंप दिया | जितेश ने उसके जिस्म के गहराइयों के आखिरी छोर तक का सफ़र तय कर लिया था | अगर औरत के मन की गहराई को अंतिम छोर को छूना है तो उसकी चूत की गहराई में खुद आखिर छोर तक खुद को उतार दो | दूसरी तरफ अगर कोई मर्द औरत के मन की गहराई में अन्दर तक उतर गया है तो औरत उसे अपने चूत की अँधेरी सुरंग की गहराइयों में उतार लेती है | रीमा के साथ कौन सी बात सही थी पता नहीं लेकिन रीमा की औरतपन की सुरंग की आखिरी गहराई तक दौड़ लगाकर जितेश उसके मन में गहराई तक उतर गया था |
आखिर कौन है जितेश जिसको रीमा ने अपना सब कुछ सौप दिया और उसकी गाड़ी सफ़ेद मलाई को अपनी चूत की गहराइयों में भर लिया और अब वही चूत में भरी सफेद गाड़ी मलाई जब बाहर आकर के उसकी जांघो पर जम गयी थी | तो उसी को रीमा चाट चाट कर जितेश को देख रही थी और जितेश को देखती रही | उसके बाद उसकी नजर उसकी कमर की तरफ चली गई यह क्या जितेश का लंड पूरी तरह से तना हुआ था, उसके तने लंड का तंबू उसके ऊपर पड़ी चादर बनी हुई थी | रीमा अपनी ओंठो से उसके रस से सनी उंगली चूसती हुई काफी कामुक नजर से जितेश को देखने लगी | रात की हवस का नशा अभी भी पूरी तरह से रीमा पर छाया हुआ था | रात में उन्होंने जो चुदाई का बेमिसाल खेल खेला था, रीमा के बदन के रोम रोम में उठ रहे मादक मीठे दर्द से वही अहसास दिलो दिमाग में भरा हुआ था | अपने उन्नत नुकीले उरोजो को मसलती हुई काफी देर तक जितेश को सोते हुए देखती रही | आखिरकार उसको अपने मन को मार कर उठना पड़ा, क्योंकि उसे बाथरूम जाना पड़ा | वह बाथरूम गई और फ्रेश होकर आई | बाहर भोर की पौ फटने को थी लेकिन कमरे में अभी भी अँधेरा था | वो जितेश को लांघते हुए बाथरूम गयी थी और उसी तरफ से वापस आई | उस कमरे में उन दोनों के अलावा भी कोई है इसका उसको अहसास तक नही हुआ | वो बिसतर पर आकर लेट गयी लेकिन जितेश के तने हुए लंड को देख करके रीमा का मन बदल गया |
उसने जितेश के लंड को जो चादर से ढका हुआ था उसे खींच कर अलग कर दिया | अब उसका लंड पूरी तरह से हवा में सीधा हो गया | इतनी कसकर उसे चोदने के बाद भी शायद उसके अंदर की आग बुझने की बजाए और भड़क गई थी | उसके मन में बसी रीमा को चोदने की लालसा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन उसकी लालसा अब कम होने के बजाय और बढ़ गई थी | वासना की आग होती ही ऐसी है जो जितना बुझाने की कोशिश करो उतना भड़कती है | शायद रीमा ने जितेश के तन बदन में वो आग और भड़का दी थी | शायद यही हालत उसके तने हुए लंड की ओर इशारा कर रही थी | वह भले ही सो रहा था लेकिन उसका लंड उसके दिलो-दिमाग के अंदर चल रहे तूफान की सारी कहानी बयान कर रहा था | रीमा ने उसके लंड को थाम लिया और बड़ी आत्मीयता से सहलाने लगी | आखिर यही तो वो लंड था जिसने रात में उसकी अधूरी हवस की आग बुझाकर तृप्ति का वह चरम सुख दिया जो जिंदगी भर नहीं भूल पाएगी | इस लंड ने जैसे उसके रोम-रोम को चोद डाला हो और उसकी पूरी चूत को भर दिया हो और उसे औरत होने के अस्तित्व को तृप्ति का नया अहसास कराया हो | उन अहसासों के लिए जिनके लिए वह सालों तक तड़पती रही , जो कल रात उसके रोम रोम से बह निकले और उसके मन में भरे वर्षो के बोझ को हल्का कर दिया | उसकी जिंदगी में भी चुदना लिखा है और तृप्त होना लिखा है | वो अधूरी प्यास लेकर नहीं मारेगी | उसे जितेश के लंड पर बड़ा प्यार आ रहा था | शायद रीमा भी अपनी वासना को भोगने की शुरुआत भर कर पाई थी और अब उसे और ज्यादा भोगने की लालसा बढ़ गई थी | उसके अंदर की हवस ख़तम होने की बजाय शायद और भड़क गई थी |
जितेश के लंड पर उसका हाथ फिसलने लगा था | उसके उन्नत उरोज अपने पूरे शबाब पर थे | उसके सीने के कसे उभार और उनकी नुकीली तनी हुई चोटियाँ ही ये बताने के लिए काफी थी की रीमा की जवानी कितना खुलकर सामने आ रही है | रात में उसकी चुदाई के हुई उसके उरोजो की मालिश ने उसके उरोजो की उठान को और ऊँचा कर दिया था | रीमा की छाती की कसावट तनाव और उठान किसी भी मुर्रीदा लंड में आग के लगाने के लिए काफी थे | मा की हरकतों से अनजान जितेश बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था | कुछ देर तक रीमा रितेश के लंड मासलती रही, सहलाती रही और मुहँ में लेकर लोलोपोप की तरह चूसती रही | उसके बाद में वह जितेश के लंड को छोड़कर खुद के जिस्म से ही खेलने लगी | सोते हुए जितेश को परेशान करना उसे अच्छा नहीं लगा |वह अपने बड़े-बड़े उठे हुए तने हुए मांसल सुडौल स्तनों को मसलने लगी और कुछ देर बाद उसका एक हाथ उसके चूत घाटी में पहुंच गया और चूत को सहलाने लगा | कुछ देर बाद उसका दूसरा हाथ भी उसकी चूत घाटी में पहुंच गया और उसकी चूत के अंदर उंगलिया करके उसकी चूत की खुजली मिटाने लगा था जबकि दूसरे हाथ की उंगलियां उसकी चूत दाने को मसलने लगी थी उसके अंदर की भड़की हुई हवस की आग उसके मुंह से सिसकारियां बनकर निकलने लगी |
रीमा की हरकतों से शायद जितेश की नींद भी टूट गई | रीमा के मुंह से निकल रही मादक सिसकारियां की मधुर आवाजों ने शायद जितेश के सोते हुए दिलो-दिमाग को जगा दिया | जितेश वैसे भी रीमा के हुस्न के जाल में पूरी तरह डूबा हुआ था सोते हुए भी शायद उस के सपनों में रीमा के ही सपने आ रहे होंगे इसीलिए जब उसके कानों में रीमा की मादक सिसकारियां की आवाज पड़ी तो उसकी आंखे खुदबखुद खुल गई उसने देखा रीमा अपने जिस्म से खेल रही है और अपनी चूत को मसल रही है और मुंह से सिसकारियां निकल रही है | वह समझ गया कि लग रहा है रीमा अभी पूरी तरह से ठंडी नहीं हुई है और उसके अंदर हवस की आग अभी भी जल रही है | जितेश रीमा के करीब आ गया और रीमा केउठे हुए उन्नत नुकीले स्तनों को अपने मुंह में लेकर के उसका रसपान करने लगा | इधर रीमा का हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसके लंड को मसलने लगा | रात से इतर न तो भावनाओ का समुन्दर था, ना कोई भावना थी ना ना ही कोई आत्मीयता थी | अब बस दो जिस्मो की वासना थी और उस वासना को बुझाने के लिए दोनों फिर से एक दूसरे में गुथम गुत्था हो गए | एक तरफ जहां जितेश रीमा के बदन पर अपने होठों के जादू चला रहा था तो वहीं रीमा जितेश के लंड पर अपनी उंगलियों का जादू बिखेर रही थी | कुछ ही देर बाद जितेश ने रीमा को अपने आगोश में ले लिया और उसको जांघो को फैला कर के उसकी पहले से ही उसके लंड रस से सनी हुई चूत में अपने लंड को सटाकर के पेल दिया | रीमा के मुंह से एक लंबी सिसकारी निकल गई |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊफ़्फ़्फ़ |
जितेश ने अपने होठों को रीमा के होठों से सटा दिया | जितेश रीमा कस कर के चूमने लगा उसे पता था अगर वह रीमा के होंठों को अपने होंठों में नहीं चिपका लेगा तो रीमा के मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकलेंगी और नीचे लेटा हुआ उसका आदमी गिरधारी जो कि उसके नीचे ही काम करता था और रात में उसके पास आया था और यही सो गया था वह जाग जाएगा | उसने रीमा के होठों को कसकर अपने होठों में जकड़ लिया और चूसने लगा | इधर उसकी हिलती कमर रीमा की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी | उसकी चूत फ़ैलने लगी और जितेश के लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी | रीमा फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी | अभी तो रात बस खत्म हुई थी और सुबह फटने का समय हुआ था कुछ ही घंटों के अंदर रीमा की वासना फिर से अपने चरम पर थी | जितेश की भी ठरक अभी खत्म नहीं हुई थी इसीलिए दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे | एक तरफ जितेश रीमा की चूत में कमर हिला हिला के लंड को पेल रहा था तो दूसरी तरफ रीमा की चूत में उसके मुसल लंड को अपने आगोश में ले रही थी | अं न कोई प्रतिरोध था न कोई विरोध था | रीमा की चिकनी चूत की दीवारों पर सटा सट जितेश का लंड फिसल रहा था | उसके जिस्म में उठ रही हवस की लपटों की आग रीमा के मुहँ से गरम सिसकारियो के रूप में निकल रही थी और सीधे जितेश के मुहँ में जा रह थी क्योंकि जितेश ने उसके मुंह से अपने ओंठो को कसकर चिपका रखा था | अब ना केवल जितेश अपनी कमर हिला रहा था बल्कि रीमा भी अपनी कमर हिला कर के उसके लंड को गहराइयों तक लेने की कोशिश कर रही |
चुदाई का नंगा खेल फिर से शुरू हो गया था और रीमा के मुंह से निकलने वाली सिसकारियां उसके मुंह में ही घुट घुट के रह जा रही थी लेकिन जितेश के मोटे मुसल लंड की ठोकर आखिर कब तक रीमा का नाजुक बदन संभाल पता | कब तक जितेश की जोरदार ठोकरों को रीमा खामोश लबो से बर्दाश्त कर पाती | कब तक उन मादक कराहों को, उन कामुक सिसकारियां को अपने मुंह में घुट के रख पाती | जैसे ही एक मोटा तगड़ा लंड औरत की चूत के छेद में घुसता है उसका मुहँ का छेद अपने आप खुल जाता है | ये नैसर्गिक है रीमा इसको कब तक रोक सकती थी | जितेश के भीषण ठोकरों की तरंगे न केवल उसके जिस्खिम को हिलाए हुए पड़ी थी बल्रकि उनमे उसका मन भी कांप जाता था | उस कम्कापन की आवाजे आखिरकार उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियां के रूप में कमरे में गूंजने लगी | जितेश रीमा की चुदाई में इस कदर मशगूल हो गया था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके ओंठ रीमा के होठों से हटकर के उसी गर्दन और स्तनों पर चले गए |
रीमा की चूत पर पड़ती मुसल लंड की हर करारी ठोकर के साथ उसके मुंह से उसकी सिसकारियां निकल रही थी | उन दोनों के इस चुदाई के खेल की कामुक आवाजें आखिरकार गिरधारी के कानों तक पहुंच गई | सोते-सोते उसकी नींद टूट गई पहले तो उसे लगा जैसे वह कोई सपना देख रहा है लेकिन जब उसने नीचे जमीन से उठकर के बिस्तर की तरफ देखा तो जो नजारा उसने देखा उसे देखकर वह हैरान रह गया | रीमा और जितेश दोनों एक दूसरे की बाहों में गुथम गुत्था हुए चुदाई का नंगा हवसी खेल खेल रहे थे जिसका उसे अंदाजा तक नहीं था | जब वह यहां आया था तब उसने रीमा को देखा था, उसने जितेश से सवाल भी पुछा था लेकिन उसने टाल दिया था | जब जितेश ने जमीन वाली सुरंग का दरवाजा खोला और वो अन्दर आया तब वह पूरी तरह से चादर से ढकी हुई सो रही थी इसलिए उसे रीमा के जिस्म की झलक नहीं मिली थी | उसने बस चादर की सलवटो और उभारो से रीमा के हुस्न का अंदाजा लगाया था | उसने जितेश से सवाल जवाब भी किये लेकिन जितेश ने सिर्फ काम की बात | उसके बाद दरी बिछाकर वो वही सो गया | अब एक तरफ सूरज अपनी रोशनी बिखेरने को तैयार हो गया था और इधर बिस्तर पर वह दोनों अभी भी रात के नशे में चूर एक दूसरे के चुदाई का खेल खेल रहे थे | अपने अपने जिस्अमो में लगी आग बुझाने में लगे हुई थे | गिरधारी ने जो भी अपनी आंखों से देखा उसे अभी तक यकीन नहीं हुआ कि उसने जो देखा है वही सच है लेकिन जो उसने देखा था वही सच है ये उसे मानना पड़ा | वह क्या करें उसे खुद समझ में नहीं आया कुछ उसके सामने एक खूबसूरत सी औरत को उसका बॉस चोद रहा था | जितेश का लंड आधे से ज्यादा रीमा की चूत में धंसा आगे पीछे हो रहा था और रीमा की गोरी उंगलियाँ उसके चूत दाने के आसपास टिकी हुई थी |
जितेश के बिस्तर पर एक हसीन औरत को नंगी देखकर गिरधारी की आँखों में चमक आ गयी और हैरानी से जितेश को देखता हुआ घूरता हुआ - बॉस इतना कड़क माल कहाँ से झपट मारे |
जितेश को उसके सवाल का मतलब समझ नहीं आया - क्या बकवास कर रहा है |
गिरधारी रीमा की तरफ इशारा करता हुआ - बॉस कहाँ से इस मक्खन मलाई को ले आये हो | यहाँ कस्बे में तो साला सब घटिया माल है | इतना गोरा और कसा हुआ चुस्त जिस्म, आपके किस्मत के तो दरवाजे खुल गए होंगे | कितनी बार ली है अब तक |
जितेश - काम बता बकवास न कर, क्यों आया है यहाँ इतनी रात को |
गिरधारी का ध्यान कही और ही था - साहब कितने रूपये में मानी है |
जितेश की एक तो कच्ची नीद ऊपर से गिरधारी की बकवास, उसने एक जोरदार कंटाप जड़ दिया - बोला न बकवास न कर |
गिरधारी - पहले बतावो इतना हसीन अपसरा मिली कहाँ से |
जितेश - रंडी नहीं है वो, अब बता क्यों आया यहाँ |
गिरधारी - रंडी नहीं तो.......... क्या साहब आपको इश्क हो गया है | काहे झूठ बोल रहे है कल तक तो बिलकुल ठीक ठाक थे और अचानक एक रात में किसकी माल अपनी जांघे खोल देती है और चुदवाने को राजी हो जाती है |
जितेश गंभीर होता हुआ - तुझे समझ नहीं आ रहा, यही वो मैडम है जिनका सूर्यदेव से पंगा चल रहा है | बताया था न मैंने तुझे |
गिरधारी थोडा संशकित होता हुआ - इन्ही को सुर्यदेब के आदमी कुत्तो की तरह ढूंढ रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - ये यहाँ बेफिक्र .............(कुछ सोचता हुआ ) ...लेकिन इनकी तो जान पर .........(फिर रुककर ) बड़ी दिलचस्प औरत है लोग इसके खून के प्यासे है और ये यहाँ .............(फिर कुछ रूककर जितेश को देखता ) मतलब मैडम को राजी कैसे किया ............मतलब कोई इस हालत में औरत अपनी जान बचाएगी या कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी ............................मतलब आपने मनाया कैसे चोदने के लिए |
जितेश - हो गयी तेरी बकवास खतम या मै तुझे चुप कराऊ |
गिरधारी - लेकिन बॉस ............ये जैकपोट लगा .........................|
जितेश - बस तू ये समझ ले आज से ये तेरे बॉस की बॉस है |
गिरधारी - मतलब मैडम को आपने पटा लिया है लेकिन इतनी जल्दी वो कपड़े उतार के चुदने को राजी कैसे हो गयी | यहाँ तो साली अपनी बीबी इतना नखरा झाड़ती है की पिछले तीन महीने से हाथ से ही हिला रहा हूँ |
जितेश - मैंने बोला न अब कोई बकवास की अगर अपने बॉस के बॉस के बारे में तो तू पिटेगा |
गिरधारी बस एक आखिरी सवाल - कितनी बार चोदा है अब तक मैडम को |
जितेश - मुझे गुस्सा मत दिला |
गिरधारी को लगा मामला संगीन है | वो चादर से ढके रीमा के नंगे गोर बदन को निहारते हुए - बॉस पोलिस पता नहीं क्यों हाथ धोकर पड़ी है, अगले कॉन्ट्रैक्ट के ये ढेढ़ लाख एडवांस मिले है | एक झोपड़पट्टी में इतने पैसे कहाँ से आये, पोलिस हजार सवाल पूछती इसलिए भाग आया | इतनी रात को कहाँ जाता | आपकी तरह कोई सुरंग तो है नहीं जो बाहर से ताला लगाकर फिर उसी में घुस जाऊ |
गिरधारी जितेश के साथ ही काम करता था | जितेश से उम्र में कुछ बड़ा था लेकिन जितेश को अपना गुरु और बॉस दोनों मानता था | एक तरह से उसका दाहिना हाथ | इसी अवैध बस्ती के दुसरे छोर पर एक झुग्गी में उसका ठिकाना है | ऐसा नहीं था की वो गरीब था लेकिन कस्बे में रहकर सबकी नजरों से बचकर काम कर पाना जरा मुश्किल था | इसलिए अपने बॉस यानि की जितेश को फॉलो करता था | सूर्यदेव के आदमियों को सूंघते सूंघते पोलिस यहाँ तक आ पंहुची | आज रात इस अवैध बस्ती का एक एक घर तलाशा जायेगा | इसलिए किसी तरह से बचते बचाते यहाँ आ गया |
जितेश - पोलिस तुझे नहीं इस मैडम को ढूंढ रही है |
गिरधारी चौकता हुआ - क्या बात कर रहे है |
जितेश - हाँ |
गिरधारी - फिर तो और भी अच्छा है, मैडम को पोलिस के हवाले कर दो | सारा झंझट ही खतम हो |
जितेश - यही तो मुसीबत है | पोलिस भी तो सूर्यदेव के ही कब्जे में है | पोलिस को मैडम को देने का मतलब है इनको सूर्यदेव को सौंप देना | वही से तो जान बचाकर भागी है |
गिरधारी - फिर |
जितेश - जमीन में बिस्तर बिछा ले और सो जा | सुबह सोचते है आगे क्या करना है | और सुन बीडी मत पीना यहाँ वर्ना लात मार के बाहर निकालूँगा |
गिरधारी ने कोने में पड़ी दरी उठाई और जमीन पर बिछाकर सो गया |
जितेश भी बिस्तर पर आकर लेट गया और जितेश काफी देर तक बिस्तर लेता रहा तब जाकर उसे नीद आई | इसीलिए जितेश सुबह देर तक सोता रहा |
सुबह रीमा की आंख पहले खुल गई और सबसे पहले रीमा की नजर जितेश पर ही गई, रितेश पूरी तरह से बेखबर होकर गहरी नींद में सो रहा था | रीमा ने अपने बदन की तरफ देखा उसकी हालत अच्छी नहीं थी | बाल उलझे हुए, चेहरा रुखा सा, जिस्म में दर्द था और रीमा की जांघों चिपचिपाहट थी | जितेश के प्यार की चिपचिपाहट | रीमा समझ गई यह जितेश के लंड के मुरझाने के बाद बाहर फिसलने बाद में उसकी चूत से भरा जितेश का सफ़ेद रस रिस कर बाहर आया है | उसने न केवल उसकी जांघों को भिगोकर गीला किया है बल्कि चद्दर पर भी फैल गया था |अब तक सूख कर काफी चिपचिपा हो गया था | रीमा ने अपनी चूत पर सने उस चिपचिपे रस को एक उंगली में लेकर चाटा और फिर जितेश को देखने लगी | आखिरकार कौन सी वजह थी जो इतने कम समय में जितेश उसका इतना खास हो गया | जिसे रीमा ने अपना सारा जिस्म उसे सौंप दिया था | वो जिस्म जिसे छूना तो दूर कोई गैर देख ले ये भी उसे गंवारा नहीं था | आज वही जिस्म एक अनजान सी जगह में एक मर्द को उसने पूरी तरह सौंप दिया | जितेश ने उसके जिस्म के गहराइयों के आखिरी छोर तक का सफ़र तय कर लिया था | अगर औरत के मन की गहराई को अंतिम छोर को छूना है तो उसकी चूत की गहराई में खुद आखिर छोर तक खुद को उतार दो | दूसरी तरफ अगर कोई मर्द औरत के मन की गहराई में अन्दर तक उतर गया है तो औरत उसे अपने चूत की अँधेरी सुरंग की गहराइयों में उतार लेती है | रीमा के साथ कौन सी बात सही थी पता नहीं लेकिन रीमा की औरतपन की सुरंग की आखिरी गहराई तक दौड़ लगाकर जितेश उसके मन में गहराई तक उतर गया था |
आखिर कौन है जितेश जिसको रीमा ने अपना सब कुछ सौप दिया और उसकी गाड़ी सफ़ेद मलाई को अपनी चूत की गहराइयों में भर लिया और अब वही चूत में भरी सफेद गाड़ी मलाई जब बाहर आकर के उसकी जांघो पर जम गयी थी | तो उसी को रीमा चाट चाट कर जितेश को देख रही थी और जितेश को देखती रही | उसके बाद उसकी नजर उसकी कमर की तरफ चली गई यह क्या जितेश का लंड पूरी तरह से तना हुआ था, उसके तने लंड का तंबू उसके ऊपर पड़ी चादर बनी हुई थी | रीमा अपनी ओंठो से उसके रस से सनी उंगली चूसती हुई काफी कामुक नजर से जितेश को देखने लगी | रात की हवस का नशा अभी भी पूरी तरह से रीमा पर छाया हुआ था | रात में उन्होंने जो चुदाई का बेमिसाल खेल खेला था, रीमा के बदन के रोम रोम में उठ रहे मादक मीठे दर्द से वही अहसास दिलो दिमाग में भरा हुआ था | अपने उन्नत नुकीले उरोजो को मसलती हुई काफी देर तक जितेश को सोते हुए देखती रही | आखिरकार उसको अपने मन को मार कर उठना पड़ा, क्योंकि उसे बाथरूम जाना पड़ा | वह बाथरूम गई और फ्रेश होकर आई | बाहर भोर की पौ फटने को थी लेकिन कमरे में अभी भी अँधेरा था | वो जितेश को लांघते हुए बाथरूम गयी थी और उसी तरफ से वापस आई | उस कमरे में उन दोनों के अलावा भी कोई है इसका उसको अहसास तक नही हुआ | वो बिसतर पर आकर लेट गयी लेकिन जितेश के तने हुए लंड को देख करके रीमा का मन बदल गया |
उसने जितेश के लंड को जो चादर से ढका हुआ था उसे खींच कर अलग कर दिया | अब उसका लंड पूरी तरह से हवा में सीधा हो गया | इतनी कसकर उसे चोदने के बाद भी शायद उसके अंदर की आग बुझने की बजाए और भड़क गई थी | उसके मन में बसी रीमा को चोदने की लालसा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन उसकी लालसा अब कम होने के बजाय और बढ़ गई थी | वासना की आग होती ही ऐसी है जो जितना बुझाने की कोशिश करो उतना भड़कती है | शायद रीमा ने जितेश के तन बदन में वो आग और भड़का दी थी | शायद यही हालत उसके तने हुए लंड की ओर इशारा कर रही थी | वह भले ही सो रहा था लेकिन उसका लंड उसके दिलो-दिमाग के अंदर चल रहे तूफान की सारी कहानी बयान कर रहा था | रीमा ने उसके लंड को थाम लिया और बड़ी आत्मीयता से सहलाने लगी | आखिर यही तो वो लंड था जिसने रात में उसकी अधूरी हवस की आग बुझाकर तृप्ति का वह चरम सुख दिया जो जिंदगी भर नहीं भूल पाएगी | इस लंड ने जैसे उसके रोम-रोम को चोद डाला हो और उसकी पूरी चूत को भर दिया हो और उसे औरत होने के अस्तित्व को तृप्ति का नया अहसास कराया हो | उन अहसासों के लिए जिनके लिए वह सालों तक तड़पती रही , जो कल रात उसके रोम रोम से बह निकले और उसके मन में भरे वर्षो के बोझ को हल्का कर दिया | उसकी जिंदगी में भी चुदना लिखा है और तृप्त होना लिखा है | वो अधूरी प्यास लेकर नहीं मारेगी | उसे जितेश के लंड पर बड़ा प्यार आ रहा था | शायद रीमा भी अपनी वासना को भोगने की शुरुआत भर कर पाई थी और अब उसे और ज्यादा भोगने की लालसा बढ़ गई थी | उसके अंदर की हवस ख़तम होने की बजाय शायद और भड़क गई थी |
जितेश के लंड पर उसका हाथ फिसलने लगा था | उसके उन्नत उरोज अपने पूरे शबाब पर थे | उसके सीने के कसे उभार और उनकी नुकीली तनी हुई चोटियाँ ही ये बताने के लिए काफी थी की रीमा की जवानी कितना खुलकर सामने आ रही है | रात में उसकी चुदाई के हुई उसके उरोजो की मालिश ने उसके उरोजो की उठान को और ऊँचा कर दिया था | रीमा की छाती की कसावट तनाव और उठान किसी भी मुर्रीदा लंड में आग के लगाने के लिए काफी थे | मा की हरकतों से अनजान जितेश बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था | कुछ देर तक रीमा रितेश के लंड मासलती रही, सहलाती रही और मुहँ में लेकर लोलोपोप की तरह चूसती रही | उसके बाद में वह जितेश के लंड को छोड़कर खुद के जिस्म से ही खेलने लगी | सोते हुए जितेश को परेशान करना उसे अच्छा नहीं लगा |वह अपने बड़े-बड़े उठे हुए तने हुए मांसल सुडौल स्तनों को मसलने लगी और कुछ देर बाद उसका एक हाथ उसके चूत घाटी में पहुंच गया और चूत को सहलाने लगा | कुछ देर बाद उसका दूसरा हाथ भी उसकी चूत घाटी में पहुंच गया और उसकी चूत के अंदर उंगलिया करके उसकी चूत की खुजली मिटाने लगा था जबकि दूसरे हाथ की उंगलियां उसकी चूत दाने को मसलने लगी थी उसके अंदर की भड़की हुई हवस की आग उसके मुंह से सिसकारियां बनकर निकलने लगी |
रीमा की हरकतों से शायद जितेश की नींद भी टूट गई | रीमा के मुंह से निकल रही मादक सिसकारियां की मधुर आवाजों ने शायद जितेश के सोते हुए दिलो-दिमाग को जगा दिया | जितेश वैसे भी रीमा के हुस्न के जाल में पूरी तरह डूबा हुआ था सोते हुए भी शायद उस के सपनों में रीमा के ही सपने आ रहे होंगे इसीलिए जब उसके कानों में रीमा की मादक सिसकारियां की आवाज पड़ी तो उसकी आंखे खुदबखुद खुल गई उसने देखा रीमा अपने जिस्म से खेल रही है और अपनी चूत को मसल रही है और मुंह से सिसकारियां निकल रही है | वह समझ गया कि लग रहा है रीमा अभी पूरी तरह से ठंडी नहीं हुई है और उसके अंदर हवस की आग अभी भी जल रही है | जितेश रीमा के करीब आ गया और रीमा केउठे हुए उन्नत नुकीले स्तनों को अपने मुंह में लेकर के उसका रसपान करने लगा | इधर रीमा का हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसके लंड को मसलने लगा | रात से इतर न तो भावनाओ का समुन्दर था, ना कोई भावना थी ना ना ही कोई आत्मीयता थी | अब बस दो जिस्मो की वासना थी और उस वासना को बुझाने के लिए दोनों फिर से एक दूसरे में गुथम गुत्था हो गए | एक तरफ जहां जितेश रीमा के बदन पर अपने होठों के जादू चला रहा था तो वहीं रीमा जितेश के लंड पर अपनी उंगलियों का जादू बिखेर रही थी | कुछ ही देर बाद जितेश ने रीमा को अपने आगोश में ले लिया और उसको जांघो को फैला कर के उसकी पहले से ही उसके लंड रस से सनी हुई चूत में अपने लंड को सटाकर के पेल दिया | रीमा के मुंह से एक लंबी सिसकारी निकल गई |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊफ़्फ़्फ़ |
जितेश ने अपने होठों को रीमा के होठों से सटा दिया | जितेश रीमा कस कर के चूमने लगा उसे पता था अगर वह रीमा के होंठों को अपने होंठों में नहीं चिपका लेगा तो रीमा के मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकलेंगी और नीचे लेटा हुआ उसका आदमी गिरधारी जो कि उसके नीचे ही काम करता था और रात में उसके पास आया था और यही सो गया था वह जाग जाएगा | उसने रीमा के होठों को कसकर अपने होठों में जकड़ लिया और चूसने लगा | इधर उसकी हिलती कमर रीमा की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी | उसकी चूत फ़ैलने लगी और जितेश के लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी | रीमा फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी | अभी तो रात बस खत्म हुई थी और सुबह फटने का समय हुआ था कुछ ही घंटों के अंदर रीमा की वासना फिर से अपने चरम पर थी | जितेश की भी ठरक अभी खत्म नहीं हुई थी इसीलिए दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे | एक तरफ जितेश रीमा की चूत में कमर हिला हिला के लंड को पेल रहा था तो दूसरी तरफ रीमा की चूत में उसके मुसल लंड को अपने आगोश में ले रही थी | अं न कोई प्रतिरोध था न कोई विरोध था | रीमा की चिकनी चूत की दीवारों पर सटा सट जितेश का लंड फिसल रहा था | उसके जिस्म में उठ रही हवस की लपटों की आग रीमा के मुहँ से गरम सिसकारियो के रूप में निकल रही थी और सीधे जितेश के मुहँ में जा रह थी क्योंकि जितेश ने उसके मुंह से अपने ओंठो को कसकर चिपका रखा था | अब ना केवल जितेश अपनी कमर हिला रहा था बल्कि रीमा भी अपनी कमर हिला कर के उसके लंड को गहराइयों तक लेने की कोशिश कर रही |
चुदाई का नंगा खेल फिर से शुरू हो गया था और रीमा के मुंह से निकलने वाली सिसकारियां उसके मुंह में ही घुट घुट के रह जा रही थी लेकिन जितेश के मोटे मुसल लंड की ठोकर आखिर कब तक रीमा का नाजुक बदन संभाल पता | कब तक जितेश की जोरदार ठोकरों को रीमा खामोश लबो से बर्दाश्त कर पाती | कब तक उन मादक कराहों को, उन कामुक सिसकारियां को अपने मुंह में घुट के रख पाती | जैसे ही एक मोटा तगड़ा लंड औरत की चूत के छेद में घुसता है उसका मुहँ का छेद अपने आप खुल जाता है | ये नैसर्गिक है रीमा इसको कब तक रोक सकती थी | जितेश के भीषण ठोकरों की तरंगे न केवल उसके जिस्खिम को हिलाए हुए पड़ी थी बल्रकि उनमे उसका मन भी कांप जाता था | उस कम्कापन की आवाजे आखिरकार उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियां के रूप में कमरे में गूंजने लगी | जितेश रीमा की चुदाई में इस कदर मशगूल हो गया था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके ओंठ रीमा के होठों से हटकर के उसी गर्दन और स्तनों पर चले गए |
रीमा की चूत पर पड़ती मुसल लंड की हर करारी ठोकर के साथ उसके मुंह से उसकी सिसकारियां निकल रही थी | उन दोनों के इस चुदाई के खेल की कामुक आवाजें आखिरकार गिरधारी के कानों तक पहुंच गई | सोते-सोते उसकी नींद टूट गई पहले तो उसे लगा जैसे वह कोई सपना देख रहा है लेकिन जब उसने नीचे जमीन से उठकर के बिस्तर की तरफ देखा तो जो नजारा उसने देखा उसे देखकर वह हैरान रह गया | रीमा और जितेश दोनों एक दूसरे की बाहों में गुथम गुत्था हुए चुदाई का नंगा हवसी खेल खेल रहे थे जिसका उसे अंदाजा तक नहीं था | जब वह यहां आया था तब उसने रीमा को देखा था, उसने जितेश से सवाल भी पुछा था लेकिन उसने टाल दिया था | जब जितेश ने जमीन वाली सुरंग का दरवाजा खोला और वो अन्दर आया तब वह पूरी तरह से चादर से ढकी हुई सो रही थी इसलिए उसे रीमा के जिस्म की झलक नहीं मिली थी | उसने बस चादर की सलवटो और उभारो से रीमा के हुस्न का अंदाजा लगाया था | उसने जितेश से सवाल जवाब भी किये लेकिन जितेश ने सिर्फ काम की बात | उसके बाद दरी बिछाकर वो वही सो गया | अब एक तरफ सूरज अपनी रोशनी बिखेरने को तैयार हो गया था और इधर बिस्तर पर वह दोनों अभी भी रात के नशे में चूर एक दूसरे के चुदाई का खेल खेल रहे थे | अपने अपने जिस्अमो में लगी आग बुझाने में लगे हुई थे | गिरधारी ने जो भी अपनी आंखों से देखा उसे अभी तक यकीन नहीं हुआ कि उसने जो देखा है वही सच है लेकिन जो उसने देखा था वही सच है ये उसे मानना पड़ा | वह क्या करें उसे खुद समझ में नहीं आया कुछ उसके सामने एक खूबसूरत सी औरत को उसका बॉस चोद रहा था | जितेश का लंड आधे से ज्यादा रीमा की चूत में धंसा आगे पीछे हो रहा था और रीमा की गोरी उंगलियाँ उसके चूत दाने के आसपास टिकी हुई थी |