22-12-2019, 01:15 PM
(This post was last modified: 28-02-2021, 09:03 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मातृभुमी की सेवा
" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "
और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।
" यही मन करता था न तेरा ,उस समय भी जब मुझे नहाते देखता था "
चिढाते हुए फिर पूछा उन्होंने और साथ ही उनका तन्नाया खूँटा पकड़ के मसलने रगडने लगीं।
और मुठियाते हुए बोलीं ,
" मुन्ना ,ये इत्ता मोटा तगड़ा जबरदस्त इसी लिए हुआ है की बचपन में मैं इतना कडुवा तेल इसे पिलाया ,
जम कर मल मल कर मालिश की इसकी। और मैं बस यही सोचती थी की बड़ा हो के जब खूब टनाटन होगा न तो एकदिन , .... "
और ये कहते हुए उन्होंने अपने अंगूठे से उनके सुपाड़े को जोर से रगड़ दिया।
वो जोर से सिसक उठे।
" तलवार तो तेरी जबरदस्त है , ज़रा चला के तो दिखाओ। आ न बचपन से तेरा मन करता था न चल आ आज तुझे असल में मादरचोद बनाती हूँ , आ मेरे ऊपर।
अगर असल में अपनी माँ का बेटा है न माँ का दूध पिया तो आज मेरे भोंसडे के परखच्चे उड़ा देगा ,चल न , पेल दे। "
बस इतना कहना काफी था ,और भले ही ब्लाइंड फोल्ड बंधा था ,
लेकिन दोनों लंबी लंबी गोरी टाँगे उनके कंधे पे ,लन्ड सीधे बुर के मुहाने पे और दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों पे ,
पहले धक्के पे ही आधा लन्ड अंदर , और नीचे से भी चूतड़ उठा के जवाब मिला।
" चोद मुन्ना चोद , चोद माँ को तेरा बहुत मन करता न मादरचोद बनने को , और मेरा भी मन करता था तुझे मादरचोद बनाने को ,
चल चोद रगड़ रगड़ के। '
कुछ ही देर में बातें बंद थी सिर्फ रगड़घिस चालु थी , चूँचियों की बुर की ,
उनका मोटा लन्ड पिस्टन की तरह भोंसड़ी के अदंर सटासट ,लन्ड का बेस सीधे क्लीट पे
होंठ जोबन का रस ले रहे थे तो कभी कचकचा के निपल काट लेते।और तभी उन्होंने दोनों चूंचियां पकड़ के ,
आलमोस्ट लन्ड पूरा बाहर निकाल के जो करारा धक्का मारा तो जैसे उनकी चूलें ढीली हो गयी ,
और एक बार फिर वो बोल पड़ी,
" अरे , मादरचोद , ओह्ह आज पता चल रहा है भोंसडे से एक मर्द को निकाला है , रगड़ के रख दिया तूने। बचपन से जो खोल खोल के मैंने इसमें तेल लगाया था आज सुफल हुआ।
अरे ये धक्का अपने बूआ की बुर में मारो न तो पता चले उस छिनार को बचपन से मेरे मुन्ने को देख के ललचाती रहती थी। "
बूआ का नाम सुनते ही जैसे उनका जोश दस गुना हो गया और फिर तो क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, जिस तरह उन्होंने
और जवाब भी उसी तरह ,
'अरे सिर्फ तेरी बुआ क्या , तेरी मौसी , तेरी चाची सब मेरे मुन्ने के इस मोटे लन्ड के लिए मचल रही हैं ,"
उनके सीने पे मोटी मोटी चूंचियां रगडती वो बोलीं।
( उनके बाथरूम के छेद में से देखने की बात , ब्रा में मुट्ठ मारने की बात , उनकी बुआ की बातें सारी की सारी सोलह आने सही थीं। यहाँ तक की मम्मी की समधन की उन्हें मुट्ठ मारते हुए देखने की बात भी ,...
हुआ ये की तिजहरिया को जो मेरी सास का फोन आया तो मम्मी ने उनसे सारी बातें उगलवा ली ).
सारी रात , बार बार ,
आह से आह्हा तक ,
पोज बदल बदल कर ,
उनके 'मातृ प्रेम ' का एक नया रूप , चाहे मैं और मॉम हो या मंजू -गीता , माँ का नाम लेके जो उन्हें चिढाते थे ,गालियां देते थे ,
आज सच में ,
दूसरे राउंड में , जब वो निहुरा के ,झुका के अपनी फेवरिट डॉगी पोज में ,
सटासट सटासट ,घचाघच घचाघच ,पूरी ताकत से , तो खुद उन्होंने
सब कुछ उगल दिया , उनके मन की बात , कैशोर्य की फैंटेसीज
क्या उनको भाता था , और जो तिजहरिया को मम्मी ने मेरी सासू को बातों में बहला फुसला के, पता किया था ,
अपनी समधन से उगलवाया था , सब कुछ एकदम उस से मेल खाता था।
रोल प्ले में तो मम्मी का जवाब नहीं था , मेरी सास बनी वो हर धक्के का जवाब धक्के से , और खुद उकसा उकसा के
उनके कैशोर्य की बातों को याद दिला दिला के , और जोश दिला रही थीं।
" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "
और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।
" यही मन करता था न तेरा ,उस समय भी जब मुझे नहाते देखता था "
चिढाते हुए फिर पूछा उन्होंने और साथ ही उनका तन्नाया खूँटा पकड़ के मसलने रगडने लगीं।
और मुठियाते हुए बोलीं ,
" मुन्ना ,ये इत्ता मोटा तगड़ा जबरदस्त इसी लिए हुआ है की बचपन में मैं इतना कडुवा तेल इसे पिलाया ,
जम कर मल मल कर मालिश की इसकी। और मैं बस यही सोचती थी की बड़ा हो के जब खूब टनाटन होगा न तो एकदिन , .... "
और ये कहते हुए उन्होंने अपने अंगूठे से उनके सुपाड़े को जोर से रगड़ दिया।
वो जोर से सिसक उठे।
" तलवार तो तेरी जबरदस्त है , ज़रा चला के तो दिखाओ। आ न बचपन से तेरा मन करता था न चल आ आज तुझे असल में मादरचोद बनाती हूँ , आ मेरे ऊपर।
अगर असल में अपनी माँ का बेटा है न माँ का दूध पिया तो आज मेरे भोंसडे के परखच्चे उड़ा देगा ,चल न , पेल दे। "
बस इतना कहना काफी था ,और भले ही ब्लाइंड फोल्ड बंधा था ,
लेकिन दोनों लंबी लंबी गोरी टाँगे उनके कंधे पे ,लन्ड सीधे बुर के मुहाने पे और दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों पे ,
पहले धक्के पे ही आधा लन्ड अंदर , और नीचे से भी चूतड़ उठा के जवाब मिला।
" चोद मुन्ना चोद , चोद माँ को तेरा बहुत मन करता न मादरचोद बनने को , और मेरा भी मन करता था तुझे मादरचोद बनाने को ,
चल चोद रगड़ रगड़ के। '
कुछ ही देर में बातें बंद थी सिर्फ रगड़घिस चालु थी , चूँचियों की बुर की ,
उनका मोटा लन्ड पिस्टन की तरह भोंसड़ी के अदंर सटासट ,लन्ड का बेस सीधे क्लीट पे
होंठ जोबन का रस ले रहे थे तो कभी कचकचा के निपल काट लेते।और तभी उन्होंने दोनों चूंचियां पकड़ के ,
आलमोस्ट लन्ड पूरा बाहर निकाल के जो करारा धक्का मारा तो जैसे उनकी चूलें ढीली हो गयी ,
और एक बार फिर वो बोल पड़ी,
" अरे , मादरचोद , ओह्ह आज पता चल रहा है भोंसडे से एक मर्द को निकाला है , रगड़ के रख दिया तूने। बचपन से जो खोल खोल के मैंने इसमें तेल लगाया था आज सुफल हुआ।
अरे ये धक्का अपने बूआ की बुर में मारो न तो पता चले उस छिनार को बचपन से मेरे मुन्ने को देख के ललचाती रहती थी। "
बूआ का नाम सुनते ही जैसे उनका जोश दस गुना हो गया और फिर तो क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, जिस तरह उन्होंने
और जवाब भी उसी तरह ,
'अरे सिर्फ तेरी बुआ क्या , तेरी मौसी , तेरी चाची सब मेरे मुन्ने के इस मोटे लन्ड के लिए मचल रही हैं ,"
उनके सीने पे मोटी मोटी चूंचियां रगडती वो बोलीं।
( उनके बाथरूम के छेद में से देखने की बात , ब्रा में मुट्ठ मारने की बात , उनकी बुआ की बातें सारी की सारी सोलह आने सही थीं। यहाँ तक की मम्मी की समधन की उन्हें मुट्ठ मारते हुए देखने की बात भी ,...
हुआ ये की तिजहरिया को जो मेरी सास का फोन आया तो मम्मी ने उनसे सारी बातें उगलवा ली ).
सारी रात , बार बार ,
आह से आह्हा तक ,
पोज बदल बदल कर ,
उनके 'मातृ प्रेम ' का एक नया रूप , चाहे मैं और मॉम हो या मंजू -गीता , माँ का नाम लेके जो उन्हें चिढाते थे ,गालियां देते थे ,
आज सच में ,
दूसरे राउंड में , जब वो निहुरा के ,झुका के अपनी फेवरिट डॉगी पोज में ,
सटासट सटासट ,घचाघच घचाघच ,पूरी ताकत से , तो खुद उन्होंने
सब कुछ उगल दिया , उनके मन की बात , कैशोर्य की फैंटेसीज
क्या उनको भाता था , और जो तिजहरिया को मम्मी ने मेरी सासू को बातों में बहला फुसला के, पता किया था ,
अपनी समधन से उगलवाया था , सब कुछ एकदम उस से मेल खाता था।
रोल प्ले में तो मम्मी का जवाब नहीं था , मेरी सास बनी वो हर धक्के का जवाब धक्के से , और खुद उकसा उकसा के
उनके कैशोर्य की बातों को याद दिला दिला के , और जोश दिला रही थीं।