22-12-2019, 12:49 PM
(This post was last modified: 26-02-2021, 02:47 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
' माँ ' -बेटा संवाद '
अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,
" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , '
और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,
लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।
माँ ने समझाया ,
" अरे तू समझता नहीं अपनी बुआ को , वो लाइन मारती थी तेरे पे , मुझसे भी कई बार बोली , भाभी कच्चा केला खाने का मन करता है तो मैं बोली पटा ले ,खोल ले खा ले।
अरे तेरी बुआ तो बचपन से चलती थी , जब से कच्चे कच्चे टिकोरे आये थे , नौवीं में थी ,तब से ही दबवाने मिजवाने लगी थी।
मेरी ससुराल वालियों की साली झांटे बाद में आती है लेकिन चूत में खुजली पहले मचनी लगती है ,
और ऊपर से तेरी बुआ थी भी मस्त माल। '
'सच में बुआ मुझे भी ,... जब कालेज से लौटती थीं तो मेरा गाल जोर से चिकोट लेती
तो कभी चिढाते हुए मेरी नेकर खींचने की कोशिश करती। "
उन्होंने भी कबूल किया ,
बुआ की बात से बात बदल कर वो बोलीं ,
"लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,
" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , "
झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।
" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें ,
" रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "
वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,...
अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ...
गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।
" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "
" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "
" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी।
वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।
और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "
वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,
' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है।
और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस
एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "
तो निकाला क्यों नहीं ,वो बुरा सा मुंह बना के बोले।
" अरे हर चीज का टाइम होता है , एक तो तू इत्ता लौंडियों की तरह शरमाता झिझकता था ,
मुझे लगा की अगर कहीं घबड़ा के तूने मेरी ब्रा में मुट्ठ मारना बंद कर दिया तो अभी जो तेरी मलाई का स्वाद मेरे जोबन को मिलता है वो भी बंद हो जाएगा।
फिर लगता था की कहीं उस तेरी छिनार बुआ ने देख लिया तो ,... वो भी तेरे बारे में सोच सोच के ऊँगली करती थी ,
पर चल आज मौक़ा मिला है न अब रोज तेरी पिचकारी से अपनी छाती से दबा दबा के ,
आज मौक़ा मिल गया है न दबा कस के ,जैसे मुट्ठ मारते समय सोचते थे ,... "
उन्हें जवाब मिला और खींच के उनके हाथ ३६ डी डी पर
"लेकिन आप , आप कैसे देखतीं थी। "
घबड़ा के वो बोल पड़े। पर उनके दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों को गूंथने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे थे।
" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । "
हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,
" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।
" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।
" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "
" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।
" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "
और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।
अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,
" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , '
और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,
लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।
माँ ने समझाया ,
" अरे तू समझता नहीं अपनी बुआ को , वो लाइन मारती थी तेरे पे , मुझसे भी कई बार बोली , भाभी कच्चा केला खाने का मन करता है तो मैं बोली पटा ले ,खोल ले खा ले।
अरे तेरी बुआ तो बचपन से चलती थी , जब से कच्चे कच्चे टिकोरे आये थे , नौवीं में थी ,तब से ही दबवाने मिजवाने लगी थी।
मेरी ससुराल वालियों की साली झांटे बाद में आती है लेकिन चूत में खुजली पहले मचनी लगती है ,
और ऊपर से तेरी बुआ थी भी मस्त माल। '
'सच में बुआ मुझे भी ,... जब कालेज से लौटती थीं तो मेरा गाल जोर से चिकोट लेती
तो कभी चिढाते हुए मेरी नेकर खींचने की कोशिश करती। "
उन्होंने भी कबूल किया ,
बुआ की बात से बात बदल कर वो बोलीं ,
"लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,
" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , "
झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।
" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें ,
" रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "
वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,...
अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ...
गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।
" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "
" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "
" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी।
वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।
और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "
वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,
' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है।
और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस
एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "
तो निकाला क्यों नहीं ,वो बुरा सा मुंह बना के बोले।
" अरे हर चीज का टाइम होता है , एक तो तू इत्ता लौंडियों की तरह शरमाता झिझकता था ,
मुझे लगा की अगर कहीं घबड़ा के तूने मेरी ब्रा में मुट्ठ मारना बंद कर दिया तो अभी जो तेरी मलाई का स्वाद मेरे जोबन को मिलता है वो भी बंद हो जाएगा।
फिर लगता था की कहीं उस तेरी छिनार बुआ ने देख लिया तो ,... वो भी तेरे बारे में सोच सोच के ऊँगली करती थी ,
पर चल आज मौक़ा मिला है न अब रोज तेरी पिचकारी से अपनी छाती से दबा दबा के ,
आज मौक़ा मिल गया है न दबा कस के ,जैसे मुट्ठ मारते समय सोचते थे ,... "
उन्हें जवाब मिला और खींच के उनके हाथ ३६ डी डी पर
"लेकिन आप , आप कैसे देखतीं थी। "
घबड़ा के वो बोल पड़े। पर उनके दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों को गूंथने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे थे।
" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । "
हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,
" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।
" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।
" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "
" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।
" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "
और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।