27-01-2019, 05:21 PM
ये काम काजल हमेशा से करना चाहती थी...जब वो दोनो पक्की सहेलियाँ थी तब वो हमेशा ही सारिका की सुंदरता की प्रशंसक रही थी...वो खुद उसे चूमना चाहती थी..उसके नंगे जिस्म से खेलना चाहती थी...पर ऐसा मौका ही नही मिला कभी...सिर्फ़ बातें होती थी दोनो के बीच सेक्स को लेकर...एक दूसरे के बाय्फ्रेंड को शेयर करने के बारे मे..पर जब तक बात आगे बड़ पाती, दोनो मे झगड़ा हो गया और बातचीत बंद हो गयी...ये तो अच्छा हुआ की आज वो ऐसी परिस्थिति मे आकर सारिका के नंगे जिस्म से फिर से मज़े ले पा रही है..वरना ऐसा कुछ वो कर पाएगी, उसने सोचा भी नही था...और उपर से केशव ने भी काजल को उकसा दिया था..इसलिए वो अपने भाई की मरजी की आड़ मे अपनी दबी हुई इच्छा को पूरा कर रही थी.
काजल तो सारिका के नर्म होंठों को ऐसे चूस रही थी,जैसे आज का दिन उसकी जिंदगी का आख़िरी दिन है...
उसके होंठ, गाल,आँखे,गर्दन...सभी को बुरी तरह से चूम और चाट रही थी...
और फिर वो उसके मदमस्त स्तनों के उपर आकर रुक गयी...अपने दोनो हाथों में लेकर उनका वजन नापा और बोली : "काफ़ी बड़े हो गये है ये पहले से...लगता है भाई काफ़ी मेहनत करता है इनपर...''
यही बात कुछ देर पहले केशव ने भी कही थी...और अब काजल भी कर रही थी...दोनो भाई-बहन के विचार कितने मिलते-जुलते थे...सारिका ये सोच ही रही थी की काजल ने उसके मुम्मो पर फिर से हमला कर दिया..और उन्हे नींबू की तरह निचोड़कर उभरे हुए निप्पल्स को मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
''अहह ......... धीईईईरए ..........काजल ................... तू तो केशव से भी आगे निकल रही है............... अहह ....इतनी ज़ोर से तो वो भी नही चूसता ...............''
पर काजल ने उसकी एक ना सुनी और उसकी गोलाइयों के साथ नोच-खसोट करती रही....
सारिका के हाथ उसकी पीठ पर थे...और जैसे ही काजल ने एक बार फिर से उसके निप्पल पर दाँत मारा, सारिका जोर से चीख पड़ी और उत्तेजना मे भरकर उसके हाथ काजल की ब्रा स्ट्रेप पर ज़ोर से कस गये और उसने उन्हे अपनी तरफ खींच डाला...और उसकी ब्रा के पिछले हुक इस बेदर्द हमले को झेल नही पाए और वो टूटते चले गये..
पर काजल पर इसका कोई असर नही था...वो अपना काम करती रही..
सारिका ने भी आवेश मे आकर उसके सूट की कमीज़ को पकड़कर उपर खींच दिया और गले से घुमा कर निकाल दिया..ब्रा तो पहले से ही टूट चुकी थी...इसलिए वो भी सूट के साथ-2 बाहर आ गयी...और अब काजल उपर से नंगी होकर सारिका के मुम्मे चूस रही थी..
सारिका का ध्यान अब केशव की तरफ गया...वो देखना चाहती थी की अपनी बहन को ऐसे उपर से नंगा देखकर वो भला क्या करता है...सारिका के हिसाब से तो आज ये भाई बहन पहली बार ही एक दूसरे को ऐसे नंगा देख रहे थे...उसे क्या पता था की पिछले कुछ दिनों से दोनो के बीच क्या-2 हुआ है और वो दोनो कहाँ तक निकल चुके हैं...भले ही उनके बीच चुदाई नही हुई, पर बाकी के सब काम वो अच्छी तरह से कर चुके थे..
सारिका ने देखा की काजल को टॉपलेस देखकर केशव के हाथ अपने लंड पर और तेज़ी से सरकने लगे और वो उन्हे ज़ोर-2 से मसलकर अपने लंड को खुश करने मे जुट गया..
सारिका ने सोचा की जब इन दोनो भाई-बहन को कोई प्राब्लम नही है तो वो क्यो पीछे रहे...वैसे भी किसी लड़की ने आज पहली बार उसको इस तरह से उत्तेजित किया था..और अपने प्रेमी के सामने वो किसी से ऐसे मज़े ले, ये बात भी उसे अंदर से उत्तेजित कर रही थी..
उसने काजल का नाड़ा खींच कर उसकी सलवार भी निकाल दी...
केशव की नाज़रों के सामने पहली बार एक साथ 2-2 जवान लड़कियाँ नंगी थी...जो उसकी फॅंटेसी रही थी हमेशा से...वो उन दोनो को एक दूसरे से गुत्थम - गुत्था होकर चूमा चाटी करते देखकर बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था..वो चाहता तो अभी के अभी बीच मे कूद कर दोनो से अच्छी तरह के मज़े ले सकता था..पर पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था.
काजल भी अपने दिल की दबी हुई इच्छाओं को पूरा करती जा रही थी...सारिका के मुम्मे चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे बैठ गयी और उसकी चूत पर अपने नर्म होंठ रखकर उन्हे चूसने लगी..
''अहह .... ओह सारिका ......................... आई विल डाई ...... मत करो ऐसे .....''
सारिका का वो वीक पॉइंट था...उसकी चूत को केशव जब भी चूसता था तो सारिका का बुरा हाल हो जाता था...और यही काम अब उसकी बहन उसके साथ कर रही थी..
सारिका दीवार से जा कर सट गयी और आराम से अपनी चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी..
उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था...मज़ा ही ऐसा मिल रा था उसको की वो तो जैसे आसमान पर उड़ती जा रही थी..
काजल ने अपनी एक-2 करते हुए चारों उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी...और अंदर बाहर करती हुई,जीभ से चाट्ती भी रही ...ऐसा सुखद एहसास एक लड़की ही एक लड़की को दे सकती है...
सारिका अपने होंठों को दांतो तले दबाकर मज़े ले रही थी..
वो झड़ने के करीब पहुँच गयी...पर सारिका ये मज़े दूर तक लेना चाहती थी..
उसने काजल को उपर खींच लिया और उसके चूत के रस से भीगे होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी...साथ ही वो उसके दोनो मुम्मो को भी दबा रही थी...ऐसा सीन देखकर केशव का बुरा हाल हो रहा था..पर वो दोनो तो जैसे अब केशव के बारे मे भूल ही चुकी थी...दोनो बस आपस मे मज़े लेकर ही एक दूसरे के अंदर समा चुके थे..
अब सारिका की बारी थी....उसने काजल को घसीट कर साइड में बनी एक शेल्फ के उपर चड़ा दिया और उसकी टांगे फेला कर अपने होंठ वहाँ लगा दिए...
आज उसका भी ये पहला मौका था किसी की चूत चूसने का..पर वहाँ होंठ लगते ही उसे जब चूत के रस के स्वाद का एहसास हुआ तो उसके बाद वो रुकी ही नही...और अपनी जीभ निकाल कर अंदर तक चूसने लगी...चाटने लगी..
काजल भी एक हाथ से अपने मुम्मे को और दूसरे से सारिका के बालों को सहला कर आँखे बंद करके सिसकारियाँ मारने लगी..
''ओह ...सारिका ...............माय डार्लिंग .................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...... कहाँ थी इतने दिनों से ................... अहह .....सकक्क मी बेबी .................अंदर तक चूसो मुझे ............अहह ...बहुत मज़ा आ रहा है ....... बहुत अच्छा चूस रही हो तुम ...''
काजल के मुँह से अपनी कला की तारीफ सुनकर वो और भी बावली सी होकर अपनी सहेली को मज़ा देने लगी...
और फिर जल्द ही काजल की सिसकारियाँ चीखों मे बदलने लगी...क्योंकि वो झड़ने के करीब आ गयी थी...
काजल तो सारिका के नर्म होंठों को ऐसे चूस रही थी,जैसे आज का दिन उसकी जिंदगी का आख़िरी दिन है...
उसके होंठ, गाल,आँखे,गर्दन...सभी को बुरी तरह से चूम और चाट रही थी...
और फिर वो उसके मदमस्त स्तनों के उपर आकर रुक गयी...अपने दोनो हाथों में लेकर उनका वजन नापा और बोली : "काफ़ी बड़े हो गये है ये पहले से...लगता है भाई काफ़ी मेहनत करता है इनपर...''
यही बात कुछ देर पहले केशव ने भी कही थी...और अब काजल भी कर रही थी...दोनो भाई-बहन के विचार कितने मिलते-जुलते थे...सारिका ये सोच ही रही थी की काजल ने उसके मुम्मो पर फिर से हमला कर दिया..और उन्हे नींबू की तरह निचोड़कर उभरे हुए निप्पल्स को मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
''अहह ......... धीईईईरए ..........काजल ................... तू तो केशव से भी आगे निकल रही है............... अहह ....इतनी ज़ोर से तो वो भी नही चूसता ...............''
पर काजल ने उसकी एक ना सुनी और उसकी गोलाइयों के साथ नोच-खसोट करती रही....
सारिका के हाथ उसकी पीठ पर थे...और जैसे ही काजल ने एक बार फिर से उसके निप्पल पर दाँत मारा, सारिका जोर से चीख पड़ी और उत्तेजना मे भरकर उसके हाथ काजल की ब्रा स्ट्रेप पर ज़ोर से कस गये और उसने उन्हे अपनी तरफ खींच डाला...और उसकी ब्रा के पिछले हुक इस बेदर्द हमले को झेल नही पाए और वो टूटते चले गये..
पर काजल पर इसका कोई असर नही था...वो अपना काम करती रही..
सारिका ने भी आवेश मे आकर उसके सूट की कमीज़ को पकड़कर उपर खींच दिया और गले से घुमा कर निकाल दिया..ब्रा तो पहले से ही टूट चुकी थी...इसलिए वो भी सूट के साथ-2 बाहर आ गयी...और अब काजल उपर से नंगी होकर सारिका के मुम्मे चूस रही थी..
सारिका का ध्यान अब केशव की तरफ गया...वो देखना चाहती थी की अपनी बहन को ऐसे उपर से नंगा देखकर वो भला क्या करता है...सारिका के हिसाब से तो आज ये भाई बहन पहली बार ही एक दूसरे को ऐसे नंगा देख रहे थे...उसे क्या पता था की पिछले कुछ दिनों से दोनो के बीच क्या-2 हुआ है और वो दोनो कहाँ तक निकल चुके हैं...भले ही उनके बीच चुदाई नही हुई, पर बाकी के सब काम वो अच्छी तरह से कर चुके थे..
सारिका ने देखा की काजल को टॉपलेस देखकर केशव के हाथ अपने लंड पर और तेज़ी से सरकने लगे और वो उन्हे ज़ोर-2 से मसलकर अपने लंड को खुश करने मे जुट गया..
सारिका ने सोचा की जब इन दोनो भाई-बहन को कोई प्राब्लम नही है तो वो क्यो पीछे रहे...वैसे भी किसी लड़की ने आज पहली बार उसको इस तरह से उत्तेजित किया था..और अपने प्रेमी के सामने वो किसी से ऐसे मज़े ले, ये बात भी उसे अंदर से उत्तेजित कर रही थी..
उसने काजल का नाड़ा खींच कर उसकी सलवार भी निकाल दी...
केशव की नाज़रों के सामने पहली बार एक साथ 2-2 जवान लड़कियाँ नंगी थी...जो उसकी फॅंटेसी रही थी हमेशा से...वो उन दोनो को एक दूसरे से गुत्थम - गुत्था होकर चूमा चाटी करते देखकर बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था..वो चाहता तो अभी के अभी बीच मे कूद कर दोनो से अच्छी तरह के मज़े ले सकता था..पर पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था.
काजल भी अपने दिल की दबी हुई इच्छाओं को पूरा करती जा रही थी...सारिका के मुम्मे चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे बैठ गयी और उसकी चूत पर अपने नर्म होंठ रखकर उन्हे चूसने लगी..
''अहह .... ओह सारिका ......................... आई विल डाई ...... मत करो ऐसे .....''
सारिका का वो वीक पॉइंट था...उसकी चूत को केशव जब भी चूसता था तो सारिका का बुरा हाल हो जाता था...और यही काम अब उसकी बहन उसके साथ कर रही थी..
सारिका दीवार से जा कर सट गयी और आराम से अपनी चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी..
उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था...मज़ा ही ऐसा मिल रा था उसको की वो तो जैसे आसमान पर उड़ती जा रही थी..
काजल ने अपनी एक-2 करते हुए चारों उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी...और अंदर बाहर करती हुई,जीभ से चाट्ती भी रही ...ऐसा सुखद एहसास एक लड़की ही एक लड़की को दे सकती है...
सारिका अपने होंठों को दांतो तले दबाकर मज़े ले रही थी..
वो झड़ने के करीब पहुँच गयी...पर सारिका ये मज़े दूर तक लेना चाहती थी..
उसने काजल को उपर खींच लिया और उसके चूत के रस से भीगे होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी...साथ ही वो उसके दोनो मुम्मो को भी दबा रही थी...ऐसा सीन देखकर केशव का बुरा हाल हो रहा था..पर वो दोनो तो जैसे अब केशव के बारे मे भूल ही चुकी थी...दोनो बस आपस मे मज़े लेकर ही एक दूसरे के अंदर समा चुके थे..
अब सारिका की बारी थी....उसने काजल को घसीट कर साइड में बनी एक शेल्फ के उपर चड़ा दिया और उसकी टांगे फेला कर अपने होंठ वहाँ लगा दिए...
आज उसका भी ये पहला मौका था किसी की चूत चूसने का..पर वहाँ होंठ लगते ही उसे जब चूत के रस के स्वाद का एहसास हुआ तो उसके बाद वो रुकी ही नही...और अपनी जीभ निकाल कर अंदर तक चूसने लगी...चाटने लगी..
काजल भी एक हाथ से अपने मुम्मे को और दूसरे से सारिका के बालों को सहला कर आँखे बंद करके सिसकारियाँ मारने लगी..
''ओह ...सारिका ...............माय डार्लिंग .................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...... कहाँ थी इतने दिनों से ................... अहह .....सकक्क मी बेबी .................अंदर तक चूसो मुझे ............अहह ...बहुत मज़ा आ रहा है ....... बहुत अच्छा चूस रही हो तुम ...''
काजल के मुँह से अपनी कला की तारीफ सुनकर वो और भी बावली सी होकर अपनी सहेली को मज़ा देने लगी...
और फिर जल्द ही काजल की सिसकारियाँ चीखों मे बदलने लगी...क्योंकि वो झड़ने के करीब आ गयी थी...