27-01-2019, 02:38 PM
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मैने बिना देरी किये अपना मुह बहु के गरम गिली बुर पे रख दिया।। बहु के बुर पे हलके हलके बाल थे जो उसकी बुर के बहते चिपचिपे पानी से सन्न चुके थे उसकी बुर में से अजीब सी स्मेल आ रही थी। जो मुझे और पागल कर रही थी। मैं अपनी जीभ निकाल बहु की चूत चाट्ने लगा।।
सरोज - आह बाबू जी।।। ओह्ह और चाटीए।।।।।।।।।।।।
मै- बहु।।।। तुम्हारी बुर कितनी अच्छी स्मेल कर रही है।। उम्मम्मम्म काश तुम्हारे पापा भी तुम्हारी बुर चाट पाते।।
सरोज - छी: बाबूजी।। चुप रहिये
मै - अरे बहु गन्दी बातें करने से सेक्स में और मजा आता है।।। बस मजे के लिए तुम भी गन्दी बात करो तुम्हे मजा आएगा।।
सरोज - सिर्फ बातें न।।। कोई सीरियस नहीं है ना।
मै - नहीं बाबू सिर्फ सेक्स का और मजा लेने के लिये।। इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।
मै - अब बोलो अपने पापा से बुर चटवाओगी।।??
सरोज - हाँ बाबूजी।।। चटवाऊंगी।।। अपने पापा से अपना बुर चटवाऊंगी।।
इस वक़्त मेरे एक्साईटमेंट की कोई सीमा नहीं थी।। मैं अपना लंड पकड़ हिलाने लगा।
मै- और गन्दा बोलो बहु।।
सरोज - आआह बाबूजी मेरा बुर तबसे गिला है जबसे मैंने पापा के आने की खबर सुनी है।। आपकी बहु रंडी बहु है और आपसे और अपने पापा से चुदवाने के लिए बेताब है।।
मैं-और गन्दा बोल साली रंडी
बहु-मैं आपसे और अपने पापा दोनों से एकसाथ चुदवाउंगी। और दोनों का लंड बारी बारी से चूसूंगी।
मै बहु के पास बैठ गया और बहु इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की मेरे कुछ किये बगैर वो मेरे लंड मुह में लेकर चूसने लगी।।
बहू -बाबूजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
मैं- जान थोड़ा रुक जाओ इन बूब्स का मज़ा तो ले लेने दो !
सरोज - नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
मैं- क्या बात है बहु आज बहुत बैचेन हो ?
सरोज-हाँ बाबूजी इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम रानी साहिबा कहते हुए मैंने बहू की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लॅंड बहू के बुर के अंदर कर दिया !पहली बार मेरा मोटा लंड मेरी कामुक बहु की चिकनी बुर में जा रहा था।
एक झटके मे पूरा लंड अंदर जाते ही सरोज के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि मदनलाल ने पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खून खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई .
सरोज-उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है
मैं- सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?
सरोज- अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई पटरी नही बिछी है!
मुझ को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हलाकी मैं चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली बख्स तरीके से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था ! वरना सेक्स को मैं हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था ! अब मैंने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीं दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे सरोज की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे मेरी थाप की आवाज़ भी आ जाती जब बहू की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे मैं समझ गया क़ि बहु अब आने वाली है !इधर बहू का जिस्म अब कमान की भाँति ऐटने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब मेरा लंड उसकी योनि का मंथन करने लगा तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगे।
सरोज - हाँ बाबूजी ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! बाबूजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई !
मै - ये ले बहु।। तेरी चूत इतनी गिली हो गई है की मेरा लंड अंदर फिसल रहा है।।। और गन्दी बात करो बहु।।।।(मैं बहु के बुर में अपना लंड डाले उसे तेजी से चोदने लगा।।और दोनों हाथो से उसकी चूचियों को भी मसलने लगा)
सरोज - आह बाबू जी।।। ओह्ह और चाटीए।।।।।।।।।।।।
मै- बहु।।।। तुम्हारी बुर कितनी अच्छी स्मेल कर रही है।। उम्मम्मम्म काश तुम्हारे पापा भी तुम्हारी बुर चाट पाते।।
सरोज - छी: बाबूजी।। चुप रहिये
मै - अरे बहु गन्दी बातें करने से सेक्स में और मजा आता है।।। बस मजे के लिए तुम भी गन्दी बात करो तुम्हे मजा आएगा।।
सरोज - सिर्फ बातें न।।। कोई सीरियस नहीं है ना।
मै - नहीं बाबू सिर्फ सेक्स का और मजा लेने के लिये।। इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।
मै - अब बोलो अपने पापा से बुर चटवाओगी।।??
सरोज - हाँ बाबूजी।।। चटवाऊंगी।।। अपने पापा से अपना बुर चटवाऊंगी।।
इस वक़्त मेरे एक्साईटमेंट की कोई सीमा नहीं थी।। मैं अपना लंड पकड़ हिलाने लगा।
मै- और गन्दा बोलो बहु।।
सरोज - आआह बाबूजी मेरा बुर तबसे गिला है जबसे मैंने पापा के आने की खबर सुनी है।। आपकी बहु रंडी बहु है और आपसे और अपने पापा से चुदवाने के लिए बेताब है।।
मैं-और गन्दा बोल साली रंडी
बहु-मैं आपसे और अपने पापा दोनों से एकसाथ चुदवाउंगी। और दोनों का लंड बारी बारी से चूसूंगी।
मै बहु के पास बैठ गया और बहु इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की मेरे कुछ किये बगैर वो मेरे लंड मुह में लेकर चूसने लगी।।
बहू -बाबूजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
मैं- जान थोड़ा रुक जाओ इन बूब्स का मज़ा तो ले लेने दो !
सरोज - नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
मैं- क्या बात है बहु आज बहुत बैचेन हो ?
सरोज-हाँ बाबूजी इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम रानी साहिबा कहते हुए मैंने बहू की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लॅंड बहू के बुर के अंदर कर दिया !पहली बार मेरा मोटा लंड मेरी कामुक बहु की चिकनी बुर में जा रहा था।
एक झटके मे पूरा लंड अंदर जाते ही सरोज के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि मदनलाल ने पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खून खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई .
सरोज-उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है
मैं- सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?
सरोज- अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई पटरी नही बिछी है!
मुझ को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हलाकी मैं चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली बख्स तरीके से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था ! वरना सेक्स को मैं हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था ! अब मैंने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीं दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे सरोज की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे मेरी थाप की आवाज़ भी आ जाती जब बहू की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे मैं समझ गया क़ि बहु अब आने वाली है !इधर बहू का जिस्म अब कमान की भाँति ऐटने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब मेरा लंड उसकी योनि का मंथन करने लगा तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगे।
सरोज - हाँ बाबूजी ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! बाबूजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई !
मै - ये ले बहु।। तेरी चूत इतनी गिली हो गई है की मेरा लंड अंदर फिसल रहा है।।। और गन्दी बात करो बहु।।।।(मैं बहु के बुर में अपना लंड डाले उसे तेजी से चोदने लगा।।और दोनों हाथो से उसकी चूचियों को भी मसलने लगा)