27-01-2019, 02:23 PM
(This post was last modified: 01-12-2023, 03:42 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहु के गरम - गरम मुह में अपना लंड डाल मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई। बहु तेज़ी से मेरा लंड चूस रही थी। मुझे एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ की बहु बिना किस्सी डर के एक रंडी की तरह अपने पिता के मौज़ूदगी में मेरा लंड चूस रही थी। बहु के थूक और लार से मेरा लंड गिला हो गया, उसके मुह की गर्मी पाकर मैं फच्च-फच्च की आवाज़ किये बहु के मुह में ही स्खलित हो गया।
बहु मेरा सारा वीर्य पी गई और वापस आ कर चेयर पे बैठ गई, दूसरी ओर समधी जी इस बात से अन्जान मैच में ध्यान लगाए बैठे थे। बहु के मुह में गिरा कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली। बहु टेबल पे पड़े टिश्यू पेपर उठा कर अपना मुह साफ़ करने लगी। लंच करने के बाद बहु अपने कमरे में जा चुकी थी मैं और समधी जी वहीँ मैच देख रहे थे।
कुछ देर बाद समधि जी को हॉल में अकेला छोड़ मैं बहु के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया। बहु कमरे में लेटी थी उसकी कुर्ती एक तरफ से उठि हुई थी उसकी मांसल गांड और जांघ देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मै चुपके से बहु के क़रीब लेट गया और अपना हाथ आगे बढा बहु की चूचि दबाने लगा।।
सरोज - आह बाबू जी ये क्या कर रहे हैं? आप मेरे कमरे में?
मै- तुम बहुत सेक्सी हो बहु तुम्हारे बूब्स कितने सॉफ्ट है।
सरोज - बाबूजी।। पापा हैं घर में आप प्लीज जाइये यहाँ से।
मै - (एक हाथ से बहु की सलवार खोल, उसकी नंगी जांघों को सहलाने लगा) नहीं बहु समधी जी तो मैच देख रहे हैं
सरोज - प्लीज बाबूजी आप बहुत एक्साईटेड थे इसलिए मैंने लंच टेबल पे आपका लंड मुह में लेकर आपका पानी निकाल दिया था ताकि आप शांत हो जाएँ और मुझे तंग ना करे।
मैने एक झटके में उसकी ब्रा उतार कर बेड के नीचे फेंक दिया, उसकी नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथ से मसल कर बोला।।।
मै- झूठ मत बोलो बहु लंच टेबल पे मैंने जब तुम्हारी सलवार खोल अंदर हाथ डाला था तो तुम्हारी चूत पहले से ही गिली थी।।
सरोज मेरी बात सुन कर शर्मा गई।।
सरोज - बाबू जी वो तो।।। ऐसे ही।।।।
मै - ऐसे ही कैसे गिली थी बहु?? कहीं अपने पापा से लिपटने से गिली तो नहीं हो गई थी? (मैं बहु के पेंटी उतार उसके बुर को कस कर दबा के बोला)
सरोज - आह।।।। छी: बाबूजी कैसी बात कर रहे है। वो मेरे पापा है।
मै - तो क्या हुआ उनका भी लंड तो अपनी बेटी के बुर के लिए तरसता होगा।।।(मैंने बहु के बुर में अपनी ऊँगली डाल दिया।। )
मै - देख बहु अभी भी तेरी बुर पनियाई हुई है
सरोज - ओह बाबू जी छोड़िये न।।। (बहु के होठ और शरीर के जुबान दो अलग अलग इशारे कर रहे थे।।)
एक तरफ बहु मुझे मन कर रही थी और दूसरी तरफ वो अपने बुर को फैला मेरे उँगलियों के अंदर जाने का रास्ता दे रही थी।। मस्ती में उसकी आँखें बंद हो जा रही थी। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए। बहु को भी अब तक पूरा नंगा कर चूका था। उसकी नंगी चूचियों को चूसते चाटते हुए मैं कमर तक नीचे उसकी नाभि पे जाकर रुक गया।
सरोज- ओह बाबूजी ये आप क्या कर रहे है।। ( बहु ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपनी जाँघे खोल मुझे नीचे के ओर पुश करने लगी।।)
मुझे उसकी इस हरकत से समझ आ गया की बहु मुझे अपनी बुर पिलाना चाहती है मगर मैं जानबूझ कर अपने जीभ को उसकी नाभि पे फेरता रहा। बहु धीरे धीरे मदहोश हो रही थी। उसकी चूत पूरी तरह गिली हो चुकी थी।
सरोज - आह बाबूजी।। जाइये नीचे चाटिये न।। (बहु ने एक बार फिर मुझे नीचे की ओर पुश किया)
सरोज - बाबूजी।। आह प्लीज।। आह मेरी बुर चाटिये न।।
मै - क्या बहु।।?
सरोज - मेरी बुर चाटिये न।।
मै - नहीं बहु तुम्हारे पापा आ गए तो।। (मैं बहु को और तडपना चाहता था।)
सरोज - नहीं आएँगे।। (बहु अपना बुर ऊपर उचका के बोली)
मै - पहले बता बहु जब उन्होंने तुम्हे गले लगाया तब उनका लंड तुम्हारी बुर को छुआ था न?? और तभी तुम गिली हो गई थी?
सरोज - ओह बाबूजी।। मुझे नहीं पता।।
मै - (बहु को और तडपाते हुये।) बताओ मुझे सच है न?
सरोज - हाँ बाबूजी सच है अब चाटिये न।।
बहु मेरा सारा वीर्य पी गई और वापस आ कर चेयर पे बैठ गई, दूसरी ओर समधी जी इस बात से अन्जान मैच में ध्यान लगाए बैठे थे। बहु के मुह में गिरा कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली। बहु टेबल पे पड़े टिश्यू पेपर उठा कर अपना मुह साफ़ करने लगी। लंच करने के बाद बहु अपने कमरे में जा चुकी थी मैं और समधी जी वहीँ मैच देख रहे थे।
कुछ देर बाद समधि जी को हॉल में अकेला छोड़ मैं बहु के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया। बहु कमरे में लेटी थी उसकी कुर्ती एक तरफ से उठि हुई थी उसकी मांसल गांड और जांघ देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मै चुपके से बहु के क़रीब लेट गया और अपना हाथ आगे बढा बहु की चूचि दबाने लगा।।
सरोज - आह बाबू जी ये क्या कर रहे हैं? आप मेरे कमरे में?
मै- तुम बहुत सेक्सी हो बहु तुम्हारे बूब्स कितने सॉफ्ट है।
सरोज - बाबूजी।। पापा हैं घर में आप प्लीज जाइये यहाँ से।
मै - (एक हाथ से बहु की सलवार खोल, उसकी नंगी जांघों को सहलाने लगा) नहीं बहु समधी जी तो मैच देख रहे हैं
सरोज - प्लीज बाबूजी आप बहुत एक्साईटेड थे इसलिए मैंने लंच टेबल पे आपका लंड मुह में लेकर आपका पानी निकाल दिया था ताकि आप शांत हो जाएँ और मुझे तंग ना करे।
मैने एक झटके में उसकी ब्रा उतार कर बेड के नीचे फेंक दिया, उसकी नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथ से मसल कर बोला।।।
मै- झूठ मत बोलो बहु लंच टेबल पे मैंने जब तुम्हारी सलवार खोल अंदर हाथ डाला था तो तुम्हारी चूत पहले से ही गिली थी।।
सरोज मेरी बात सुन कर शर्मा गई।।
सरोज - बाबू जी वो तो।।। ऐसे ही।।।।
मै - ऐसे ही कैसे गिली थी बहु?? कहीं अपने पापा से लिपटने से गिली तो नहीं हो गई थी? (मैं बहु के पेंटी उतार उसके बुर को कस कर दबा के बोला)
सरोज - आह।।।। छी: बाबूजी कैसी बात कर रहे है। वो मेरे पापा है।
मै - तो क्या हुआ उनका भी लंड तो अपनी बेटी के बुर के लिए तरसता होगा।।।(मैंने बहु के बुर में अपनी ऊँगली डाल दिया।। )
मै - देख बहु अभी भी तेरी बुर पनियाई हुई है
सरोज - ओह बाबू जी छोड़िये न।।। (बहु के होठ और शरीर के जुबान दो अलग अलग इशारे कर रहे थे।।)
एक तरफ बहु मुझे मन कर रही थी और दूसरी तरफ वो अपने बुर को फैला मेरे उँगलियों के अंदर जाने का रास्ता दे रही थी।। मस्ती में उसकी आँखें बंद हो जा रही थी। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए। बहु को भी अब तक पूरा नंगा कर चूका था। उसकी नंगी चूचियों को चूसते चाटते हुए मैं कमर तक नीचे उसकी नाभि पे जाकर रुक गया।
सरोज- ओह बाबूजी ये आप क्या कर रहे है।। ( बहु ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपनी जाँघे खोल मुझे नीचे के ओर पुश करने लगी।।)
मुझे उसकी इस हरकत से समझ आ गया की बहु मुझे अपनी बुर पिलाना चाहती है मगर मैं जानबूझ कर अपने जीभ को उसकी नाभि पे फेरता रहा। बहु धीरे धीरे मदहोश हो रही थी। उसकी चूत पूरी तरह गिली हो चुकी थी।
सरोज - आह बाबूजी।। जाइये नीचे चाटिये न।। (बहु ने एक बार फिर मुझे नीचे की ओर पुश किया)
सरोज - बाबूजी।। आह प्लीज।। आह मेरी बुर चाटिये न।।
मै - क्या बहु।।?
सरोज - मेरी बुर चाटिये न।।
मै - नहीं बहु तुम्हारे पापा आ गए तो।। (मैं बहु को और तडपना चाहता था।)
सरोज - नहीं आएँगे।। (बहु अपना बुर ऊपर उचका के बोली)
मै - पहले बता बहु जब उन्होंने तुम्हे गले लगाया तब उनका लंड तुम्हारी बुर को छुआ था न?? और तभी तुम गिली हो गई थी?
सरोज - ओह बाबूजी।। मुझे नहीं पता।।
मै - (बहु को और तडपाते हुये।) बताओ मुझे सच है न?
सरोज - हाँ बाबूजी सच है अब चाटिये न।।