27-01-2019, 11:58 AM
छठवीं फुहार ,
![[Image: 37bf04b7adac8bb1376daba0555994b9.jpg]](https://i.ibb.co/fMj7qrf/37bf04b7adac8bb1376daba0555994b9.jpg)
मेले में
कुछ देर कभी चूड़ियों की दूकान पे तो कभी कहीं कुछ देर इधर उधर घूमने के बाद मैं उधर पहुँच गयी जहाँ मेरी सहेलियां खड़ी थी। शाम करीब करीब ढल चुकी थी , नौटंकी और बाकी दुकानों पे रौशनी जल गयी थी। बादल भी काफी घिर रहे थे।
जब मैंने अपनी सहेलियों की ओर निगाहें डाली तो वहां उनके साथ कई लड़के खड़े थे, जब मैं नजदीक गई तो पाया कि चन्दा के साथ सुनील, गीता के साथ रवी और कजरी और पूरबी के साथ भी एक-एक लड़का था। अजय अकेला खड़ा था।
गीता ने अजय को छेड़ा-
![[Image: tumblr-nsnk9zq-Rww1rxd3a4o1-400.jpg]](https://i.ibb.co/MCttPYW/tumblr-nsnk9zq-Rww1rxd3a4o1-400.jpg)
“अरे… सब अपने-अपने माल के साथ खड़े हैं… और तुम अकेले…”
मैंने ठीक से सुना नहीं पर मैं अजय को अकेले देखकर उसके पास खड़ी हो गयी और बोली-
“मैं हूँ ना…”
![[Image: tumblr-mciklv-FLfi1rjhuqoo1-1280.jpg]](https://i.ibb.co/tYd25R9/tumblr-mciklv-FLfi1rjhuqoo1-1280.jpg)
सब हँसने लगे, पर अजय ने अपने हाथ मेरे कंधे पर रखकर मुझे अपने पास खींच लिया और सटाकर कहने लगा-
“मेरा माल तो है ही…”
थोड़ा बोल्ड बनकर अपना हाथ उसकी कमर में डालकर, मैं और उससे लिपट, चिपट गयी और बोली-
“और क्या, जलती क्यों हो, तुम लोग…”
चन्दा मुझे चिढ़ाते हुए, अजय से बोली-
“अरे इतना मस्त, तुम्हारा मन पसंद माल मिल गया है, मुँह तो मीठा कराओ…”
“कौन सा मुंह… ऊपर वाला या नीचे वाला…”
छेड़ते हुए गीता चहकी।
“अरे हम लोगों का ऊपर वाला और अपने माल का दोनों…” चन्दा मुश्कुरा के बोली।
एक दुकान पर ताजी गरम-गरम जलेबियां छन रहीं थीं। हम लोग वहीं बैठ गये।
![[Image: Jalebi-indian-sweet-b.jpg]](https://i.ibb.co/9bxbJn5/Jalebi-indian-sweet-b.jpg)
सब लोगों को तो दोने में जलेबियां दीं पर मुझे उसने अपने हाथ से मेरे गुलाबी होंठों के बीच डाल दी। थोड़ा रस टपक कर मेरी चोली पर गिर पड़ा और उसने बिना रुके अपने हाथ से वहां साफ करने के बहाने मेरे जोबन पे हाथ फेर दिया। हम लोग थोड़ा दूर पेड़ के नीचे बैठे थे। उसका हाथ लगाते ही मैं सिहर गयी।
एक जलेबी अपने हाथों में लेकर मैंने उसे ललचाया-
“लो ना…” और जब वो मेरी ओर बढ़ा तो मैंने जलेबी अपने होंठों के बीच दबाकर जोबन उभारकर कहा- “ले लो ना…”
![[Image: Jalebi-eating-28807075-portrait-of-a-wom...jalebi.jpg]](https://i.ibb.co/KDfPczC/Jalebi-eating-28807075-portrait-of-a-woman-eating-jalebi.jpg)
अब वो कहां रुकने वाला था, उसने मेरा सर पकड़ के मेरे होंठों के बीच अपना मुँह लगा के न सिर्फ जलेबी का रसास्वादन किया बल्की अब तक कुंवारे मेरे होंठों का भी जमकर रस लिया और उसे इत्ते से ही संतोष नहीं हुआ और उसने कसके मेरे रसीले जोबन पकड़ के अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दिया।
“हे क्या खाया पिया जा रहा है, अकेले-अकेले…”
चन्दा की आवाज सुनकर हम दोनों अलग हो गये।
रात शुरू हो गयी थी।
हम सब घर की ओर चल दिये।
![[Image: 37bf04b7adac8bb1376daba0555994b9.jpg]](https://i.ibb.co/fMj7qrf/37bf04b7adac8bb1376daba0555994b9.jpg)
मेले में
कुछ देर कभी चूड़ियों की दूकान पे तो कभी कहीं कुछ देर इधर उधर घूमने के बाद मैं उधर पहुँच गयी जहाँ मेरी सहेलियां खड़ी थी। शाम करीब करीब ढल चुकी थी , नौटंकी और बाकी दुकानों पे रौशनी जल गयी थी। बादल भी काफी घिर रहे थे।
जब मैंने अपनी सहेलियों की ओर निगाहें डाली तो वहां उनके साथ कई लड़के खड़े थे, जब मैं नजदीक गई तो पाया कि चन्दा के साथ सुनील, गीता के साथ रवी और कजरी और पूरबी के साथ भी एक-एक लड़का था। अजय अकेला खड़ा था।
गीता ने अजय को छेड़ा-
![[Image: tumblr-nsnk9zq-Rww1rxd3a4o1-400.jpg]](https://i.ibb.co/MCttPYW/tumblr-nsnk9zq-Rww1rxd3a4o1-400.jpg)
“अरे… सब अपने-अपने माल के साथ खड़े हैं… और तुम अकेले…”
मैंने ठीक से सुना नहीं पर मैं अजय को अकेले देखकर उसके पास खड़ी हो गयी और बोली-
“मैं हूँ ना…”
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सब हँसने लगे, पर अजय ने अपने हाथ मेरे कंधे पर रखकर मुझे अपने पास खींच लिया और सटाकर कहने लगा-
“मेरा माल तो है ही…”
थोड़ा बोल्ड बनकर अपना हाथ उसकी कमर में डालकर, मैं और उससे लिपट, चिपट गयी और बोली-
“और क्या, जलती क्यों हो, तुम लोग…”
चन्दा मुझे चिढ़ाते हुए, अजय से बोली-
“अरे इतना मस्त, तुम्हारा मन पसंद माल मिल गया है, मुँह तो मीठा कराओ…”
“कौन सा मुंह… ऊपर वाला या नीचे वाला…”
छेड़ते हुए गीता चहकी।
“अरे हम लोगों का ऊपर वाला और अपने माल का दोनों…” चन्दा मुश्कुरा के बोली।
एक दुकान पर ताजी गरम-गरम जलेबियां छन रहीं थीं। हम लोग वहीं बैठ गये।
![[Image: Jalebi-indian-sweet-b.jpg]](https://i.ibb.co/9bxbJn5/Jalebi-indian-sweet-b.jpg)
सब लोगों को तो दोने में जलेबियां दीं पर मुझे उसने अपने हाथ से मेरे गुलाबी होंठों के बीच डाल दी। थोड़ा रस टपक कर मेरी चोली पर गिर पड़ा और उसने बिना रुके अपने हाथ से वहां साफ करने के बहाने मेरे जोबन पे हाथ फेर दिया। हम लोग थोड़ा दूर पेड़ के नीचे बैठे थे। उसका हाथ लगाते ही मैं सिहर गयी।
एक जलेबी अपने हाथों में लेकर मैंने उसे ललचाया-
“लो ना…” और जब वो मेरी ओर बढ़ा तो मैंने जलेबी अपने होंठों के बीच दबाकर जोबन उभारकर कहा- “ले लो ना…”
![[Image: Jalebi-eating-28807075-portrait-of-a-wom...jalebi.jpg]](https://i.ibb.co/KDfPczC/Jalebi-eating-28807075-portrait-of-a-woman-eating-jalebi.jpg)
अब वो कहां रुकने वाला था, उसने मेरा सर पकड़ के मेरे होंठों के बीच अपना मुँह लगा के न सिर्फ जलेबी का रसास्वादन किया बल्की अब तक कुंवारे मेरे होंठों का भी जमकर रस लिया और उसे इत्ते से ही संतोष नहीं हुआ और उसने कसके मेरे रसीले जोबन पकड़ के अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दिया।
“हे क्या खाया पिया जा रहा है, अकेले-अकेले…”
चन्दा की आवाज सुनकर हम दोनों अलग हो गये।
रात शुरू हो गयी थी।
हम सब घर की ओर चल दिये।