16-12-2019, 10:27 AM
राहुल ने अपने पत्ते देखे और हज़ार का नोट फेंककर तुरंत चाल चल दी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके पास जानदार पत्ते आए है..
शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...
कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..
अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...
अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..
राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...
जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..
अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...
उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...
शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....
पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.
जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...
अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था
शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...
कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..
अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...
अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..
राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...
जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..
अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...
उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...
शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....
पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.
जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...
अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था